अँग्रेज़ों के ज़माने का किंग्ज़ सर्किल अब माहेश्वरी उद्यान कहलाता है / संतोष श्रीवास्तव

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुम्बई में भव्यता के पैमाने पर जो दर्ज़ा छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताजमहल होटल, मरीन ड्राइव, गिरगाँव चौपाटी का है वही दर्ज़ा किंग्ज़ सर्किल का है। ब्रिटिश शासनकाल में यह पूरा इलाका किंग्ज़ सर्किल के नाम से प्रचलित था किन्तु अब यह माहेश्वरी उद्यान के नाम से जाना जाता है। हालाँकि रेलवे स्टेशन किंग्ज़ सर्किल ही कहलाता है जो सीधे वी. टी. तक जाता है। किंग्ज़ सर्कल के पास साउथ इंडिया एजुकेशन सोसाइटी हाईस्कूल है जो मुम्बई के पुराने स्कूलों में से एक है। यहीं कोलीवाड़ा, वडाला, सायन और सी. जी. एस. कॉलोनी एंटॉप हिल है। एंटॉप हिल मेरे मुम्बई के शुरूआती दिनों का साक्षी है जब मैं पत्रकारिता के लिए मुम्बई में संघर्षरत थी। एंटॉप हिल निम्न श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों का वन बेडरूम हॉल किचन आवास है जो चार माले की बहुत सारी इमारतों में आबंटित किया जाता है। इसी में से एक फ्लैट में मैं रहती थी। एजेंट के द्वारा लिये इस फ्लैट में चाहें जब रात बिरात चैकिंग होती थी और एजेंट हमें ताले में बंद करके चला जाता था क्योंकि चैकिंग के दौरान इंस्पैक्टर ने अगर पकड़ लिया तो उसी समय सामान सहित बाहर कर दिये जायेंगे और बेचारे कर्मचारी का मकान छीनकर उसे जुर्माना भरना पड़ेगा। लेकिन अमूमन फ़िल्मी कलाकारों, गायकों, लेखकों, रंगकर्मियों को स्ट्रगल के दौरान शरण देने में एंटॉप हिल का जवाब नहीं। एंटॉप हिल जुड़ता है कोलीवाड़ा से, वडाला से और माटुंगा तथा सायन से। यहीं बरकत अली दरगाह है जो पहाड़ी पर है। यहाँ एक पुल भी है जो पहाड़ी को पूर्व और पश्चिम से जोड़ता है। प्रतिवर्ष उर्स के दौरान यहाँ उत्सव जैसा माहौल रहता है। लाउड स्पीकर पर अजान, कव्वाली आदि सुनतेदिन रात बीतते थे हमारे। थोड़े फासले पर कोलीवाड़ा मार्केट है जो कोलियों का मशहूर मछली बाज़ार है और जहाँ सड़क के किनारे ठेलों पर झींगा और मछली फ्राई खरीदने शाम से भीड़ जुटने लगती है। कोलियों के अलावा पाकिस्तान अधिकृत सिंध और पंजाब से आए शरणार्थियों की बस्ती होने के कारण पंजाबी बाज़ार भी यहाँ का बहुत प्रसिद्ध है। लोहड़ी पर यहाँ की रौनक देखते ही बनती है। यहीं मशहूर फ़िल्मकार सागर सरहदी रहते हैं और जिन दिनों विविध भारती रेडियो स्टेशन मरीन लाइंस में था... कई रेडियो पदाधिकारी और कलाकार एंटॉप हिल, कोलीवाड़ा में रहते थे। यहीं मैंने भी कई रेडियो नाटक लिखे। अब विविध भारती बोरीवली के गोराई में स्थानांतरित हो गया है।

कोलियों की देवी गामदेवी का मंदिर भी कोलीवाड़ा में है जहाँ नारियल पूर्णिमा और अन्य उत्सवों पर कोली नृत्य होते हैं। सबसे मशहूर कोली नृत्य है... कोलीवाड़ा ची शान। इस नृत्य का गीत भी बेहद चर्चित है... कोलीवाड़ा ची शान आई तुझा देवू न... हम सब काम धाम छोड़कर यह नृत्य देखने ज़रूर जाते थे और लौटते समय सरसों के तेल में तले पंजाबी भजिए और असली घी की इमरतियाँ ज़रूर खाते थे।

