अपराध और दंड / अध्याय 5 / भाग 2 / दोस्तोयेव्स्की

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इसके कारण सही-सही बताना कठिन होगा कि कतेरीना इवानोव्ना के उलझे हुए दिमाग में जनाजे की उस बेतुकी दावत का विचार कैसे पैदा हुआ। रस्कोलनिकोव ने मार्मेलादोव के जनाजे के लिए जो कोई बीस रूबल दिए थे, उनमें से लगभग दस तो इस दावत पर बर्बाद कर दिए गए। शायद कतेरीना इवानोव्ना मरनेवाले की यादों के 'उचित' सम्मान को इसलिए जरूरी समझती थी कि वहाँ रहनेवाले सभी लोगों को और सबसे बढ़ कर अमालिया इवानोव्ना को यह एहसास हो जाए कि 'वह उनसे किसी भी तरह कमतर नहीं था, बल्कि उनसे शायद ऊँचा ही था' और किसी को भी 'उस पर नाक चढ़ाने' का अधिकार नहीं था। शायद इसकी सबसे बड़ी वजह थी अजीब-सी वह गरीबोंवाली आन, जो बहुत से गरीबों को मजबूर करती है कि वे अपनी बचत की आखिरी कौड़ी भी समाज की किसी रस्म को निभाने पर सिर्फ खर्च कर दें। इसलिए कि वे भी वैसा ही कर सकें 'जैसा दूसरे लोग करते हैं' और इस तरह ये दूसरे लोग उन्हें 'तुच्छ' न समझें। यह भी मुमकिन है कि ठीक उस वक्त जब यह लगता था कि दुनिया में हर आदमी ने उसे बेसहारा छोड़ दिया है, वह उन 'टुच्चे और कमबख्त किराएदारों' को यह दिखा देना चाहती थी कि उसे भी 'धूमधाम से काम करना, शानदार दावतें करना' आता है कि उसका पालन-पोषण 'एक बेहद शरीफ, बल्कि यूँ कहो कि पुश्तैनी रईस, कर्नल के घर में' हुआ था और वह झाड़ू देने और रातभर बच्चों के फटे-पुराने कपड़े धोने के लिए पैदा नहीं हुई थी। कभी-कभी गरीब से गरीब और एकदम टूटे हुए लोगों पर भी इस तरह के घमंड और गुरूर का दौरा पड़ता है, जो बढ़ते-बढ़ते एक अनियंत्रित और सालनेवाली इच्छा का रूप ले लेता है। लेकिन कतेरीना इवानोव्ना का हौसला अभी तक टूटा नहीं था। परिस्थितियों ने भले ही उसे तोड़ दिया हो, लेकिन कोई उसका हौसला नहीं तोड़ सकता था, उसे धौंस दे कर नहीं दबा सकता था, उसकी इच्छा-शक्ति को नहीं कुचल सकता था। इसके अलावा, सोन्या ने यह बात भी अकारण नहीं कही थी कि उसका दिमाग ठिकाने नहीं था। माना कि उसे यकीन के साथ पागल नहीं कहा जा सकता था, लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं था कि इधर हाल में बल्कि पिछले एक साल से उस पर इतनी मुसीबतें टूटी थीं कि अगर उसका दिमाग थोड़ा-बहुत खराब न हो जाता, तो ताज्जुब की बात वह होती। डॉक्टरों का कहना है कि तपेदिक की आखिरी मंजिलों में दिमाग पर भी असर पड़ता है।

