अंधा राजा अंधी प्रजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा / जयप्रकाश चौकसे

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अंधा राजा अंधी प्रजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा
प्रकाशन तिथि :19 दिसम्बर 2016


राकेश रोशन के लिए संजय गुप्ता की लिखी और निर्देशित फिल्म 'काबिल' के विदेशों में प्रदर्शन के अधिकार पश्चिम की एक कंपनी ने खरीदे हैं। इस कथा पर पहले भी नकल का आरोप लग चुका है और अब उस अंतरराष्ट्रीय कंपनी ने भी दावा किया है कि उसकी एक फिल्म की कथा की भी काबिल से समानता है। ज्ञातव्य है कि संजय गुप्ता अभी तक कोई सफल फिल्म नहीं बना सके हैं और उनकी फिल्मों पर 'प्रेरणा' लेने के आरोप भी प्राय: लगते रहे हैं। खाकसार ने 1985 में आरके नैयर की संजीव कुमार, सारिका, रंजीता व शत्रुघ्न सिन्हा अभिनीत 'कत्ल' लिखी थी, जिसमें एक अंधा पति अपनी बेवफा पत्नी का कत्ल करता है। उस फिल्म का अंतिम दृश्य एक कमरे का है जहां अंधे पति ने पत्नी को रंगे हाथों पकड़ा है। अंधे के हाथ में रिवॉल्वर है और बेवफा जानती है कि वह ध्वनि पर निशाना साध सकता है, अत: वह धीरे-धीरे दबे पांव द्वार की अोर बढ़ रही है और उसने अपनी सांस भी रोक रखी है परंतु द्वार के हैंडल पर हाथ धरते ही उसे लगता है कि अब वह सुरक्षित है। अत: सांस लेती है और पति उसे गोली मार देता है। पति जाते समय कहता है कि जब सड़क से उस भीख मांगती हुई लड़की को उसने अभिनय की शिक्षा देकर सितारा बनाया तब भी वह दृश्य में कब सांस लेना या छोड़ना ठीक से नहीं जानती थी और उसी चूक से आज उसकी मृत्यु हुई है। 'काबिल' का नायक अपनी पत्नी के दुष्कर्मियों को दंडित करता है और एक अंधे का अपराधियों को खोजना और मारना ही फिल्म में नवीनता है। 25 जनवरी को 'काबिल' के साथ ही शाहरुख खान की फिल्म 'रईस' का प्रदर्शन होने जा रहा है और दोनों निर्माता एक सप्ताह आगे-पीछे करके सीधी भिड़ंत टालने के लिए आपस में वार्तालाप कर रहे थे और नतीजा आने की संभावना थी परंतु शाहरुख ने अपनी फिल्म के प्रदर्शन की घोषणा कर दी। पूरे फिल्म उद्योग में इस तरह वार्ता के बीच ही घोषणा कर देने की आलोचना हो रही है। फिल्म उद्योग संकट से गुजर रहा है और एकल सिनेमाघरों की कमी भी है, अत: दो सितारा जड़ित फिल्मों का एक ही दिन प्रदर्शित किया जाना किसी के हित में नहीं है। शाहरुख खान के अपने श्रेष्ठतम होने का भूत उनके सिर पर इस तरह सवार है कि वे निरंकुश हो जाते हैं। अपने व्यक्तिगत जीवन में वे उदार और सहृदय व्यक्ति है परंतु अभिनय व फिल्म निर्माण के अपने व्यवसाय में वे अत्यंत निर्मम हो सकते हैं। मनुष्य अवचेतन विचित्र है। गुलाब के इत्र का आविष्कार करने वाली प्रेमल हृदय नूरजहां को हाथियों और अपने बंदियों के असमान युद्ध में बड़ा आनंद आता था।

शाहरुख की 'रईस' एक सत्य घटना का फिल्मी रूपांतर है। गुजरात में शराबबंदी का कानून है और शराब के अवैध धंधे के दो सरगना थे- एक हिंदू और दूसरा मुसलमान। अवैध व्यवसाय में व्यापारी आगे निकल जाने के कारण ही वहां सांप्रदायिक दंगे कराए गए ताकि उस व्यापारी और तमाम साथियों का कत्ल किया जा सके। इंदौर का शराब का ठेका अत्यंत अधिक दामों में खरीदा जाता है और मात्र इंदौर में उतनी शराब नहीं बिकती कि लाभ हो सके परंतु प्रतिदिन अनेक ट्रकों में शराब रखकर गुजरात भेजी जाती है। शराब बंदी कभी कहीं सफल नहीं हुई है, क्योंकि उसके हानिकारक होने के बावजूद लोग उसे पीते हैं। कानून पालन के लिए प्रसिद्ध इंग्लैंड में भी एक दौर में शराबबंदी विफल हुई है। बिहार के नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जाता रहा है परंतु बिहार में उन्होंने अपनी ऊर्जा शराबबंदी में लगी दी, जबकि रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभूत आवश्यकताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। तमाम सरकारें प्लास्टिक शल्य चिकित्सा के काम में अपनी ऊर्जा खो देती है। यह नोटबंदी का काम बुरी तरह असफल हो रहा है। भारत में अस्पतालों और स्कूलों का अभाव है और आज भी लगभग 70 हजार बच्चों की मौत कुपोषण के कारण हो चुकी है। पूरे देश में इन मौतों की संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है।

हम जाने किस विकास की बात कर रहे हैं, जबकि कुपोषण से बच्चे मर रहे हैं। सारा विकास एक स्वांग है। पैदाइशी तमाशबीन जनता विकास नामक नाटक के दिन-प्रतिदिन मंचित किए जाने पर तालियां बजा रही हैं और अभाव बढ़ते जा रहे हैं। मौजूदा प्रचार तंत्र की तुलना में हिटलर केप्रचारमंत्री गोएबल्स तो आज दूध पीते बच्चे नज़र आ रहे हैं। राकेश रोशन की 'काबिल' में नायक अंधा है और फिल्म की सफलता से प्रेरित होकर वे अपनी 'कृष' की तरह इसका भी दूसरा तथा तीसरा सीक्वेल नबाएंगे, जिसमें उन्हें रूरीटेरियन देश के मुखिया को अंधा व्यक्ति बनाना चाहिए और अवाम बहरा हो सकता है। ज्ञातव्य है कि साहित्य में रूरीटेनिया काल्पनिक देश को कहते हैं। हमारी पथराई हुई संवेदना हमें असमानता व अन्याय आधारित व्यवस्था का आदर्श नागरिक बनाती है।