बस दिल ही तो मेरा खजाना है : रणधीर कपूर / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बस दिल ही तो मेरा खजाना है : रणधीर कपूर
प्रकाशन तिथि : 15 फरवरी 2021


राज कपूर के ज्येष्ठ पुत्र रणधीर कपूर आज 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने 150 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और तीन फिल्में निर्देशित की हैं। उन्होंने अपने दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता, दो भाइयों और एक बहन को जाते हुए देखा है। गोयाकि कारवां गुजरते हुए देखा और गुबार को भी भोगा है। उन्होंने प्रार्थना की और पीड़ा भी झेली है वे जिगरी दोस्तों राहुल देव बर्मन, गुलशन बावरा और रमेश वहल की शव यात्राओं में शामिल रहे। परिवार के इतने सारे लोगों को गुजरते हुए देखना और विषम हालात में भी अपने को स्थिर बनाए रखना आसान काम नहीं होता। प्रतिभा संपन्न परिवार के मथने में उसके हिस्से में छाछ ही आई है। मक्खन अन्य लोगों को मिला है।

उन्होंने प्रेम विवाह किया और अपनी कमाई से मुंबई में नेपियन सी रोड पर एक बड़ा फ्लैट खरीदा। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पत्नी सहित अपनी मां के पास रहना चाहा क्योंकि बड़े मकान में मां का तन्हा रहना उन्हें ठीक नहीं लगा परंतु पत्नी इसके लिए राजी नहीं हुई क्योंकि पत्नी को अपनी पुत्रियों को अभिनय क्षेत्र में प्रवेश दिलाना था और उसके लिए बांद्रा में फिल्म वालों के बीच रहना जरूरी लगा। रणधीर ने मां की सेवा चुनी पत्नी से इतने लंबे समय तक अलग रहते हुए भी उनका रिश्ता टूटा नहीं और हर रविवार उन्होंने साथ बिताया। यह सिलसिला आज भी जारी है।

रिश्ता इस तरह भी बनाए रखना रखा जा सकता है। उन्होंने 24 वर्ष की वय में फिल्म बनाई ‘कल आज और कल’ जो पीढ़ियों के बीच वैचारिक अंतर के विषय पर बनाई गई। फिल्म में उनके दादा पृथ्वी राज, पिता राज कपूर और वे स्वयं पत्नी बबीता सहित अभिनय कर रहे थे। फिल्म में गीत था ‘हम जब होंगे 60 साल के और तुम होगी 55 की बोलो प्रीत निभाओगी ना, तब भी अपने बचपन की’। आज रणधीर 75 के और बबीता 70 की हैं। इन दोनों ने यह तय किया है कि अलग-अलग रहते हुए भी प्रेम अक्षुण्ण रखा जा सकता है। नज़दीकी में टकराव की संभावना बढ़ जाती है। अपनी दूर बसी छतों से भी प्रेम के पेंच बनाए रखे जा सकते हैं। रणधीर ने ‘जवानी दीवानी’ ‘हमराही’ ‘कसमे वादे’ ‘पुकार’ इत्यादि फिल्मों में अभिनय किया। ‘जवानी दीवानी’ में जया बच्चन और ‘कसमे वादे’ में अमिताभ के साथ अभिनय करते हुए भी रणधीर ने अपनी जमीन नहीं खोई।

भावाभिव्यक्ति कोई दंगल नहीं है कि कौन जीता, कौन हारा वरन यह क्षेत्र तो ऐसा है कि तुम्हारी भी जय जय, हमारी भी जय जय, ‘हम तो जाते अपने गांव सबको राम राम राम।’

दरअसल कपूर परिवार में हंसने-हंसाने का माद्दा केवल 2 सदस्यों के पास था। कृष्णा राज कपूर और रणधीर कपूर। ‘मेरा नाम जोकर’ की व्यावसायिक असफलता के बाद रणधीर ने ही स्टूडियो का प्रबंधन किया। बॉबी की सफलता के बाद रणधीर ने ही स्टूडियो कर्मचारियों को उस समय तक का जमा प्रोविडेंट फंड चुकता करने की सलाह दी और सभी कर्मचारियों को पुन: चाकरी में दैनिक वेतन पर रखते हुए भविष्य में अतिरिक्त भार से मुक्ति पाई। 2 वर्ष पूर्व उन्होंने बांद्रा के हिल रोड पर स्वयं के लिए छोटा सा मकान खरीदा था। इस तरह वे अपनी बेटियों और भतीजे रणबीर के मकानों के निकट बसना चाहते थे। अपने छोटे भाई राजीव के शांति पाठ के बाद वे नए मकान में रहने जाएंगे। 75 वर्ष में उन्होंने क्या खोया क्या पाया उसका कोई हिसाब नहीं रखा। गणित में वे हमेशा से कमजोर रहे। जब उन्होंने नेपियन सी का फ्लैट 4 करोड़ में बेचा तो 2-2 करोड़ अपनी बेटियों को दिए। स्वयं के लिए कुछ नहीं रखा। उनका जीवन गाता रहा है, ‘क्या लेकर आए, क्या लेकर जाएंगे, बस दिल ही एक खजाना है।