वहाँ न तो तरह-तरह की शराबें थीं, और न कहीं मदीरा था। यह सब तो अतिशयोक्तियाँ थीं, लेकिन पीने-पिलाने का इंतजाम जरूर था। वोदका, रम पुर्तगाली सब थीं, सभी घटियाँ किस्म की थीं पर थीं काफी मात्रा में। परंपरा निभाने के लिए चावल और किशमिश का हलवा भी था पर तीन-चार चीजें और भी थीं, जिनमें मालपुवे भी थे, और ये सब चीजें अमालिया इवानोव्ना की रसोई में तैयार की गई थीं। खाने के बाद चाय और पंच पिलाने के लिए दो समोवारों में पानी उबल रहा था। मादाम लिप्पेवेख्सेल के यहाँ न जाने कहाँ-कहाँ भटक कर मुसीबत का मारा, छोटे से कद का एक पोल किराएदार आ गया था; कतेरीना इवानोव्ना ने उसी की मदद से खुद अपनी निगरानी में खाने-पीने का सारा सामान तैयार कराया था। वह मुस्तैदी से कतेरीना इवानोव्ना की खिदमत में जुट गया था और उस दिन सबेरे से और पूरे पिछले दिन भी अपनी सकत भर इधर से उधर भागता रहा था; यहाँ तक कि उसकी जबान बाहर लटक आई थी। उसे इस बात की फिक्र भी थी कि उसकी इस हालत को सभी जरूर देख लें। वह छोटी से छोटी बात के लिए भाग कर कतेरीना इवानोव्ना के पास जाता था, यहाँ तक कि बाजार में भी उसे खोज निकालता था, और हर बार 'मादाम' कह कर पुकारता था। सारा क्रिया-कर्म संपन्न होने से पहले ही वह उससे बुरी तरह तंग आ गई हालाँकि शुरू में उसने कहा था कि अगर यह 'बेहद सेवा करनेवाला और ऊँचे विचारोंवाला आदमी' न होता तो फिर उसके तो हाथ-पाँव फूल जाते। कतेरीना इवानोव्ना की एक खास बात यह थी कि जिससे भी मिलती थी, शुरू में उसकी तारीफ के पुल बाँध देती थी। कभी-कभी तो वह उसे आसमान पर इस तरह चढ़ा देती कि जिसकी तारीफ वह करती, वह खुद शर्मिंदा हो जाता था। उसकी तारीफ में वह तरह-तरह की बातें गढ़ लेती थी और उन पर यकीन भी करने लगती थी। लेकिन फिर अचानक वह उससे निराश भी हो जाती थी और कुछ ही घंटे पहले तक जिस आदमी की पूजा करती थी, उसी के मुँह पर उसके बारे में बुरी बात कहने में भी कोई संकोच नहीं करती थी। वह उसे एक तरह से ठोकर मार कर निकाल बाहर करती थी। स्वभाव से वह खुशमिजाज, जिंदादिल और शांतिप्रेमी थी, लेकिन लगातार मुसीबतें और असफलताएँ झेलते-झेलते बड़ी गहराई से उसका जी चाहने लगा था कि सभी लोग शांति और संतोष से रहें और कोई भी व्यक्ति शांति भंग करने की जुरअत न करे। जरा-सी टेढ़ी बात से, छोटी-से-छोटी असफलता से भी वह बेचैन हो उठती थी और सुखद आशाओं और कल्पनाओं की दुनिया से निकल कर एक पल में निराशा के अथाह सागर में डूब जाती थी, उलटी-सीधी बोलने लगती थी, अपने भाग्य को कोसने लगती थी, और दीवार से सर टकराने लगती थी। कतेरीना इवानोव्ना की नजरों में अचानक अमालिया इवानोव्ना का महत्व भी असाधारण हो गया था और वह उसकी बेहद इज्जत करने लगी थी। शायद इसलिए कि जैसे ही जनाजे की दावत का फैसला हुआ, अमालिया इवानोव्ना तन-मन से उसकी तैयारियों में जुट गई। उसने मेज पर खाने-पीने की चीजें सजाने, मेजपोश और बर्तन वगैरह देने और सारा खाना अपनी रसोई में पकवाने का जिम्मा ले लिया था और कतेरीना इवानोव्ना ये सारे काम उसके हवाले छोड़ कर खुद कब्रिस्तान चली गई थी। सारा बंदोबस्त सचमुच बहुत अच्छा हुआ था : मेज काफी साफ-सुथरी लग रही थी। प्लेटें, छुरी-काँटे और गिलास जाहिर है कि अलग-अलग शक्लों और नमूनों के थे क्योंकि वे अलग-अलग किराएदारों के यहाँ से लाए गए थे, लेकिन मेज सही वक्त पर सजा दी गई थी, और यह इतमीनान करके कि उसने अपना काम काफी अच्छे ढंग से पूरा कर दिया था, अमालिया इवानोव्ना ने एक काली पोशाक पहन ली थी और अपनी टोपी पर नए मातमी फीते लगा कर गर्व के साथ कब्रिस्तान से लौटनेवालों का स्वागत करने के लिए खड़ी हो गई थी। उसका यह गर्व उचित भी था, लेकिन न जाने क्यों कतेरीना इवानोव्ना को यह बात नागवार गुजरी : 'गोया अमालिया इवानोव्ना के अलावा मेज कोई और सजा ही नहीं सकता था!' कतेरीना इवानोव्ना को उसकी नए फीतोंवाली टोपी भी अच्छी नहीं लगी। 'यह बेवकूफ जर्मन औरत क्या इस बात पर इतरा रही है कि वह मकान-मालकिन है और अपने गरीब किराएदारों की मदद करके उन पर उसने एहसान किया है... एहसान! जरा देखो तो सही! कतेरीना इवानोव्ना के बाप तो कर्नल रह चुके थे, उनके गवर्नर बनने में बस थोड़ी-सी कसर रह गई थी, कभी-कभी वे एक साथ चालीस-चालीस आदमियों की दावत करते थे और उस मौके पर अमालिया इवानोव्ना जैसे बल्कि लूदविगोव्ना जैसे भी किसी शख्स को भी रसोई में घुसने की इजाजत नहीं होती थी...' लेकिन कतेरीना इवानोव्ना ने उस वक्त अपनी भावनाओं को जाहिर करने का विचार टाल दिया और उसकी तरफ बेरुखी का रवैया अपना कर संतोष कर लिया, हालाँकि उसने मन-ही-मन ठान लिया था कि उसने अमालिया इवानोव्ना का गुरूर आज ही चूर करना होगा और उसे उसकी असली हैसियत बता देनी होगी, वरना भगवान जाने वह अपने आपको कितना महत्वपूर्ण समझने लगे। कतेरीना इवानोव्ना को इस बात की भी चिढ़ थी कि उस घर में रहनेवाले जिन लोगों को निमंत्रण दिया गया था, उनमें शायद ही कोई जनाजे में शरीक हुआ था, उस नाटे पोल को छोड़ कर जो किसी तरह वहाँ पहुँच गया था। जनाजे की दावत में भी सबसे गरीब और सबसे महत्वहीन लोग ही आए और उनमें से कई तो पूरी तरह होश में भी नहीं थे। यानी कि कुल मिला कर फटीचर लोग। जो ज्यादा उम्र के और ज्यादा इज्जतदार लोग थे, वे सभी, गोया