मेरी आत्मकथा / अध्याय 12 / चार्ली चैप्लिन / सूरज प्रकाश

Gadya Kosh से
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अकेलापन घिनौना होता है। इसमें उदासी का हल्का सा घेरा होता है, आकर्षित कर पाने या रुचि जगा पाने की अपर्याप्तता होती है इसमें। कई बार आदमी इसकी वज़ह से थोड़ा शर्मिंदा भी होता है। लेकिन कुछ हद तक अकेलापन हर आदमी के लिए थीम की तरह होता है। अलबत्ता, मेरा अकेलापन कुंठित करने वाला था क्योंकि मैं दोस्ती करने की सारी ज़रूरतें पूरी करता था। मैं युवा था, अमीर था और बड़ी हस्ती था। इसके बावज़ूद मैं न्यू यार्क में अकेला और परेशान हाल घूम रहा था। मुझे याद है मैं अंग्रेज़ी संगीत जगत की कॉमेडी स्टार, खूबसूरत जोसी कॉलिन्स से उस वक्त अचानक ही मिल गया था जब वह फिफ्थ एवेन्यू पर चली जा रही थी।

"ओह," उसने सहानुभूति पूर्ण तरीके से कहा,"आप अकेले क्या कर रहे हैं?"

मुझे ऐसा लगा मानो मुझे कुछ प्यारा सा अपराध करते हुए पकड़ लिया गया हो। मैं मुस्कुराया और बोला,"मैं तो बस, ज़रा दोस्तों के साथ लंच करने के लिए जा रहा था," लेकिन काश, मैंने उससे सच कह दिया होता कि मैं तन्हा हूं और उसे लंच पर ले जाना मुझे अच्छा लगता, सिर्फ मेरे संकोच ने ही मुझे ऐसा करने से रोका।

उसी दोपहर को मैं मैट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस के पास ही चहल कदमी कर रहा था कि मैं डेविड बेलास्को के दामाद मॉरिस गेस्ट से जा टकराया। मैं मॉरिस से लॉस एंजेल्स में मिल चुका था। उसने अपने कैरियर की शुरुआत टिकट ब्लैकी के रूप में की थी। ये धंधा उस वक्त बहुत फल फूल रहा था जब मैं पहली बार न्यू यार्क आया था। (टिकट ब्लैकी वह आदमी होता है जो थियेटर में सबसे अच्छी सीटें पहले खरीद कर रख लेता है और बाद में थियेटर के बाहर खड़ा हो कर फायदे में बेचता है।) मॉरिस ने थियेटर के धंधे में आशातीत सफलता हासिल की थी। इसका सर्वोच्च बिन्दु था उसके द्वारा बनायी गयी द मिरैकल जिसका निर्देशन मैक्स रेनहार्ड्ट ने किया था। मॉरिस स्लाविक था। चेहरा उसका पीला, और बड़ी बड़ी कंचे जैसी आंखें, बड़ा सा मुंह, और मोटे होंठ। वह ऑस्कर वाइल्ड का भद्दा संस्करण नज़र आता था। वह बहुत ही भावुक किस्म का आदमी था जो जब बोलता था तो ऐसा लगता था मानो आपको धमका रहा हो।

"आप कहां गायब हो गये थे श्रीमान," इससे पहले कि मैं जवाब दे पाता, वह आगे बोला, "आपने मुझे सम्पर्क क्यों नहीं किया?"

"मैंने उसे बताया कि मैं तो बस, ज़रा चहलकदमी कर रहा हूं।"

"क्या बात है। आपको अकेले नहीं होना चाहिये। आप जा कहां रहे हैं?"

"कहीं नहीं," मैंने दब्बूपन के साथ कहा,"बस, ज़रा साफ हवा ले रहा था।"

"आओ भी," उसने मुझे अपनी दिशा में मोड़ते हुए और अपनी बांह से मेरी बांह को घेरते हुए कहा। अब मेरे पास बचने का कोई उपाय नहीं था, "मैं आपको असली लोगों से मिलवाऊंगा। ऐसे लोग जिनमें आपको घुलना मिलना चाहिये।"

"हम कहां जा रहे हैं?" मैंने चिंतातुर हो कर पूछा।

"आप मेरे दोस्त करूसो से मिलने जा रहे हैं।" कहा उसने।

मेरी सारे प्रतिरोध बेकार गये।

"आज कारमैन का मैटिनी शो चल रहा है। उसमें करूसो और गेराल्डिन फरार हैं।"

"लेकिन मैं . ."

"भगवान के लिए, आप डरो नहीं, करूसो बहुत ही शानदार आदमी हैं। आपकी ही तरह सीधे सादे और इन्सानियत से भरे हुए। आपको देख कर वे खुशी के मारे झूम उठेंगे। वे आपकी तस्वीर लेंगे और भी बहुत कुछ करेंगे।"

मैंने उसे बताना चाहा कि मैं टहलना और थोड़ी देर ताज़ा हवा लेना चाहता हूं।

"इस मुलाकात से आपको ताज़ा हवा से भी ज्यादा आनंद मिलेगा।"

मैंने पाया कि मुझे मैट्रोपोलिटन ऑपेरा की लॉबी में से ठेल कर ले जाया जा रहा है। हम दोनों गलियारे में से दो खाली सीटों पर जा बैठे।

"यहां बैठिये," गेस्ट फुसफुसाया, "मैं इंटरवल में लौट आऊंगा।" तब वह खड़ा हुआ और गायब ही हो गया।

मैंने कारमैन का संगीत कई बार सुना था लेकिन अब जो कुछ बज रहा था, अपरिचित सा लगा। मैंने अपने कार्यक्रम पत्रक की तरफ देखा, और आज के दिन के लिए कारमैन की ही घोषणा की गयी थी। लेकिन वे कुछ दूसरी ही चीज़ बजा रहे थे। वह भी मुझे परिचित सी ही लग रही थी और कुछ कुछ रिगालेटो की तरह लग रही थी। मैं भ्रम में पड़ गया। अंक की समाप्ति से दो मिनट पहले गेस्ट चुपके से मेरे साथ वाली सीट पर लौट आया।

"क्या ये कारमैन है?" मैं फुसफुसाया।

"हां," उसने जवाब दिया, "क्या आपके पास कार्यक्रम नहीं है?"

उसने मुझसे कार्यक्रम छीना, "हां," वह फुसफुसाया,"करूसो और गेराल्डिन फरार, बुधवार, मैटिनी शो, कारमैन, ये रहा।"

परदा नीचे गिरा और वह मुझे लिये दिये सीटों के बीच में से बगल वाले दरवाजे से मंच के पीछे की तरफ ले चला।

बिना आवाज़ के बूटों में आदमी लोग सीन सिनरी को उसी तरह से शिफ्ट कर रहे थे जिस तरह से मुझे हमेशा लगती रही। वहां का माहौल किसी दुखदायी स्वप्न की तरह था। इसमें से नुकीली दाढ़ी वाला, और जासूसी कुत्ते जैसी आंखों वाला एक लम्बा, छरहरा शांत और गंभीर आदमी वहां खड़ा था। उसने मुझे एक ऊंचाई से देखा। वह मंच के बीचों बीच खड़ा था। परेशान हाल। उसके पास से एक सीनरी आ रही थी और दूसरी जा रही थी।

"मेरे अच्छे दोस्त सिग्नोर गाटी कसाज़ा कैसे हैं?" अपना हाथ बढ़ाते हुए गेस्ट ने कहा।

गाटी कसाज़ा ने हाथ मिलाया और एक उदास मुद्रा बनायी और कुछ बुड़बुड़ाये। तब गेस्ट मेरी तरफ मुड़ा,"आपका कहना सही था, ये कारमैन नहीं है, रिगोलेटो है। अंतिम पलों में गेराल्डिन फरार ने फोन करके बताया कि उसे जुकाम है इसलिए नहीं आ पायेगी। ये चार्ली चैप्लिन हैं," उसने कहा,"मैं इन्हें करूसो से मिलवाने के लिए ले जा रहा हूं। हो सकता है, इनका जी बहल जाये। आइये हमारे साथ।" लेकिन गाटी कसाज़ा ने अफ़सोस के साथ अपना सिर हिलाया।

"उनका ड्रेसिंग रूम किस तरफ है?"

काटी कसाज़ा ने स्टेज मैनेजर को बुलवाया और कहा,"ये आपको बता देगा।"

मेरी छठी इंद्रीय ने मुझे सचेत किया कि करूसो को इस वक्त डिस्टर्ब न किया जाये, और ये बात मैंने गेस्ट को बतायी।

"पागल मत बनो," उसने जवाब दिया।

हमने पैसेज में से उनके ड्रेसिंग रूम के लिए चले।

"किसी ने बत्ती बुझा दी है," स्टेज मैनेजर ने कहा,"एक पल के लिए रुकिये, मैं स्विच तलाशता हूं।

"सुनो," गेस्ट ने कहा,"कुछ लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, इसलिए मुझे निकलना होगा।"

"तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ।" मैं जल्दी से बोला।

"आपको कुछ नहीं होगा।"

मैं जवाब ही दे पाता, इससे पहले ही वह गायब हो गया। स्टेज मैनेजर ने एक तीली जलाई। "हम पहुंच गये हैं," कहा उसने, और धीरे से दरवाजा ठकठकाया। भीतर से इतावली में ज़ोर से कुछ कहा गया।

मेरे दोस्त ने इतालवी में ही जवाब दिया। जवाब के आखिर में "चार्ली चैप्लिन" कहा गया।

एक और धमाका।

"सुनो," मैं फुसफुसाया, "फिर कभी सही।"

"नहीं, नहीं," उसने कहा, अब उसे एक मिशन पूरा करना था। दरवाजा चीं की आवाज के साथ खुला और अंधेरे में से ड्रेसर ने झांका। मेरे दोस्त ने परेशानी भरे स्वर में बताया कि मैं कौन हूं।

"ओह," ड्रेसर ने कहा, और दरवाजा फिर बंद कर दिया। दरवाजा फिर से खुला, "भीतर आइये।"

इस छोटी सी विजय से मेरे दोस्त का सीना चौड़ा हो गया। जब हम भीतर पहुंचे तो करूसो अपनी ड्रेसिंग टेबल पर एक शीशे के सामने बैठे अपनी मूंछे कुतर रहे थे। हमारी तरफ उनकी पीठ थी।

"अहा महाशय," मेरे दोस्त ने उल्लसित होते हुए कहा,"ये मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है श्रीमन, कि मैं आपके सामने सिनेमा के करूसो, मिस्टर चार्ली चैप्लिन को प्रस्तुत कर रहा हूं।"

करूसो ने दर्पण में सिर हिलाया और मूंछे कुतरते रहे।

आखिरकार वे उठे और अपनी बेल्ट कसते हुए ऊपर से नीचे तक मेरा मुआइना किया।

"आप तो बहुत सफल आदमी हैं, नहीं क्या, खूब पैसा कमाया होगा।"

