मेरी आत्मकथा / अध्याय 27 / चार्ली चैप्लिन / सूरज प्रकाश

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मैं सुबह पांच बजे के रोमांटिक वक्त पर क्वीन एलिजाबेथ जहाज पर चढ़ा। मैं सम्मन देने वालों से बचने के लिए ही ऐसे वक्त पर अपनी यात्रा शुरू कर रहा था। मेरे वकील ने हिदायत दी थी कि मैं चुपके से जहाज पर चढ़ूं, अपने आपको सुइट में बन्द कर लूं और तब तक डेक पर न आऊं जब तक पालयट न उतर जाये। मुझे पिछले दस बरस से हर तरह की खराब बातों की आदत पड़ चुकी थी, इसलिए मैंने उसकी बात मान ली।

मैं अपने परिवार के साथ जहाज के विशाल आकार को उस वक्त चलते देखने का आनंद लेना चाहता था जब वह वहां से छूटता और एक दूसरी दुनिया में प्रवेश करता। इसके बजाये, मैं डर के मारे अपने केबिन में छुपा हुआ था और पोर्टहोल में से झांक रहा था।

दरवाजा खटखटाते हुए ऊना ने कहा, 'मैं हूं।'

मैंने दरवाजा खोला।

'जिम एगी अभी-अभी हमें विदाई देने के लिए आए हैं। वे डैक पर खड़े हैं। मैंने चिल्ला कर उन्हें बताया कि आप सम्मन देने वालों से छुपे हुए हैं और पोर्टहोल में से आपकी तरफ देख कर हाथ हिलाएंगे। वे तटबंध के आखिर में खड़े हुए हैं।' ऊना ने बताया।

मैंने जिम को लोगों की भीड़ से थोड़ा अलग हटकर खड़े हुए देखा। वे तेज़ धूप में जहाज का मुआयना कर रहे थे। मैंने जल्दी से अपना फेडोरा हैट लिया और पोर्टहोल में से अपनी बांह निकाल कर हाथ हिलाया। ऊना दूसरे पोर्टहोल में से देख रही थी। 'नहीं, उन्होंने आपको अभी भी नहीं देखा है।' ऊना ने बताया।

और जिम मुझे कभी नहीं देख पाये। ये आखिरी बार था कि मैं जिम को देख रहा था। दुनिया से अलग अकेले खड़े हुए। ताकते हुए और खोजते हुए। दो बरस बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गयी थी।

और आखिर हमने अपनी यात्रा शुरू की। पायलट के जाने से पहले ही मैंने दरवाजा खोला और डेक पर एक आज़ाद आदमी की तरह आ गया। सामने थीं आकाश छूती न्यू यार्क की इमारतें। अकेली और विशाल, धूप में मुझसे दूर जाती हुईं और हर पल और अधिक खूबसूरत होती हुईं। विशाल महाद्वीप धुंध में गायब हो रहा था और मुझे एक अजीब एहसास से भर रहा था।

हालांकि मैं अपने परिवार के साथ इंगलैंड जाने की उम्मीद से ही उत्साहित था, मैं सुखद रूप से राहत भी महसूस कर रहा था। अटलांटिक का विस्तार मन को राहत दे रहा था। मुझे लगा, मानो मैं कोई दूसरा ही व्यक्ति हूं। मैं अब फिल्मी दुनिया का मिथक नहीं रहा था न ही बदनामी का निशाना, बल्कि मैं एक शादीशुदा आदमी था जो अपने बीवी-बच्चों के साथ छुट्टी मनाने निकला है। बच्चे ऊपरी डेक पर खेलने में व्यस्त थे जबकि मैं और ऊना डेक की कुर्सियों पर बैठे हुए थे और इसी मूड में मुझे परम प्रसन्नता का अनुभव हुआ - ये एहसास उदासी के बहुत निकट था।

हम उन दोस्तों के बारे में बहुत स्नेह से बातें करते रहे जिन्हें हम पीछे छोड़ आये थे। यहां तक कि हमने आप्रवास विभाग में मिले मित्रवत व्यवहार की भी बात की। आदमी छोटे-छोटे सौजन्य के आगे कितनी आसानी से झुक जाता है। दुश्मनी पालना कितना मुश्किल होता है।

ऊना और मैंने यह सोचा था कि हम लम्बी छुट्टी लेंगे और अपने आप को प्रसन्नता के हवाले कर देंगे। लाइमलाइट को लांच करने के कार्यक्रम के साथ हमारी छुट्टियां बेमतलब नहीं होने वाली थी। जब आपको पता हो कि आप आनंद को कारोबार के साथ मिला रहे हैं तो बेहद खुशी होती है।

अगले दिन इससे बेहतर लंच नहीं हो सकता था। हमारे मेहमान थे आर्थर रुबिनस्टेन दम्पत्ति और एडोल्फ ग्रीन लेकिन अभी खाना चल ही रहा था कि हेरी क्रोकर को एक तार थमाया गया। क्रोकर तार को अपनी जेब के हवाले करने ही वाला थे कि संदेशवाहक ने कहा: वे वायरलेस पर इसके उत्तर का इंतजार कर रहे हैं। तार पढ़ते समय क्रोकर के चेहरे पर बादल घिर आये, उसने माफी मांगी और मेज से उठ कर चला गया। बाद में क्रोकर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और तार पढ़ा। तार में लिखा था कि मुझे युनाइटेड स्टेट्स में प्रवेश करने की मनाही की जा रही है और देश में फिर से प्रवेश करने से पहले मुझे राजनैतिक प्रकृति और नैतिक मूल्यों के आरोपों के उत्तर देने के लिए आप्रवास विभाग के जांच बोर्ड के सामने जाना होगा। युनाइटेड प्रेस जानना चाहती थी कि मुझे क्या इस बारे में कुछ कहना है।