आपस में तय करके, दावत में नहीं आए थे। मिसाल के लिए, प्योत्र पेत्रोविच लूजिन, जिसे उस मकान के निवासियों में सबसे इज्जतदार कहा जा सकता था, नहीं आया था। कतेरीना इवानोव्ना ने तो अभी कल शाम को ही सारी दुनिया के सामने, यानी अमालिया इवानोव्ना, पोलेंका सोन्या और उस नाटे पोल के सामने, कहा था कि वह बेहद उदार और बेहद नेकदिल आदमी है, बहुत बड़ी जायदाद का मालिक है और दूर-दूर तक पहुँच रखता है, उसके पहले पति का दोस्त रह चुका है, उसके बाप के घर में मेहमान की हैसियत से भी आ चुका था, और यह कि उसने वादा किया है कि अपने रसूख का इस्तेमाल करके उसे पेन्शन दिलवा देगा। वैसे कतेरीना इवानोव्ना जब किसी की पहुँच या दौलत का बखान करती थी तो उसके पीछे कोई छिपा हुआ उद्देश्य नहीं होता था; वह निःस्वार्थ भाव से केवल प्रशंसित व्यक्ति का महत्व जता कर खुद की खुशी पाने के लिए ही ऐसा करती थी। शायद लूजिन की देखादेखी ही वह 'कमबख्त कमीना' लेबेजियातनिकोव भी नहीं आया था। 'आखिर अपने आपको समझता क्या है? उसे तो बस रहम खा कर बुलाया गया था। चूँकि वह प्योत्र पेत्रोविच के साथ ही रहता था और उसका दोस्त था, इसलिए उसे न बुलाना कुछ बेतुका लगता।' न आनेवालों में एक बेहद तमीजदार वृद्धा और उनकी 'काफी बड़ी उम्र की बिनब्याही' बेटी भी थीं, जिन्हें उस घर में रहते कुछ एक पखवाड़ा गुजरा था लेकिन वे कई बार शिकायत कर चुकी थीं कि कतेरीना इवानोव्ना के कमरे में बहुत ही शोर और हंगामा होता था, खास कर जिस दिन मार्मेलादोव शराब के नशे में धुत हो कर घर लौटता था। कतेरीना इवानोव्ना को इसका पता अमालिया इवानोव्ना से चला था, जो कतेरीना इवानोव्ना से बहुत लड़ी थी और धमकी दी थी कि वह पूरे परिवार को घर से निकाल देगी। वह उसके ऊपर चिल्लाई भी थी कि वे लोग जिन किराएदारों की शांति में विघ्न डालते थे, उनके 'पाँव की धोवन के बराबर भी' नहीं थे। कतेरीना इवानोव्ना ने उस वृद्धा को और उनकी बेटी को, 'जिनके पाँव की धोवन के बराबर भी' वह नहीं थी और जो राह चलते अचानक सामने पड़ जाने पर अकड़ के साथ मुँह फेर लेती थीं, इस मौके पर बुलाने का फैसला किया था। इसलिए कि उन्हें पता हो कि वह 'अपने विचारों और भावनाओं में उनसे कहीं बढ़ कर थी और अपने मन में किसी के प्रति द्वेष नहीं रखती थी। वह तो यह भी चाहती थी कि वे आ कर देखें तो सही कि वह जिस तरह रहती थी, उसकी वह आदी नहीं थी। उसका इरादा था कि खाने के वक्त अपने स्वर्गीय बाप की गवर्नरी की चर्चा करके वह उन्हें यह बात अच्छी तरह समझाएगी, और साथ ही इस ओर भी इशारा करेगी कि उससे मिलने पर उनका मुँह फेर लेना सरासर बेवकूफी का काम था। इस मौके पर एक मोटा लेफ्टिनेंट कर्नल भी गैर-हाजिर था (असल में वह महज एक पेन्शनयाफ्ता फर्स्ट लेफ्टिनेंट था), लेकिन सुना गया था कि पिछले दो दिन से वह 'अपने होश में नहीं था।' जो लोग दावत में आए उनमें एक तो वह नाटा पोल था और फिर चीकटदार कोट पहने हुए और दागदार चेहरेवाला एक मनहूस-सूरत क्लर्क था, जो एक शब्द भी नहीं बोलता था और जिसके बदन से बेहद बदबू आ रही थी। इनके अलावा बहरा और लगभग अंधा एक बूढ़ा आदमी भी आया था जो पहले डाकखाने में क्लर्क था और न जाने क्यों एक जमाने से कोई गुमनाम परोपकारी उसके खाने और रहने का खर्च देता आया था। फौज की कमिसारियत का एक पेन्शनयाफ्ता सेकेंड लेफ्टिनेंट भी आया था। वह पिए हुए था, जोर से ठहाका मार कर बेहूदा तरीके से हँसता था, और आप क्या कल्पना भी कर सकते हैं वास्कट तक नहीं पहने हुए था! एक मेहमान तो कतेरीना इवानोव्ना से दुआ-सलाम किए बिना सीधा मेज पर जा बैठा था। आखिर में एक शख्स आया, जिसके पास कपड़े भी नहीं थे। वह अपना ड्रेसिंग गाऊन पहने हुए ही आ गया। इस तरह उसने तो हद ही कर दी थी और बड़ी मुश्किल से अमालिया इवानोव्ना और उस नाटे पोल ने उसे वहाँ से किसी तरह निकाला था। लेकिन वह पोल अपने साथ दो और पोलों को ले कर आया था, जो अमालिया इवानोव्ना के घर में भी नहीं रहते थे और जिन्हें किसी ने पहले वहाँ देखा तक नहीं था। इन सब बातों से कतेरीना इवानोव्ना बेहद चिड़चिड़ी हो रही थी। 'आखिर ये सब तैयारियाँ किसके लिए की गई थीं?' मेहमानों के लिए जगह बनाने के खयाल से खाने की मेज से बच्चों को दूर ही रखने का इंतजाम किया गया था और दोनों छोटे बच्चे सबसे दूरवाले कोने में अपना खाना एक संदूक पर रखे बैठे थे। बड़ी बहन होने के नाते पोलेंका को उनका ध्यान रखना पड़ रहा था, उन्हें खिलाना पड़ रहा था और उन्हें शरीफ बच्चों की तरह पेश करने के लिए उनकी नाक भी पोछनी पड़ रही थी। इसलिए कतेरीना इवानोव्ना को मजबूरन अपना रवैया बदलना पड़ा और वह मेहमानों का स्वागत करते समय उनसे पहले से भी ज्यादा रोब-दाब के साथ, बल्कि कुछ अकड़ के साथ मिली। उनमें से कुछ को उसने खास तौर पर सख्ती से सर से पाँव तक घूरा और उनसे अपनी-अपनी जगह बैठने के लिए ऐसे लहजे में कहा, मानो वे बहुत ही तुच्छ हों। वह फौरन इस नतीजे पर पहुँच गई कि इतने सारे लोगों के न आने के लिए अमालिया इवानोव्ना ही जिम्मेदार होगी। वह उसके साथ बेहद बेरुखी का बर्ताव करने लगी। इस रवैए को अमालिया ने भी फौरन देख लिया और यह बात उसे बुरी लगी। इस तरह की शुरुआत के बाद अन्जाम के बहुत अच्छा होने की उम्मीद तो नहीं ही की जा सकती थी। आखिरकार सब लोग बैठ गए।