"हां," मैं मुस्कुराया।

"आप तो बहुत ही खुश आदमी होंगे।"

"हां, बेशक," तब मैंने स्टेज मैनेजर की तरफ देखा तो वे उल्लसित हो कर ये संकेत देते हुए बोले कि जाने का समय हो गया है।

मैं खड़ा हुआ और तब करूसो पर मुस्कुराया,"मैं टोरेडोर दृश्य मिस नहीं करना चाहता।"

"वो कारमैन है। ये रिगोलेटो है।" मुझसे हाथ मिलाते हुए वे बोले।

"ओह, हां हां हां जी हां।"

मैंने परिस्थितियों में जितना संभव था, न्यू यार्क को अपने भीतर उतार लिया था और ये सोचा कि इससे पहले कि खुशियों के मेले का रंग फीका होना शुरू हो, यहां से कूच कर देना ही बेहतर होगा।इसके अलावा, मेरी चिंता अपने नये करार के अंतर्गत काम शुरू करने की भी थी।

जब मैं लॉस एंंजेल्स लौटा तो मैं फिफ्थ स्ट्रीट और मेन पर एलेक्जेंड्रिया होटल में ठहरा। ये उस वक्त शहर का सबसे ज्यादा ठाठ बाठ वाला होटल हुआ करता था। ये भव्य अंलकरण शैली वाला होटल था। लॉबी में लगे संगमरमर के स्तम्भ, और क्रिस्टल के झाड़ फानूस उसकी शोभा में चार चांद लगाते थे। लॉबी के बीचों बीच दस लाख डॉलर का शानदार कालीन बिछा हुआ था। इसे बड़े बड़े फिल्मी सौदों का मक्का मदीना कहा जाता था। इसका ये नाम मज़ाक में ही पड़ गया था क्योंकि यहां पर शेखी बघारने वाले और आधे अधूरे प्रोमोटर वहां पर खड़े हो कर लाखों करोड़ों डॉलर से कम की तो बात ही न करते।

इसके बावजूद, अब्राहमसन ने इसी कालीन पर अपनी किस्मत का सितारा बुलंद किया था। वह स्टूडियो किराये पर ले कर और बेरोज़गार कलाकारों को काम धंधे पर रख कर सस्ते में फिल्में बनाता था और उन सस्ती स्टेट राइट पिक्चरों को बेचा करता था। इस तरह की फिल्मों को चवन्नी छाप दर्शकों की, पावर्टी रो वाली फिल्में कहा जाता था। स्वर्गीय हैरी कॉन, कोलम्बिया पिक्चर्स के अध्यक्ष भी इन चवन्नी छाप फिल्मों में नज़र आया करते थे।

अब्राहमसन यथार्थवादी आदमी थे। वे इस बात को स्वीकार करते थे कि वे इस किसी कला वला में नहीं, सिर्फ धन कमाने में दिलचस्पी रखते हैं। वे भारी रूसी लहजे में बोलते थे और जिस वक्त अपनी फिल्मों का निर्देशन कर रहे होते, वे मुख्य अभिनेत्री पर चिल्लाते, "ठीक है, पीच्छे की तरफ से आग्गे की तरफ आओ। अब्ब शीशे के सामने आवो, और अपणे आप को देक्खो। ओह, ऐसे नहीं जी, अब्ब आप बीस फुट तक इधर उधर चलो। (मतलब मस्ती से, बीस फिट फिल्म के चलने तक)।" आम तौर पर उनकी नायिका भरे भरे सीने वाली छप्पन छुरी मार्का कोई युवा लड़की होती और उसने ढीला सा खुले गले की कोई पोशाक पहनी होती और भरपूर अंग प्रदर्शन करती। वह नायिका से कहता कि कैमरे की तरफ देक्खो, नीचे झुक्को और अपने तस्में बांधो, या झूला झूलो, या कुत्ते को सहलाओ। मतलब, किसी न किसी तरह सीने के उभार दिखाओ। इसी तरीके से अब्राहमसन ने करोड़ों डॉलर पीटे।

दस लाख वाला ये कालीन सिड ग्राउमैन को सैन फ्रांसिस्को से यहां तक लाया ताकि वे अपनी लॉस एंजेल्स की दस लाख डॉलर की बिल्डिंग का सौदा कर सकें। जैसे जैसे शहर सम्पन्न होता गया, वे भी सम्पन्न होते चले गये। उन्हें अनोखे प्रचार का बहुत शौक था। एक बार उन्होंने लॉस एंजेल्स को हैरान ही कर दिया था। उन्होंने दो टैक्सियां किराये पर लीं। टैक्सियां सड़कों पर दौड़ने लगीं और उनमें बैठे हुए सवार खाली कारतूसों से एक दूसरे पर गोलियां चलाने का नाटक करते रहे। टैक्सियों के पीछे इश्तहार लगे हुए थे जिन पर लिखा था, ग्राउमैन की मिलियन डॉलर थियेटर की आपराधिक दुनिया।

वे नयी नयी शोशेबाजियां खोजने और करने में माहिर थे। सिड का एक अद्भुत आइडिया ये था कि अपने चीनी थियेटर के बाहर गीले सीमेंट पर हॉलीवुड के सितारों के हाथों तथा पैरों के निशान अंकित कराये जायें, कुछ कारणों से सितारों ने निशान दिये भी। बाद में ये ऑस्कर पाने जैसा सम्मान पाने की महत्त्वपूर्ण बात हो गयी थी।

जिस दिन मैं एलेक्जेंड्रिया होटल पहुंचा, होटल के डेस्क क्लर्क ने मुझे विख्यात अभिनेत्री, मिस माउदे फीली की ओर से एक खत दिया। वे सर हेनरी इर्विंग और विलियम जिलेट की प्रमुख अदाकारा रह चुकी थीं। उन्होंने मुझे बुधवार को हॉलीवुड होटल में पावलोवा के सम्मान में दिये जाने वाले डिनर में आमंत्रित किया था। बेशक मैं निमंत्रण पा कर आह्लादित था। हालांकि मैं कभी मिस फीली से मिला नहीं था, मैंने पूरे लंदन में उनके पोस्टकार्ड देखे थे और उनके सौन्दर्य का प्रशंसक था।

डिनर से एक दिन पहले मैंने अपने सचिव से कहा कि वह फोन करके पूछ ले कि ये पार्टी अनौपचारिक है या मैं काली टाई लगा कर आऊं।

"कौन बात कर रहे हैं?" मिस फीली ने पूछा।

"मैं मिस्टर चैप्लिन का सचिव बोल रहा हूं और बुधवार की शाम के उनके आपके साथ होने वाले डिनर के बारे में पूछ रहा हूं।"

ऐसा लगा कि मिस फीली सतर्क हो गयीं,"ओह, निश्चित ही अनौपचारिक।" कहा उन्होंने।

मिस फीली हॉलीवुड होटल की पोर्च में मेरी अगवानी करने के लिए मौजूद थीं। वे हमेशा की तरह प्यारी लग रही थीं। हम आधे घंटे तक इधर उधर की बातें करते रहे। इसके बाद मैं हैरान हो कर सोचने लगा कि बाकी मेहमान कब आयेंगे।

आखिरकार उन्होंने कहा,"हम चलें डिनर के लिए चलें?"

मेरी हैरानी का ठिकाना न रहा जब मैंने डाइनिंग हॉल में पाया कि वहां पर सिर्फ हम दो ही थे।

आकर्षक होने के अलावा मिस फीली बेहद अलग थलग रहने वाली महिला थीं। मेज़ के पार उनकी तरफ देखते हुए मैं इस बात को ले कर हैरान होता रहा कि इस तरह की मुलाकात का मकसद क्या हो सकता है। मेरे दिमाग में शरारतपूर्ण और गंदे ख्याल आने लगे लेकिन ऐसा लगा कि वे मेरी अशोभनीय अटकलों पर उनका कोई ध्यान नहीं था। इसके बावजूद मैंने यह पता लगाने के लिए अपने कान खड़े कर लिये कि मुझसे आखिर उम्मीद क्या की जा रही है।

"ये वाकई मज़ेदार है," मैंने उत्तेजना से कहा, "इस तरह से आपके साथ खाना खाना!"

वे सौम्यता से मुस्कुरायीं।

"चलो, हम डिनर के बाद कुछ मौज मज़ा करें," कहा मैंने,"चलो किसी नाइट क्लब में चलें या ऐसा ही कुछ करें।"

उनके चेहरे पर मामूली सी अलार्म की झांई उभरी, और वे हिचकिचायीं,"मुझे डर है कि मुझे आज जल्दी ही सोने के लिए जाना पड़ेगा क्योंकि मुझे कल जल्दी ही मैकबेथ की रिहर्सल शुरू करनी है।"

मेरे कान खड़े हुए। मैं पूरी तरह से हैरान परेशान था। संयोग से खाने का पहला कोर्स आ गया और हम थोड़ी देर तक चुपचाप खाते रहे। कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है, ये हम दोनों ही जानते थे। मिस फिली हिचकिचायीं,"मुझे अफसोस है कि आज की शाम आपके लिए बहुत फीकी रही।

"नहीं तो, शाम तो बहुत ही शानदार गुज़री।"

"मुझे अफसोस है कि आप तीन महीने पहले उस वक्त यहां पर नहीं थे जब मैंने पावलोवा के सम्मान में एक डिनर दिया था। मुझे पता है कि वे आपके दोस्त हैं। लेकिन, मुझे ऐसा लगता है कि उस वक्त आप यहां पर नहीं थे।"

"माफ कीजिये," मैंने कहा, और तपाक से जेब से मिस फिली का पत्र निकाला। पहली बार मैंने उस पर तारीख देखी। तब मैंने पत्र उन्हें थमाया, "देखिये," मैं हँसा,"मैं तीन महीने देरी से पहुंचा हूं।"

1910 में लॉस एंजेल्स वेस्टर्न के अगुआ लोगों और धनकुबेरों के युग के अंत का समय था और उनमें से अधिकतर ने मेरा सत्कार किया था।

इनमें से एक स्वर्गीय विलियम ए क्लार्क थे। वे करोड़पति असामी थे और रेल के महकमे से जुड़े थे और कॉपर किंग माने जाते थे। वे शौकिया संगीतकार थे जो फिलहॉरमोनी आर्केस्ट्रा को हर बरस 150000 डॉलर का दान दिया करते थे। वे खुद उस आर्केस्ट्रा में बाकी लोगों के साथ दूसरा वायलिन बजाया करते थे।