मेरी शिराएं तन गयीं। अब मेरे लिए ये बात कोई मायने नहीं रखती थी कि मैं नाखुशी देने वाले उस देश में फिर से जाता हूं या नहीं। मैंने उन्हें बताया होता कि मैं उनके दमघोंटू माहौल से जितनी जल्दी बाहर आता, उतना ही बेहतर होता और मैं अमेरिका से मिले अपमान और नैतिक आडम्बर से थक चुका था और कि पूरा का पूरा मामला ही बोर करने वाला था। लेकिन मुसीबत यह थी कि मेरा जो कुछ भी था, वह सब कुछ स्टेट्स में ही था और मुझे डर था कि वे उसे जब्त करने का कोई तरीका न निकाल लें। अब मैं किसी भी शरारतपूर्ण कार्रवाई की उम्मीद कर सकता था। इसलिए मैंने आत्म प्रदर्शन से भरा एक बयान जारी किया कि मैं वापिस आऊंगा और उनके आरोपों का जवाब दूंगा और कि मेरा री-एंट्री परमिट कागज़ का कोई ऐसा वैसा टुकड़ा नहीं बल्कि युनाइटेड स्टेट्स सरकार द्वारा सदाशयता में मुझे दिया गया एक दस्तावेज है, वगैरह वगैरह।

अब जहाज पर आराम मिलने का सवाल ही नहीं था। दुनिया के सभी हिस्सों से प्रेस रेडिओग्राम बयान मांग रहे थे। साउथम्पटन से एक स्टॉप पहले चेरबर्ग में सौ या उससे भी अधिक यूरोपियन पत्रकार साक्षात्कार लेने के लिए जहाज पर चढ़ आये। हमने लंच के बाद बुफे रूम में उन्हें एक घंटा दिये जाने की व्यवस्था की। हालांकि उनका व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण था, पूरी कार्रवाई शुष्क और थका देने वाली थी।

साउथम्पटन से लंदन की यात्रा बेचैन रहस्य से भरी हुई थी। युनाइटेड स्टेट्स से बाहर कर दिये जाने से महत्त्वपूर्ण मेरी चिंता यह थी कि अंग्रेजी देश को पहली बार देखना ऊना और बच्चों को कैसा लगेगा। कई बरसों तक मैं इंगलैंड के दक्षिण पश्चिमी हिस्से, डेवनशायर तथा कॉर्नवेल की असीम खूबसूरती के गुणगान करता आया था और अब हम लाल ईंटों वाली इमारतों और पहाड़ी पर बने एक जैसे घरों की कतारों के पास से गुज़र रहे थे। कहा ऊना ने, 'ये सब एक जैसी दिखती हैं!'

'हमें एक मौका दो,' कहा मैंने, 'हम तो अभी साउथम्पटन के बाहर ही हैं।' और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गये, इलाके और अधिक खूबसूरत होते चले गये।

जब हम लंदन में वॉटरलू स्टेशन पर पहुंचे, हमें प्यार करने वाली भीड़ अभी भी वहां जुटी हुई थी और वे पहले की ही तरह प्रेम भाव से भरे और उत्साह से खड़े थे। जब हम स्टेशन से बाहर निकले तो वे हाथ हिला रहे थे और खुशी से चिल्ला रहे थे। किसी एक ने कहा, 'चार्ली वे तुम्हारा प्यार चाहते हैं, उन्हें दो।' सचमुच ये दिल को छू लेने वाला मामला था।

आखिर जब ऊना और मैं एक अकेले हुए, तो हम सेवाय होटल की पांचवीं मंज़िल पर अपने सुइट की खिड़की पर आ खड़े हुए। मैंने नये वाटरलू ब्रिज की तरफ इशारा किया। हालांकि ये सुंदर था फिर भी अब मेरे लिए बहुत मायने नहीं रखता था, बस एक ही बात थी कि इसकी सड़क मेरे बचपन की ओर जाती थी। हम चुपचाप खड़े रहे और इस पूरी दुनिया में शहर के सबसे अधिक छू लेने वाले दृश्य को देखते हुए पीते रहे। मैंने पेरिस में प्लेस दे ला कोन्कोर्ड की रुमानी उत्कृष्टता की तारीफ की है, न्यू यार्क में सूर्यास्त में हज़ारों चमकती खिड़कियों से रहस्यपूर्ण संदेश महसूस किये हैं लेकिन हमारे होटल की खिड़की से लंदन टेम्स का नज़ारा मेरे लिए इन सब दृश्यों से कहीं अधिक रोमानी था - कुछ ऐसा, जो बेहद मानवीय था।

ऊना जब इस दृश्य को निहार रही थी तो मैंने उसकी तरफ देखा। उसका चेहरा उत्साह से तन गया था और वह अपनी सत्ताइस बरस की उम्र से छोटी लग रही थी। हमारी शादी के बाद से वह मेरे साथ कई मुसीबतों से गुज़र कर आयी थी और इस वक्त वह लंदन को निहार रही थी,धूप उसके काले बालों से खेल रही थी। मैंने पहली बार उसके एक-दो सफेद बाल देखे। मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन उस वक्त मैंने अपने आप को उसके प्रति पूरी तरह से समर्पित पाया जब उसने कहा, 'मुझे लंदन अच्छा लगा है।'

पिछली बार जब मैं यहां आया था तब से बीस बरस का अरसा गुज़र चुका था। मेरी निगाह में नदी के मोड़ और तटों की रेखाएं भद्दी आधुनिक इमारतों से घिर गयी थीं और इससे आकाश को छूती दृश्यावली खराब लगने लगी थी। मेरे बचपन का आधा हिस्सा इसके विशाल खाली हिस्सों की झुलसती शामों में गुज़रा था।