रस्कोलनिकोव लगभग उसी वक्त आया, जब वे सब लोग कब्रिस्तान से लौटे थे। उसे देख कर कतेरीना इवानोव्ना बहुत खुश हुईं, सबसे बढ़ कर तो इसलिए कि वह अकेला 'पढ़ा-लिखा मेहमान था।' और, 'जैसा कि सभी जानते थे, दो साल में वह यहाँ की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बननेवाला था।' दूसरे उसने फौरन अदब के साथ जनाजे में शरीक न हो सकने की माफी माँगी थी। वह एकदम उस पर झपटी और उसे अपने बाईं ओर बिठा लिया। (उसके दाहिनी ओर अमालिया इवानोव्ना बैठी थी।) यूँ उसे बराबर इस बात की चिंता लगी हुई थी कि खाने की तश्तरियाँ बारी-बारी से सबके सामने ठीक तरीके से पेश की जाएँ और हर आदमी हर चीज का स्वाद ले। इसके बावजूद, और अपनी जानलेवा खाँसी के बावजूद, जो हर मिनट उसके बात करने में बाधा डाल रही थी और जो पिछले दो दिनों में पहले से भी ज्यादा बिगड़ गई थी, वह रस्कोलनिकोव से लगातार बातें करती रही। कानाफूसी के स्वर में कि जिसे दूसरे लोग सुन भी सकते थे, वह जल्दी-जल्दी अपनी सारी दबी भावनाएँ, जनाजे की दावत की असफलता पर अपनी उचित नाराजगी उसके कानों में उँड़ेलती रही। बीच-बीच में वह अपने मेहमानों पर और खास कर अपनी मकान-मालकिन पर बेमतलब भी खिल-खिला कर हँस देती थी।

