जुणसे पैन तू लैटर लिखै ओए मेरे तै बी ल्या कै दिए / नवीन रमण

Gadya Kosh से
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जय मां गूगा माई की

काले, तू आपणी मां नै समझांदा क्यूं नी। आज फेर तेरी मां नै ओए काम करया। मेरी मां गोस्से (गोबर के उपले) पाथ के आई और तेरी मां ने गा (गाय) खुली छोड़ दी। थारी गा (गाय) नै सारे गोस्से फोड़ दिए। मां सारा दिन बरड़-बरड़ करदी रही। गोस्से थारी गा फोड़ै अर आफत म्हारे जी नै होज्या सै। इतनी भूंडी (गंदी) गाल दी है मां नै थारे तै अक पूछै मत। नास जाणी के भाई मरियो। बीज मरणया कै कीड़े पड़ कै मरियो। किसे दिन ये रोळा (झगड़ा) हो कै रहवैगा। फेर मत कहिए यो के होया। चै तै समझा दे आपणी मां नै। नहीं तै खामखा बात घणी बढ़ ज्यागी। कित तो हाम (हम) इतणी बढ़िया-बढ़िया बात लिख्या करदे। कित इब यै बात लिखणी पड़ री सै। असल मैं मोल्लू की मां करवा री यो सारा क्लेस। उसके बोये बीज सै। वाहे तेरी मां के आगै उल्टी-सुल्टी पोये जा सै। तेरी मां कै कुछ समझ कोनी आंदा। तेरी मां तै गऊ सै। वा सै असली चंडाळी। जिस धोरै (पास) बैठे उड़ै-ए (वहीं) लट्ठ बजवा दे सै। हामनै तै वा घर तै भजा दी थी। उसकी ए भड़क ले री सै। तू कॉलेज नी जांदा (जाता) इब। सारी हाण ( हर टाइम) घरा-ए पड़या रै सै। फैल होग्या के। कॉलेज जाया करता था तो नहाया-धोया बढ़िया लत्ते (कपड़े) पैरे रह था। इब तै कती पाळी ( भैंस चराने वाला) बरगा बणया रह सै। जूण से पैन गेल (साथ) तू लिख कै दिया करै ओए पैन मेरे तै भी ल्या कै दिए।

तेरी आपणी