जिस वक्त ऊना और मैं लीस्टर स्क्वायर और पिकैडिली में घूम रहे थे ये जगह भड़कीली अमेरिकी चीज़ों, लंच काउंटरों, हॉटडॉग स्टैंडों और मिल्क बारों से अटी पड़ी थी। हमने पाया कि बिना हैट पहने युवा लड़के और जीन्स पहने लड़कियां वहां तफरीह कर रहे थे। मुझे याद आया, जब वेस्ट एण्ड के लिए मैं तैयार हुआ करता था और पीले दस्ताने और छड़ी लेकर वहां चहल कदमी करता था। वे दिन अब हवा हो गए थे और उसकी जगह पर आंखें कुछ और ही देख रही थीं। हमारी भावनाएं दूसरी थीमों पर प्रतिक्रिया देती हैं। आदमी जॉज सुनकर रोते हैं और हिंसा कामुक हो गयी है। समय बीतता रहता है।

हम टैक्सी लेकर तीन पाउनॉल टैरेस देखने के लिए केनिंगटन गये लेकिन घर खाली पड़ा था और इसे गिराया जाने वाला था। हम 287केनिंगटन रोड के आगे रुके। यहां पर सिडनी और मैं अपने पिता के साथ रहा करते थे। हम बेलग्राविया के आगे से गुज़रे और जहां कभी पुराने शानदार प्रायवेट घर हुआ करते थे, उनके कमरों में अब निओन बत्तियां जल रही थीं और क्लर्क डेस्कों पर काम कर रहे थे: बाकी घर गिरा दिये गये थे और उनके जगह पर ग्लास टैंक जैसी लम्बोतरी इमारतें और ऊपर की ओर उठती माचिस की तरह की सीमेंट की इमारतें नज़र आ रही थीं। ये सब प्रगति के नाम पर हो रहा था।

हमारे सामने कई समस्याएं थीं: पहली थी: स्टेट्स से धन बाहर कैसे निकाला जाये। इसका मतलब, ऊना को विमान से वापिस कैलिफोर्निया जाना होगा और हमारे सेफ डिपाज़िट बॉक्स से सब कुछ निकालना होगा।

उसे गये हुए दस दिन हो गये थे। जब वह वापिस आयी तो उसने मुझे विस्तार से बताया कि क्या हुआ था। बैंक में क्लर्क ने उसके हस्ताक्षरों का अध्ययन किया, उसकी तरफ देखा, वहां से गया और बैंक मैनेजर के साथ गुपचुप बात करता रहा। ऊना तब तक बेचैनी महसूस करती रही जब तक उन्होंने हमारा डिपाज़िट बॉक्स खोल नहीं दिया।

उसने बताया कि बैंक में अपना काम पूरा कर लेने के बाद वह बेवरली हिल्स पर अपने घर गयी। सब कुछ वैसा ही था जैसा हम छोड़ कर आये थे और फूल और मैदान प्यारे लग रहे थे। वह बैठक में एक पल के लिए अकेली खड़ी रही और बहुत भावुक हो गयी। इसके बाद वह स्विस बटलर हैनरी से मिली। हैनरी ने उसे बताया कि हमारे जाने के बाद एफबीआइ के आदमी दो बार आये थे और उससे पूछताछ करते रहे। वे जानना चाहते थे कि मैं किस किस्म का आदमी हूं और कि क्या उसे पता है कि घर पर नंगी लड़कियों की पार्टियां हुआ करती थीं। जब बटलर ने उन्हें बताया कि मैं अपनी पत्नी और परिवार के साथ शांत जीवन बिताया करता था तो वे उसकी खिंचाई करने लगे और उससे उसकी राष्ट्रीयता पूछने लगे और जानना चाहा कि वह कब से इस देश में था। उन्होंने उससे उसका पासपोर्ट भी देखने के लिए मांगा।

ऊना ने बताया कि जब उसने ये सब कुछ सुना तो घर के प्रति उसका जो भी मोह था, वहीं और उसी वक्त चूर-चूर हो गया। यहां तक कि हमारी नौकरानी हैलन ऊना के बाहर निकलते समय रो रही थी, उसके आंसू भी ऊना को वहां से तुरंत निकलने से रोक नहीं पाये।

मित्र मुझसे पूछते हैं कि मैं इस अमेरिकी विरोध का शिकार कैसे बना। मेरा मासूम पाप यही था और है भी कि मैं समझौतापरस्त नहीं हूं। हालांकि मैं कम्यूनिस्ट नहीं हूं फिर भी मैं उनके विरोध में खड़ा होने से इन्कार करता रहा। इससे कई लोगों को वाकई तकलीफ हुई और तकलीफ पाने वालों में अमेरिकी लीज़न के लोग भी थे। मैं उस संगठन के वास्तविक सकारात्मक कामों में उसके खिलाफ़ नहीं हूं। उन्होंने अच्छे काम भी किये हैं। भूतपूर्वक सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों के ज़रूरतमंद बच्चों के लाभ के लिए अधिकार का विधेयक लाना और जो उपाय किये गये हैं, वे बहुत शानदार और मानवीय हैं। लेकिन लीज़न के लोग जब अपने वैध अधिकारों से परे चले जाते हैं और देशभक्ति के नाम पर अपनी शक्ति को दूसरों पर लादते हैं तो वे अमेरिकी सरकार के मूलभूत ढांचे के खिलाफ अपराध करते हैं। इस तरह के महादेशभक्त अमेरिका को फासीवादी देश में बदल सकते हैं।

दूसरी बात, मैं गैर-अमेरिकी गतिविधियों की समिति के खिलाफ़ था। अगर मैं बेईमानी भरे जुमले का इस्तेमाल करूं तो यह किसी भी ऐसे अकेले अमेरिकी की आवाज़ को दबाने के लिए काफी लचीला है जो अपनी ईमानदार राय में अकेला पड़ जाता है।