मौत की घाटी वाले स्कॉटी एक फैन्टम चरित्र थे जो हँसमुख, मोटे से चेहरे वाले आदमी थे। वे दस गैलन हैट, लाल कमीज़, और डंगरी पहना करते थे। वे हर रात स्प्रिंग स्ट्रीट में दारू के अड्डों और नाइट क्लबों में हज़ारों डॉलर लुटाया करते, पार्टियां देते, वेटरों को सौ सौ डॉलर की टिप दिया करते और फिर अचानक ही गायब हो जाते। फिर वे महीनों बाद वापिस आते और फिर से पार्टियां देने लगते। ऐसा वे बरसों तक करते रहे। कोई भी नहीं जानता था कि उनके पास पैसे आते कहां से थे। कुछ लोगों का विश्वास था कि डैथ वैली में उनकी कोई गुप्त खदान थी। लोगों ने उनका पीछा करने की कोशिश की लेकिन वे हमेशा उन्हें वहां पर चकमा दे देते और आज तक कोई भी उनका रहस्य नहीं जान पाया है। 1940 में उनकी मृत्यु से पहले उन्होंने डैथ वैली में रेगिस्तान के बीचों बीच एक बहुत ही भव्य महलनुमा घर बनवाया था। ये बहुत ही शानदार इमारत थी जिसके बनने में पांच लाख डॉलर से भी ज्यादा लगे थे। आज भी ये इमारत धूप में खंडहर सी खड़ी है।

पेसाडोना की मिसेज क्रेनेय गैट्स चार करोड़ डॉलर की हैसियत वाली महिला थीं जो घनघोर समाजवादी थीं और कई अराजकों, समाजवादियों और इंडस्ट्रियल वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड के सदस्यों की कानूनी सुरक्षा के लिए धन दिया करती थीं।

ग्लेन कर्टिस उन दिनों सेनेट के लिए काम किया करते थे और हवाई जहाज के स्टंट किया करते थे और बेसब्री से आज जिसे गेट कर्टिस एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कहते हैं, उसके लिए बेताबी से वित्त जुटाने का काम देखा करते थे।

ए पी गियानिनी दो छोटे बैंक चलाया करते थे। बाद में जा कर ये युनाइटेड स्टेट्स के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक, द बैंक ऑफ अमेरिका बने।

हावर्ड ह्यूज को अपने पिता, आधुनिक आयल ड्रिल के आविष्कारक से बहुत बड़ी सम्पदा विरासत में मिली। हावर्ड एयराक्राफ्ट उद्योग में चले गये और उन लाखों डॉलरों को करोड़ों डॉलर में बदला। वे सनकी आदमी थे जो अपना कारोबार एक घटिया से होटल के कमरे से टेलिफोन के जरिये चलाया करते थे और वे शायद ही किसी से मिलते थे। वे मोशन फिल्मों में भी हाथ आजमाने आये, और हैल्स एंंजेल्स जैसी फिल्मों से अपार सफल्ता हासिल की। इस फिल्म के नायक स्वर्गीय जीन हारलो थे।

उन दिनों रोज़ के आनंद उठाने के मेरे ठीये होते थे, वेर्नान में जैक डॉयल की शुक्रवार की रात की कुश्तियां देखना, सोमवार की रातों को ऑरफीम थियेटर में रंगारंग कार्यक्रम देखना, गुरुवार के दिनों में मोरोस्को स्टॉक कम्पनी के कार्यक्रम देखना और कभी कभार, क्लूंस फिलहार्मोनिक ऑडिटोरियम में कोई सिम्फनी सुनना।

लॉस एंजेल्स का एथलेटिक क्लब एक ऐसा केन्द्र था जहां पर स्थानीय सम्पन्न वर्ग और कारोबारी लोग कॉकटेल के समय इकट्ठे होते। ये जगह विदेशी बस्ती की तरह लगती।

एक नौजवान जो बिट बजाता था, लाउंज में अकेले बैठा रहता। उसका नाम वेलन्टिनो था और वह हॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने आया था लेकिन कुछ खास कर नहीं पा रहा था। एक अन्य बिट प्लेयर जैक गिल्बर्ट ने उससे मेरा परिचय कराया था। उसके बाद मैंने एकाध बरस तक वैलन्टिनो को नहीं देखा था। इस बीच वह अचानक स्टार बन गया था। अगली बार जब हम मिले तो वह दूसरा ही शख्स था। तब मैंने उससे कहा,"जब हम पिछली बार मिले थे उसके बाद तो तुम अमर लोगों की कतार में जा बैठे हो।" इसके बाद वह हँसा और अपना मुखौटा उतार फेंका और काफी दोस्ताना व्यवहार करने लगा।

वैलन्टिनो में उदासी का तत्व था। उसने अपनी सफलता को गरिमापूर्वक तरीक से स्वीकार किया। लगता था मानो वह सफलता के बोझ से दबता चला जा रहा है। वह समझदार, शांत और बिना किसी टीम टाम के था और औरतों का बहुत बड़ा रसिया था। लेकिन वहां उसकी दाल ज्यादा नहीं गलती थी। और जिन औरतों से उसने शादी की थी, वे उससे खराब तरीके से पेश आतीं। उसकी एक शादी के तुंत बाद ही उसकी बीवी ने उसी की डेवलेपिंग लेबारेटरी में काम करने वाले आदमियों में से एक के साथ इश्क लड़ाना शुरू कर दिया। उसके साथ वह डार्क रूम में ही गायब हो जाती। वैलेन्टिनो में औरतों के प्रति जितना आकर्षण था, किसी में भी नहीं रहा होगा। और कोई दूसरा आदमी भी ऐसा नहीं होगा जिसे औरतों ने इतना ज्यादा धोखा दिया हो।

अब मैंने 670000 डॉलर का करार पूरा करना शुरू करने की तैयारियां शुरू कर दीं। मिस्टर कॉलफील्ड, जो म्यूचुअल फिल्म कार्पोरेशन के प्रतिनिधि थे और सारे कारोबारी इंतज़ाम देख रहे थे, ने हॉलीवुड के बीचों बीच एक स्टूडियो किराये पर लिया। सक्षम सितारों की कोई कमी नहीं थी, उनमें एडना पुर्विएंंस, एरिक कैम्पबेल, हेनरी बर्गमैन, एल्बर्ट ऑस्टिन, लॉयड बेकन, जॉन रैंड, फ्रैंक जो कोलमैन और लिओ व्हाइट, इन सबके साथ मुझे काम शुरू करने का पूरा विश्वास था।

मेरी पहली फिल्म द फ्लोर वॉकर बहुत अधिक सफल गयी। इसका सेट एक डिपार्टमेंट स्टोर का था जिसमें मैंने चलती हुई सीढ़ियों पर पीछा करने का दृश्य दिखाया। जब सेनेट ने इस फिल्म को देखा तो बोले,"हे भगवान, मुझे कभी चलती हुई सीढ़ियों का ख्याल क्यों नहीं आया।"

जल्दी ही मैं अपनी पराकष्ठा पर था और हर महीने दो रील की एक फिल्म बना कर दे रहा था। फ्लोर वॉकर के बाद, जो फिल्में आयीं, वे थीं, द फायरमैन, द वैगाबाँड, वन ए एम, द काउंट, द पॉनशॉप, बिहाइंड द क्रीन, द रिंक, ईज़ी स्ट्रीट, द क्योर, द इमिग्रैंट, द एडवंचरर, इन बारह कॉमेडी फिल्मों को बनाने में कुल सोलह महीने लगे और इसमें वह समय भी शामिल था जो ठंड या मामूली बाधाओं की वजह से गया।

कई बार कोई कहानी समस्या खड़ी देती और मैं उसने सुलझाने में मुश्किल पाता। ऐसे मौकों पर मैं काम बंद कर देता और सोचने की कोशिश करता, इस यातना में अपने ड्रेसिंग रूम में चहल कदमी करता या सेट के पिछवाड़े घंटों तक बैठा रहता, और समस्या से जूझता रहता। मेरी तरफ देख रहे मैनेजमैंट के या स्टाफ के किसी आदमी को देखते ही मेरी देह सुलग जाती, खास तौर पर इसलिए भी कि म्युचूअल निर्माण की लागत अदा कर रही थी और मिस्टर कॉलफील्ड वहां पर यह देखने के लिए मौजूद थे कि सब कुछ ठीक ठाक चलता रहे।

दूर से ही मैं उन्हें देख लेता कि वे लोगों के बीच से हो कर आ रहे हैं। मैं अच्छी तरह से जानता था कि वे क्या सोच रहे होंगे, कुछ भी नहीं हो रहा है और ऊपरी खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। और मैं उन पर मीठी छुरी से वार कर देता कि जिस वक्त मैं सोच रहा होऊं, उस वक्त किसी का आस पास होना या ये सोचना कि वे चिंता कर रहे हैं, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।

बेकार जा चुका दिन के खत्म होने के बाद, जब मैं स्टूडियो छोड़ कर जा रहा होता, वे जानबूझ कर अचानक ही मुझसे टकरा जाते और पूछते,"और कैसे चल रहा है, बात बनी कुछ?"

"वाहियात, मेरा ख्याल है, मैं चुक गया हूं, मैं कुछ सोच ही नहीं पाता।"

और वे खोखली आवाज़ निकालते जिसका मतलब हँसी होता,"चिंता मत करो, सब ठीक हो जायेगा।"

कई बार ऐसा होता कि समस्या का हल शाम को उस वक्त सूझता जिस वक्त मैं हताशा के आलम में होता और सब कुछ पर सोच चुका होता और दरकिनार कर चुका होता। और तभी हल अचानक ही सामने आ जाता मानो संगमरमर के फर्श पर से धूल की मोटी पर्त हटा दी गयी हो और सामने चमचमाता फर्श निकल आया हो जिसे मैं कब से तलाश रहा था। तनाव गायब हो जाता और सारे स्टूडियो में चहल पहल मच जाती। देखने की बात होती कि मिस्टर कॉलफील्ड के चेहरे पर हँसी कैसे आती है।

हमारी किसी भी पिक्चर में कभी भी कोई कलाकार जख्मी नहीं हुआ। हिंसा की भी बाकायदा रिहर्सल की जाती और उसे कोरियोग्राफी की तरह माना जाता।

चेहरे पर थप्पड़ मारने में भी ट्रिक इस्तेमाल की जाती। कितनी भी झड़प हो, हर कोई जानता था कि अंत में क्या होने वाला है। सब कुछ समय के हिसाब से चलता। घायल होने के लिए कोई बहाना नहीं चलता क्योंकि फिल्म में सभी इफेक्ट हिंसा, भूकंप, जहाज का टूटना, और बड़ी बड़ी घटनाएंं, सब को झूठ मूठ किया जा सकता है।

उस पूरी सीरीज़ में मात्र एक ही दुर्घटना हुई।

ये बात ईज़ी स्ट्रीट की है। जिस वक्त मैं स्ट्रीट लैम्प को जलाने के लिए उसे एक बड़ी सी घिरनी पर खींच रहा था तो लैम्प का ऊपरी हिस्सा गिर गया और उसका इस्पात का नुकीला टुकड़ा मेरी नाक के सिरे पर आ लगा जिसकी वजह से मुझे दो टांके लगवाने पड़े।

