"द प्लेबैक सिंगर" जीवन की जटिलता में रिश्तों का स्पंदन / राकेश मित्तल

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"द प्लेबैक सिंगर" जीवन की जटिलता में रिश्तों का स्पंदन
प्रकाशन तिथि : 04 मई 2013


सुजु विजयन भारतीय मूल की अमेरिकन फिल्मकार हैं और अमेरिकन टीवी का जाना-पहचाना नाम है। हाल ही में उन्होंने ‘द प्लेबैक सिंगर’ नाम से अपनी पहली फीचर फिल्म लिखी और निर्देशित की है, जिसे प्रवासी भारतीय समुदाय में खासी सराहना मिल रही है। पिछले दिनों संपन्न हुए सैन होजे सिने क्वेस्ट में यह सर्वाधिक पसंद की जाने वाली फिल्म रही। इस फिल्म के साथ भारतीय अभिनेता पीयूष मिश्रा ने हॉलीवुड में कदम रखा है।

फिल्म का नायक रे (रॉस पार्ट्रीज) एक लक्ष्यहीन, भटकाव वादी, बेरोजगार युवा है, जो यह तय नहीं कर पाया हे कि जिंदगी में उसे क्या करना है। वह अपनी वकील पत्नी प्रिया (नवी रावत) से बेहद प्यार करता है। प्रिया रे के अनिर्णय और भ्रमित जीवन शैली से बेहद परेशान है। उनका दांपत्य जीवन टूट के कगार पर है।

एक दिन अचानक प्रिया को सूचना मिलती है कि उसके पिता अशोक (पीयूष मिश्रा), जोकि बॉलीवुड में एक मध्यम स्तरीय पार्श्व गायक हैं, भारत से अमेरिका एक संगीत कंसर्ट टूर के लिए आ रहे हैं और कुछ दिन उनके साथ रहना चाहते हैं। प्रिया इस बात से बेहद उत्साहित है क्योंकि पिछले सोलह सालों से वह अपने पिता से नहीं मिली है किंतु रे को अशोक के आने की खबर से कोई खुशी नहीं होती। रे की नजर में अशोक एक गैर-जिम्मेदार और घटिया इंसान है, जिसने पिता या पति होने का कोई कर्तव्य नहीं निभाया। अशोक पांच शादियां कर चुके हैं। प्रिया की मां उनकी दूसरी बीवी थी। प्रिया उनकी एकमात्र संतान है किंतु उन्होंने कभी प्रिया की परवाह नहीं की।

प्रिया इन सब बातों को नजरअंदाज कर अपने पिता के साथ रिश्ते की नई शुरूआत करना चाहती है और किसी तरह रे को राजी कर लेते हैं कि अशोक उनके यहां रहें। अशोक उनके घर आने के बाद अपने भदेस तौर-तरीकों से रे को नाराज कर देते हैं किंतु रे प्रिया की खातिर सब सहन करता रहता है। जब अशोक अपने कंसर्ट में गाने के लिए पहुंचते हैं, तो उन्हें वहां कोई नहीं मिलता। उन्हें मालूम पड़ता है कि वह पूरा कंसर्ट टूर एक धोखा था, जिसमें उन्होंने हजारों डॉलर बर्बाद कर दिए हैं। प्रिया कानूनी तौर पर अशोक की सहायता करने की कोशिश करती है पर अशोक सब कुछ भुलाकर वापस भारत जाना चाहते हैं। रे को लगता है कि अशोक का इस तरह तुरंत वापस जाना प्रिया को अच्छा नहीं लग रहा है, तो वह अशोक को रुकने के लिए किसी तरह मना लेता है।

इस बीच प्रिया, जिस पर पूरे घर की देखभाल और कमाने की जिम्मेदारी है, गर्भवती हो जाती है। इस बात से वह बेहद परेशान हो जाती है क्योंकि उसे लगता है कि रे का गैर-जिम्मेदाराना स्वभाव उसे कभी अच्छा पिता नहीं बना सकता। प्रिया यह बच्चा नहीं चाहती है। रे और प्रिया की कश्मकश और विवाद के बीच जब अशोक को पता चलता है कि वे नाना बनने वाले हैं, तो वे अत्यंत उत्साहित हो जाते हैं। वे रे को एक जिम्मेदार पिता होने के लिए प्रेरित करते हैं। यह देखकर रे और भड़क जाता है। खैर, अशोक की मेहनत रंग लाती है और धीरे-धीरे चीजें सामान्य होने लगती हैं।

इस फिल्म को प्रवासी भारतीय दर्शकों के नजरिए से देखा जाना चाहिए। हालांकि यह अमेरिका में रहने वाले दूसरी पीढ़ी के भारतीयों को केंद्र में रखकर बनाई गई है लेकिन समग्रता में देखा जाए, तो यह समूचे अमेरिकी मध्यम वर्ग की दशा का चित्रण करती है। फिल्म के सभी पात्र बिल्कुल स्वाभाविक लगते हैं। पात्रों की ईमानदार अभिव्यक्ति फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है। पीयूष मिश्रा ने अपनी भूमिका में कमाल किया है। अभिनेता के तौर पर यह उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। रॉस पार्ट्रिज अपने खंडित आत्मविश्वास और ओढ़ी हुई आत्ममुग्धता के भावों को दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। प्रिया के रोल में नवी रावत ने अत्यंत परिपक्व अभिनेत्री होने का सबूत दिया है। भारतीय समयानुसार आज सुबह 10 बजे लॉस एंजेलिस के एशिया-पैसिफिक फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म का प्रीमियर है।