तीसरी बात, मैंने कभी भी अमेरिकी नागरिक बनने का प्रयास नहीं किया। हालांकि सैकड़ों अमेरिकी बाशिंदे इंगलैंड में अपनी रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं। वे कभी भी ब्रिटिश नागरिक बनने का प्रयास नहीं करते; उदाहरण के लिए, एमजीएम स्टूडियो का एक अमेरिकी अधिकारी इंगलैंड में पिछले पैंतीस बरस से रह रहा है और हर हफ्ते चार अंकों में वेतन लेता है। वह कभी ब्रिटिश नागरिक नहीं बना और अंग्रेज़ों ने कभी इस बात की परवाह ही नहीं की।

ये स्पष्टीकरण क्षमायाचना नहीं है। जब मैंने यह किताब शुरू की तो मैंने अपने आपसे इसे लिखने का कारण पूछा। किताब लिखने के कई कारण हैं लेकिन उनमें से क्षमायाचना नहीं है। अपनी स्थिति को संक्षेप में सामने रखते हुए मैं कहूंगा कि शक्तिशाली समूहों तथा अदृश्य सरकारों के परिवेश में मैं राष्ट्र के विरोध का शिकार हुआ और दुर्भाग्य से, अमेरिकी जनता का प्यार खो बैठा।

लाइमलाइट लीस्टर स्क्वेअर में ओडियन थिएटर में सबसे पहले दिखाई जानी थी। मैं इस बात को लेकर बेचैन था कि उसका स्वागत कैसा होगा। कारण ये था कि ये सामान्य चैप्लिन कॉमेडी नहीं थी। प्रीमियर से पहले हमने एक प्रीमियर प्रेस के लिए रखा। समय इतना बीत चुका था कि मैं इसे वस्तुपरक तरीके से नहीं देख पाया था और मैं ये ज़रूर कहूंगा कि मैं फिल्म देख कर विचलित हुआ। ये आत्म प्रशंसा नहीं है क्योंकि मैं अपनी फिल्मों के कई दृश्यों का मज़ा ले सकता हूं और दूसरे दृश्यों को नापसंद कर सकता हूं। अलबत्ता, मैं कभी भी नहीं रोया जैसा कि किसी शरारती पत्रकार ने बताया कि मैं रोया था। और अगर मैं रोया भी होऊं तो क्या हुआ! अगर लेखक अपने सृजन के बारे में संवेदना महसूस नहीं करता तो वह जनता से ऐसा करने की उम्मीद ही कैसे कर सकता है। ईमानदारी से कहूं तो मुझे अपनी फिल्मों में जनता से भी ज्यादा मज़ा आता है।

लाइमलाइट के लिये प्रीमियर सहायतार्थ था और उसमें राजकुमारी मार्गरेट पधारी थीं। अगले दिन जनता के लिए फिल्म प्रदर्शित की गयी। हालांकि समीक्षाएं यूं ही सी थीं, इसने विश्व कीर्तिमान भंग कर दिये और इसे अमेरिका में प्रतिबंधित किये जाने के बावजूद इसने मेरी अब तक की फिल्मों की तुलना में सबसे अधिक कमाई करके दी।

लंदन से पेरिस के लिए चलने से पहले ऊना और मैं हाउस ऑफ लॉर्ड्स में एक डिनर पर लॉर्ड स्ट्राबोल्गी के मेहमान थे। मैं हरबर्ट मौरिसन के पास बैठा था और यह सुन कर मैं हैरान हुआ कि वे समाजवादी के रूप में परमाणु प्रतिरक्षा की नीति का समर्थन करते थे। मैंने उन्हें बताया कि हम भले ही परमाणु बमों के अम्बार लगा दें, इंगलैंड हमेशा सबके निशाने पर बना रहेगा क्योंकि ये एक छोटा सा द्वीप है और इसे राख के ढेर में बदल दिये जाने के बाद किसी भी किस्म का बदला कोई राहत नहीं दिला पायेगा। मैं इस बात को मानता हूं कि इंगलैंड की रक्षा के लिए सबसे मजबूत रणनीति निष्पक्ष रहने की है क्योंकि परमाणु युग में मुझे इस बात का शक है कि निष्पक्ष रहने का उल्लंघन किया जायेगा। लेकिन मेरे विचार मौरिसन के विचारों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते थे।

मैं इस बात को सोच कर हैरान हूं कि किस तरह से कई बौद्धिक लोग परमाणु हथियारों के पक्ष में बात करते हैं। एक और घर में मैं लॉर्ड सेलिसबरी से मिला और उनकी भी वही राय थी जो मौरिसन की थी और परमाणु प्रतिरक्षा के प्रति अपनी नफ़रत को व्यक्त करते समय मैंने महसूस किया कि मैं उनकी लॉर्डशिप के साथ मेल नहीं बिठा पा रहा हूं।

इस मौके पर मुझे ये उचित जान पड़ता है कि मैं दुनिया के उन हालात को संक्षेप में सामने रखूं जिस तरह से मैं आज इसे देखता हूं। आधुनिक जीवन की जुड़ती जटिलताओं और बीसवीं सदी के गतिशील हमले से मैं पाता हूं कि व्यक्ति पर चारों तरफ से बड़ी-बड़ी संस्थाओं के हमले हो रहे हैं। ये हमले राजनैतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से हो रहे हैं। हम आत्म अनुकूलन के और बंदिशों और परमिटों के शिकार हो रहे हैं।