मेरा ख्याल है कि म्युचूअल के करार को पूरा करना मेरे कैरियर के सबसे अच्छा अरसा था। मैं अपने आप को हलका और बिना किसी बोझ के महसूस कर रहा था। मैं सिर्फ सत्ताइस बरस का था और मेरे सामने अनंत सम्भावनाएं थीं, और थी मेरे सामने एक दोस्तानी दुनिया। थोड़े से ही अरसे में मैं करोड़पति हो जाऊंगा। ये सारी बातें कुछ कुछ पगला देने वाली थीं। धन मेरी तिजोरियों में बरस रहा था। हर हफ्ते मुझे दो हज़ार डॉलर मिल रहे थे जो लाखों में बदल रहे थे। इस समय मेरी हैसियत चार लाख डॉलर की थी और अब पांच लाख की। मैं कभी इस सब की कल्पना भी नहीं कर सकता था।

मुझे जे पी मोर्गन के एक दोस्त मैक्सिन ईलियट की याद है। उसने एक बार मुझसे कहा था, धन तभी तक अच्छा है जब भुला दिया जाये।

लेकिन ये कुछ ऐसी शै भी है जिसे याद रखा जाये।

इस बात में कोई शक नहीं कि सफल आदमी अलग अलग दुनिया में रहते हैं। जब मैं लोगों से मिलता हूं तो उनके चेहरे दिलचस्पी से दिपदिपाने लगते हैं। हालांकि मैं नया नया रईस बना था, मेरी राय को गम्भीरता से लिया जाता था। जो परिचित थे वे मुझसे प्रगाढ़ संबंध बनाने के लिए लालायित रहते और मेरी समस्याएंं सुलझाने के लिए वैसे ही आगे आते मानो मेरे नातेदार हों। ये सब बहुत चाटुकारिता लगती लेकिन मेरी प्रकृति इस तरह की आत्मीयता को घास नहीं डालती। मैं दोस्तों को वैसे ही पसंद करता हूं जैसे संगीत को पसंद करता हूं। अलबत्ता, इस तरह की आज़ादी कभी कभार के अकेलेपन की कीमत पर ही होती।

एक दिन, जब मेरा करार पूरा होने ही वाला था, मेरा भाई एथलेटिक क्लब में मेरे बेडरूम में आया और प्रसन्नता से बोला,"सुनो भई चार्ली, अब तुम करोड़पतियों की जमात में आ गये हो। मैंने अभी अभी तुम्हारे लिए एक सौदा तय किया है जिसमें तुम फर्स्ट नेशनल के लिए दो दो रील की आठ कॉमेडी फिल्में बनाओगे और तुम्हें इसके एवज में बारह लाख डॉलर मिलेंगे।

मैंने अभी अभी स्नान किया था और अपनी कमर पर तौलिया लपेटे अपने वायलिन पर द टेल ऑफ हॉफमैन की धुन बजा रहा था। "हम . . हम. . मेरा ख्याल है, ये वाकई शानदार है, नहीं क्या!!"

सिडनी अचानक ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा,"ये बात मेरे संस्मरणों में जायेगी। तुम, चार्ली, अपनी चूतड़ पर तौलिया लपेटे, वायलिन बजा रहे हो, और मैं तुम्हें जब बताता हूं कि मैंने तुम्हारे लिए साढ़े बारह लाख डॉलर का करार किया है, तुम्हारी ये प्रतिक्रिया!!"

मैं स्वीकार करता हूं कि इसमें आडम्बर का थोड़ा सा तंज था क्योंकि इसमें एक काम भी था कि ये सारा धन कमाया जाना था।

सारी बातों के बावजूद, धन सम्पदा के इन सारे वायदों ने मेरी जीवन शैली पर कोई प्रभाव नहीं डाला। मैं धन के आगे झुकता था लेकिन इसके इस्तेमाल के आगे नहीं। जो धन मैं कमाता था वो काल्पनिक था, दंत कथा की तरह था। ये सब आंकड़ेबाजी थी क्योंकि दरअसल ये धन मैंने सचमुच देखा भी नहीं था। इसलिए मुझे कुछ ऐसा करना था कि सिद्ध हो सके कि मेरे पास ये धन है। इसलिए मैंने एक सचिव रखा, एक खिदमतगार और एक शोफर रखे। एक कार ली। एक दिन एक शोरूम के आगे से गुज़रते हुए मैंने एक सात सीटर यात्री कार देखी। उन दिनों अमेरिका में ये सबसे अच्छी कार मानी जाती थी। वो इतनी शानदार और भव्य लग रही थी कि मुझे ये लगा ही नहीं कि ये बिक्री के लिए हो सकती है। अलबत्ता, मैं दुकान में गया और पूछा," कितने की है?"

"चार हज़ार नौ सौ डॉलर"

"पैक कर दीजिये," मैंने कहा।

वह आदमी हैरान परेशान, उसने इतनी जल्दी हो गयी बिक्री में कुछ रोक लगाने की नियत से कहना चाहा, "क्या आप इंजिन वगैरह नहीं देखना चाहेंगे?"

"इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि मैं उनके बारे में कुछ भी तो नहीं जानता।" मैंने जवाब दिया। अलबत्ता, मैंने अंगूठे से एक टायर दबा कर अपनी व्यावसायिक समझ दिखा दी।

लेनदेन बहुत आसान था। इसका मतलब एक कागज के टुकड़े पर अपना नाम लिखना था और कार मेरी हो गयी।

पैसे का निवेश करना एक समस्या थी और मैं इनके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। सिडनी अलबत्ता, इन सारी चीजों के नामों से वाकिफ था। वह बुक वैल्यू, पूंजीगत लाभ, वरीयता प्राप्त और दूसरे स्टॉक, ए और बी रेटिंग, कर्न्विटबल स्टॉक और बाँड, औद्यौगिक कम्पनियों, और सेविंग बैंकों की कानूनी प्रतिभूतियों के बारे में खूब जानता था। उन दिनों निवेश करने के अवसरों की कोई कमी नहीं थी। लॉस एंंजेल्स के ज़मीन जायदाद के एक एजेंट ने एक बार मुझसे कई बार कहा कि मैं उसके साथ भागीदारी करके लॉस एंंजेल्स घाटी में ज़मीन का एक टुकड़ा खरीद लूं और दोनों पच्चीस पच्चीस हज़ार डॉलर का निवेश करें। अगर मैंने उस परियोजना में निवेश कर लिया होता तो मेरा हिस्सा बढ़ कर पांच कऱोड़ डॉलर का हो चुका होता क्योंकि वहां पर तेल निकल आया था और वह कैलिफोर्निया के सबसे अमीर क्षेत्रों में से एक हो गया था।

उस वक्त स्टूडियो में कई लब्ध प्रतिष्ठ विभूतियाँ पधारीं। मेलबा, लिओपोल्ड गोडोवस्की और पेडेरेवस्की, निजिंस्की और पावलोवा।

पेडेरेवस्की बहुत ही मोहक व्यक्तित्व के मालिक थे लेकिन उनमें थोड़ा सा बुर्जुआपन था। वे गरिमा पर कुछ ज्यादा ही ज़ोर देते थे। अपने लम्बे बालों, नीचे की तरफ झुकती चली आयी मूंछों और निचले होंठ के नीचे दाढ़ी के बालों के नन्हें से गुच्छे की वज़ह से वे खासे आकर्षक लगते थे लेकिन मुझे ऐसा लगता मानो उनकी इस छवि से उनके रहस्यमय घमंड की कोई झलक सामने आती थी। जब वे पिआनो बज़ाने बैठते तो घर भर की बत्तियों की रौशनी धीमी कर देते, माहौल ग़मगीन और रहस्यमय हो जाता। और जब वे अपने पिआनो स्टूल पर बैठने को होते तो मुझे हमेशा ऐसा लगता मानो उनके नीचे से किसी को स्टूल खींच लेना चाहिए।

युद्ध के दौरान उनसे मेरी मुलाकात न्यू यार्क में रिट्ज होटल में हुई थी। मैं उनसे बहुत उत्साह से मिला; पूछा था मैंने कि क्या वे वहाँ कोई कार्यक्रम देने के सिलसिले में आये हुए हैं। आडम्बरी गम्भीरता के साथ उन्होंने जवाब दिया,"जब मैं देश की सेवा में होता हूँ तो कार्यक्रम नहीं दिया करता।"

पेडेरेवस्की पोलैण्ड के प्रधानमंत्री बने, लेकिन उस वक्त मेरे ख्यालात क्लेमेंसीयू की तरह ही थे, जिन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण वारसा संधि पर एक सम्मेलन के दौरान उनसे कहा था, "क्यूं कर हो गया कि आपके जैसा कलाकार इतना नीचे गिर गया कि उसे राजनीतिज्ञ बन जाना पड़ा?"

दूसरी तरफ महान पिआनो वादक लिआपोल्ड गोडोवस्की सरल-निच्छल और मज़ाकिया किस्म के आदमी थे। वे छोटे कद का, मुस्कुराते हुए गोल चेहरे वाले शख्स थे। लॉस एजेंल्स में कार्यक्रम देने के बाद उन्होंने वहीं पर एक मकान किराये पर ले लिया था, और मैं अक्सर उनसे मिलने चला जाता। रविवार के दिन यह मेरा सौभाग्य होता कि मैं उन्हें रियाज़ करते सुन सकता था और उनके बेहद छोटे हाथों में छुपे असाधारण जादू और तकनीक के दर्शन कर पाता था।

निजिंस्की भी स्टूडियो में आया करते। उनके साथ उनके रूसी बैले के सदस्य थे। वे गम्भीर किस्म के शख्स थे; आकर्षक, सुंदर चेहरा, उनके गालों की हड्डियां ऊपर की तरफ उठी हुई थीं और आँखें में उदासी तारी रहती। उनकी ढब से लगता, साधारण वस्त्रों में कोई भिक्षु चला आ रहा है। हम द क्योर की शूटिंग कर रहे थे। वे कैमरे के पीछे बैठ गये और मुझे काम करते हुए देखने लगे। मैं जो दृश्य शूट कर रहा था, वह मेरे हिसाब से मज़ाकिया था लेकिन बंदा मुस्कुरा के न दिया। हालांकि आसपास जुट आये लोग हँस रहे थे लेकिन निजिंस्की उदास, और उदास होते चले गये। जब वे जाने लगे तो मेरे पास आये, हाथ मिलाया और अपनी खोखली आवाज़ में बोले कि मैं बता नहीं सकता, आपका काम देख कर मुझे कितना आनन्द मिला है। उन्होंने पूछा कि क्या मैं यहाँ फिर आ सकता हूँ?

