अतिथियों की प्रतिक्रियाएं / जयप्रकाश चौकसे

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अतिथियों की प्रतिक्रियाएं
  • महेश भट्ट - महात्मा गांधी के उपदेश अहिंसा के बारे में बात करते हुए भारत को महात्मा गांधी की परछाई बताया. उन्होने नेल्सन मंडेला का उदाहरण देते हुए कहा कि नेल्सन मंडेला ने कहा था कि ‘महात्मा गांधी के विचारों में कोई दुश्मन नहीं है.’
  • सुभाष घई - ‘महात्मा का मतलब किसी साधु से नहीं होता है. महात्मा का मतलब होता है अच्छी आत्मा. महात्मा गांधी लोगों को रिझाना जानते थे और लोगों से काम करवाना जानते थे. उनमें आत्मबल था. आज के फिल्मकार गांधीजी को समझते हैं इसलिए उन्होने गांधीजी के विचारों को अपनी फिल्मों में दर्शाया है. इसलिए यह किताब बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें गांधीजी और सिनेमा का उल्लेख किया गया है.’
  • सलीम खान - ‘इस किताब में तीन महत्वपूर्ण चीजें है और वह हैं, ‘गांधीजी’, ‘सिनेमा’ और ‘चौकसे जी’. चौकसे जी ने जिस विषय पर यह किताब लिखी है, यह लिखना बहुत ही मुश्किल है इसलिए वह प्रशंसा के पात्र हैं क्योंकि सोचना और सोचकर लिखना बड़ी बात होती है.’
  • रणधीर कपूर - ‘इस किताब की प्रशंसा करनी होगी क्योंकि यह विषय बहुत ही अलग और दिलचस्प है. मैं लेखक को इसके बारे में शुभकामनाएं देना चाहुंगा.’
  • जयप्रकाश चौकसे (लेखक) – ’मैंने इस किताब में ऐसी कई फिल्मों का जिक्र किया है जो गांधीजी से प्रेरणा लेकर बनी है. गांधीजी ने कभी फिल्म नहीं देखी न ही उन्होने फिल्मों के बारे में विचार प्रकट किए लेकिन अगर गांधीजी के विचार कहीं जीवित हैं तो वह केवल हिंदी सिनेमा में. इसलिए गांधीजी का फिल्मों के साथ काफी गहरा संबंध है.