यह तंत्र, जिसमें हमने अपने आपको ढल जाने दिया है, इसलिए हो रहा है कि हममें सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि की कमी है। हम भद्देपन और भीड़ की तरफ अंधाधुंध चले जा रहे हैं और हम अब इस लायक नहीं रहे कि सौंदर्य की सराहना ही कर सकें। हमारे जीवन की संवेदनाओं को लाभ, शक्ति और एकाधिकार ने भोंथरा बना दिया है। हमने इन शक्तियों को अपने चारों तरफ लिपट जाने दिया है और इस बात की रत्ती भर परवाह नहीं की है कि इन सबका अंजाम क्या होगा।

सुविचारित दिशा के बिना अथवा उत्तरदायित्व के बोध के बिना विज्ञान ने राजनीतिज्ञों को अपार शक्ति दे दी है और इतने खतरनाक सैन्य हथियार उन्हें थमा दिये हैं कि इस धरती पर जो कुछ भी जीवंत है उसके भाग्य का निर्धारण ये ही लोग करेंगे। ऐसे व्यक्तियों के हाथों में सारी शक्तियां दे देना जिनके नैतिक उत्तरदायित्व और बौद्धिक क्षमता संदेह से परे नहीं हैं, और इसके बारे में जितना कहा जाये, कम हैं और कई मामलों में उनके ऊपर उंगली उठायी जा सकती है कि वे धरती पर सारे जीवन को नष्ट करने वाला युद्ध छेड़ सकते हैं। फिर भी हम आंखें मूंदे चले जा रहे हैं।

जैसा कि डॉक्टर जे रॉबर्ट ओपेनहैमर ने मुझे एक बार बताया था, 'आदमी जानने की इच्छा से संचालित होता है।' बहुत अच्छी बात है। लेकिन कई मामलों में हम परिणामों की परवाह ही नहीं करते। इससे डॉक्टर ओपेनहैमर सहमत थे। कई वैज्ञानिक धार्मिक रूप से हठधर्मी होते हैं। वे इस विश्वास के साथ आगे बढ़ते जाते हैं कि वे जो कुछ भी खोजेंगे, अच्छा ही होगा और जानने की उनकी आकांक्षा हमेशा नैतिक होती है।

मनुष्य जीवित रहने की मूल भावनाओं वाला पशु है। परिणाम यह हुआ है कि उसकी सृजनात्मकता पहले विकसित हुई है और आत्मा का विकास बाद में हुआ है। इस तरह से विज्ञान की प्रगति मनुष्य के तार्किक व्यवहार से बहुत आगे है।

हितवाद मानव प्रगति के पथ पर धीमी गति से चला है। यह विज्ञान के साथ-साथ आगे बढ़ता है और ठोकरें खाता है और केवल परिस्थितियों की ताकत से ही इसे चलने की अनुमति है। गरीबी को हितवाद द्वारा या सरकारों के मानवतावाद की वजह से नहीं घटाया गया था बल्कि इसे कम करने के पीछे द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की ताकतें काम कर रहीं थी।

कार्लाइल ने कहा था कि विश्व की मुक्ति लोगों की सोच की वजह से आयेगी। लेकिन इस परिर्वतन को लाने के लिए मनुष्य को गंभीर परिस्थितियों में धकेला जाना चाहिए। इस तरह से, अणु का विखंडन करके मनुष्य को कोने में धकेल कर सोचने पर विवश कर दिया गया है। उसके सामने दो ही विकल्प हैं: अपने आपको नष्ट कर डाले या अपना व्यवहार सुधारे: विज्ञान की गति उसे यह निर्णय लेने के लिए विवश कर रही है। और इन परिस्थितियों में मेरा मानना है कि अंतत: हितवाद ही बचेगा और मनुष्य की सदाशयता मानवता के लिए विजय पायेगी।


अमेरिका छोड़ने के बाद जीवन एक और ही स्तर पर चल रहा था। पेरिस और रोम में हमारा स्वागत विजेता नायकों की तरह हो रहा था:राष्ट्रपति विन्सेंट ऑरिओल ने हमें एलिसी महल में लंच के लिए बुलाया और हमें ब्रिटिश दूतावास में खाने पर बुलाया गया। इसके बाद फ्रांसीसी सरकार ने मुझे लीज़न ऑफ ऑनर की पदवी देकर मेरा कद ऊंचा किया और उसी दिन सोसायटीदेसऑतर्सएतकंपोजिटर्सड्रमेटिक्स ने मुझे मानद सदस्यता प्रदान की। इस अवसर पर अध्यक्ष मिस्टर रोजर फर्डिनांड से मुझे जो पत्र मिला, वह बेहद प्यार भरा था। मैं यहां उसका अनुवाद दे रहा हूं।

प्रिय मिस्टर चैप्लिन

हो सकता है कि कुछ लोग यहां पर आपकी उपस्थिति को दिये गये प्रचार से हैरान हो रहे हों, वे उन कारणों को नहीं जानते होंगे जिनकी वज़ह से हम आपको प्यार करते हैं और आपके प्रशंसक हैं; वे मानवीय मूल्यों के भी बहुत खराब निर्णायक होंगे और उन्होंने उन आशीर्वादों को गिनने का कष्ट नहीं उठाया होगा जो आपने पिछले चालीस बरस के दौरान हम पर बरसाये हैं और न ही उन्होंने आपकी सीख की सराहना की होगी या उन खुशियों तथा भावनाओं की गुणवत्ता को ही देखा होगा जो आपने उनके सच्चे मूल्यों के साथ हम पर न्यौछावर की हैं; थोड़े में कहें तो वे हमेशा कृतघ्न बने रहे हैं।

आप विश्व के महानतम व्यक्तित्वों में से एक हैं और प्रसिद्धि के लिए आपका स्थान उनके बराबर ही है जिन्हें सर्वाधिक उल्लेखनीय विभूतियों में गिना जा सकता है।