कोलीवाड़ा जो अब गुरु तेग बहादुर नगर कहलाता है से किंग्ज़ सर्किल की ओर जाने पर गाँधी मार्केट आताहै। गाँधी मार्केट डॉ. अम्बेडकर रोड पर है। जो पाकिस्तान से आये सिंधी और पंजाबी शरणार्थियों द्वारा बसाया गया है। गाँधी मार्केट में दो सौ दुकानें हैं जिसमें सभी के बजट की वस्तुएँ बिकती हैं। मुख्यतः कपड़ों के लिए प्रसिद्ध इस बाज़ार में अब सब्ज़ी मंडी और फल मंडी भी है, चमड़े की वस्तुएँ, जूलरी और कई प्रकार के घरेलू उपकरण भी बिकते हैं।

गाँधी मार्केट और किंग्ज़ सर्कल स्टेशन बिल्कुल आमने सामने हैं जिसे जोड़ता है एक छोटा-सा पदयात्री पुल जो मंकी ब्रिज कहलाता है। पहले किंग्ज़ सर्कल, रेलवे स्टेशन में गंदगी और रात आठ बजे के बाद महिलाओं के लिए असुरक्षा का साम्राज्य था किन्तु अब एक एन जी ओ ने इसे गोद लेकर इसका कायाकल्प कर दिया है। अब हरे भरे पौधों की क्यारियाँ और साफ़ सुथरा स्टेशन मुसाफिरों का स्वागत करता नज़र आता है।

गाँधी मार्केट के पीछे षण्मुखानंद हॉल है। यह हॉल षण्मुखानंद फाइन आर्ट्स एंड संगीत सभा यानी षण्मुखानंद ऑडिटोरियम के नाम से मशहूर है। 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का जब मुम्बई आगमन हुआ तो यहाँ के बाशिंदों से उनकी बातचीत के लिए कोई उपयुक्त सभागार नहींथा। पंडित जी की इस मायूसी से दुखी मुम्बई निवासी दक्षिण भारतीयों ने इस सभागृह का निर्माण करने की ठान ली। यह सभागृह तीन समान उद्देशीय संस्थाओं... षण्मुखानंद संगीत सभा, दक्षिण भारतीय संगीत सभा तथा भारतीय ललित कला सोसाइटी के विलय से अस्तित्व में आई. 35 लाख रुपियों की लागत से जब यह बनकर तैयार हुआ तो इसका उद्घाटन महाराष्ट्र की तत्कालीन राज्यपाल विजयलक्ष्मी पंडित ने किया। 1963 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ यह सभागृह उस वक़्त एशिया में सबसे बड़ा स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग और वास्तुशिल्प सौंदर्य की अनुपम मिसाल था। दक्षिण भारतीय शैली में बना यह किलेनुमा प्रेक्षागृह पर्यटकों को दूर से ही लुभा लेता है। भारत में ऑडिटोरियम का कॉन्सेप्ट षण्मुखानंद ने ही दिया। हॉल में 2763 सीटें हैं जिसमें अति आधुनिक लाइट्स और साउंड सिस्टम्स हैं। इस प्रेक्षागृह की खूबसूरती जग जाहिर है। इसे कला का मंदिर कहा जाता है। यहाँ पश्चिमी और पूर्वी शास्त्रीय संगीत, भारतीय संगीत, नृत्य, ऑर्केस्ट्रा, बैले, कठपुतली शो, मनोरंजन के कार्यक्रम, नाटक, मार्केटिंग, मीटिंग्स, बिज़नेस सेमिनार, अवॉर्ड फंग्शन, कॉन्फ्रेंस, हिप्नोटिज़्म और मैजिक प्रोग्राम, फ़िल्मों के प्रीमियर शो, फ़िल्मफेयर अवार्ड्स, फेमिनामिस इंडिया, मिस यंग इंडिया जैसी सुपरहिट स्पर्धाएँ आयोजित कीजाती हैं। यहाँ छोटे कार्यक्रमों के लिए जसुभाई कन्वेंशन हॉल, पद्मरंगा चैंबर म्यूज़िक हॉल, पोर्टेट गैलरी और एस्सार हॉल भी हैं। ग्रीन रूम्ज़ हैं। कैंटीन है। पोर्टेट गैलरी में बीसवीं सदी के तमाम संगीत महारथियों के पोर्टेट लगे हैं। भारत में यह एकमात्र ऐसा भवन है जहाँ सभा के रेकॉर्ड में एक लाख घंटे का रेकॉर्डेड आर्काइव है। सभा षण्मुख नाम की एक त्रैमासिक पत्रिका भी निकालती है। इसकी पहली मंज़िल पर मेडिकल केयर और कंसल्टेंसी उपलब्ध है।