"बेशक," कहा मैंने। वे दो और दिन मिट्टी के माधो बने मुझे काम करते हुए देखते रहे। आखिरी दिन मैंने कैमरामैन से कहा कि वह कैमरे में रोल न डाले। मैं जानता था कि निजिंस्की की मनहूस मौजूदगी मज़ाकिया दिखने की मेरी सारी कोशिशों पर पानी फेर देगी। इसके बावजूद, वे हर दिन की समाप्ति पर मुझे बधाई देते, `आपकी कॉमेडी, आप सचमुच नर्तक हैं।' कहा उन्होंने।

मैंने अब तक रूसी बैले नहीं देखा था, या यूं कहूँ कि अब तक कोई बैले ही नहीं देखा था। लेकिन जब सप्ताह खत्म हुआ तो मुझे मैटिनी शो देखने के लिए आमंत्रित किया गया।

थियेटर में मेरा स्वागत दियाघिलेव ने किया। वे बेहद ऊर्जावान और उत्साह से भरे हुए शख्स थे। उन्होंने इस बात के लिए क्षमा माँगी कि उस वक्त उनका कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं चल रहा है जो उनकी निगाह में मैं बहुत ज्यादा पसन्द कर सकूँ। उन्होंने अफ़सोस व्यक्त किया कि इस समय ल' अप्रेस-मिडी-द' डन फाउन' नहीं चल रहा है। उनके ख्याल से मैं ये वाला कार्यक्रम ज्यादा पसन्द करता। तब वे तुंत अपने मैनेजर की तरफ मुड़े, "निजिंस्की साहब को बताओ कि हम चार्लोट के लिए इन्टरवल के बाद फाउने का प्रदर्शन करेंगे।"

पहला बैले शहाराज़ादे था। मेरी प्रतिक्रिया कमोबेश नकारात्मक थी। इसमें बहुत ज्यादा एक्टिंग थी और नृत्य नाममात्र को भी नहीं था। मेरे ख्याल से रिम्स्की - कोर्साकोव का संगीत दोहराव लिये हुए था। लेकिन इसके बाद पास दे `देव प्रस्तुत किया गया। इसमें स्वयं निजिंस्की थे। जिस पल वे मंच पर अवतरित हुए जैसे मुझे बिजली का करन्ट लग गया हो। मैंने दुनिया में बहुत कम जीनियस देखे हैं और निजिंस्की उनमें से एक थे। उनमें सम्मोहित कर लेने की ईश्वरीय शक्ति थी। अपने हावभावों से वे हमारे सामने दूसरी ही दुनिया पेश कर रहे थे। उनकी हर भंगिमा में जैसे कविता की लय थी। उनकी एक एक मुद्रा हमें विचित्र कल्पना लोक में ले जाती थी।

उन्होंने दियाघिलेव से कह रखा था कि इन्टरवल में वे मुझे उनके ड्रेसिंग रूम में लिवा लायें। मेरे पास उनकी तारीफ के लिए शब्द नहीं थे।

उनके ड्रेसिंग रूम में मैं चुपचाप बैठा रहा और उन्हें फाउने के लिए मेक-अप करते हुए अजीब-अजीब चेहरे बनाते हुए देखता रहा। वे अपने गालों पर हरे रंग के घेरे बना रहे थे। वे बीच-बीच में बातचीत का सिरा जोड़ने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। वे मेरी फिल्मों के बारे में इधर-उधर के सवाल पूछते रहे। मैं सिर्फ़ एक-एक शब्द के वाक्यों में जवाब दे पा रहा था। जब इन्टरवल की समाप्ति पर घंटी बजी तो मैंने सलाह दी कि अब मुझे अपनी सीट पर लौट जाना चाहिए।

"न, न, अभी नहीं," कहा उन्होंने।

तभी दरवाजे पर खट-खट हुई। "मिस्टर निजिंस्की, इन्टरवल में बजने वाले धुन पूरी हो चुकी है।"

मेरे चेहरे पर परेशानी झलकने लगी।

"ठीक है, ठीक है," जवाब दिया उन्होंने, "अभी बहुत समय है।"

मुझे झटका लगा और मैं इस बात को कत्तई समझ नहीं पाया कि वे ऐसा बरताव क्यों कर रहे हैं, "क्या आपको नहीं लगता कि मुझे जाना चाहिए?"

"नहीं, नहीं, उन्हें एक और धुन बजाने दो।"

अंतत: दियाघिलेव हड़बड़ाते हुए ड्रेसिंग रूम में आये और चमकने लगे," जल्दी करो, जल्दी करो, दर्शक हल्ला कर रहे हैं।"

"इंतज़ार करने दो उन्हें, इसमें ज्यादा ही मज़ा है," कहा निजिंस्की ने और मुझसे बेसिर-पैर के और सवाल पूछने शुरू कर दिये। परेशानी के मारे मेरा बुरा हाल। मैं मिनमिनाया, "मेरे ख्याल से मुझे अपनी सीट पर लौट जाना चहिए।"

आज तक कोई भी कलाकार ल' अप्रेस-मिडी-द' उन फाउने में निजिंस्की की बराबरी नहीं कर सका है। जिस रहस्यमय सृष्टि का सृजन वे करते थे, अपनी रहस्यमयी, आत्मीय-सी उदासी के ज़रिये वे जिस निस्सीम विस्तार लिये प्यार की अनदेखी उदास छायाओं की सैर कराने दर्शक को अपने साथ ले जाते थे, उस सबका कोई सानी नहीं था। वे बिना किसी सायास प्रयास के कुछ ही भाव भंगिमाओं से सब कुछ कह डालते थे।

छ: महीने बाद निजिंस्की पागल हो गये थे। इस बात के संकेत तो उस दिन दोपहर के वक्त ड्रेसिंग रूम में ही नज़र आने लगे थे जब उन्होंने अपने दर्शकों को इंतज़ार करने के लिए छोड़ दिया था। मैं इस बात का गवाह था कि किस तरह से एक संवेदनशील मस्तिष्क युद्ध की विभीषिका झेल रहे क्रूर विश्व से विचरते हुए एक दूसरी ही दुनिया में, अपने सपनों की दुनिया में चला गया था।

किसी भी साधना या कला में उत्कृष्टता के शिखर पर विरल ही लोग पहुंचते हैं, और पावलोवा उन दुर्लभ कलाकारों में से एक थीं जिसने इसे सच कर दिखाया था। मुझ पर हर बार उसका जादुई असर होता था। हालांकि उनकी कला उत्कृष्ट थी, फिर भी उनमें एक स्तरीय पीलापन, उदासी का तत्व रहता। गुलाब की सफेद पंख़ुड़ी की तरह बेहद नाज़ुक। जब वे नृत्य करती थीं तो उनकी हर लय-ताल गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बन जाती। जिस पल वे मंच पर अवतरित होतीं, वे जितनी भी खुश या आकर्षक क्यों न हो, मेरा मन रोने का करता। वे सम्पूर्णता की त्रासदी को साकार कर देती थीं। ऐसा अद्भुत होता उनका नृत्य।

वे अपने मित्रों के लिए पाव थी। मैं उनसे उस वक्त मिला था जब वे युनिर्सल स्टूडियो में हॉलीवुड में एक फिल्म बना रही थीं। हम अच्छे दोस्त बन गये थे। इसे त्रासदी ही तो कहा जायेगा कि पुरानी सिनेमा की गति उनकी नृत्य की भंगिमाओं की गीतात्मकता को ग्रहण करने में असफल रही थी और इस वज़ह से उनकी यह महान कला दुनिया से हमेशा के लिए विलुप्त हो गयी।

एक बार की बात है, रूसी कौन्सूलेट ने उनके सम्मान में एक भोज दिया जिसमें मैं भी मौजूद था। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन था और निश्चय ही गरिमा लिये हुए था। डिनर के दौरान कई जाम छलकाये गये और भाषण वाषण चले। कुछ फ्रांसीसी में और कुछ रूसी में। मेरे ख्याल से सिर्फ़ मैं ही अकेला अंग्रेज़ था जिसे बुलाया गया था। अलबत्ता, इससे पहले कि कुछ कहने के लिए मेरी बारी आती, एक प्रोफेसर ने पावलोवा की कला पर रूसी भाषा में एक शानदार कसीदा पढ़ा। ऐसे भी पल आये जब प्रोफेसर की आँखों में आँसू आ गये। वह रो पड़ा और तब वह पावलोवा के पास गया और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा। मुझे पता चल चुका था कि उस प्रोफेसर के बाद कुछ करने की मेरी कोई भी कोशिश बेकार जायेगी। इसलिए मैं उठा और बोला कि चूँकि मेरी अंग्रेजी मादाम पावलोवा की कला की महानता का बयान करने के लिए पूरी तरह से नाकाफी होगी, इसलिए मैं चीनी भाषा में बोलूँगा। मैं चीनी भाषा में अनाप शनाप बकता रहा और मैंने भी उसी तरह का समां बांध दिया जिस तरह का प्रोफेसर ने बांधा था। मैंने अपनी बात का समापन प्रोफेसर से भी ज्यादा शिद्दत से पावलोवा को चूमने से किया। मैंने एक नैपकिन लिया और जब तक मैं उन्हें लगातार चूमता रहा, नैप्किन को हम दोनों से सिर के आगे थामे रहा। पार्टी का हँस-हँस के बुरा हाल हो गया और इस तरह से माहौल की गंभीरता टूटी।

साराह बर्नहार्ड्ट ऑरपीयम रंगारंग थियेटर में अभिनय किया करती थीं। इसमें कोई शक नहीं कि वे बहुत बूढ़ी थीं और उनका कैरियर ढलान पर था, फिर भी उनके अभिनय का सच्चा मूल्यांकन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। लेकिन जब ड्यूस लॉस एजेंल्स आयी तो उनकी ढलती उम्र और नज़दीक आता उनका अंत भी उनकी प्रतिभा की चमक को फीका नहीं कर पाये थे। उनके पीछे बेहतरीन इतालवी कलाकार मंडली थी। जब वे मंच पर आयीं - उससे पहले एक सुदर्शन युवा अभिनेता आकर अपनी अभिनय क्षमता के जलवे दिखा चुका था। और अभी भी मंच के बीचों बीच जमा हुआ था। मैं इस बात पर हैरान होता रहा कि किस तरह से ड्यूस उस युवा अभिनेता के शानदार अभिनय के भी आगे जा पायीं?