'यह सब उसी कलमुँही का किया धरा है! आप समझे न कि मेरा मतलब किससे है उसका, वह उसका!' कतेरीना इवानोव्ना ने सर के झटके के साथ मकान-मालकिन की तरफ इशारा किया। 'देखो तो सही कैसी गोल-गोल आँखें करके देख रही है। जानती है कि हम लोग उसी की बातें कर रहे हैं लेकिन कुछ समझ नहीं पा रही है। बेवकूफ कहीं की! हा-हा!' फिर इसके बाद, वह देर तक खाँसती रही। 'और वह टोपी उसने किसलिए पहनी हुई है,' उसने पूछा। खाँसी ने अभी तक उसका पीछा नहीं छोड़ा था। 'आपने देखा कि नहीं, वह चाहती है कि हर आदमी यही समझे कि वह मेरे ऊपर एहसान कर रही है और यहाँ आ कर मेरी इज्जत बढ़ा रही है। मैंने शराफत के नाते उससे कह दिया था कि कुछ इज्जतदार लोगों को न्योता दे दे, खास कर उन लोगों को जो मेरे शौहर को जानते थे, पर देखिए तो सही उसने कैसे-कैसे लोग बुला कर बिठा दिए हैं : गंदे-संदे मसखरों की भीड़ लगा दी है! उस गंदे चेहरेवाले का देखिए। दो टाँगों का बंदर! और वे कमबख्त पोल, हा-हा-हा!' उसे फिर खाँसी का दौरा पड़ा। पहले इनमें से कोई भी यहाँ कभी झाँकने तक नहीं आया, और मैंने इनमें से किसी को पहले कभी देखा भी नहीं। ये लोग यहाँ किसलिए आए हैं मैं आपसे पूछती हूँ : देखिए तो सही, कैसे कतार बाँधे बैठे हैं। ऐ, भले आदमी, सुनते हो,' उसने अचानक उनमें से एक को पुकारा, 'मीठी टिकियाँ खाईं कि नहीं लो, थोड़ी बियर लो! या वोदका पियोगे? देखिए तो सही, कैसा उछला और झुक कर सलाम भी कर रहा है। देखिए, देखिए! पक्के मरभुक्खे होंगे, बेचारे! कोई बात नहीं, जी भर कर खाने दो! कम से कम शोर तो नहीं करते, लेकिन... लेकिन मुझे मकान-मालकिन के चाँदी के चम्मचों का डर है... अमालिया इवानोव्ना!' उसने अचानक ऊँचे स्वर में उसे संबोधित करके कहा, 'अगर तुम्हारे चम्मच चोरी हुए तो मैं जिम्मेदार नहीं, अभी से बताए देती हूँ! हा-हा-हा!' वह रस्कोलनिकोव की ओर मुड़ कर हँसी, और एक बार फिर अपनी इस चुटकी पर खुश हो कर सर के झटके से मकान-मालकिन की ओर इशारा किया। 'उसकी समझ में कुछ नहीं आया, इस बार भी उसकी समझ में कुछ नहीं आया! देखिए, कैसी मुँह बाए बैठी है! बेवकूफ, पक्की बेवकूफ! नए फीतों में सजी हुई बेवकूफ! हा-हा-हा!'

उसकी हँसी एक बार फिर खाँसी के एक भयानक दौरे में बदल गई और पाँच मिनट तक चलती रही। माथे पर पसीने की बूँदें छलक आईं और रूमाल पर खून के धब्बे नजर आए। उसने रस्कोलनिकोव को खून के धब्बे चुपचाप दिखाए, और जैसे ही उसकी साँस सम पर आई, वह एक बार फिर जोश के साथ उसके कान में कुछ कहने लगी। उसके गाल तमतमा उठे थे।

'आपको मालूम है, मैंने इसे यूँ समझिए कि बहुत ही नाजुक काम सौंपा था - उन महिला को और उनकी बेटी को बुलाने का। आप समझे न, मैं किसकी बात कर रही हूँ इसके लिए बेहद समझ-बूझ से, सलीके से काम करने की जरूरत थी, लेकिन इसने ऐसी गड़बड़ की कि उस बेवकूफ देहाती औरत ने... वह शेखीखोर, दो कौड़ी की औरत जो महज एक फौजी मेजर की विधवा है और यहाँ पेन्शन हासिल करने के वास्ते सरकारी दफ्तरों में जूतियाँ चटखाने आई है, क्योंकि पचपन साल की हो कर भी वह अपने मुँह पर गाजा-सुर्खी पोतने से बाज नहीं आती (हर आदमी इस बात को जानता है)... तो ऐसी औरत तक ने यहाँ आना मुनासिब नहीं समझा... और तो और न्योते तक का जवाब नहीं दिया, जैसा कि मामूली से मामूली तमीजदार शख्स को भी करना चाहिए। मेरी समझ में यह नहीं आता कि प्योत्र पेत्रोविच लूजिन भला क्यों नहीं आए। लेकिन सोन्या कहाँ है कहाँ चली गई ...चलो, आखिरकार आ तो गई! यह क्या है सोन्या, कहाँ थीं तुम अजीब बात है, अपने बाप के कफन-दफन के दिन भी इतनी देर से आई हो। रोदिओन रोमानोविच, अपने पास इसके लिए थोड़ी-सी जगह बना दीजिए। वह तुम्हारी जगह है, सोन्या... जो जी चाहे ले लो। वह ठंडा गोश्त लो, जेली के साथ... सबसे अच्छा है। मीठी टिकियाँ अभी आईं... बच्चों को दिया कुछ पोलेंका, तुम्हें सब चीजें मिल गईं?' वह फिर खाँसने लगी। 'सब ठीक है लीदा, अच्छी बच्ची की तरह खाओ... और कोल्या, पाँव मत रगड़ो, भलेमानस की तरह सीधे बैठो। तो तुम कह क्या रही थीं, सोन्या?'

