"द क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन" जीवन रथ का उल्टा पहिया / राकेश मित्तल

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"द क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन" जीवन रथ का उल्टा पहिया
प्रकाशन तिथि : 11 मई 2013


यह एक अद्भुत फंतासी फिल्म है, जिसका विचार मात्र आपको रोमांच से भर देता है। इसमें एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना की गई है, जो बूढ़ा पैदा होता है और बच्चा होते-होते मर जाता है। उसके आसपास उसके संगी-साथी, नाते-रिश्तेदार समय बीतने के साथ बूढ़े होते चले जाते हैं पर वह सबके विपरीत जवान होता जाता है। इस दौरान वह कई असहज और शर्मिंदगी भरी स्थितियों से गुजरता है किंतु यही उसकी नियति है।

वर्ष 2008 में प्रदर्शित इस फिल्म के निर्देशक थे डेविड फिन्शर। इसमें हॉलीवुड के सुपरस्टार्स ब्रैडपिट और केट ब्लैंचेट ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। इस फिल्म ने रिलीज होते ही तहलका मचा दिया था। एकदम नई परिकल्पना के साथ अद्भुत मेकअप और अभिनय से सजी ‘द क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन’ पर पुरस्कारों की झड़ी लग गई। इसे तेरह श्रेणियों में ऑस्कर पुरस्कार हेतु नामांकन सहित विश्व के लगभग सभी प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में अस्सी से ज्यादा नामांकन मिले, जिनमें से बयालीस पुरस्कार इसकी झोली में गिरे।

फिल्म की शुरूआत में कैमरा एक अत्यंत बुजुर्ग महिला डेजी विलियम फुलर के चेहरे पर केंद्रित होता है, जोकि अमेरिका के न्यू ऑर्लियंस में एक अस्पताल के बिस्तर पर अंतिम सांसें गिन रही है। उस समय वहां ‘कैटरीना’ नामक भयानक तूफान आया हुआ है। वह पास खड़ी अपनी बेटी कैरोलीन से डेजी के जीवनपर्यंत मित्र वेंजामिन बटन की डायरी को बोलकर पढ़ने के लिए कहती है। उस डायरी के पन्नों में डेजी की जिंदगी की दास्तान है। कैरोलीन के स्वरों के साथ डेजी पुरानी यादों में खो जाती है। एक-एक करके उसके जीवन के सभी अध्याय उसकी आंखों के सामने से गुजरते हैं और पूरी फिल्म फ्लैशबैक में चली जाती है..।

बेंजामिन बटन कई विचित्रताओं के साथ जन्म लेता है, जिनमें सबसे बड़ी विचित्रता यह है कि उसकी उम्र उल्टी चलती है। पैदा होते ही उसे बुढ़ापे की कई बीमारियां जकड़ लेती हैं पर किसी तरह वह जीवित बच जाता है और वक्त के साथ जवान होता जाता है। जन्म के कुछ साल बाद जब वह स्कूल में भर्ती होता है, तो उसकी उम्र लगभग सत्तर साल के बूढ़े के समान दिखती है। सात वर्षीय डेजी उसकी सबसे अच्छी मित्र बन जाती है और जीवन भर बनी रहती है। हालांकि डेजी और बेंजामिन की उम्र विपरीत दिशा में चलती है पर वे दोनों ताउम्र एक-दूसरे के करीब बने रहते हैं, डेजी के बचपन से बेंजामिन के बचपन तक....। बीच में

एक समय ऐसा भी आता है, जब वे दोनों चालीस की उम्र के होते हैं। उस समय दोनों की उम्र जीवन में पहली बार मेल खाती है। इन कुछ सालों का समय उनकी जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। उन्हीं दिनों उनकी बेटी कैरोलीन का भी जन्म होता है।

वैसे फिल्म में बेंजामिन की भूमिका सात अभिनेताओं ने निभाई है मगर पचपन वर्ष से पच्चीस वर्ष के बेंजामिन को ब्रैड पिट ने निभाया है। निश्चित ही उनके करयिर की यह सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। अपने बेहतरीन अभिनय और प्रेम ग्रेग केनम के शानदार मेकअप की बदौलत उन्होंने बेंजामिन बटन की विद्रूपताओं और विचित्रताओं से भरे जीवन को साकार कर दिया है। बढ़ते समय के साथ घटती उम्र को दर्शाने में ग्रेग केनम के मेकअप का खासा योगदान है, जिसके लिए उन्हें ऑस्कर भी प्राप्त हुआ था।

हालांकि यह पूर्णतः काल्पनिक फिल्म है, किंतु अपनी कसी हुई पटकथा और बेहतरीन निर्देशन के चलते यह दर्शकों को चमत्कृत करती है। सिनेमा कल्पना को विश्वास में बदलने की कला है, जिसमें यह फिल्म पूर्णतः सफल है।