अपनी बात शुरू करें तो इसके पीछे आपकी मेधा है, जीनियस है। इस शब्द का बहुत गलत अर्थ लिया जाता रहा है। जीनियस शब्द को तभी उसका सही अर्थ मिलता है जब इसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जोड़ा जाता है जो न केवल उत्कृष्ट कॉमेडियन है बल्कि एक लेखक, संगीतकार,निर्माता है और सबसे बड़ी बात, उस व्यक्ति में ऊष्‍मा, उदारता और महानता है। आप में ये सारे गुण वास करते हैं और इससे बड़ी बात, कि आप में वह सादगी है जिससे आपका कद और ऊंचा होता है और एक गरमाहट भरी सहज अपील के दर्शन होते हैं जिसमें न तो कोई हिसाबी गणना होती है और न ही कोई प्रयास ही आप इसके लिए करते हैं और इनसे आप सीधे इन्सान के दिल में प्रवेश करते हैं। इन्सान, जो आप ही की तरह मुसीबतों का मारा है। लेकिन सराहना के गुण गिनाने के लिए जीनियस ही काफी नहीं होती; न ही यह प्यार का प्रतिदान करने के लिए ही काफी होती है। और इसके बावजूद, प्यार ही उस संवेदना के लिए अकेला शब्द है जिसकी प्रेरणा आप देते हैं।

जब हमने लाइमलाइट देखी तो हम हँसे, कई बार दिल खोल कर और हम रोये, असली आँसुओं के साथ - आपके आँसुओं के साथ, क्योंकि आप ही ने हमें आँसुओं का कीमती उपहार दिया है।

सच कहें तो जो सही प्रसिद्धि होती है, कभी सिर पर चढ़ कर नहीं बोलती; जब इसे किसी अच्छे कारण की ओर मोड़ दिया जाता है तो इसमें एक भावना, एक मूल्य, एक अवधि आ जाती है। और आपकी विजय इस तथ्य में है कि आपमें मानवीय उदारता और सहजता है कि आप नियमों से या चालाकी से बंधे हुए नहीं है, बल्कि आप अपनी ऊर्जा, अपनी तकलीफों से, अपनी खुशियों से आशाओं से और हताशाओं से ग्रहण करते हैं; वह सब कुछ, जिसे वे ही समझ सकते हैं जो अपनी शक्ति से परे तकलीफ उठाते हैं और दया की भीख मांगते हैं और जो लगातार इस बात की आशा करते हैं कि उन्हें सांत्वना मिले, कि उन्हें एक पल के लिए उस हँसी से सब कुछ भूलने का मौका मिले जो इलाज करने का दिखावा नहीं करती लेकिन सिर्फ सांत्वना देने के लिए होती है।

हम इस बात की कल्पना ही कर सकते हैं, भले ही हम इसे न जानते हों कि हमें हँसाने और अचानक रुलाने लायक होने के इस शानदार उपहार के लिए आपने खुद कौन सी कीमत चुकाई हैं। हम अनुमान लगा सकते हैं और बहुत हुआ तो सोच सकते हैं कि आपने स्वयं कौन कौन सी तकलीफें झेली होंगी ताकि आप बारीकी से उन सारी छोटी छोटी च़ीजों को बयान कर सकें जो हमें इतनी गहराई से छूती हैं और जिन्हें आपने अपनी स्वयं की ज़िंदगी के पलों से लिया है।

इसका कारण यह है कि आपकी स्मृति बहुत अच्छी है। आप अपने बचपन की स्मृतियों के लिए शुक्रगुज़ार हैं। आपने उसकी उदासी, उसकी वेदना में से कुछ भी नहीं भुलाया है; आपने चाहा है कि आपने जो तकलीफें भोगी हैं, दूसरों को न भोगनी पड़ें और कम से कम आपने इतना ही तो चाहा ही है कि आप सबको आशावान बने रहने का कारण दे सकें। आपने अपनी उदास युवावस्था को कभी धोखा नहीं दिया है और प्रसिद्धि में कभी भी यह ताकत नहीं थी कि वह आपको आपके अतीत से अलग कर सके - क्योंकि, अफसोस, इस तरह की बातें संभव हुआ करती हैं।

आपकी सबसे पुरानी स्मृतियों के प्रति आपकी यह वफादारी ही शायद आपका सबसे बड़ा गुण है और आपकी आस्तियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भी है। और यही असली कारण भी है कि लोग आपको क्यों प्यार करते हैं। वे आपके अभिनय की बारीकियों पर प्रतिक्रिया देते हैं। ऐसा लगता है कि मानो आप हमेश दूसरों के दिलों से सीधे संपर्क में रहते हैं और बेशक लेखक, अभिनेता और निर्देशक, तीनों रूपों में आपके सांझे अवदान से ज्यादा मनभावन कुछ नहीं हो सकता। आपके रूप में ये तीनों कलाकार, उनकी सेवा में अपनी सांझी मेधा लगा देते हैं जोकि मानवीय है और बेहतर है।

यही कारण है कि काम हमेशा उदार होता है। इसे सिद्धांतों से जकड़ा नहीं जा सकता - तकनीकों से तो बिल्कुल ही नहीं। ये हमेशा के लिए एक स्वीकारोक्ति है एक विश्वास है, एक प्रार्थना है और हर व्यक्ति आपका संगी साथी है क्योंकि वह वैसा ही सोचता और महसूस करता है, जैसा कि आप करते हैं।

आपने अपनी मेधा के बलबूते पर समालोचकों का मुंह बंद किया है क्योंकि आप उन्हें अपने नियंत्रण में करने में सफल हुए हैं। यह एक बहुत ही मुश्किल काम है। वे कभी इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि आपने पुराने फैशन के मेलोड्रामा के आकर्षण और फेदेयू के पाश्विक उत्साह के प्रति एक जैसी प्रतिक्रिया दी है। और इसके बावजूद, आपने ऐसा किया और एक खास गरिमा बनाये रखी जो हमें मुसेट· के बारे में सोचने पर मजबूर करती है हालांकि आप न तो किसी की नकल करते हैं और न ही किसी और जैसे लगते हैं। यह भी आपकी गरिमा का रहस्य है।

