“द वुल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट” लालच के समुद्र में उफनती आकांक्षाएं / राकेश मित्तल

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“द वुल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट” लालच के समुद्र में उफनती आकांक्षाएं
प्रकाशन तिथि : 04 जनवरी 2014


अमेरिका के दिग्गज फिल्मकार मार्टिन स्कॉरसेज की फिल्म 'द वुल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट" के इन दिनों काफी चर्चे हैं। हाल ही में 25 दिसंबर को रिलीज हुई इस फिल्म ने प्रदर्शित होते ही दर्शकों और समीक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पहले ही दिन एक करोड़ डॉलर से अधिक का व्यवसाय करके इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी कीर्तिमान रच दिया है।

मार्टिन स्कॉरसेज की गणना अमेरिका के महान फिल्मकारों में की जाती है। 71 वर्ष की उम्र में भी वे किसी युवा फिल्मकार की तरह सक्रिय हैं। एक कुशल निर्माता, निर्देशक, लेखक एवं अभिनेता होने के अलावा उन्हें विश्व सिनेमा के इतिहास का एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है। अपने पैंतालीस वर्ष के लंबे फिल्मी करियर के दौरान उन्हें दुनिया के सभी प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

यह फिल्म अमेरिका में नब्बे के दशक में चर्चित हुए धूर्त शेयर दलाल जॉर्डन बेलफोर्ट की सच्ची कहानी है, जो उसके द्वारा लिखित व प्रकाशित आत्मकथा पर आधारित है। इस आत्मकथा में उसने अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं, उत्थान, पतन और उसके बाद की स्थितियों का दिलचस्प वर्णन किया है। मार्टिन स्कॉरसेज ने पटकथा लेखक टेरेन्स विन्टर की मदद से इसका बेहतरीन फिल्मी रूपांतरण किया है। फिल्म में जॉर्डन बेलफोर्ट की भूमिका इसी नाम से हॉलीवुड सुपरस्टार लियोनार्डो डिकेप्रियो ने निभाई है। जॉर्डन के अलावा अन्य सभी पात्रों के वास्तविक नाम बदल दिए गए हैं।

जॉर्डन ने 1987 में वॉल स्ट्रीट की एक स्थापित शेयर ब्रोकिंग फर्म में प्रशिक्षु के रूप में अपना करियर प्रारंभ किया। 19 अक्टूबर 1987 का दिन शेयर बाजार में 'ब्लैक मंडे" के रूप में जाना जाता है। इस दिन दुनिया भर के शेयर बाजार एक साथ बुरी तरह धाराशायी हो गए थे। जॉर्डन जिस कंपनी में काम करता था, वह भी उस दिन दिवालिया हो गई। दो वर्ष काम की तलाश में भटकने के बाद उसने अपने एक मित्र डोनी (जोना हिल) के साथ मिलकर 'स्ट्रेटन ओकमॉण्ट" नामक शेयर ब्रोकिंग फर्म की स्थापना की। इस फर्म के माध्यम से वे केवल अत्यंत छोटे मूल्य के शेयरों (पेनी स्टॉक्स) में कारोबार करते थे। फर्जी कंपनियों के शेयर नाम मात्र के मूल्य पर खरीदकर उन्हें कृत्रिम रूप से ऊंचे और नीचे भावों पर ले जाकर जॉर्डन ने छोटे-छोटे निवेशकों को जबर्दस्त चूना लगाया और बहुत छोटी अवधि में करोड़ों डॉलर कमा लिए। एक छोटे-से कमरे में कारोबार की शुरूआत करके मात्र 30 वर्ष की आयु में वह करोड़ों डॉलर की संपत्ति, बहुमंजिला ऑफिस, लक्जरी याट, प्रायवेट हैलिकॉप्टर और महंगी कारों के बेड़े का मालिक बन बैठा। वह सुरा, सुंदरियों, ड्रग्स और विलासिता की वस्तुओं पर पानी की तरह पैसा बहाने लगा। अपनी वफादार पत्नी को तलाक देकर उसने एक खूबसूरत मॉडल से विवाह कर लिया। वह हर उस चीज पर अधिकार कर लेना चाहता था, जो पैसे से खरीदी जा सके। पैसा ही उसके लिए सब कुछ था। अपने मुनाफे के लिए गरीब और मध्यमवर्गीय छोटे निवेशकों को चूना लगाने में उसे जरा भी हिचक या पछतावा नहीं था। धीरे-धीरे यही अतियां उसके पतन का कारण बनीं।

यह फिल्म एक ब्लैक कॉमेडी है। हास्य की चाशनी में डूबी अनैतिकता फिल्म का स्थायी भाव है। फिल्म की गति इतनी तेज है कि तीन घंटे कब गुजर जाते हैं, पता ही नहीं चलता। फिल्म की जान इसकी कसी हुई पटकथा और लियोनार्डो डिकेप्रियो का बेहतरीन अभिनय है। जॉर्डन बेलफोर्ट के धूर्त, लालची, घमंडी, लंपट और अय्याश चरित्र को उन्होंने इतनी विश्वसनीयता के साथ जिया है कि लगता है यह उनकी स्वयं की कहानी है|

यह कोई गूढ़ आदर्शवादी किस्म की फिल्म नहीं है, बल्कि एक बेहद सपाट, तीक्ष्ण और अशिष्टता की हद तक बेबाक फिल्म है। इसमें एक अजीब तरह की बेअदबी और असभ्यता गुंथी है, जो 'गैंग्स ऑफ वासेपुर" किस्म की फिल्मों में देखने को मिलती है। बिना किसी मारधाड, गोलाबारी और खून-खराबे के, इसमें एक अलग तरह की हिंसा है, जो आपको बेचैन कर देती है। सफेदपोश अपराधी अपनी पूरी निर्ममता, कुटिलता और वीभत्स स्वरूप में यहां मौजूद हैं।

अमेरिकन फिल्म इंस्टीट्यूट ने इसे वर्ष 2013 की टॉप टेन फिल्मों में शामिल किया है। आगामी बारह जनवरी को होने वाले गोल्डन ग्लोब पुरस्कार समारोह में इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म और लियोनार्डो को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नामांकन मिला है। आने वाले ऑस्कर समारोह में भी इसकी झोली में कुछ नामांकन और पुरस्कार गिरने की पूरी संभावना है।

यह जानना रोचक होगा कि अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने जॉर्डन बेलफोर्ट को धोका और अवैध धन हस्तांतरण के जुर्म में चार साल की सख्त कैद और 110 मिलियन डॉलर के जुर्माने की सजा सुनाई थी किंतु वह मात्र 22 माह में जेल से छूटकर बाहर आ गया और आज तक उसने पूरा जुर्माना नहीं भरा है। इन दिनों वह एक लेखक और 'मोटिवेशनल स्पीकर" के रूप में अपना जीवन यापन कर रहा है! निश्चित ही उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।