सोन्या ने उसे जल्दी से प्योत्र पेत्रोविच की क्षमा-याचनावाली बातें सुनाईं। वह जोर से बोलने की कोशिश कर रही थी ताकि सब लोग सुन लें और अपनी ओर से गढ़ कर इस तरह के अत्यंत सम्मानपूर्ण शब्दों का इस्तेमाल कर रही थी, गोया वे शब्द खुद लूजिन ने कहे हों। उसने कतेरीना इवानोव्ना को यह भी बताया : खुद प्योत्र पेत्रोविच ने उससे खास तौर पर यह कहने को कहा है कि जितनी जल्द भी मुमकिन हुआ, वह अकेले उसके साथ काम की बातें करने आएँगे, और इस बारे में भी सोचेंगे कि उनके लिए क्या किया जा सकता है, वगैरह-वगैरह।

सोन्या को एहसास था कि इससे कतेरीना इवानोव्ना को तसल्ली होगी, वह और अधिक गौरव का अनुभव करेगी और उसकी स्वाभिमानी वृत्ति को संतोष मिलेगा। वह रस्कोलनिकोव के पास बैठ गई; जल्दी से झुक कर उसका अभिवादन किया और जिज्ञासा से एक नजर उसकी ओर देखा। लेकिन बाकी वक्त ऐसा लगता रहा कि वह उसकी ओर देखने या उससे बात करने से भी कतरा रही है। लग रहा था, उसका दिमाग कहीं और था, हालाँकि कतेरीना इवानोव्ना को खुश करने के लिए वह बार-बार रस्कोलनिकोव की ओर ही देख रही थी। उसे मातमी लिबास नहीं मिला था, न कतेरीना इवानोव्ना को मिला था। सोन्या गहरे कत्थई रंग की एक पोशाक पहने थी और कतेरीना इवानोव्ना के पास तो कुल एक पोशाक ही थी, सूती और गहरे रंग की धारियोंवाली। प्योत्र पेत्रोविच का संदेश बहुत कारगर रहा। शालीनता के साथ सोन्या की बात सुनने के बाद कतेरीना इवानोव्ना ने उतनी ही शालीनता के साथ प्योत्र पेत्रोविच का हालचाल पूछा, और फिर ऊँचे स्वर से रस्कोलनिकोव के कान में फुसफुसाई कि मेरे परिवार से गहरे लगाव और मेरे बाप के साथ पुरानी दोस्ती के बावजूद प्योत्र पेत्रोविच जैसी हैसियतवाले आदमी के लिए खुद को ऐसी 'बेजोड़ संगत में' पाना बहुत अजीब बात होती।

'इसीलिए रोदिओन रोमानोविच, मैं आपका काफी एहसान मानती हूँ कि आपने ऐसे माहौल में भी मेरी दावत को नहीं ठुकराया,' उसने काफी जोर से कहा। 'लेकिन इस बात का मुझे पूरा यकीन है कि बेचारे मेरे शौहर के साथ आपका जो खास लगाव था, उसी की वजह से आपने यहाँ आने का वादा पूरा किया।'

इसके बाद उसने रोब से एक बार फिर अपने मेहमानों पर नजर डाली, और अचानक मेज की दूसरी तरफ पार बैठे एक बहरे बूढ़े आदमी से पूछा : 'और गोश्त तो नहीं चाहिए बाबा... किसी ने शराब भी दी कि नहीं?' बूढ़े ने कोई जवाब नहीं दिया। बहुत देर तक तो उसकी समझ में ही नहीं आया कि उससे पूछा क्या गया था, हालाँकि उसके पास बैठे लोग उसे कोंच कर और झिंझोड़ कर मजे लेते रहे। वह बस मुँह फाड़े फटी-फटी आँखों से अपने चारों ओर देखता रहा, जिस पर सभी लोगों को और भी लुत्फ आया।

'कैसा घामड़ है! देखो तो सही इसे यहाँ लाया क्यों गया? जहाँ तक प्योत्र पेत्रोविच का सवाल है, मुझे उन पर हमेशा ही भरोसा रहा,' कतेरीना इवानोव्ना अपनी बात कहती रही, 'जाहिर है, वे वैसे नहीं हैं...' उसने कठोर मुद्रा बना कर अमालिया इवानोव्ना को ऐसी सख्ती से और ऐसी ऊँची आवाज में संबोधित किया कि वह एकदम सकपका गई, '...तुम्हारी उन जरूरत से ज्यादा कपड़ों से लदी गूदड़ की गुड़ियों जैसे, जिनको मेरे पिताजी अपने बावर्चीखाने में खाना पकाने के लिए भी न घुसने देते... मेरे शौहर भी अपनी नेकदिली की वजह से उन्हें अगर बुला भी लेते तो उनकी इज्जत ही बढ़ाते।'

'हाँ, उसे वोदका की चुस्की लगाने का बहुत शौक था, पीता बहुत जम कर था!' फौज की कमिसारियट के पेन्शनयाफ्ता अफसर ने वोदका का बारहवाँ गिलास चढ़ाते हुए कहा।

'जी हाँ, मेरे शौहर में यह कमजोरी तो थी, और हर आदमी इस बात को जानता है,' कतेरीना इवानोव्ना ने फौरन उस पर जवाबी हमला किया, 'लेकिन वे एक नेकदिल और इज्जतदार आदमी थे, उन्हें अपने बाल-बच्चों से प्यार था और वे अपने परिवार की इज्जत करते थे। उनकी सबसे बुरी बात यह थी कि अच्छे स्वभाव की वजह से वह तरह-तरह के घटिया, बदनाम लोगों का भी भरोसा कर लेते थे, और ऐसे लोगों के साथ भी बैठ कर पी लेते थे, जो उनकी जूती की तली के बराबर भी नहीं थे। आप क्या यकीन करेंगे, रोदिओन रोमानोविच कि उनकी जेब से मुर्गे की शक्ल का एक बिस्कुट निकला था। वे नशे में चूर जरूर थे लेकिन अपने बच्चों को नहीं भूले थे!'

'मुर्गे की शक्ल का आपने कहा, मुर्गे की शक्ल का?' कमिसारियटवाले सज्जन ऊँची आवाज में पूछ बैठे।

कतेरीना इवानोव्ना ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा और आह भर कर विचारों में खो गई।

'बेशक, और सब लोगों की तरह आप भी यही सोचते होंगे कि मैं उनके साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती करती थी,' रस्कोलनिकोव को संबोधित करके उसने अपनी बात जारी रखी। 'लेकिन ऐसी बात है नहीं! वे मेरी इज्जत करते थे। वे मेरी बहुत इज्जत करते थे। बहुत नेकदिल आदमी थे! कभी-कभी तो मुझे उन पर ऐसा तरस आता था कि... कोने में बैठे मेरी ओर देखते रहते थे... बड़ा तरस आता था उन पर। मैं उनके साथ नर्मी का सुलूक करना चाहती थी, लेकिन फिर अपने मन में सोचती थी कि अगर मैंने नर्मी बरती तो फिर जा कर पिएँगे। उनको तो सख्ती करके ही अपनी हद में रखा जा सकता था।'

'जी हाँ, वे अपने बाल तो अकसर खिंचवाते थे,' कमिसारियटवाले सज्जन हलक में वोदका का एक और गिलास उँडेल कर फिर चीखे।

