"द ऑफिशियल स्टोरी" सच के आईने में इतिहास की तस्वीर / राकेश मित्तल

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"द ऑफिशियल स्टोरी" सच के आईने में इतिहास की तस्वीर
प्रकाशन तिथि : 03 अगस्त 2013


अर्जेंटीना की राजनीति में सेना का प्रभुत्व हमेशा से रहा है। वहां का इतिहास अनेक सैन्य शासकों का गवाह है। वर्तमान लोकतंत्र बहाल होने के पूर्व 1976 से 1983 के बीच वहां सैन्य तानाशाही अपनी क्रूरता के चरम पर थी। यह समय अर्जेंटीना के इतिहास में ‘डर्टी वॉर पीरियड’ के नाम से जाना जाता था, इस दौरान हजारों नागरिक, जो सैन्य शासन के विरोधी और समाजवाद के पक्षधर थे, या तो कत्ल कर दिए गए या उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। 1985 में प्रदर्शित लुइस पुएंजो द्वारा लिखित एवं निर्देशित ‘द ऑफिशियल स्टोरी’ इसी पृष्ठभूमि पर बनी प्रामाणिक फिल्म है। इसे अनेक फिल्म समारोहों में ढेरों पुरस्कारों के अलावा विदेशी भाषा श्रेणी में सर्वेश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।

फिल्म का समय 1980 के दरम्यान का है, जब हजारों वामपंथियों को तरह-तरह की यातनाएं देते हुए उनका कत्ल किया जा रहा था। एलीसिया (नॉरमा एलीएन्ड्रो) ब्यूनस आयर्स के एक निजी स्कूल में इतिहास की शिक्षिका है। उसके पति रॉबर्टो (हैक्टर अल्टेरियो) एक सफल अमीर व्यवसायी हैं। उनकी एक पांच वर्षीया बेटी गेबी (अनालिया कास्त्रो) है, जिसे उन्होंने कुछ वर्ष पहले गोद लिया है। उनका पारिवारिक जीवन शांत एवं सुखी है। एलीसिया को स्कूल में पढ़ाने में काफी परेशानी आती है क्योंकि विद्यार्थी किताबों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास पर विश्वास नहीं करते। उनका मानना है कि तानाशाह शासकों ने अपनी छवि सुधारने हेतु तोड़-मरोड़कर इतिहास को प्रस्तुत किया है जबकि वास्तविक कहानियां, जो उन्होंने अपने बाप-दादाओं से सुनी हैं, इसके बिल्कुल विपरीत हैं।

एक दिन अचानक एलीसिया की मुलाकात उसकी पुरानी मित्र एना (चुनचुना क्लिफाने) से होती है, जिससे वह पिछले कई वर्षों से नहीं मिली थी। एलीसिया को यह जानकार गहरा सदमा लगता है कि एना को ‘डर्टी वार पीरिएड’ में देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। उसे यह जानकर और बड़ा धक्का लगता है कि उन दिनों कैद में कई महिला कैदी लगातार बलात्कारों के कारण गर्भवती हो गई थीं और उनके बच्चे बाद में उनसे छीन लिए गए थे। एलीसिया को लगता है कि कहीं उसकी दत्तक पुत्री गेबी भी उन्हीं बच्चों में से एक तो नहीं है। वह किसी भी कीमत पर गेबी के अतीत की जानकारी जुटाने में लग जाती है। एलीसिया की यह कोशिश रॉबर्टो को अच्छी नहीं लगती, क्योंकि वह सैन्य शासकों के कट्टर समर्थकों में से था और एलीसिया के कई बार पूछने पर भी उसने यह नहीं बताया था कि वह गेबी को कहां से लाया है। इस बात पर दोनों में जमकर विवाद होता है। एलीसिया ज्यों-ज्यों इस बात की तह में घुसती है, उसके सामने नए-नए खुलासे होने लगते हैं और अतीत की परतें उभारकर सामने आने लगती हैं।

फिल्म की पटकथा इतनी कसी हुई है कि आप जड़वत रह जाते हैं। फिल्म देखने के बाद कई दिनों तक आप इसे भुला नहीं सकते। हालांकि फिल्म एक काल्पनिक कहानी के माध्यम से अपनी बात कहती है किंतु वह एक कड़वी सच्चाई से रूबरू कराती है। फिल्म सिर्फ अर्जेंटीना की ही बात नहीं करती, बल्कि वह कई सार्वभौमिक तथ्यों पर प्रकाश डालती है। निरंकुश सत्ता हमेशा तानाशाही का रूप ले लेती है, चाहे वह कोई भी समाज या देश हो। विश्व इतिहास इस तरह के उदाहरणों से भरा पड़ा है।

फिल्म में जो कुछ भी दिखाया गया है, वह एक सत्य राजनीतिक घटनाक्रम है। जब तानाशाह जॉर्ज रेफेरल विडेला की सेना ने अर्जेंटीना पर आधिपत्य जमा लिया था, उस समय संसद भंग कर दी गई थी तथा प्रेस, राजनीतिक दल एवं राज्य सरकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिल्म की मुख्य अभिनेत्री नाफरमा एलीएन्ड्रो को स्वयं भी देश छोड़कर भागना पड़ा था। उन्होंने पहले उरूग्वे और फिर स्पेन में जाकर शरण ली थी। 1983 में सैन्य शासन की समाप्ति और लोकतंत्र की बहाली के बाद ही वे अपने देश लौट सकीं। अपने व्यक्तिगत अनुभवों के कारण वे एलीसिया की भूमिका इतने विश्वसनीय ढंग से निभा सकीं। नॉरमा को उनके, अविस्मरणीय अभिनय के लिए उस वर्ष कान फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया था।