वह डाकू भी क्या जिस पर मात्र 50 हजार इनाम हो! / जयप्रकाश चौकसे

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वह डाकू भी क्या जिस पर मात्र 50 हजार इनाम हो!
प्रकाशन तिथि : 06 फरवरी 2021

समाज में नए वर्ग भेद हमेशा उभरते रहे हैं। ताजा वर्ग भेद है कोरोना वैक्सीन लगाए हुए लोग और वे जिन्हें अभी तक नहीं लग पाया है। इसमें एक और वर्ग भेद जुड़ा है कि पूना में बना या हैदराबाद में बना वैक्सीन। फिल्म कलाकार की शान, टीवी वालों से अधिक है। एक वर्ग नया जुड़ा है वेब सीरीज कलाकार। अमीरों में हैं खानदानी अमीर और कुछ वर्षों में बने अमीर। ताजा बने अमीरों की कन्याओं के अलग कष्ट हैं, वे नेल पॉलिश व लिपस्टिक का उपयोग करती हैं तो मां कहती है कि पैर में बिछिया जरूर पहनना। इस पर याद आती है फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’। मारुति ड्राइवर से मर्सिडीज़ ड्राइवर खुद को ऊंचा समझते हंै। पीने वालों में भी ठर्रा पीने वाले, देश में बनी तथाकथित विदेशी शराब पीने वाले और आयात की गई ब्लैक लेबल पीने वाले लोग हैं। स्कॉटलैंड में बनी रेड लेबल से ऊंचा स्थान है ब्लैक लेबल का।

शराब नहीं पीने वालों को टी-टोडलर, रोज पीने वाला पियक्कड़ और कभी-कभी पीने वाला टिपलर व हद से अधिक पीने वाला बेवड़ा कहलाता है। कैंसर को पछाड़कर कोरोना शीर्ष पर है।

कवियों में भी कवि सम्मेलन के पसंदीदा कवि और गंभीर पाठकों द्वारा पढ़े जाने वाले कवि हैं। कासिफ इंदौरी एक मुशायरा लूट कर आए और उन्होंने ऐलान किया कि आज वे आखिरी बार शराब पी रहे हैं। दुर्भाग्यवश उसी दिन उन्होंने अवैध ज़हरीली शराब पी और मर गए। उनका एक शेर फिल्म ‘शायद’ में लिया गया है, ‘सरासर गलत है मुझपर इल्जामें बला नोशी का, जिस कदर आंसू पिए हैं उससे कम पी है शराब।’ शब्दों के क्रम में गलती के लिए अग्रिम क्षमा याचना। राजा के चहेते मंत्री का स्थान सबसे ऊपर होता है। ट्रेन में एसी यात्री का स्थान साधारण डिब्बे के यात्री से ऊंचा होता है। सबसे निचले क्रम पर है लोकल का यात्री। बिना टिकट यात्रियों की अपनी ही श्रेणी है। अपराध जगत में भी पॉकेट मार मामूली है और सेंध मारने वाले ऊंचे स्थान पर हैं। वह डाकू भी क्या जिस पर मात्र 50 हजार इनाम हो। इसमें लखपति की शान अलग होती है। ₹एक शान बघारने वाले ने 10 के नोट को जलाकर सिगरेट सुलगाई। दूसरे ने 100 का नोट जलाया तो एक चतुर ने लाख रुपए का चेक जलाकर सिगरेट सुलगाई। गीतकार गुलशन बाबरा अपने 555 ब्रांड के सिगरेट पैकेट में 4 सिगरेट और 40 बीड़ियां रखते थे। निर्माता के दफ्तर में सिगरेट और घर में बीड़ी पीते थे।

सागर के विट्ठल भाई पटेल ने फिल्टर बीड़ी का निर्माण किया परंतु बाजार में वह बिकी नहीं। वृक्षों में बरगद लंबा जीवन जीता है, नीम निरोग करता है, कैक्टस की भी शान है परंतु जंगल घांस आम आदमी की तरह महत्वहीन है। पूजा होती है घर के आंगन में लगी तुलसी की। राज खोसला ने हर किस्म की फिल्म बनाई है और एक्शन फिल्मों की सफलता के दौर में नूतन अभिनीत ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ बनाई। ज्ञातव्य है कि जावेद अख्तर की बरगद कविता है, महान हैं वे आंदोलनकारी जो मर कर भी नहीं मरते, गिरते हैं परंतु झुकते नहीं, पिटते हैं परंतु रोते नहीं। लोहे की लाठियां चलावाने वाले नहीं जानते ये किसान स्पात के बने हैं।