तभी एकदम बांयी तरफ से ड्यूस एक मेहराब के नीचे से होती हुई सहजता से मंच पर आयीं। वे सफेद क्रिसैन्थेमम फूलों की टोकरी के पीछे पल भर के लिए ठिठकीं। ये फूल बड़े से पिआनो पर रखे हुए थे। उन्होंने चुपचाप फूलों को तरतीब देना शुरू कर दिया। पूरे थियेटर में फुसफुसाहट की आवाज़ें आने लगीं और मेरा ध्यान तुंत युवा कलाकार से हट कर ड्यूस की तरफ चला गया। न तो वे युवा कलाकार की तरफ देख रही थीं और न ही किसी अन्य चरित्र की तरफ ही। वे चुपचाप फूलों को सजाती रहीं। बीच बीच में वे उन फूलों को भी लगा रही थीं जो वे अपने साथ लायी थीं। जब उन्होंने यह काम खत्म कर लिया तो वे तिरछे चलते हुए मंच से नीचे आयीं और फायर प्लेस के पास आ कर एक आराम कुर्सी में बैठ गयीं। उनकी निगाहें आग की तरफ थीं। एक बार और सिर्फ़ एक बार उन्होंने युवा कलाकार की तरफ देखा। उस निगाह में क्या कुछ नहीं था? सारी की सारी बुद्धिमता और मानवीय करुणा। इसके बाद वे सुनती रहीं और अपने हाथ गरम करती रहीं। बेहद खूबसूरत और संवेदनशील हाथ।

युवा कलाकार के उत्तेजक संभाषण के बाद डÎूस आग की तरफ देखते हुए शांत स्वर में बोलीं। उनकी संवाद अदायगी में सामान्य कृत्रिमता नहीं थी। उनकी आवाज़ त्रासद भावावेग की आंच से आ रही थी। उनका एक शब्द भी मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा था लेकिन मैंने महसूस किया कि मैं साक्षी बन रहा था अब तक की देखी महानतम अभिनेत्री के अभिनय का।

कौंस्टांस कौलियर सर हरबर्ट बीरबोहम ट्री की प्रमुख अभिनेत्री थीं और वे ट्रिंगल फिल्स कम्पनी के लिए सर हरबर्ट बीरबोहम के साथ लेडी मैक्बेथ की भूमिका कर रही थीं। जब मैं छोटा बच्चा था तो मैंने उन्हें हिज़ मैजेस्टी थियेटर की गैलरी से कई बार देखा था और द इटरनल सिटी में और ओलिवर ट्विस्ट में नैन्सी की उनकी यादगार भूमिकाओं का दीवाना था। इसलिए जब लेवी'ज कैफे में मेरी मेज पर एक नोट आया कि मिस कौलियर मुझसे मिलना चाहती हैं और मैं उनकी मेज पर चला आऊं। मुझे ऐसा करने में अपार खुशी हुई। उस मुलाकात के बाद हम जीवन भर के लिए बेहतरीन दोस्त बन गये। वे बहुत दयामयी महिला थीं जिसमें उष्मा ही उष्मा भरी हुई थी। उनमें अपार जीजिविषा थी। उन्हें लोगों को आपस में मिलवाना अच्छा लगता था। उनकी इच्छा थी कि मेरी मुलाकात सर हरबर्ट से और डगलस फेयरबैंक्स नाम के एक नौजवान से हो। कोलियर का ख्याल था कि हम तीनों में बहुत कुछ एक समान है।

मेरा ख्याल है, सर हरबर्ट अंग्रेजी थियेटर के डीन थे और अभिनेताओं में सबसे ज्यादा विनम्र थे। वे सामने वाले के दिमाग पर तो असर छोड़ते थे, उसकी संवेदनाओं को भी छूते थे। ओलिवर ट्विस्ट में उनका फागिन हँसी मजाक से भरपूर और डरावना एक साथ था। जरा सी कोशिश करके वे ऐसा तनाव पैदा कर देते जिसे सहन करना लगभग असंभव हो जाता। उन्हें बस, इतना करना होता कि तनाव पैदा करने के लिए जाम छलकाने वाले फोर्क से मज़ाक में ही कलापूर्ण पैंतरेबाज को छेड़ भर देते। चरित्र को ले कर ट्री की अवधारणा हमेशा उत्कृष्ट होतीं। भोंदू स्वेंगाली इसका नमूना था। वे इस वाहियात से लगने वाले चरित्र में सामने वाले को विश्वास करा देते और उसे न केवल हास्य से भर देते बल्कि कवितामय भी बना देते। आलोचकों का मानना था कि ट्री को व्यवहारों को परखने की अद्भुत समझ थी। यह सच है लेकिन वे उन्हें असरदार ढंग से इस्तेमाल करना भी जानते थे। जूलियस सीजर में उन्होंने जो व्याख्याएंं कीं, वे बौद्धिकतापूर्ण थीं। अंतिम संस्कार के दृश्य में उनका मार्क एन्टोनी भीड़ को परम्परागत जोश से संबोधित करने के बजाये उनके सिरों के ऊपर से सनक और भीतरी तिरस्कार से भरा लापरवाही से बात करता है।

जब मैं चौदह बरस का था तो मैंने ट्री को उनकी कई महान निर्मितियों की प्रस्तुति में देखा था। इसलिए जब कौन्टांस ने जब सर हरबर्ट, उसकी बेटी आइरिस और मेरे लिए एक छोटे से डिनर का आयोजन किया तो इस विचार से ही मैं उत्साहित हो गया था। हमें एलेक्जंड्रिया होटल में ट्री के कमरे में मिलना था। मैं जान बूझ कर देर कर रहा था और यह उम्मीद कर रहा था कि वहाँ पर तनाव कम करने के लिए कौन्टेंस होंगी ही, लेकिन जब सर हरबर्ट ने अपने कमरे में मेरी अगवानी की तो वे वहाँ अकेले थे। उनके साथ उनके फिल्म निर्देशक जॉन एमरसन ही थे।

"आहा, आओ, आओ चैप्लिन," सर हरबर्ट ने कहा,"मैंने कौन्सटांस से आपके बारे में बहुत कुछ सुना है।"

एमरसन से परिचय कराने के बाद उन्होंने बताया कि वे मैक्बैथ के कुछ दृश्यों पर बात कर रहे थे। जल्द ही एमरसन विदा हो गये और मैं अचानक शर्म के मारे पसीना-पसीना हो गया।

"क्षमा करना, मैंने आपको इंतज़ार कराया," सर हरबर्ट मेरे सामने वाली आरामकुर्सी में पसरते हुए बोले, "हम चुड़ैल वाले दृश्य के लिए इफेक्ट्स के बारे में चर्चा कर रहे थे।"

"ओह - ह: ह:।" मैं हकलाया।

"मेरा ख्याल है कि गुब्बारों के ऊपर की तरफ एक रस्सी बांध दी जाये और उस दृश्य इस तरह से प्रभावशाली बनेगा। क्या ख्याल है आपका?"

"ओह ह: ह: ह: बेशक शानदार!"

सर हरबर्ट एक पल के लिए रुके और मेरी तरफ देखने लगे।

"आप तो वाकई सफलता के शिखर पर विराजे हुए हैं, नहीं क्या?"

"ऐसा तो कुछ नहीं है," जैसे मैं माफी मांगते हुए मिमियाया।

"लेकिन पूरी दुनिया में आपकी धाक जमी हुई है। इंगलैण्ड में और फ्रांस में सैनिक आपके बारे में गीत तक गाते हैं।"

"ऐसा है क्या?" मैंने अपनी अज्ञानता का प्रदर्शन करते हुए कहा।

उन्होंने दोबारा मेरी तरफ देखा - शक और पूर्वाग्रह उनके पूरे चेहरे पर पसरे हुए थे। तभी वे उठे, कमरे से बाहर जाते हुए बोले, "कौंसटांस को देरी हो रही है। मैं फोन करके पूछता हूँ कि माजरा क्या है। इस बीच आप मेरी बेटी आइरिस से तो ज़रूर ही मिलें।"

मैंने राहत की सांस ली। इसकी वज़ह यह थी कि मेरे दिमाग में तो एक बच्चे की स्मृतियाँ थी जिससे मैं स्कूल और फिल्मों के बारे में अपने खुद के स्तर पर बात कर पाता। तभी एक लम्बा सा सिगरेट होल्डर लिये एक तन्वंगी नवयौवना ने कमरे में प्रवेश किया,"आप कैसे हैं मिस्टर चैप्लिन? मेरा ख्याल है मैं पूरी दुनिया में ऐसी अकेली लड़की हूँ जिसने आपको परदे पर नहीं देखा है।"

मैंने खींसें निपोरीं और अपना सिर हिलाया।

आइरिश स्कैंडिनेवियाई लगती थी। उसके फूले-फूले लाल रंगत लिये बाल थे, उभरी हुई नाक और हल्की नीली आँखें। उस वक्त उसकी उम्र अट्ठारह बरस की थी। वह बेहद आकर्षक थी और उसमें स्वाभाविक रूप से अंगड़ाई लेता अभिजात्य वर्ग वाला दर्जा था। पन्द्रह बरस की उम्र में उसकी कविताओं की किताब छप चुकी थी।

"कौंसटेंस आपके बारे में बहुत कुछ बताती रहती हैं।" कहा उसने।

मैंने एक बार फिर खींसें निपोरीं और सिर हिलाया।

आखिरकार, सर हरबर्ट लौटे और उन्होंने बताया कि चूँकि कौंसटैंस को कॉस्टÎूम फिटिंग्स के चक्कर में देर हो गयी है इसलिए वे नहीं आ पायेंगी और कि हमें उनके बिना ही खाना खाना होगा।

हे भगवान!! इन अजनबियों के बीच मैं रात कैसे गुजारूंगा?

जलते हुए इस ख्याल का बोझ अपने दिमाग पर लिये मैं उनके साथ चुपचाप कमरे से निकला। हम चुपचाप लिफ्ट में घुसे और चुपचाप ही डाइनिंग रूम में गये और वहाँ जा कर मेज़ पर इस तरह से बैठ गये मानो किसी की मैय्यत से अभी-अभी लौटे हों।

बेचारे सर हरबर्ट और आइरिश ने इस बात की भरपूर कोशिश की कि बातचीत में जान आ जाये। बेचारी ने कोशिश करनी ही छोड़ दी और आराम से बैठकर डाइनिंग रूम का मुआइजा करने लगी। काश, खाना ही परोस दिया जाता। खाते समय शायद मुझे इस भयावह तनाव से मुक्ति मिल जाती!! बाप-बेटी थोड़ी देर बात करते रहे। फिर उन्होंने साउथ ऑफ फ्रांस की और रोम की और साल्जबर्ग की बात की - क्या मैं वहाँ कभी गया हूँ? क्या मैंने मैक्स रेनहाईट प्रोडक्शन की कोई प्रस्तुति देखी है?

