“द सीक्रेट इन देअर आईज” बोलती आंखों की रहस्यमय ख़ामोशी / राकेश मित्तल

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“द सीक्रेट इन देअर आईज” बोलती आंखों की रहस्यमय ख़ामोशी
प्रकाशन तिथि : 05 जुलाई 2014


अर्जेंटीना के सिनेमाई इतिहास में अब तक केवल दो फिल्मों को विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर पुरस्कार मिला है। पहला वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म 'द ऑफिशियल स्टोरी" को। दूसरा वर्ष 2009 में प्रदर्शित 'द सीक्रेट इन देअर आईज" को। दोनों ही फिल्मों पर अर्जेंटीना के 'डर्टी वार पीरियड" (1976-1983) का गहरा प्रभाव है। मशहूर अर्जेंटाइन टीवी एवं फिल्म निर्देशक युवान कैम्पानेला की क्राइम थ्रिलर फिल्म 'द सीक्रेट इन देअर आईज" एक क्रूर बलात्कार और मर्डर प्रकरण की पृष्ठभूमि में एक जज और सेवानिवृत्त न्यायपालिका कर्मचारी की पच्चीस वर्ष पूर्व दफ्न हो चुकी प्रेम कहानी को फिर से एक नए मोड़ पर ला खड़ा करती है। फिल्म के मुख्य कलाकारों के सधे हुए अभिनय, कसी हुई पटकथा एवं कुशल निर्देशन के कारण दुनिया भर के समीक्षकों ने इसकी भरपूर सराहना की है। ऑस्कर के साथ साथ स्पेन के सर्वाधिक प्रतिष्ठित गोया फिल्म समारोह में भी इसे स्पेनिश भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिया गया था।

इस फिल्म की एक और अद्भुत तकनीकी विशेषता है कि इसमें एक लाइव फुटबॉल मैच के दौरान स्टेडियम का लगातार पांच मिनिट लंबा शॉट लिया गया है। इस शॉट में दर्शकों के बीच बैठे अभियुक्त का पीछा करते हुए दिखाया गया है। इस दृश्य को ब्यूनस आयर्स के हराकन फुटबॉल क्लब के स्टेडियम में फिल्माया गया था। इस एक दृश्य के फिल्मांकन की तीन महीने तक पूर्व तैयारी की गई थी और फिर दो सौ कलाकारों के साथ लगातार तीन दिनों तक इसकी शूटिंग की गई। बाद में इसके पोस्ट प्रोडक्शन, सम्पादन और स्पेशल विजुअल इफेक्ट्स ट्रीटमेंट में नौ माह का समय लगा। यह फिल्म के स्पेशल इफेक्ट सुपरवाइजर राड्रिगो तोमासो की तकनीकी कुशलता का कमाल था कि मुट्ठीभर कलाकारों की सहायता से उन्होंने पचास हज़ार दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम का प्रभाव उत्पन्न कर दिया।

इस फिल्म की कहानी 1974 से 2000 के बीच घूमती है। बेंजामिन एस्पोसितो (रिकार्डो डेरीन) एक सेवानिवृत्त अपराध विवेचना अधिकारी है। लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व लिलियाना कोलोटो नामक युवा महिला की ब्यूनस आयर्स में बलात्कार के बाद नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस केस की छानबीन का काम मुख्य जज आइरीन हेस्टिंग्स (सोलेदाद विलामिल) के नेतृत्व में बेंजामिन व उसके शराबी सहयोगी पाब्लो (गुईलेरमो फ्रांसला) की टीम को दिया गया था। लिलियाना के पति के दु:ख से द्रवित होकर इनकी टीम पूरी तन्मयता से मुज़रिम की तलाश में जुट जाती है किन्तु बेंजामिन के विभाग में उसका विरोधी रोमानो (मारियानो अर्जेंतिनो) पास के निर्माणाधीन भवन के दो मजदूरों को पकड़ कर उन्हें मुज़रिम सिद्ध कर सजा दिलवा देता है। बेंजामिन इस निष्कर्ष से बिलकुल सहमत नहीं था। उसका शक हमेशा से गोमेज़ (जेवियर गोदिनो) नामक एक व्यक्ति पर था किन्तु वह कुछ नहीं कर पाता क्योंकि गोमेज़ और रोमानो पर उस समय की अर्जेंटीना की वामपंथी राजनीति का वरदहस्त था। इस केस के गलत निर्णय के अपराध बोध से ग्रसित होकर वह समय से पूर्व सेवानिवृत्ति ले लेता है। अब वह इस केस पर एक उपन्यास लिखना चाहता है ताकि उसके अपने निष्कर्षों और असली कातिल को वह दुनिया के सामने ला सके। इतने सालों बाद वह आईरीन से पुन: मिलकर अपनी योजना बताता है और उपन्यास पर काम शुरू कर देता है। आईरीन अब एक शादीशुदा प्रौढ़ महिला है और वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत है। इस नई शुरुआत के साथ ही केस की कई अनजान बातों से पर्दा उठता है और साथ साथ बेंजामिन और आईरीन के बीच प्रस्फुटित होकर सुसुप्त हो चुकी प्रेम तरंगों में भी नई ऊर्जा प्रवाहित होने लगती है।

फिल्म की कहानी लगातार दो स्तरों पर सामानांतर रूप से चलती है, एक मर्डर मिस्ट्री और दूसरी बेंजामिन तथा आईरीन के प्रेम संबंध। बेंजामिन आईरीन के प्रति आकर्षित था किन्तु उसका पद और उसकी हैसियत आईरीन के मुकाबले बहुत कम थी। उसे लगता था कि उसके स्तर के व्यक्ति का आईरीन जैसी उच्च स्तरीय महिला से प्रणय निवेदन सामाजिक तौर पर परिहास का विषय हो सकता है। आईरीन की आंखों में छिपे इशारों को वह समझ नहीं पाता। अपनी भावनाओं को व्यक्त करना और उन पर काबू पाना दोनों उसके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य थे। इस ऊहापोह को रिकार्डो डेरिन ने बहुत कुशलता से व्यक्त किया है। रिकार्डो, युवान के प्रिय अभिनेता रहे हैं और दोनों की यह साथ में लगातार चौथी फिल्म है। आईरीन की भूमिका के लिए सोलेदाद विलामिल का चुनाव एकदम उपयुक्त है। उनकी गहरी बोलती आंखें और अभिजात्य व्यक्तित्व बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह देते हैं। पच्चीस साल के लम्बे अंतराल में आईरीन के रूप में वह कभी भी बहुत युवा या बहुत प्रौढ़ नहीं लगीं बल्कि ठीक उतनी उम्र की लगीं जितनी लगना चाहिए थीं। असली कातिल की आंखों में देख कर उसे सम्मोहित करते हुए उससे जुर्म कबूल करवाते समय उनका अभिनय देखने लायक है। फिल्म की कहानी जटिल है। पटकथा में जरा-सा ढीलापन समूचे प्रभाव को नष्ट कर सकता था। चूंकि युवान स्वयं इस फिल्म के लेखक, सम्पादक, निर्देशक और निर्माता हैं इसलिए वे इस जटिलता के साथ अच्छी तरह सामंजस्य बैठा पाते हैं। एक बेहतरीन सिनेमाई अनुभव के लिए इस फिल्म को अवश्य देखा जाना चाहिए।