किंग्ज़ सर्कल से दादर की ओर जाने पर फाइव गार्डन मानो पुकार उठता है...! 'मुसाफिर हमसे भी मिलते जाओ.' यह उद्यान समूह स्वप्न नगरी मुम्बई का स्वर्ग है। मंचेरजी जोशी पाँच उद्यान नाम से मशहूर पाँच उद्यानों का ये समूह फोर स्क्वेयर्स यानी चार कोनोंवाले रास्तों को समेटे हैं। उद्यान में खूबसूरत फव्वारे, हरे भरे दूब के लॉन, ऊँचेऊँचे छायादार दरख़्त और क्यारियों में लगे सतरंगे फूल सहज ही मन लुभाते हैं।

माटुंगा में ही दक्षिण भारतीय शैली से बना मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता दक्षिण भारतीय मंदिर है। देखिए कैसे कोस भर की दूरी पर ही मुम्बई रंग बदल लेती है। कोलीवाड़ा कोलियों की बस्ती और बाज़ार, किंग्ज़ सर्कल सिंधी-पंजाबी बाज़ार और माटुंगा दक्षिण भारतीय बाज़ार... यानी तमाम प्रदेश बस एक मुम्बई में। इसीलिए तो मुम्बई को 'मुम्बई मेरी जान' कहा है।

माटुंगा से जुड़े-जुड़े से हैं दादर और वडाला रोड... वडाला रोड रेलवे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से जुड़ा है। वडाला पश्चिम में बहुत बड़ा शिक्षा का केन्द्रहै। कैंपस में कैमिकल टेक्नॉलॉजी विश्वविद्यालय, विद्यालंकार इंस्टिट्यूट, साउथ इंडिया वेलफेयर सोसाइटी (SIWS) ऑक्सीलियम कॉन्वेंट हाईस्कूल, खालसा कॉलेज, एस एन डी टी महिला विश्वविद्यालय, डॉ. आम्बेडकर कॉमर्स और लॉ कॉलेज हैं। वडाला का आईमेक्स दुनिया का सबसे बड़ा डोम थियेटर है। यहीं अवर लेडी ऑफ़ डोलोर्स चर्च, सेंट जोज़ेफ़ हाईस्कूल, डॉन बॉस्को कान्वेंट, बंसीधर अग्रवाल स्कूल है। डॉन बॉस्को एरिया ईसाई बहुल है। यहाँ फुटपाथ पर कोढ़ जैसे भयानक रोग से पीड़ितों की झुग्गियाँ हैं।

वडाला पूर्व में दो किलोमीटर टर्मिनस पर फ्लेमिंगो बे है। दिसम्बर से मार्च तक विदेशों से आये हज़ारों फ्लेमिंगो पक्षियों से यह खाड़ी भर जाती है। आसमान गुलाबी पँखों की छटा बिखेरता नज़र आता है। ये प्रवासी परिंदे यहाँ मेंग्रोव्ज़ की सघन झाड़ियों में अपने घोंसले बसाते हैं और प्रजनन करते हैं। ज़ाहिर है अपने देश लौटते समय ये हज़ार से कई गुना बढ़ जाते हैं।