मैंने जैसे माफी मांगते हुए सिर हिलाया।

ट्री ने अब मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, "पता है, आपको खूब घूमना चाहिए।"

मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास घूमने के लिए वक्त ही नहीं बचता है। तब मैंने बातचीत का सिरा पकड़ा," देखिये, सर हरबर्ट, मेरी सफलता इतनी अचानक रही है कि मैं सफलता के साथ-साथ चल पाने में भी वक्त की कमी महसूस कर रहा हूँ। लेकिन जब मैं चौदह बरस का बच्चा था तो मैंने आपको स्वेंगाली के रूप में, फागिन के रूप में, एन्टोनी के रूप में और फालस्टाफ के रूप में देखा था। कुछ नाटक तो मैंने कई कई बार देखे थे और तब से आप मेरे लिए आदर्श प्रतिमा रहे हैं। मैं आपको स्टेज से परे देखने की कल्पना भी नहीं कर सकता था। आप की दंत कथा की तरह थे। और आज रात लॉस एंजेल्स में आपके साथ बैठकर भोजन करना मुझे खुशियों से भर रहा है।"

ट्री अभिभूत हो गये "वाकई!!" वे बार बार कहते रहे, "वाकई!!"

उस रात के बाद से हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये। वे अक्सर मुझे बुलवा भेजते, और तब हम तीनों, आइरिस, सर हरबर्ट और मैं इकट्ठे बैठ कर खाना खाते। कई बार कौंसटेंस भी आ जाती तो हम विक्टर ह्यूगो के रेस्तरां में चले जाते और कॉफी की चुस्कियां लेते हुए भावपूर्ण चैम्बर म्यूजिक सुनते।

मुझे कांसटैंस से डगलस फैयरबैंक्स के आकर्षण और योग्यता के बारे में बहुत कुछ पता चला था, न केवल व्यक्तित्व के बारे में बल्कि डिनर के बाद होने वाले मेधावी भाषण कर्ता के रूप में भी। उन दिनों मैं मेधावी युवकों, खास तौर पर डिनर के बाद भाषण देने वालों को पसंद नहीं करता था, अलबत्ता, डिनर का इंतज़ाम उन्हीं के घर पर था।

डगलस और मैंने उस रात को एक बहाना मारा। जाने से पहले मैंने कांसटेंस से यह बहाना बनाया कि मैं बीमार हूं, लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी। इसलिए मैंने तय किया कि मैं सिरदर्द का नाटक करूंगा और जल्दी निकल जाऊंगा। फेयरबैंक्स ने कहा कि वे भी बहुत नर्वस हैं और कि जिस वक्त दरवाजे की घंटी बजी तो वे जल्दी से तलघर में सरक लिये। वहां पर एक बिलियर्ड की मेज़ रखी थी। उन्होंने पूल खेलना शुरू कर दिया। उस रात आजीवन चलने वाली मित्रता की शुरुआत थी।

ये बिना वज़ह ही नहीं था कि डगलस ने जनता की कल्पना और प्यार पर अधिकार जमाया। उनकी फिल्मों की आत्मा, उनका आशावाद और उनके अमोघ अर्थ अमेरिकी रुचि के बहुत निकट पड़ते थे और निश्चित ही ये पूरी दुनिया की रुचि के भी निकट पड़ते थे। उनमें असाधारण चुम्बकीय शक्ति और आकर्षण थे और उनमें असली लड़कपन वाला उत्साह था जिसे उन्होंने जनता तक पहुंचाया। जैसे जैसे मैं उन्हें अंतरंगता से जानने लगा, मैंने पाया कि वे हद दर्जे के ईमानदार थे क्योंकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वे स्नॉब रहने में आनंद अनुभव करते हैं और कि सफल आदमियों में उनक प्रति आकर्षण है।

हालांकि डगलस बहुत अधिक लोकप्रिय थे, वे खुले दिल से दूसरों की मेधा की तारीफ किया करते थे लेकिन अपनी खुद की मेधा के बारे में विनम्र रहते। वे अक्सर कहते कि मैरी और मुझमें जीनियस है जबकि खुद उनमें मामूली सी ही बुद्धि है। हालांकि ये सच नहीं था। डगलस सृजनशील थे और अपने काम बड़े पैमाने पर किया करते थे।

उन्होंने रॉबिन हुड के लिए दस एकड़ का सेट बनवाया था। ये बहुत बड़े बड़े कंगूरों और बंद होने वाले पुलों से लैस एक महल जैसा था। अब तक कोई इतना बड़ा महल अस्तित्व में भी नहीं रहा होगा। बहुत गर्व के साथ डगलस ने मुझे बंद होने वाला विशाल पुल दिखाया। "अद्भुत," मैंने कहा,"मेरी किसी कॉमेडी के लिए कितनी शानदार शुरुआत रहेगी। बंद होने वाला पुल नीचे आता है और मैं बिल्ली बाहर निकालता हूं और दूध भीतर लेता हूं।"

उनके बिल्कुल ही अलग-अलग तरह को दोस्त थे। इनमें काउबॉय से ले कर राजाओं तक का शुमार होता। वे उन सबमें अच्छे अच्छे गुण तलाश ही लेते। उनका दोस्त चार्ली मैक, जो एक काउबॉय था, लापरवाह, बड़बोला किस्म का शख्स, वह डगलस का बहुत मनोरंजन किया करता। जिस समय हम डिनर कर रहे होते, चार्ली दरवाजे में जा खड़ा होता और कहता, "आपक्के पास तो ये बढ़िया जगह है डग," तब वह डाइनिंग रूम में चारों तरफ निगाह फेरता, "बस, एक ही दिक्कत है कि ये फायर प्लेस से इतनी दूर है कि आप यहां बैट्ठ कर सीद्धे फायर प्लेस में थूक नहीं सकते।" तब वह अपने पंजों के बल उचक कर खड़ा हो जाता और हमें बताता कि उसकी बीवी उस पर क्रूरता के आधार पर तल्लाक के लिए केस कर रही है। मैं कहता हूं कि जज्ज महाशय, इस औरत की कानी उंगली में जितनी क्रूरता भरी हुई है, उतनी क्रूरता तो मेरे पूरे बद्दन में भी नहीं है। और किस्सी भी मोहतरमा ने आज तक मुझ पर इतनी बंदूकें नहीं तानी हैं जितनी इस्स साली ने तानी हैं। इसने मुझे जान बचाने के लिए हमारे उस ओल पेड़ के चारों तरफ इतने चक्कर कटवाये हैं कि वो पेड़ ही छलनी हो गया है और अब उसके आर पास देख सकते हैं।" मुझे ऐसा लगता है कि चार्ली डगलस के घर पर आने से पहले अपनी इस मसखरी के लिए अभ्यास करके आते होंगे।

डलगस का घर एक शूटिंग लॉज रहा था।ये एक पहाड़ी के बीचों बीच बना हुआ दो मंज़िला बंगला था। ये पहाड़ी उन दिनों बेवरली हिल्स कहलाती थी और झाड़ियों से भरी बंजर पहाड़ी थी। खारेपन और सेजब्रश की झाड़ियों से एक बदबू, खट्टी महक आती रहती जिससे गला शुष्क रहता और नासिका में खुजली मची रहती।

उन दिनों बेवरली हिल्स उजाड़ रीयल एस्टेट विकास की मानिंद लगती। गलियां खूब थीं और वे खेतों में जा कर गुम हो जातीं। सफेद गोलों वाले लैम्प पोस्ट सूनसान गलियों की शोभा बढ़ाते। ज्यादातर ग्लोब गायब ही होते क्योंकि उन्हें सड़क के किनारे रहने वाले मौज मनाने वालों का निशाना बना दिया जाता।

डगलस बेवरली हिल्स पर रहने वाले पहले फिल्मी कलाकार थे। वे अक्सर मुझे सप्ताहांत में वहां रहने के लिए बुलवा लेते। रात को मैं अपने बेडरूम में से भेड़ियों के चीखनें की आवाजें सुनता। वे झुंड के झुंड कचरे के टिन पर हल्ला बोलते। उनकी चीखें डरावनी होतीं जैसे कोई छोटी छोटी घंटियां टुनटुना रहा हो।

उनके पास हमेशा ही दो या तीन ठलुए टिके रहते। टॉम गेराहटी, जो उनकी पटकथाएंं लिखा करता था, कार्ल, एक भूतपूर्व ओलम्पिक एथलीट, और दो एक काउबॉय। टॉम, डगलस और मुझमें तीन तिलंगों वाली यारी थी।

रविवारों की सुबह डगलस टट्टुओं का एक दस्ता तैयार कराते और हम सब अल सुबह अंधेरे में ही जाग जाते और सूर्योदय देखने के लिए पहाड़ी की तरफ निकल पड़ते। काउबॉय घोड़ों का दाना पानी करते और कैम्प फायर जलाते, कॉफी, हॉटकेक और शूकरी के पेट का नाश्ता तैयार करते। जिस समय हम सूर्योदय होता हुआ देखते, डगलस लम्बी लम्बी डींगें हांकते और मैं नींद की कमी के लतीफे सुनाता और ये तर्क देता कि सूर्योदय देखने का असली मज़ा तो किसी महिला के साथ ही है। इसके बावजूद सुबह सवेरे की ये यात्राएं बहुत रोमांटिक होतीं। डगलस ही ऐसे अकेले व्यक्ति थे जो मुझे घोड़े पर सवार करवा पाये, मेरी इन शिकायतों के बावजूद कि दुनिया भर में इस पशु के प्रति कुछ ज्यादा ही संवेदनशीलता दिखायी गयी है जबकि ये जानवर कमीना है और चिड़चिड़ा है और इसका दिमाग भोंदू का है।

ये उस वक्त की बात है जब वे अपनी पहली पत्नी से अलग हुए थे। शाम के वक्त वे अपने दोस्तों को खाने पर बुलवा लेते। इन दोस्तों में मैरी पिकफोर्ड भी होतीं जिन पर वे उन दिनों बुरी तरह से आसक्त थे। वे दोनों ही इस बारे में डरे हुए खरगोशों की तरह व्यवहार करते। मैं उन्हें सलाह दिया करता कि वे शादी वादी के चक्कर में न पड़ें और एक साथ रहते रहें और अपने अपने दायरे से बाहर निकलें। लेकिन वे मेरी परम्परा के खिलाफ वाली सलाह को नहीं मान पाये। मैंने उनकी शादी के खिलाफ इतने ज़ोरदार शब्दों में कहा था कि जब आखिर में उन्होंने सचमुच शादी की तो सब दोस्तों को बुलवाया था, बस, मैं ही नहीं बुलाया गया था।

उन दिनों डगलस और मैं अक्सर घिसे पिटे दर्शन बघारने में लगे रहते और मैं जीवन की नश्वरता के अपने तर्क पर टिका रहता। डगलस ये मानते थे कि हमारी ज़िंदगियां तय हैं और कि हमारी नियति महत्त्वपूर्ण है। जिस वक्त डगलस इस रहस्यमय उत्तेजना में घिरे होते तो मुझ पर इसका विपरीत असर होता। मुझे गर्मियों की एक गर्म रात की बात याद है। हम दोनों एक बड़ी-सी पानी की टंकी के ऊपर चढ़ गये और वहां पर बैठ कर बेवरली के जंगली फैलाव में बातें करते रहे। तारे रहस्यमय रूप से चमकीले थे और चंद्रमा उदास था और मैं कह रहा था कि जीवन का कोई मकसद नहीं है।

"देखो," डगलस जोश से पूरी कायनात को अपने इशारे की जद में लेते हुए बोले, "चंद्रमा, और वहां पर तारों का झुरमुट, तय है कि इस सारे सौन्दर्य के पीछे कोई न कोई वज़ह तो होगी ही। ये सब किसी न किसी नियति की परिपूर्णता की ओर जा रही होंगी। ये सब किसी न किसी बेहतरी के लिए होंगे और तुम और मैं इसके हिस्से ही हैं।" तब अचानक ही प्रेरित हो कर वे मेरी तरफ मुड़े, "बताओ तुम्हें ये मेधा किस लिये दी गयी है? मोशन फिल्मों का ये आश्चर्यजनक माध्यम जो पूरी दुनिया में लाखों करोड़ों लोगों तक पहुंचता है!!"