आज लेखकों और नाटककारों की हमारी सोसायटी को यह सौभाग्य और खुशी मिल रहे हैं कि हम आपका स्वागत कर रहे हैं। हम इस तरह से कुछ ही पल के लिये ही सही, आपके उन कामों को बोझ बढ़ा रहे हैं जो आप इतनी सदाशयता से पूरे करते हैं। हम आपको अपने बीच पाकर बहुत आतुर हैं और आपको बताना चाहते हैं कि हम आपकी कितनी सराहना करते हैं और आपको कितना प्यार करते हैं। और यह भी कहना चाहते हैं कि आप सचमुच हममें से ही एक हैं, क्योंकि आपकी फिल्मों में कहानी मिस्टर चैप्लिन द्वारा लिखी होती है। और इस तरह से संगीत भी उन्हीं का बनाया होता है और निर्देशन भी वे ही करते हैं और कॉमेडियन जो है इनके अतिरिक्त होता है और उसका योगदान उच्च श्रेणी का होता है।

यहां पर आपके सामने फ्रांस के लेखक, नाटकों और फिल्म के लेखक, संगीतकार, निर्माता सब उपस्थित हैं। वे सब के सब आपको पसंद करते हैं। अपने अपने तरीके से वे उस कड़ी मेहनत के सम्मान और आत्म त्याग से अच्छी तरह से परिचित हैं जो आप अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि आपकी यही महत्त्वाकांक्षा रही है कि आप जनता को आंदोलित करें और उन्हें खुश करें कि आप खोये हुए प्यार के डर को चित्रित करें, जो इस लायक नहीं हैं उन तकलीफों के लिए दया दिखाएं और आपकी एक इच्छा है कि जो शांति, उम्मीद और भाईचारे की भावना के रास्ते में आता है, उसे ठीक करें।

धन्यवाद, मिस्टर चैप्लिन

रोजर फर्डिनांड

लाइमलाइट के प्रीमियर में अधिकांश गणमान्य विभूतियां पधारीं। इनमें फ्रांसीसी केंद्रीय मंत्री और विदेशी राजदूत शामिल थे। अलबत्ता,अमेरिकी राजदूत नहीं आये।

कॉमेडीफ्रान्चाइज में हम मोलियर के नाटक डॉनजुआन के विशेष प्रदर्शन पर खास मेहमान थे। इसमें फ्रांस के महानतम चुनिंदा कलाकारों ने अभिनय किया था। उस रात राजसी महल के फव्वारों में रोशनी की गयी और हमें कॉमेडीफ्रान्चाइज के विद्यार्थी अट्ठारहवीं शताब्दी की पोशाकों में मिले। उन्होंने हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां थामी हुई थीं और वे हमारी अगवानी करके हमें समस्त यूरोप की सर्वाधिक सुंदर महिलाओं से भरे ग्रैंड सर्किल में लेकर गये।

रोम में भी हमारा स्वागत इसी तरह से हुआ। राष्ट्रपति और मंत्रियों ने मेरा सम्मान किया, मुझे अलंकृत किया और मेरी अगवानी की। उस मौके पर लाइमलाइट के प्रीमियर में एक मज़ेदार घटना घटी। फाइन आर्ट्स के मंत्री ने मुझे सुझाव दिया मैं भीड़ से बचने के लिए मंच द्वार से आऊं। मुझे मंत्री महोदय का सुझाव थोड़ा अजीब-सा लगा और मैंने उन्हें बताया कि अगर लोगों में मुझसे मिलने के लिए थिएटर के बाहर खड़े होने का धैर्य है तो मुझमें कम से कम इतनी विनम्रता तो होनी ही चाहिए कि मैं सामने के द्वार से आऊं और अपना चेहरा दिखाऊं। मुझे लगा कि उनके चेहरे पर उस वक्त अजीब से भाव आये जब उन्होंने हौले से अपनी बात को दोहराया कि इससे मुझे पीछे वाले रास्ते में जाने में कम तकलीफ होगी। मैंने ज़िद की तो उन्होंने और ज़ोर नहीं डाला।

उस रात वैसा ही चमक-दमक वाला प्रिव्यू था। जब हम लिमोजिन में बैठ कर आये तो भीड़ को रस्सियों से काफी दूर रोका गया था, ऐसा मुझे लगा। अपनी पूरी विनम्रता और आकर्षण के साथ मैं गाड़ी से बाहर निकला, लिमोज़िन का चक्कर काटा और सड़क के बीचों बीच आ गया और चौंधियाती रोशनी के नीचे खड़ा हो गया। मैंने अपनी दोनों बांहें द' गॉल की तरह फैलाते हुए चेहरे पर मुस्कान बिखेरी। तभी अचानक बंद गोभी और टमाटर मेरी तरफ उछाले जाने लगे। मैं तय नहीं कर पाया कि वे क्या थे और क्या हुआ था। तभी मैंने अपने इतालवी मित्र, दुभाषिये को अपने पीछे मिमियाते सुना, 'ज़रा सोचिये, ये सब मेरे देश में हो रहा है।' अलबत्ता, मुझे कुछ भी नहीं लगा और हम फटाफट थियेटर के अंदर ले जाये गये। तभी मुझे परिस्थिति का मज़ाक समझ में आया और मैं अपनी हँसी नहीं रोक पाया। यहां तक कि मेरे इतालवी दुभाषिये मित्र भी मेरे साथ हँसने लगे।

