अनिल कपूर का समसामयिक '24'/ जयप्रकाश चौकसे

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अनिल कपूर का समसामयिक '24'
प्रकाशन तिथि : 17 सितम्बर 2013


आज 53 वर्ष की आयु में भी अनिल कपूर चुस्त-दुरुस्त हैं और अपने जीवन के सबसे अधिक व्यस्त दौर में हैं। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' में उनकी अभिनीत चरित्र भूमिका ने उनके लिए पश्चिम में भी अवसर उत्पन्न किए तथा '24' नामक थ्रिलर सीरियल में उनकी संक्षिप्त भूमिका थी, परंतु उन्होंने इसके भारतीय संस्करण के अधिकार खरीदे और अभिनव देव के निर्देशन में इसकी शूटिंग का एक दौर पूरा कर लिया है। ज्ञातव्य है कि '24' अमेरिका का सफलतम राजनीतिक पृष्ठभूमि पर बना सीरियल है और अनिल कपूर के भारतीय संस्करण में भी युवा प्रधानमंत्री के शपथ समारोह में उनकी हत्या के षड्यंत्र को प्रस्तुत किया गया है। घटनाक्रम 24 घंटे का है और हर क्षण इसमें नाटकीय घटनाएं होती हैं। भारतीय संस्करण में इस थ्रिलर में परिवार के संघर्ष और भावनाओं का समावेश किया गया है।

अमेरिका से अधिकार खरीदने के बाद अनिल कपूर ने वर्षों पूर्व मुंबई के उपनगर कुर्ला में एक जमीन खरीदी थी और उसी पर इस सीरियल का मास्टर सेट लगाया गया है। इस तरह के सीरियल के लिए टेक्नोलॉजी में प्रवीण लोगों की टीम बनानी होती है और अनेक गैजेट्स का भी प्रयोग होता है। इसमें अभिनव देव का चुनाव बतौर निर्देशक भी इसलिए किया गया है कि वे टेक्नो सेवी फिल्मकार हैं। अनिल कपूर की भूमिका एंटी टेरर स्क्वाड के अफसर जयसिंह राठौर की है और युवा प्रधानमंत्री आदित्य सिंघानिया की भूमिका नील भूपलम कर रहे हैं तथा शबाना आजमी एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। यह शबाना आजमी का छोटे परदे पर प्रथम प्रयास है। ज्ञातव्य है कि शबाना ने अनिल कपूर के भाई बोनी कपूर की बतौर निर्माता पहली फिल्म 'हम पांच' में केन्द्रीय भूमिका की थी। अनिल कपूर की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म 'मिस्टर इंडिया' के लेखक सलीम-जावेद थे। फिल्म निर्माण के समय जावेद अख्तर और शबाना का निकाह हो चुका था। अमेरिकन '24' में घटनाक्रम 24 घंटे का था तो उसका प्रस्तुतीकरण भी उसी टाइम-फ्रेम में किया गया था। फिल्म और टेलीविजन में असल टाइम-फ्रेम में प्रस्तुतीकरण अत्यंत कठिन होता है। केवल राज कपूर की 'जागते रहो' में यह प्रयोग किया गया था। फिल्म का प्रारंभ रात एक बजकर बीस मिनट पर होता है और अलसभोर में घटनाक्रम पूरा हो जाता है। टेलीविजन चैनल 'कलर्स' पर इसका प्रसारण अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में होने जा रहा है। अनिल कपूर अपने काम के प्रति हमेशा ही समर्पित रहे हैं। बतौर अभिनेता भी अपनी भूमिका समझने के बाद कई बार आधी रात को भी वे निर्देशक से प्रश्न करते थे। एक निर्माता के रूप में भी हर छोटी-बड़ी बात पर उनकी नजर है। विगत दो वर्षों से वे इस पर परिश्रम कर रहे हैं। लिजलिजी भावुकता और रबर की तरह कथाओं को खींचने वाले टेलीविजन माध्यम में '24' सबसे हटकर बनाया गया कार्यक्रम सिद्ध हो सकता है।

इसका प्रसारण भी उस समय होने वाला है, जब भारत में अनेक राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, जिन्हें केन्द्र के लिए आम चुनाव का रिहर्सल माना जा रहा है। अत: अनिल कपूर का प्रसारण उसे समसामयिक सीरियल बना देता है। भारत में तीन राजनीतिक हत्याएं हो चुकी हैं और इत्तेफाक से तीनों का सरनेम गांधी रहा है। महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी राजनीतिक विचारधारा आज भी अपने प्रखरतम रूप में मौजूद है। राजीव गांधी की हत्या लिट्टे ने की थी और उसके सारे सदस्य मारे जा चुके हैं, परंतु विचारधारा के रूप में आज भी जीवित हैं। यह कितने आश्चर्य की बात है कि हिंसा में विश्वास करने वाली विचारधाराएं कभी नहीं मरतीं और अहिंसा के पुजारी कभी-कभी ही एक लहर के रूप में कुछ समय के लिए प्रभावी सिद्ध होते हैं। आज भी यूरोप में नाजी विचारधारा के समर्थक गुप्त स्थानों पर मिलते हैं और उसके पुनर्जागरण की योजना बनाते हैं। अमेरिका में भी लिंकन और कैनेडी की हत्याएं हुई थीं। दरअसल, हिंसा नट साम्राज्ञी है और विभिन्न रूपों और मुखौटों में उजागर होना उसका स्वभाव है। अत: अनिल कपूर का यह सीरियल '24' समसामयिक एवं विचारोत्तेजक होगा। ज्ञातव्य है कि केतन मेहता ने भी इसी तरह के घटनाक्रम और टाइम-फ्रेम का सीरियल बनाया था।