परदे के पीछे - टिप्पणी प्रत्रिक्रिया / जयप्रकाश चौकसे / फरवरी 2022
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परदे के पीछे के अंतिम कॉलम के प्रकाशन के पश्चात की टिप्पणियां
परदे के पीछे के अंतिम कॉलम के प्रकाशन के पश्चात की टिप्पणियां
- ...और परदा मुकम्मल ( यवनिका पतन नहीं ) / प्रियंका जोधावत
- जयप्रकाश चौकसे : ‘परदे के बाहर’ आ जाने का स्वागत है ! / श्रवण गर्ग
- एक परदे के पीछे लिख के हमको चौंका देंगे! / उमाशंकर सिंह
- एक युग का अवसान / कमल रामवानी 'सारांश'
- हिंदी के ऐतिहासिक स्तंभकार के लेखन और निरंतरता को सलाम / अजय ब्रह्मात्मज
- एक प्रकाश-स्तंभ के बारे में / कुमार अम्बुज
- परदा जो गिर गया तो / महिमा वर्मा
- अरे….चौकसे जी अब नहीं लिखेंगे ! / कीर्ति राणा
- वे चुपचाप घर में फिर जेहन में प्रवेश करते रहे हैं / राकेश अचल
- कभी अलविदा न कहना...! / जयराम शुक्ल
- मन उदासी से भर गया / निर्मल भुराडिया
- ये लम्बा सिलसिला आज टूट गया / दीपक शर्मा
- परदे के सामने जयप्रकाश चौकसे / रितु पांडे शर्मा
- जयप्रकाश चौकसे जी से कुछ बात, एक दो मुलाकात / दीपक असीम
- एक गर्व है कि हमने उस कालखंड में जन्म लिया, जब चौकसे साहब लिखते थे / अखिलेश जैन
- इंसान की जिजीविषा व साहस / महेश स्वामी
- जीवन रहे न रहे, जिंदगी 'परदे के पीछे' नहीं जाती / भुवन गुप्ता
- परदे के पीछे - अंतिम ड्राफ्ट / श्रीकांत पाण्डेय
- लेख पढ़ कर आंखों में पानी भर आया / मुकेश उपाध्याय
- 'अरे यह क्या?' / विवेक तिवारी
- ये सुबह बहुत भारी है / वर्षा मिर्ज़ा
- पढ़कर दिल बैठ गया / संध्या रॉयचौधरी
- जयप्रकाश चौकसे ने अपनी लेख यात्रा को विराम दे दिया / शादाब सलीम
- जयप्रकाश चौकसे का बहुप्रतीक्षित स्तम्भ देखने पढ़ने को नहीं मिलेगा / हरीश करमचंदानी
- स्तब्ध हूँ / तेजबीर
- कुछ समाचार पीड़ादायक होते हैं / सन्देश शुक्ला
- बीस वर्ष पुरानी किस्तो से इस लेखमाला पुनः प्रकाशित करे / भोपाल सिंह
- उसे विदा होता देखना असहनीय है / प्रमोद आर्य