अपराधी गंगूबाई की बायोपिक / जयप्रकाश चौकसे

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अपराधी गंगूबाई की बायोपिक
प्रकाशन तिथि : 23 सितम्बर 2019


संगठित अपराध सरगना के जीवन से प्रेरित अनगिनत किताबें लिखी गई हैं और उनसे प्रेरित फिल्में भी बनी हैं। यह खेल मॉरियो पुजो के उपन्यास 'गॉडफादर' से प्रारंभ हुआ था। लेखक एस. हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन ऑफ बॉम्बे' में महिला डॉन का विवरण प्रस्तुत किया गया है। दाऊद की बहन पर फिल्म बन चुकी है। अब संजय लीला भंसाली आलिया भट्‌ट के साथ 'गंगूबाई' बनाने जा रहे हैं। गंगूबाई मुंबई में महिला डॉन थी। गौरतलब है कि चम्बल की फूलनबाई से अलग है महानगरों की महिला डॉन। इससे भिन्न है 'बोनी एंड क्लाइड' जिसका चरबा रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन के साथ 'बंटी और बबली' के नाम से बनाया गया था। इस फिल्म के एक आइटम नंबर में अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय ने अतिथि कलाकार के रूप में काम किया था। उस समय तक वह उनकी बहू नहीं बनी थीं।

आलिया भट्‌ट का व्यक्तित्व पोर्सलीन की गुड़िया की तरह है। वे कमोबेश बार्बी डॉल जैसी हैं। उनके लिए सरगना 'गंगूबाई' अभिनीत करना एक चुनौती होगा। बॉक्स ऑफिस की खातिर सफल सितारे आलिया भट्‌ट को लिया गया है। सभी फिल्मकार सुरक्षित रहकर फिल्में बना रहे हैं। दरअसल, कोई भी फिल्मकार जोखिम उठाकर 'कागज के फूल' नहीं बनाना चाहता परंतु सभी खुशबू के तलबगार हैं। दरअसल, यह दौर दो कदम आगे जाकर तीन कदम पीछे हटने का है जैसा वित्त मंत्री ने किया है। खबर है कि महेश भट्‌ट बेटी आलिया भट्‌ट के साथ फिल्म बनाने जा रहे हैं। मुकेश भट्‌ट और महेश भट्‌ट की निर्माण संस्था 'विशेष फिल्म्स' को भी एक अदद हिट की सख्त जरूरत है। सीमित बजट और समय में फिल्में बनाने का काम लंबे अरसे से किया जा रहा है परंतु विगत कुछ वर्षों में उनके हाथ कोई सफलता नहीं लगी है। उनकी विद्या बालन अभिनीत 'बेगमजान' सार्थक फिल्म होते हुए भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही। यह भी गौरतलब है कि देश के विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्में असफल ही रही हैं, क्योंकि अवाम दर्द की जुगाली नहीं करना चाहता। वह सुख की माला ही जपना चाहता है।

यह खुशी की बात है कि दर्शक महिला केंद्रित फिल्में भी सराहने लगे हैं। आलिया भट्‌ट अभिनीत 'राजी' तथा माधुरी दीक्षित अभिनीत 'गुलाबी गैंग' भी सफल रही थी। जुही चावला ने पहली बार एक नकारात्मक भूमिका अभिनीत की थी। फिल्म में वे हमेशा निर्मम आपराधिक फैसले लेते हुए मंद मंद मुस्कराती रहती हैं। उनकी यह मुस्कराहट 'गब्बर के खुश' होने से अधिक प्रभावोत्पादक रही। महिलाओं पर कब्जा जमाने के लिए बहुत अपराध किए जाते हैं। विवाह से पूर्व महिलाएं पिता के और शादी के बाद पति के प्रभाव में रहती हैं। कभी-कभी कुछ महिलाएं प्रतिकार करती हैं और कभी-कभी हथियार भी उठाती हैं। आशिक मिजाज तो महिलाओं के एक इशारे से भी मर जाते हैं। कुछ की अदाएं कातिलाना होती हैं। संगठित अपराध भय पर आधारित है। वे भय का हव्वा खड़े करते हैं। दाऊद की बहन को फीमेल डॉन का पद विरासत में मिला था परंतु गंगूबाई ने उसे हासिल किया था। दरअसल, इस खेल में पहल करना महत्वपूर्ण होता है। पहले अपराध के बाद ही बेरोजगार और अनाम अपरिभाषित आक्रोश से भरे हुए युवा जुड़ जाते हैं और दल का गठन हो जाता है। अपराधियों के कुनबों के भी अपने आदर्श और नियम होते हैं। अपराधियों के कुनबों में जात-पात या धर्म को लेकर कोई आग्रह नहीं है। संगठित अपराध धर्मनिरपेक्ष होते हैं!

अखबारों में प्रतिदिन कॉमिक्स के साथ मॉडेस्टी ब्लैज और विली गारविन के कारनामे भी किस्तवार प्रकाशित होते थे। मॉडेस्टी और गारविन प्रेमी नहीं, एक-दूसरे के साथी हैं। दोनों ने अपराध करके धन कमाया और अपराध से तौबा कर ली। पुलिस उनके खिलाफ कभी साक्ष्य नहीं प्राप्त कर सकी। तौबा करने के बाद मॉडेस्टी ब्लैज और गारविन पेचीदा मामलों में पुलिस की सहायता करने लगे। उनके एक एडवेंचर में वे एक कमरे में बंद हैं, जिसे उनके दुश्मनों ने घेर लिया है। योजनानुसार मॉडेस्टी निर्वस्त्र कमरे से बाहर निकलती है और दुश्मन अवाक ताकते रहते हैं। इसी क्षण विली गारविन दुश्मनों को मार देता है। इस दृश्य पर पारिवारिक पाठकों ने न आपत्ति उठाई, न ही अश्लीलता का आरोप लगा। कहावत है कि अपराध कभी फलता नहीं परंतु अपराध कथाओं से प्रेरित फिल्में खूब धन कमाती हैं।