अंधा-युग / धर्मवीर भारती / पृष्ठ-1

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  • धर्मवीर भारती का काव्य नाटक अंधा युग भारतीय रंगमंच का एक महत्वपूर्ण नाटक है।
  • महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित यह् नाटक चार दशक से भारत की प्रत्येक भाषा में मंचित हो रहा है।
  • इब्राहीम अलकाजी, एम के रैना, रतन थियम, अरविन्द गौड़, राम गोपाल बजाज, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशको ने इसका मंचन किया है ।
  • इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महात्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है। नए संदर्भ और कुछ नवीन अर्थों के साथ अंधा युग को लिखा गया है ।
  • हिन्दी के सबसे महत्वपूर्ण नाटकों में से एक अंधा युग में धर्मवीर भारती ने ढेर सारी संभावनाएँ रंगमंच निर्देशको के लिए छोड़ी हैं। कथानक की समकालीनता नाटक को नवीन व्याख्या और नए अर्थ देती है ।
  • नाट्य प्रस्तुति मे कल्पनाशील निर्देशक नए आयाम तलाश लेता है। तभी इराक युद्ध के समय निर्देशक अरविन्द गौड़ ने आधुनिक अस्त्र-शस्त्र के साथ इसका मन्चन किया ।
  • काव्य नाटक अंधा युग में कृष्ण के चरित्र के नए आयाम और अश्वत्थामा का ताकतवर चरित्र है, जिसमें वर्तमान युवा की कुंठा और संघर्ष उभरकर सामने आता है।

स्वकथन

अंधा युग में डॉ. भारती ने युद्ध परिपेक्ष्य में आधुनिक जीवन की विभीषिका का चित्रण किया है। कृष्ण ने धृतराष्ट्र को समझाया था कि मर्यादा मत तोड़ो। टूटी हुई मर्यादाएं सारे कौरव वंश को नष्ट कर देंगी। वह धृतराष्ट्र अंधा था और उसकी संवेदनाएँ बाहरी यथार्थ या सामाजिक मर्यादा ग्रहण करने में असमर्थ थीं, इसलिए स्वार्थ का अंधापन छा गया। इस अंधेपन ने संस्कृति को ह्रासोन्मुख बना दिया और पूरे युग को महाविनाश के कगार पर खड़ा कर दिया। युद्ध में मौलिक विनाश के साथ-साथ मानवीय जीवन को ध्वस्त कर दिया। अनेक आस्थायें टूट गईं। आधुनिक युग में दो विश्व युद्धों में अंधी प्रवृत्तियों द्वारा विश्व में यह विनाश हुआ। अंधेपन से उत्पन्न युद्धों के उपरान्त एक महान विघटनकारी संस्कृति का निर्माण हुआ। जिसमें कुंठा, निराशा, पराजय, अनास्था, प्रतिशोध, आत्मघात और पीड़ा व्याप्त हो गई।

अंधा-युग की आलोचना में महाभारत के संदर्भ में आधुनिक अंधी प्रवृत्तियों का ही उद्घाटन है। इस आलोचनात्मक पुस्तक में सारी प्रवृत्तियों और काव्य-नाटक की दृष्टि से समीक्षा प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत की गई है। अन्त में मूल पाठ सहित व्याख्याएँ भी दी गई हैं। आशा है कि परीक्षार्थियों के लिए यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।

-राकेश