"तो ये लुइस बी मेसर और वार्नर बंधुओं को भी क्यों दी गयी है?" मैंने कहा और डगलस हँस दिये।

डगलस असाध्य रूप से रोमांटिक व्यक्ति थे। उनके साथ सप्ताहांत बिताते समय कई बार मुझे तीन बजे गहरी नींद से जगा दिया जाता और मैं धुंध के बीच देखता कि लॉन में हवाईयन आर्केस्ट्रा बज रहा है। मैरी को प्रेम गीत सुनाये जा रहे हैं। ये बहुत प्रिय लगता लेकिन उस वक्त इसकी भावना में प्रवेश करना मुश्किल होता खास कर तब जब आप खुद व्यक्तिगत रूप से उससे जुड़े हुए न हों। लेकिन लड़कपन की ये हरकतें उन्हें प्रिय व्यक्ति बनातीं।

डगलस स्पोर्ट भी बहुत पसंद करते थे। अपनी खुली कैडिलैक कार की पिछली सीट पर वुल्फहाउंड और पुलिस कुत्ते रखते थे। वे सचमुच इस तरह की चीजें पसंद करते थे।

हॉलीवुड तेज़ी से लेखकों, अभिनेताओं और बुद्धिजीवियों की मक्का मदीना बनता जा रहा था। पूरी दुनिया से लब्ध प्रतिष्ठ लेखक वहां आते: सर गिल्बर्ट पारकर, विलियम जे लॉक, रैक्स बीच, जोसेफ हरगेशीमर, सॉमरसेट मॉम, गोवरनीयर मॉरिस, इबानेज़, एलिनॉर ग्लिन, एडिथ व्हारटन, कैथलीन नॉरिस और कई अन्य।

सॉमरसेट मॉम ने कभी भी हॉलीवुड में काम नहीं किया लेकिन उनकी कहानियों की बहुत मांग रहती। हालांकि वे साउथ सी आइलैंड में जाने से पहले कई हफ्ते तक वहां रहे थे। साउथ सी आइलैंड में ही उन्होंने अपनी यादगार कहानियां लिखीं। एक बार डिनर के वक्त उन्होंने डगलस और मुझे सैडी थॉम्पसन कहानी सुनायी थी। उनका कहना था कि ये वास्तविक तथ्यों पर आधारित है। बाद में इस कहानी का रेन के नाम से ड्रामा भी बना था। रेन को मैं हमेशा एक आदर्श नाटक मानता हूं। रेवरेंड डेविडसन और उनकी पत्नी को खूबसूरती से परिभाषित किया गया है। वे सैडी थाम्पसन से भी अधिक रोचक बन पड़े हैं। रेवरेंड डेविडसन की भूमिका में ट्री कितने शानदार लगते। उन्होंने इस भूमिका को विनम्र, बेरहम, चापलूस और आतंकित करने वाले तरीके से निभाया होता।

इसी हॉलीवुड परिवेश में बना हुआ था हॉलीवुड होटल। ये जगह बेहद घटिया, बेतरतीब और बखार जैसी थी। ये अचानक ही भौंचक देहाती छोकरी की तरह प्रमुखता में आ गयी थी और सोना उगल रही थी। यहां पर कमरे हमेशा सामान्य दर से ज्यादा पर मिलते। उसका कारण सिर्फ यही था कि लॉस एंजेल्स से हॉलीवुड को जाने वाली सड़क एकदम अलंघ्य थी और कलम के ये धनी लोग स्टूडियो के आस पास रहना चाहते। लेकिन वहां पर हर कोई खोया हुआ लगता मानो सब के सब गलत पते पर आ गये हों।

वहां पर एलिनॉर ग्लिन ने दो कमरों पर कब्जा जमा रखा था। उन्होंने एक कमरे को बैठक की शक्ल दे रखी थी। तकियों को उन्होंने पेस्टल के से रंग के कपड़े से मढ़ दिया था और ये तकिये बिस्तर पर फैला दिये थे ताकि इससे सोफे का अहसास हो। वे अपने मेहमानों की आवाभगत यहीं पर करती थीं।

मैं एलिनॉर से पहली बार तब मिला था जब उन्होंने दस व्यक्तियों को डिनर पर बुलाया था। हमें डाइनिंग रूम में खाना खाने जाने से पहले उनके कमरों में ही कॉकटेल के लिए मिलना था। मैं ही वहां सबसे पहले पहुंचा था। "आह," अपने हाथों में मेरा चेहरा भरते हुए और जानबूझ कर नज़र भर देखते हुए कहा उन्होंने,"मैं तुम्हें जी भर कर निहार तो लूं। कितने असाधारण। मैं तो सोचती थी कि तुम्हारी आंखें भूरी हैं लेकिन ये तो एकदम नीली हैं।"

हालांकि शुरू शुरू में वे अति उत्साही लगीं लेकिन मैं उनका काफी मुरीद हो गया।

एलिनॉर हालांकि अंग्रेजी समाज में काफी प्रतिष्ठित नाम था, फिर भी उन्होंने अपने उपन्यास थ्री वीक्स से एडवर्डकालीन समाज को झटका दिया था। उसका नायक पॉल, अच्छे भले घर का अंग्रेज है जिसका रानी से प्रेम प्रसंग चल रहा है। बूढ़े राजा से शादी करने से पहले वह उसके साथ अंतिम बार रंगरेलियां मनाता है। बालक क्राउन पिंस गुप्त रूप से पॉल का ही बेटा है।

जब हम उनके मेहमानों का इंतज़ार कर रहे थे, एलिनॉर मुझे दूसरे कमरे में ले कर गयीं जहां पर दीवारों पर पहले विश्व युद्ध के युवा अंग्रेज अधिकारियों की तस्वीरें फ्रेम में मढ़ी हुई लगी हुई थीं। सारे तस्वीरों पर चलताऊ निगाह मारते हुए वे बोलीं,"ये सब के सब मेरे पॉल हैं।"

वे तंत्र मंत्र में बहुत विश्वास करती थीं। मुझे एक दोपहर की याद है। मैरी पिकफोर्ड थकान और नींद न आने की शिकायत कर रही थीं। हम मैरी के ही बेडरूम में थे।

"मुझे उत्तर दिशा दिखाओ," एलिनॉर ने आदेश दिया। तब उन्होंने बहुत आहिस्ता से अपनी उंगली मैरी की भौंह पर रखी और बार-बार कहने लगीं,"अब वह गहरी नींद में है।" डगलस और मैं आगे सरक आये और मैरी को देखने लगे। उसकी आंखें फड़फड़ा रही थीं। मैरी ने बाद में हमें बताया था कि उसे एक घंटे से भी ज्यादा तक नींद में होने का नाटक करना पड़ा था क्योंकि एलिनॉर कमरे में ही मौजूद थीं और उस पर निगाह रखे हुए थीं।

एलिनॉर की ख्याति सनसनीखेज शख्सियत के रूप में थीं। लेकिन कोई भी उसने अधिक संतुलित नहीं था। फिल्मों के लिए उनकी व्यापक संकल्पनाएं किशोरियों जैसी और नौसिखियापन लिये हुए थीं। महिलाएं अपनी भौहें अपने-अपने प्रेमी के गालों पर रगड़ रही हैं और चीते की खाल के कालीनों पर प्रेम में व्याकुल हो रही हैं।

हॉलीवुड के लिए उन्होंने जो तीन फिल्में लिखी थीं, वे समयातीत प्रकृति की थीं। पहली का नाम था थ्री वीक्स, दूसरी का नाम हिज़ आवर और तीसरी का नाम था हर मोमेंट। हर मोमेंट में भयंकर विवाद हो गया। कहानी में दिखाया गया था कि एक प्रतिष्ठित महिला, जिसकी भूमिका ग्लोरिया स्वैनसन ने निभायी थी, की शादी एक ऐसे आदमी से होने वाली है जिसे वह प्यार नहीं करती। उनकी तैनाती एक घने जंगल में है। एक दिन वह अकेली ही घुड़सवारी के लिए निकल जाती है। चूंकि उसे वनस्पतियों में दिलचस्पी है, वह अपने घोड़े से उतरती है ताकि एक दुर्लभ फूल का मुआइना कर सके। जैसे ही वह फूल पर झुकती है, एक खतरनाक वाइपर सांप आता है और उसके दायें सीने पर डंस देता है। ग्लोरिया अपना सीना दबोचती है और मदद के लिए पुकारती है। ये चीखें वही आदमी सुन लेता है जिससे वह प्यार करती है। संयोग से वह वहीं से गुज़र कर जा रहा होता है। इस भूमिका में खूबसूरत टॉमी मैघम थे। तुंत वे झाड़ी के पीछे से आते हैं।

"क्या हुआ?"

वह जहरीले सांप की तरफ इशारा करती है,"मुझे काट खाया है।"

"कहां?"

वह अपने सीने की तरफ इशारा करती है।

"ये तो सब सांपों से भी ज्यादा जहरीला है।" टॉमी कहते हैं। निश्चित रूप से उनका मतलब सांप से ही है,"जल्दी जल्दी ही कुछ करना होगा। एक मिनट भी बरबाद करने को नहीं है।"

वे डॉक्टर से मीलों दूर हैं। और ऐसे मौके पर रक्तबंध का जो सामान्य उपचार होता है कि प्रभावित हिस्से पर रुमाल बांध कर खून में जहर को फैलने से रोका जाये, संभव नहीं है। अचानक ही वे उसे उठाते हैं, नायिका की कमीज को फाड़ते हैं और उनकी नरम गोरी गोलाई अनावृत करते हैं। तब वे कैमरे की बदतमीज निगाह से बचाने के लिए उसका चेहरा दूसरी तरफ करते हैं, उस पर झुकते हैं और उनका मुंह जहर चूसने लगता है और जैसे जैसे वे जहर चूसते हैं, थूकते चलते हैं।

इस चूसन ऑपरेशन के परिणाम स्वरूप वह उससे शादी कर लेती है।