अग्निपथ, आर्थिक मंदी और गैंगस्टर का सिनेमा / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अग्निपथ, आर्थिक मंदी और गैंगस्टर का सिनेमा
प्रकाशन तिथि : 16 मार्च 2011


आजकल मुंबई में करण जौहर की ऋतिक रोशन अभिनीत 'अग्निपथ' के सीक्वल की शूटिंग चल रही है। इस दौर में ऋषि कपूर के साथ दृश्यों का फिल्मांकन जारी है। ज्ञातव्य है कि करण के पिता यश जौहर ने अमिताभ बच्चन के साथ मुकुल एस. आनंद के निर्देशन में 'अग्निपथ' बनाई थी, जिसमें मुकुल आनंद ने अमिताभ बच्चन को अपनी आवाज बदलने का आग्रह किया था। यह फिल्म हॉलीवुड की अलपचीनो अभिनीत 'स्कारफेस' से प्रेरणा लेकर बनाई गई थी और बदली हुई आवाज भी अलपचीनो का ही प्रभाव है। फिल्म के असफल होने पर अमिताभ से उनकी स्वाभाविक आवाज में पुन: ध्वनि मुद्रण करवाया गया, परंतु बॉक्स ऑफिस पर कोई सुधार नहीं हुआ। दरअसल बदली हुई आवाज की वजह से असफलता नहीं मिली थी। फिल्म ही लोगों को उबाऊ लगी थी। उसमें नायक को उसके शत्रु ललकारते हैं, तो वह कहता है कि नियत स्थान और समय पर वह बिना शस्त्र ही आएगा। वह आता है और दर्जनों गोलियां उसकी छाती को छलनी करती हैं। एक नारियल पानी बेचने वाला उसे अस्पताल ले जाता है, वह बच जाता है। यह ठीक है कि नायक की छवि विराट है, परंतु शत्रुओं के बीच निशस्त्र जाना और छाती पर गोलियां खाने में दर्शक को कोई औचित्य नहीं दिखा। नायक के चरित्र में मृत्यु की इच्छा विद्यमान है, यह बात हजम नहीं हुई।

दरअसल 'डेथ विश' नामक फिल्म में लाइलाज रोग से पीडि़त मनुष्य सामाजिक न्याय के लिए अन्याय की शक्तियों से भिड़ जाता था। यह संदर्भ ही अलग था। 'स्कारफेस' अमेरिका में दो बार बनाई गई है। पहली बार यह उस दौर की फिल्म थी, जब अमेरिका भीषण आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा था। शेयर बाजार टूट गया था और लाखों लोगों की उम्र भर की कमाई डूब गई थी। उस दौर में गैंगस्टर फिल्मों की बाढ़ आई और लूटने वाले नायकों के साथ जनता को सहानुभूति हुई। गैंगस्टर नायक सगर्व कहता था कि वैध व्यवसाय में मेहनत करने से क्या फायदा, जब संस्थाओं में पैसा डूब जाता है। उससे कम मेहनत में डाका डाला जा सकता है। दूसरी बार 'स्कारफेस' बनी 'गॉडफादर' में अलपचीनो को मिले जबरदस्त स्टारडम के बाद।

अमेरिका में तीसरे दशक में आई आर्थिक मंदी के बाद गैंगस्टर फिल्में बनाना कम हो गया। समाज में विश्वास लौट आया। इस समय भारत में व्यापक भ्रष्टाचार के किस्सों के उजागर होने के बाद कुछ लोगों ने यह सवाल उठाया है कि जब हमसे वसूले टैक्स की चोरी हो रही है, तब हम टैक्स क्यों भरें। यह दृष्टिकोण महज क्रोध की अभिव्यक्ति है। अराजकता का जवाब अराजकता नहीं होता। व्यवस्था चरमरा रही है, परंतु नया कुछ उभर नहीं रहा है। बहरहाल समाज में अस्थिरता के दौर में गैंगस्टर फिल्में ज्यादा सफल रहती हैं। फिल्म शैलियों के निरंतर घूमते हुए चक्र में गैंगस्टर फिल्में आती रहती हैं।

बहरहाल करण जौहर अपने पिता की असफल फिल्म का नया संस्करण बना रहे हैं। यह संभव है कि उन्हें लगता हो कि उनके पिता के संस्करण के साथ न्याय नहीं हुआ। अगर ऐसा है तो उन्हें आज के सितारों के साथ उसे जस का तस बनाना था। मूल फिल्म में ईमानदार स्कूल शिक्षक को दुष्ट शक्तियां मार देती हैं और शिक्षक का बेटा अपराध के रास्ते पर चलकर बदला लेता है। फिल्म में मां और बेटे के दृश्य कमाल के थे। स्कूल शिक्षक की पत्नी नैतिकता की राह पर कायम रहती है और बदले की खातिर ही सही, परंतु गुमराह पुत्र को क्षमा नहीं करती।

ऋतिक रोशन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। 'अग्निपथ' अमिताभ की इंटेंस फिल्म है। मूल के निर्देशक मुकुल एस. आनंद और नए संस्करण के प्रस्तुतीकरण पर ही अभिनय भी निर्भर करेगा। नए संस्करण में भी हरिवंश राय बच्चन का गीत होगा, अन्यथा टाइटिल भी बदलना पड़ता।