'हाय! दो कलियां सावन की..... ' / जयप्रकाश चौकसे

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'हाय! दो कलियां सावन की..... '
प्रकाशन तिथि :17 जून 2016

करिश्मा कपूर का तलाक हो चुका है। अदालत के बाहर किए गए समझौते के अनुसार बच्चे मां के पास रहेंगे और उनके पिता माह में दो बार अपने बच्चों से सीमित समय के लिए मिल सकते हैं। इस समझौते पर अदालती मोहर लग चुकी है। प्रेम कथाएं बनाने वाले राज कपूर ने अनिच्छा से अपने ज्येष्ठ पुत्र रणधीर का विवाह साधारण चरित्र अभिनेता हरि शिवदासानी की पुत्री बबीता से किया था। समाजवादी फिल्में बनाने वाले राज कपूर के अवचेतन में हल्की-सी छाया सामंतवाद की भी थी, इसीलिए उन्हें अपने 'दरबारी' हरि शिवदासानी की पुत्री बबीता को बहू के रूप में स्वीकार करने में कुछ संकोच था। इस प्रकरण में रणधीर कपूर विद्रोही सलीम की भूमिका में थे और राज कपूर शहंशाह अकबर की भूमिका में थे। सच तो यह है कि सलीम-अनारकली के काल्पनिक अफसाने का कोई प्रमाण इतिहास में नहीं मिलता परंतु लाहौर में स्थित अनारकली बाजार एक हकीकत है।

ऋषि कपूर और नीतू सिंह के विवाह तक राज कपूर अपने भीतर की सामंतवादी छाया से पूरी तरह मुक्त हो चुके थे। उनकी सौ प्रतिशत रजामंदी से केवल उनकी ज्येष्ठ पुत्री ऋतु का विवाह दिल्ली के उद्योगपति राजन नंदा के साथ हुआ था। ऋतु और राजन के सुपुत्र का विवाह अमिताभ बच्चन की सुपुत्री से हुआ है। गोयाकि कपूर-बच्चन रिश्ता होना ही था। करिश्मा कपूर का प्रेम अभिषेक बच्चन के साथ था परंतु उनका विवाह नहीं हो पाया। अभिषेक सलीम की भूमिका में नहीं आ पाए और उन दिनों शहंशाह अमिताभ बच्चन की गहरी मित्रता अमर सिंह से थी। अभिषेक को सलीम की भूमिका में आने में बहुत विलंब हुआ और तब तक करिश्मा को मेहंदी लग चुकी थी। सुना जाता है कि अमर सिंह ने कपूर परिवार से संपर्क किया परंतु उस समय कपूर परिवार बारात के स्वागत की तैयारी में लग चुका था। यह सब सिनेमाई पटकथा-सा लगता है। फिल्में लिखी हुई पटकथा पर बनती हैं परंतु जीवन की पटकथा ऊपर वाला लिखता है और हर लेखक की तरह उससे भी चूक हो जाती है। कोई आश्चर्य नहीं कि अधिकांश प्रेम-प्रकरण दु:खद होते हैं। हैपी एंडिंग सिनेमाई शिगूफा है। याद आती हैं साहिर लुधियानवी की पंक्तियां, 'आसमां पर है खुदा और जमीं पर हम, आजकल वह इस तरफ देखता है कम।'

करिश्मा और करीना सगी बहनें हैं परंतु उनकी कुंडलियों में अंतर है। करीना और शाहिद कपूर का संक्षिप्त प्रकरण समाप्त हुआ, क्योंकि शाहिद कपूर की एक लापरवाही करीना को नज़र आ गई। यह संयोग देखिए कि जेपी दत्ता की एलओसी की लद्‌दाख में हुई शूटिंग के समय करीना ने एक-दो बार सैफ के मोबाइल से शाहिद से बात की थी, क्योंकि उसके मोबाइल में कनेक्टिविटी की समस्या थी। उस समय उसे यह अनुमान नहीं था कि संबंध का सबसे बड़ा 'ऑपरेटर' कुछ और इशारा कर रहा था। सैफ भी उस खबर से बेखबर थे। सैफ के पिता स्वयं टाइगर पटौदी ने शर्मिला टैगोर से विवाह किया था। प्रवीणतम बैट्समैन भी लेग ग्लांस में चूक करके लेग बिफोर विकेट आउट हो जाता है। सुना जाता है कि भोपाल में पदौदी खानदान की कुछ जमीन पर अतिक्रमण हुआ है और यह संभव है कि उस मामले के कारण सैफ-करीना भोपाल आएं। ज्ञातव्य है कि जया भादुड़ी के पिता भोपाल में रहते थे। इस तरह भोपाल का रिश्ता फिल्म उद्योग से गहरा हो जाता है।

बहरहाल, करीना और करिश्मा की कुंडलियों का अंतर साहिर लुधियानवी के 'फिर सुबह होगी' के आशा भोंसले द्वारा गाए गीत की याद दिलाता है, 'हाय! दो बूंदें सावन कीं, एक सागर की सीप में समाकर मोती बन जाए, दूजी जल में गिरकर अपने को गंवाए, किसको मुजरिम समझें कोई, किसको दोष लगाए, दो सखियां बचपन की हाय! एक सिंहासन पर बैठे और रूपमती कहलाए, दूजी अपने रूप के कारण गलियों में बिक जाए, दो कलियां गुलशन की, एक सेहरे में गूंथी मन ही मन इतराए, दूजी अर्थी की भेंट चढ़े और धूल में मिल जाए, किसको मुजरिम समझें कोई, किसको दोष लगाए…'

बहरहाल, एक अमेरिकी फिल्म में दो बहनें पहाड़ी पर छोटा-सा होटल चलाती हैं और एक कवि वहां आकर ठहरता है। बड़ी बहन से प्रेम-विवाह करके वह बाहर चला जाता है। कुछ वर्षों बाद पति-पत्नी लौटते हैं तो उन्हें ज्ञात होता है कि छोटी बहन चर्च में नन हो गई है। उन्हें डायरी से ज्ञात होता है कि छोटी बहन भी उस छवि से प्यार करती थी, जिसे उसने भी अभिव्यक्त नहीं किया अौर नैराश्य में उसने ईश्वर की सेवा में खुद को अर्पण किया। वे प्रयास करते हैं कि छोटी बहन सामान्य जीवन में लौटे परंतु अब उसकी प्रेमकथा दिव्य स्वरूप ले चुकी होती है। आजकल साध्वियां राजनीति में सक्रिय होती हैं, उस दौर में नहीं होती थीं।