अड़ी हुई टाँग / नरेन्द्र कोहली

Gadya Kosh से
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"हमें दिवाली में पटाखे नहीं चलाने चाहिएँ। `` रामलुभाया ने कहा," हम तो स्कूली बच्चों को ले कर संसद के सम्मुख एक प्रदर्शन करने जा रहे हैं कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। ``

"क्यों? `` मैं ने पूछा," जाने कब से हमारी परंपरा है दिवाली पर पटाखे चलाने की। तुम उस को बंद कर देना चाहते हो। ``

" परंपरा है तो क्या हुआ। बुरी चीज तो बुरी ही है। `` वह बोला।

" क्या बुराई है? `` मैं ने पूछा।

"अरे भाई जगह-जगह पर आग लग जाती है। लोग जल जाते हैं। `` वह बोला," लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि पटाखे बंद किए जाएँ। ``

"जहाँ आग लगी है, वहाँ पटाखों की अवैध दूकानें थीं। `` मैं ने कहा," इस समस्या का समाधान पटाखों को वैध और सुरक्षित ढंग से बेचने की व्यवस्था करना है या पटाखों पर प्रतिबंध लगाना? ``

"वे अवैध ढंग से तो बिकें गे ही। `` वह बोला," हमारी पुलिस उन से उत्कोच ले कर पटाखे बेचने देती है। ``

" तो अपनी पुलिस को सुधारो। `` मैं ने कहा।

"वह संभव नहीं है। `` रामलुभाया अड़ा रहा," पटाखे ही बंद करवाने हों गे। ``

" रामलुभाया! वर्ष भर में कितने स्थानों पर बिजली के शार्ट सर्किट से आग लगती है? `` मैंने पूछा।

"कई जगह लगती है। `` वह बोला," मेरे पास कोई आँकड़े नहीं हैं। ``

"तो बिजली क्यों है इस देश में? विद्युत उत्पादन बंद कर दिया जाना चाहिए। `` मैं ने कहा।" की न मूर्खता की बात। उस ने मुझे डाँट दिया, " बिजली में क्या बुराई है। लोग ही असावधान होते हैं तो दुर्घटनाएँ होती हैं। ``

"कितनी बसें नदियों में गिरती हैं?" मैं ने कहा, " नदियाँ पाट दो गे अथवा उन पर बने पुल तुड़वा दो गे? ``

" मुझे पागल समझते हो क्या? कहीं नदियाँ भी पाटी जाती हैं या पुल तोड़े जाते हैं। ``

" पर लोग तो उस में भी डूब कर मरते हैं। ``

"वह लोगों की मूर्खता है। `` वह बोला," उन्हें उस का उचित उपयोग सिखाया जाना चाहिए। `` "सड़कों पर प्रतिदिन दुर्घटनाएँ होती हैं। `` मैं बोला," रेल गाड़ियाँ भिड़ जाती हैं। विमान गिर पड़ते हैं। जलपोत डूब जाते हैं। तो क्या इन सब को नष्ट कर दिया जाना चाहिए? ``

" तुम तो संसार को मध्ययुग के अंधकार में धकेल देना चाहते हो, जहाँ न सड़कें हों, न गाड़ियाँ, न रेलें और न विमान। न बिजली और न बिजली से चलने वाले यंत्र। ``

"मैं किसी को पीछे धकेलना नहीं चाहता। `` मैं ने कहा," तुम ही तर्क दे रहे हो कि पटाखों से किसी की मूर्खता के कारण आग लग जाती है अथवा कोई झुलस जाता है तो दिवाली पर पटाखे बंद कर दिए जाएँ। मिठाइयों से पेट खराब होता है। मिठाइयाँ न खाई जाएँ। होली पर रंग न डाला जाए, उस से परेशानी होती है। तुम कोेई त्यौहार मनाने भी दो गे? ``

"तो हिंदू अपने त्यौहार ढंग से मनाते क्यों नहीं। हम तो सब को शिक्षित करना चाहते हैं। `` वह बोला," सारे ईसाई स्कूल इस प्रदर्शन में हमारे साथ हैं। ``

"वे तो रहें गे ही। `` मैं ने कहा," तुम ईसाई नववर्ष पर मदिरापान और आधी रात की निशाचरी क्यों बंद नहीं करवाते। उस रात इतना हुल्लड़ और गुंडागर्दी होती है कि कोई भला आदमी सड़क पर से गुजर भी नहीं सकता। ``

"ईसाई धर्म तो नहीं कहता कि मदिरा पीओ और लोगों से झगड़ा करो। `` वह बोला," वह तो लोग ही पीने के शौक में वह सब कर बैठते हैं। ``

"तो हिंदू धर्म ही कहाँ कहता है कि असावधान हो कर पटाखे चलाओ। स्वयं जलो और दूसरों को जलाओ। `` मैं ने कहा," क्रिसमस के दिनों में सारे यूरोप और अमरीका में कितनी दुर्घटनाएँ होती हैं। उन्हों ने तो क्रिसमस मनानी बंद नहीं की। ``

" तुम दूसरों के धर्म में टाँग अड़ा रहे हो। `` उस ने मुझे घूर कर देखा।

"मैं तो उन की अड़ी हुई टाँग को उन की पाली में धकेल रहा हूँ। `` मैं बोला," उन्हों ने कैसे यह मान लिया कि उन्हें दूसरों के मामले में टाँग अड़ाने का विशेषाधिकार प्राप्त है और तुम भी उन के बहकावे में आ कर इस प्रकार का मूर्खतापूर्ण अभियान मत छेड़ा करो। अपने मन को निर्मल करो और अपने नयनों को विवेक के जल से धो लो। नहीं तो तुम उन के पैसे से पलने वाले पिट्ठू और अपने समाज के शत्रु होने के पाप में चिरकाल तक दंडित हो गे। ``