अनजान थी मैं इन नदियों से / संतोष श्रीवास्तव

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एक ज़माने में मुम्बई में पारदर्शी मीठे पानी की पाँच प्रमुख नदियाँ बहती थीं। उल्हास नदी जहाँ चायना क्रीक में फ़िल्म वालों के आकर्षण का केन्द्र रही वहीं मीठे स्वच्छ जल से लबालब ये नदियाँ मुम्बई के पर्यावरण की खूबसूरती में चार चाँद लगाती थीं। नौका विहार, तैराकी, बंशी डालकर मछलियों को पकड़ना और आए दिन किसी न किसी फ़िल्म की शूटिंग का ये केन्द्र थीं। पिकनिक स्पॉट ही नहीं ये नदियाँ सैकड़ों मछुआरों की रोज़ी रोटी जुटाने का साधन भी थीं। मुम्बई में तीन दशक गुज़ार चुकने के बाद मुझे इन नदियोंके अस्तित्व की जानकारी 2005 की उस भयंकर बाढ़ से पता चला जब पूरा मुम्बई जलमग्न हो त्राहि-त्राहि कर उठा था।

दहिसर नदी बारह किलोमीटर लम्बी है जो नेशनल पार्क में कन्हेरी की गुफ़ाओं के पास तुलसी झील से दहिसर पुल, दौलत नगर, बोरीवली और दहिसर के कुछ हिस्सों को छूते हुए गोराई खाड़ी में विसर्जित होती है। यह नदी 'नया दौर' फ़िल्म का लोकेशन थी।

मीठी नदी 17.8 किलोमीटर लम्बी है। यह पवई स्थित विहार और पवई झीलों के अतिरिक्त प्रवाह से जन्म लेकर मरोल, साकीनाका, कुर्ला, कालीना, धारावी, माहिम और बाँद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में वकोला नाले से मिलते हुए माहिम खाड़ी होते हुए अरब सागर में समाप्त हो जाती है। एक ज़माने में इसका फ्लो 40000 से 50000 क्यूसेक था जो सबसे लंबी नहर कहलाती है।

ओशीवरा नदी 10 किलोमीटर लम्बी है। आरे मिल्क कॉलोनी के उद्गम स्थल से लेकर गोरेगाँव हिल्स, इंडस्ट्रियल इस्टेट और झोपड़पट्टियों से होते हुए मालाड खाड़ी और अंततः अरब सागर में जाकर समाप्त होती है।

पोईसर नदी सात किलोमीटर लम्बी है। जो नेशनल पार्क के उद्गम स्थल से लेकर गोराई खाड़ी होते हुए अरब सागर में समाप्त होती है। यह तैराकों की ख़ास पसंदीदा नदी थी। और मुम्बईकर इसमें नहाते भी थे।

उपेक्षा, अनाचार और प्रदूषण की चौतरफ़ा चोट ने इन नदियों को अब गंदे, काले पानी का नाला बना दिया है। अब ये सीवरके हश्र में परिवर्तित हो गई है और आज की युवा पीढ़ी नहीं जानती कि उनकी मुम्बई चार-चार नदियों की खूबसूरत नगरी थी जहाँ इसके बहते जल की कलकल कभी गुँजायमान थी।