बाद में हमें पता चला कि ये शरारती लोग युवा नवफासीवादी थे। मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि उनकी फेंकने की कार्रवाई में ज़रा भी नफ़रत नहीं थी। यह एक तरह का प्रदर्शन ही था। चार लोगों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया था और पुलिस ने मुझसे जानना चाहा था कि क्या मैं उनके खिलाफ़ कोई आरोप लगाना चाहूंगा। 'बेशक नहीं,' मैंने कहा, 'वे अभी लड़के ही तो हैं। वे चौदह और सोलह बरस में लड़के थे, इसलिए मामला रफा दफा कर दिया गया।

पेरिस से रोम के लिए चलने से पहले लुईस अरागौन, कवि और लेसलेटर्सफ्रेंचाइज के संपादक ने फोन करके बताया कि ज्यां पाल सार्त्र और पिकासो मुझसे मिलना चाहेंगे। इसलिए मैंने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया। उन्होंने कहीं शांत जगह का सुझाव दिया इसलिए हमने होटल में मेरे कमरों में खाना खाया। जब हैरी क्रोकर, मेरे प्रचार प्रबंधक को इसके बारे में पता चला तो उसे जैसे दौरा पड़ गया, 'हम जब से स्टेट्स से चले हैं हमने जो भी अच्छा किया है, ये मुलाकात उन पर पानी फेर देगी।'

'लेकिन हैरी, ये यूरोप है, स्टेट्स नहीं और ये विभूतियां विश्व की तीन महानतम शख्सियतों में से हैं।' मैंने कहा। मैंने इस बात की सावधानी बरती थी कि हैरी या किसी को भी यह नहीं बताया था कि अमेरिका लौटने का मेरा कोई इरादा नहीं हैं। क्योंकि अभी भी मेरी सम्पत्ति वहां पर थी और मैंने उसे अभी बेचा नहीं था। हैरी ने मुझे लगभग विश्वास दिला दिया था कि अरागौन, पिकासो और सार्त्र के साथ मुलाकात पश्चिमी लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने का षडयंत्र थी। इसके बावजूद, मज़ेदार किस्सा ये रहा कि उसकी चिंता ने उसे अपनी ऑटोग्राफ बुक में उनके हस्ताक्षर लेने से नहीं रोका। हैरी को डिनर के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। हमने उसे बताया कि हम बाद में स्टालिन के आने की उम्मीद कर रहे हैं इसलिए हम इस बारे में कोई भी प्रचार नहीं चाहते।

मैं इस शाम के बारे में बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं था। केवल अरागौन ही अंग्रेज़ी बोल पाते थे और दुभाषिए के जरिए बातचीत करना किसी दूर के निशाने पर गोली चला कर अपने लक्ष्य के इंतज़ार करने की तरह होता है।

अरागौन खूबसूरत और सुंदर चेहरे मोहरे वाले व्यक्ति थे। पिकासो पहेलीनुमा हंसोड़ दिखते थे और उन्हें आसानी से पेंटर की तुलना में एक्रोबैट या जोकर समझा जा सकता था। सार्त्र का चेहरा गोल था और हालांकि उनके चेहरे मोहरे का विश्लेषण नहीं किया जा सकता था, उनमें भीतरी सौंदर्य और संवेदनशीलता थी। सार्त्र ने अपने मन को बहुत कम खोला। उस शाम पार्टी के समाप्त हो जाने के बाद पिकासो हमें अपने लैफ्ट बैंक स्टुडियो में लेकर गये। इस स्टुडियो को वे अभी भी इस्तेमाल करते हैं। जब हम सीढ़ियां चढ़ रहे थे तो हमने उनके नीचे वाले अपार्टमेंट के दरवाजे पर एक बोर्ड देखा - 'ये पिकासो का स्टूडियो नहीं है। कृपया एक और मंज़िल चढ़ें।'

हम बेहद फटीचर, खलिहान जैसी दुछत्ती पर पहुंचे। यहां पर चैटरटन· ने भी मरने से मना कर दिया होता। एक बीम पर एक कील से एक नंगा बल्ब लटका हुआ था जिसकी रोशनी में हम एक पुराना लोहे का जंग खाया बिस्तर और टूटा फूटा एक स्टोव देख पाये। दीवार के सहारे पुराने धूल भरे कैनवास टिके रखे थे। पिकासो ने एक कैनवास उठाया - सीज़ेन जो सबसे खूबसूरत था। वे एक के बाद एक कैनवास उठाते गये। हमने कम से कम पचास मास्टर कलाकृतियां देखीं। मेरा बहुत मन हुआ कि उन्हें इस पूरे ढेर के लिए एकमुश्त राशि देने का प्रस्ताव करूं, मात्र इस कचरे छुटकारा पाने के लिये। इसी ढेर में असली खजाना छुपा हुआ था।


· ऐसा गैर कम्यूनिस्ट जो कम्यूनिस्ट पार्टी के लक्ष्यों और आम नीतियों का समर्थन करता है। अऩु

· इसका अर्थ कमोबेश वैश्वीकरण जैसा ही है।

· फ्रांसीसी लेखक। वे फ्रेंच रोमांटिक आंदोलन के प्रमुख कवि थे। उन्होंने लौरेंजकियो (1834) जैसी कॉमेडी भी लिखी।

· ब्रिटिश कवि जो विद्वानों को अपनी कविताएं 15वीं शताब्दी के भिक्षु थॉमस रावले की रचनाएं बता कर बुद्धू बनाया करता था। लिखने से गुजारा न कर पाने के कारण वह हताश हो गया और 18 बरस की आयु में उसने खुदकुशी कर ली। उसकी रचनाएं रोमांटिक कवियों के लिए प्रेरणा की स्रोत बनीं। अनुवादक

समाप्त।