'यह कोई बात नहीं हुई। कुछ बेवकूफों के लिए यही बेहतर होता है कि उनको झाड़ू से अच्छी तरह पीटा जाए। मैं इस वक्त अपने शौहर की बात नहीं कर रही!' कतेरीना इवानोव्ना ने उसे झिड़क दिया।

कतेरीना इवानोव्ना के गालों की लाली और गहरी हो गई, सीना धौंकनी की तरह चलने लगा। यानी कि अब थोड़ी ही देर में वह हंगामा खड़ा करने को खड़ी हो सकती थी। कई मेहमान होठ दबा कर हँस रहे थे; कुछ और लोगों को जाहिर है कि बहुत मजा आ रहा था। वे कमिसारियटवाले सज्जन को कोंच कर उससे कुछ कहने लगे। साफ पता चल रहा था कि वे उन्हें उकसाने की कोशिश कर रहे हैं।

'मैं पूछना चाहूँगा कि आपका इशारा भला किसकी तरफ है,' कमिसारियटवाले सज्जन ने कहना शुरू किया, 'मेरा मतलब किसकी... किसके बारे में... आप अभी कुछ चर्चा कर... लेकिन कोई परवाह नहीं मुझे! सब बकवास है! विधवा है बेचारी! जा, तुझे माफ किया... जा!' यह कह कर उसने वोदका का एक गिलास और चढ़ाया।

रस्कोलनिकोव चुपचाप बैठा अरुचि से सारी बातें सुन रहा था। वह केवल शिष्टाचार के नाते मुँह चला रहा था। कतेरीना इवानोव्ना उसकी प्लेट में खाने की जो भी चीज रख देती, उसे वह चख लेता था ताकि उसे बुरा न लगे। वह सोन्या को गौर से देखे जा रहा था और सोन्या की आशंका और चिंता हर पल बढ़ती जा रही थी। उसकी समझ में भी आने लगा था कि दावत शांति के साथ संपन्न नहीं होगी। कतेरीना इवानोव्ना की बढ़ती हुई चिड़चिड़ाहट देख कर उसका दिल दहशत में डूबा जा रहा था। सोन्या जानती थी कि उन दो महिलाओं ने जो अभी हाल ही में आई थीं, सबसे बढ़ कर उसी की वजह से तिरस्कार से कतेरीना इवानोव्ना का निमंत्रण ठुकरा दिया था। उसने अमालिया इवानोव्ना से सुना था कि माँ तो इस न्योते पर आपे से बाहर ही हो गई थी और सवाल किया था कि वह अपनी बेटी को उस लड़की के पास भला बैठने कैसे दे सोन्या को लग रहा था कि यह बात कतेरीना इवानोव्ना के कानों तक भी पहुँच चुकी थी, जो सोन्या के अपमान को स्वयं अपने, अपने बच्चों के या अपने बाप के अपमान से सौ गुना बदतर समझती थी। सोन्या जानती थी कि कतेरीना इवानोव्ना को अब उस वक्त तक चैन नहीं आएगा 'जब तक वह उन दो गूदड़ की गुड़ियों को यह न बता दे कि वे...' वगैरह-वगैरह। गोया कि जले पर नमक छिड़कने के लिए मेज के दूसरे सिरे से किसी ने एक प्लेट में काली डबल रोटी के दो टुकड़े दिल की शक्ल में काट कर, उनमें तीर लगा कर सोन्या की ओर बढ़ा दिए। कतेरीना इवानोव्ना का चेहरा तमतमा उठा। फौरन मेज के उस पारवालों की ओर देख कर वह चीखी कि जिस आदमी ने भी यह हरकत की है वह 'शराबी गधा' है। अमालिया इवानोव्ना का दिल धड़क रहा था कि कोई गड़बड़ होनेवाली है, साथ ही कतेरीना इवानोव्ना की अहंकार भरी बातों से उसके दिल को गहरी चोट भी लगी थी। इसलिए वहाँ जमा लोगों में एक बार फिर हँसी-खुशी का माहौल बनाने के लिए, और अपने आपको उनकी नजरों में चढ़ाने के लिए भी वह बिना किसी प्रसंग के अपने जान-पहचान के 'दवा की दुकान में काम करनेवाले कार्ल' नाम के एक शख्स का किस्सा सुनाने लगी कि एक रात वह किराए की गाड़ी में जा रहा था, और 'गाड़ीवान उसे मार डालने को माँगेला होता और कार्ल उसे बहुत गिड़गिड़ाने को होता कि मार नईं डालने को, और रोने को होएला और हाथ जोड़ने को होएला, और डर गएला था, डरके-डरके अपना दिल का छलनी कर लिएला था।' कतेरीना इवानोव्ना मुस्करा तो पड़ी लेकिन फौरन ही यह राय भी जाहिर कर दी कि मालिया इवानोव्ना को रूसी में किस्से नहीं सुनाने चाहिए। यह बात अमालिया इवानोव्ना को और भी बुरी लगी और उसने पलट कर जवाब दिया कि बर्लिन में उसका बाप 'बहुत बड़ा आदमी होएला था और हमेशा अपना दोनों हाथ जेबों में डाले होएला था।' कतेरीना इवानोव्ना अपने आपको न रोक सकी और इतना हँसी कि अमालिया इवानोव्ना भी धीरज खो बैठी। बड़ी मुश्किल से वह अपने आपको काबू में रख सकी।'

'इस बेवकूफ की बातें सुनो!' कतेरीना इवानोव्ना चुपके से रस्कोलनिकोव से बोली। उसकी चिड़चिड़ाहट अब दूर हो गई थी। '...कहना तो यह चाहती थी कि वे अपने हाथ अपनी जेबों में डाल कर चलते थे लेकिन जो कुछ उसने कहा उसका मतलब यह निकला कि वे अपने हाथ लोगों की जेबों में डाल देते थे। आपने भला एक बात पर ध्यान दिया, रोदिओन रोमानोविच,' उसने खाँसी के एक और दौरे से छुटकारा पा कर कहा, 'कि पीतर्सबर्ग के ये सारे विदेशी, खास कर ये जर्मन, जो पता नहीं कहाँ से हमारे यहाँ चले आते हैं, हमसे कहीं बहुत ज्यादा बेवकूफ होते हैं आप कभी सोच भी सकते थे कि हममें से कोई यह किस्सा बयान करेगा कि 'दवा की दुकान में काम करनेवाले कार्ल' ने किस तरह 'डरके-डरके अपने दिल को छलनी बना लिया' और यह कि बेवकूफ गाड़ीवान की खबर लेने के बजाय वह 'हाथ जोड़ने रोने और बहुत गिड़गिड़ाने लगा' बेवकूफ कहीं की! और आप जानते हैं, वह समझती है कि यह किस्सा बहुत दर्दनाक है... उसे यह शक तक नहीं कि वह कैसी बेवकूफी की बातें कर रही है! मैं तो समझती हूँ कि वह कमिसारियटवाला आदमी इससे कहीं ज्यादा होशियार है। कम-से-कम यह तो दिखाई देता है कि वह पियक्कड़ है और पीते-पीते उसमें अब कहने को भी अकल नाम की चीज नहीं रह गई है, लेकिन ये सारे ही जर्मन हमेशा कितने शरीफ और संजीदा बने रहते हैं... देखिए तो उसे, बैठी किस तरह घूर रही है मुझे! नाराज है! नाराज है मुझसे! हा-हा-हा!' और वह फिर खाँसने लगी।

