इंसान की जिजीविषा व साहस / महेश स्वामी

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दोस्तो ! लगातार 26 वर्षों तक बिना रुकावट ऑपरेशन तक के बावजूद रोजाना-लेखन जारी रखना इंसान की जिजीविषा व साहस का प्रमाण है l दरअसल यह सब दर्शाता है कि इंसान अद्भुत व अनंत क्षमताओं का स्वामी है l बहरहाल, कल दैनिक भास्कर के कॉलम *पर्दे के पीछे* की 26 साल के सफर की अंतिम किस्त रही l सालों तक फिल्मी-किस्सागोई को कलात्मक व आध्यात्मिक-पुट के साथ साझा करना लेखक की गहन समझ, संवेदनशीलता व प्रखर-याददाश्त के परिचायक हैं l जयप्रकाश चौकसे साहब ने इस कॉलम में सदा आम आदमी को भी लगातार स्थान देते उदार-भाव का परिचय दिया है l अतः 2011 में पहली बार उनसे एक Talk Show "Process of Creativity " में फोटोग्राफी के दौरान मुलाकात का संयोग बना था, जिसका मैंने उन्हें अगले दिन होटल क्लार्क्स में एक एल्बम भी भेंट किया था l *चौकसे जी ने प्रसन्न हो अपने एक पोट्रेट पर टिप्पणी " ... he can photograph your naked soul..." व बाद में उन्होंने " ...वरना सारे मुखोटे गिर जाते हैं l" अपने कॉलम में जगह देते यादगार बना दिया था l Love you Sir... Get well soon.