गुस्सा ठंडा होने के बाद कतेरीना इवानोव्ना ने फौरन रस्कोलनिकोव को बताना शुरू किया कि उसका इरादा पेन्शन के पैसे से वह अपने कस्बे त. में जा कर भले घरों की लड़कियों के लिए एक स्कूल खोलने का है। रस्कोलनिकोव ने कतेरीना इवानोव्ना से इस योजना की चर्चा इससे पहले कभी नहीं सुनी थी। वह बड़े ही आकर्षक ढंग से उस योजना का पूरा ब्यौरा बयान करने लगी। कतेरीना इवानोव्ना ने (न जाने कहाँ से) 'अच्छे आचरण और प्रगति' का वही प्रशंसापत्र निकाला, जिसका जिक्र मार्मेलादोव ने शराबखाने में रस्कोलनिकोव से किया था, जब उसने अपनी बीवी कतेरीना इवानोव्ना के बारे में बताया था कि वह स्कूल के पुरस्कार-वितरण समारोह के अवसर पर 'गवर्नर और दूसरी बड़ी-बड़ी हस्तियों के सामने' शाल ले कर नाची थी। इस वक्त तो लगता था कि उस प्रशंसापत्र का मकसद यह साबित करना था कि कतेरीना इवानोव्ना को बोर्डिंग स्कूल खोलने का पूरा-पूरा अधिकार है। लेकिन वह वास्तव में उस प्रशंसापत्र से लैस हो कर खास तौर पर इसलिए आई थी कि अगर 'वे दोनों गूदड़ की गुड़ियाँ' दावत में आएँ तो वह उन पर रोब डाल सके और इस बात का पक्का सबूत दे सके कि कतेरीना इवानोव्ना बेहद शरीफ, 'बल्कि कहना चाहिए कि पुश्तैनी रईसों के खानदान से थी, एक कर्नल की बेटी थी, और इधर कुछ अरसे से तरक्की करके आगे बढ़ आई कुछ छिछोरी औरतों से बहुत बढ़-बढ़ कर थी।' स्कूल का वह प्रशंसापत्र एक हाथ से दूसरे हाथ में होता हुआ शराबी मेहमानों के बीच पहुँच गया और सबने उसे बड़े ही ध्यान से देखा। कतेरीना इवानोव्ना ने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोई कोशिश भी नहीं की, क्योंकि उसमें साफ शब्दों में यह बयान मौजूद था कि उसका बाप मध्यम श्रेणी का एक सरकारी अफसर था, जिसे खिताब भी मिल चुका था और इस तरह वह दरअसल एक कर्नल जैसे शख्स की ही बेटी थी। जोश में आ कर कतेरीना इवानोव्ना ने विस्तार से बताना शुरू किया कि त. में उसका जीवन कितना शांतिमय और सुखी होगा। उसने कॉलेज की उन अध्यापिकाओं के बारे में भी बताया, जिन्हें वह अपने बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाने के लिए नौकर रखेगी और मागों नामक एक बहुत सम्मानित बूढ़े फ्रांसीसी के बारे में बताया, जिसने किसी जमाने में खुद कतेरीना इवानोव्ना को पढ़ाया था, जो अभी तक त. में रहता था, और बहुत कम तनख्वाह ले कर भी उसके स्कूल में पढ़ाने से इनकार नहीं करेगा। इसके बाद उसने सोन्या के बारे में बताना शुरू किया कि 'वह उसके साथ त. जाएगी और उसकी सारी योजनाओं में उसका हाथ बँटाएगी।' यह सुन कर मेज के दूसरी छोर पर बैठा कोई आदमी खी-खी करके हँसा। कतेरीना इवानोव्ना ने यूँ तो तिरस्कार से उस हँसी से अनजान बने रहने की कोशिश की, लेकिन साथ ही जान-बूझ कर आवाज ऊँची करके उसने उत्साह के साथ सोन्या में उसकी मदद करने की पक्की योग्यता का, 'उसकी शराफत, धैर्य, लगन, उदारता और अच्छी शिक्षा' का बखान करना शुरू किया। यह कहते हुए उसने सोन्या का गाल थपथपाया और उसकी ओर झुक कर दो बार उसे प्यार भी किया सोन्या का चेहरा लाल हो गया। अचानक कतेरीना इवानोव्ना के आँसू निकल पड़े, और उसने फौरन ही अपने बारे में यह राय जाहिर की कि वह 'बेवकूफी की बातें कर रही थी,' और यह भी कि वह बेहद परेशान है, कि अब यह सिलसिला खत्म करने का वक्त आ गया है, और चूँकि खाना खत्म हो चुका है इसलिए सबको चाय परोसी जानी चाहिए। अमालिया इवानोव्ना को इस बात को ले कर बेहद कुढ़न हो रही थी कि बातचीत के दौरान उसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया और लगता था कोई उसकी बात सुन भी नहीं रहा है। इसलिए फौरन उसने एक आखिरी कोशिश की। मन-ही-मन अपनी ढिठाई पर कुढ़ते हुए उसने कतेरीना इवानोव्ना का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित करने की हिम्मत की कि जो बोर्डिंग स्कूल खोला जानेवाला था उसमें लड़कियों के कपड़े साफ रहें और एक ऐसी 'अच्छी औरत' रखी जाए जो 'कपड़ों का बढ़िया माफिक देखभाल' कर सके, और यह भी कि 'वहाँ लड़कियों को रातन मा उपनियास पढ़ने देना को नईं माँगता।' कतेरीना इवानोव्ना ने, जो सचमुच परेशान और बहुत थकी हुई थी और इस दावत से पूरी तरह तंग आई हुई थी, फौरन अमालिया इवानोव्ना की बात काटी कि 'उसे इस बारे में कुछ भी नहीं मालूम और वह बकवास कर रही है,' क्योंकि उच्च कोटि के बोर्डिंग स्कूल में धुलाई का खयाल रखना प्रधानाध्यापिका का नहीं बल्कि कपड़ा-दाई का काम होता है; और जहाँ तक उपन्यास पढ़ने का सवाल है, तो यह विषय ही इतना बेहूदा है कि उस पर चर्चा न करना ही बेहतर है। इसलिए उसने उससे चुप रहने की प्रार्थना की। अमालिया इवानोव्ना को जोश आ गया और उसने सचमुच गुस्सा हो कर कहा कि वह तो बस 'उसका भलाई करने को माँगेला है,' यह कि वह हमेशा से उसके साथ 'भलाई' ही करती आई है और यह कि कतेरीना इवानोव्ना पर घर के किराए की मद में बहुत-सा (सोना) बतौर गेल्ड कर्ज चढ़ चुका है। कतेरीना इवानोव्ना ने फौरन यह कह कर उसे 'उसकी हैसियत बताई' कि यह कहना एकदम झूठ है कि वह उसकी 'भलाई करने को माँगेला है' क्योंकि कल ही, जब उसके शौहर की लाश अभी मेज पर पड़ी थी कि उसने उसे घर खाली करने के बारे में परेशान करना शुरू कर दिया था। इसके जवाब में अमालिया इवानोव्ना ने दलीलें दे कर उसे समझाया कि 'उसने उन महिलाओं को न्योता दिया था, लेकिन वे इसलिए नहीं आई थीं कि वे सचमुच इज्जतवाली हैं और किसी ऐसी के यहाँ नहीं आ सकतीं जो इज्जतवाली नहीं है।' कतेरीना इवानोव्ना ने फौरन यह बात 'साफ कर दी' कि वह चूँकि खुद एक छिनाल है, इसलिए यह नहीं जान सकती कि शराफत क्या चीज होती है। अमालिया इवानोव्ना यह बात बरर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने फौरन ऐलान किया कि 'बर्लिन में उसका बाप बहुत-बहुत बड़ा आदमी होएला था और अपना दोनों हाथ जेब में डाल कर चलता और हमेशा पूफ-पूफ करता होएला था।' फिर वह सबके सामने अपने बाप की सच्ची तस्वीर रखने के लिए कुर्सी से उछल कर खड़ी हो गई और दोनों हाथ जेबों में डाल कर गाल फुला कर पूफ-पूफ जैसी कोई अस्पष्ट आवाज निकालने लगी। इस पर उस घर के सभी किराएदार कहकहा लगा कर हँसे और जान-बूझ कर अपनी मकान-मालकिन की तारीफें करके उसे बढ़ावा देने लगे ताकि दोनों में झड़प हो जाए। लेकिन यह बात कतेरीना इवानोव्ना की बर्दाश्त के बाहर थी। उसने फौरन सबको सुना कर 'अपने मन की बात कही' : वह यह मानने को तैयार नहीं है कि अमालिया इवानोव्ना को कोई बाप था भी, बल्कि अमालिया इवानोव्ना तो महज पीतर्सबर्ग में रहनेवाली, फिनलैंड की एक शराबी औरत है, और उसे यकीन है कि वह किसी जमाने में कहीं खाना पकाने का या उससे भी बदतर कोई काम करती रही होगी। अमालिया इवानोव्ना का रंग टमाटर की तरह लाल हो गया। वह भी चिंचिया कर बोली कि कतेरीना इवानोव्ना का शायद कभी कोई बाप था ही नहीं, 'लेकिन उसका अपुन का तो बर्लिन में बाप होएला था और वह लंबा-लंबा कोट पहनता होएला था और हमेशा पूफ-पूफ-पूफ करता होएला था!' कतेरीना इवानोव्ना ने तिरस्कार से कहा कि उसका अपना परिवार कैसा है, यह बात सभी लोग जानते हैं और यह कि उस प्रशंसापत्र में यह बात तक छपी हुई थी कि उसका बाप कर्नल था, जबकि उसकी मकान-मालकिन अमालिया इवानोव्ना का बाप (अगर सचमुच उसका कोई बाप था), शायद पीतर्सबर्ग में रहनेवाला कोई फिन था जो सड़कों पर घूम-घूम कर दूध बेचता रहा होगा, लेकिन बहुत मुमकिन तो यही है कि उसका कोई बाप रहा ही न हो, क्योंकि अभी तक इसका भी पक्का पता नहीं चल सका है कि उसका नाम अमालिया इवानोव्ना था या अमालिया लूदविगोव्ना। अब तो अमालिया इवानोव्ना का गुस्सा ज्वालामुखी की तरह फूटा और वह मेज पर जोर से घूँसा मार कर चीखी कि वह लूद-विगोव्ना नहीं, अमालिया इवानोव्ना थी, कि 'उसका बाप का नाम योहान्न होएला था और वह शहर का मेयर होएला था,' जबकि उसने बहुत कठोर लेकिन बजाहिर शांत स्वर में (हालाँकि उसका चेहरा पीला पड़ रहा था और दम बुरी तरह फूल रहा था) कहा कि 'अगर उसने फिर कभी अपने उस कमबख्त दो कौड़ी के बाप को उसके पापा की बराबरी पर लाने की कोशिश की तो वह, यानी कतेरीना इवानोव्ना, उसकी टोपी नोच कर अपने पाँवों तले रौंद डालेगी।' यह सुन कर अमालिया इवानोव्ना कमरे में इधर से उधर भाग-भाग कर जोरों से चिल्लाने लगी कि वह इस मकान का मालकिन है और कतेरीना इवानोव्ना को 'उसी टैम घर खाली करने का माँगता।' फिर वह न जाने क्यों झपट कर मेज पर से अपने चाँदी के चम्मच जमा करने लगी। बहुत शोर-गुल होने लगा, हंगामा मच गया; बच्चे रोने लगे। सोन्या जल्दी से कतेरीना इवानोव्ना को रोकने के लिए भागी, लेकिन जब अमालिया इवानोव्ना ने चीख कर पीले टिकट के बारे में कुछ कहा तो कतेरीना इवानोव्ना ने सोन्या को धकेल कर अलग कर दिया और अपनी धमकी पूरा करने के लिए मकान-मालकिन की ओर झपटी। उसी वक्त दरवाजा खुला और चौखट पर प्योत्र पेत्रोविच लूजिन की सूरत नजर आई। वह बहुत कठोर और बारीक नजर से दावत का मुआइना कर रहा था। कतेरीना इवानोव्ना लपक कर उसके पास पहुँचा।