अमितव घोष, कमल सदाना और सुंदरबन्स / जयप्रकाश चौकसे

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अमितव घोष, कमल सदाना और सुंदरबन्स
प्रकाशन तिथि : 01 नवम्बर 2014


कमल सदाना की 'रोर' (दहाड़) के बारे में प्रचारित है कि इसकी पूरी शूटिंग सुंदरबन्स में हुई है। सुंदरबन्स ऐसी जगह है जहां एक सप्ताह भी शूट करना कठिन है क्योंकि नदियों से घिरे टापू में चारों और कीचड़ भरे किनारे हैं जिनमें गम बूट पहनकर अधिक दूर तक जाना कठिन है परंतु नाव पर कैमरा रखकर शूटिंग की जा सकती है। आज फिल्म टेक्नोलॉजी इतनी विकसित है कि कठिन जगह के कुछ शॉट्स की मदद से भी फिल्म का प्रभाव यही होता है कि वह पूरी वहां शूट हुई है। दरअसल इस फिल्म में कम्प्यूटर जनित दृश्य बहुत अच्छे हैं परंतु श्रेष्ठ टेक्नोलॉजी भी कथा के अभाव में नतीजा नहीं दे पाती। इसकी कथा भी कुछ इस तरह है कि बड़े भाई को सफेद टाइगर ने मार दिया था तो छोटा भाई प्रशिक्षित कमांडो लेकर बदला लेने सुंदरबन्स आता है। क्या किसी की मृत्यु नदी में डूबने से हो जाए तो आप नदी से बदला लेंगे या पहाड़ पर गिर जाने का बदला पहाड़ से लेंगे, आकाश से बिजली गिरने से हुई मृत्यु का बदला आकाश से नहीं लिया जा सकता। यह सर्वविदित है कि सफेद टाइगर या अन्य रंग के टाइगर को मारना अपराध है। टाइगर प्रजाति की रक्षा का प्रयास सरकार कर रही है। किसी भी एक प्रजाति के नष्ट होने का प्रभाव पूरे विश्व के वातावरण पर पड़ता है। सुंदरबन्स के टाइगर दरख्त पर चढ़ना जानते हैं क्योंकि नदियों में बाढ़ आने पर सभी प्रकार के प्राणी पेड़ पर चढ़ते हैं। यह दुनिया में सबसे विचित्र जगह है जहां नदियों के पानी में समुद्र का पानी मिल जाता है। प्राय: नदियों का आखिरी पड़ाव समुद्र होता है परंतु सुंदरबन्स में समुद्र का पानी नदी से मिलता है।

अमितव घोष की किताब "हंग्री टाइड"की पृष्ठभूमि सुंदरबन्स है और वे ऐसे विश्व प्रसिद्ध लेखक हैं जो अपनी किताबें गहरे शोध के बाद ही लिखते हैं और पृष्ठभूमि का इतना विशद विवरण वे करते हैं कि उनकी किताब लेकर आप स्थान के भ्रमण पर जा सकते है जैसे थॉमस हार्डी के उपन्यास लेकर आप वेसेक्स काउंटी की यात्रा पर जा सकते हैं या जेम्स जॉयस की 'डब्लीनटर्स' लेकर आप डब्लीन घूम सकते हैं। हमारे फणीश्वरनाथ रेणु की किताबों के साथ बिहार की यात्रा की जा सकती है।

अमितव घोष की किताब की अमेरिकन नायिका सुंदरबन्स में नदी के पानी में रहने वाली डॉल्फिन मछली पर शोध करने आई है। डॉल्फिन संसार की सबसे समझदार मछली है और मनुष्य के संकेत पर काम करती है। प्रशिक्षित डॉल्फिन अजीबोगरीब करतब कर गुजरती है। डॉल्फिन को लेकर कई फिल्में पश्चिम में बनी हैं। किवदंती है कि बांझ स्त्री डॉल्फिन पर प्राय: लेटी रहे तो वह गर्भधारण करने योग्य हो जाती है। अमितव घोष की शोध परक किताब में वर्णन है कि ग्यारहवीं सदी में इस्लाम को मानने वाले भाई-बहन सुंदरबन्स में बसे आैर उन्होंने वहां के समाज के भले के लिए इतने काम किए कि उनकी मृत्यु के बाद वहां की जनता ने उनकी स्मृति में एक मंदिर बनाया।

बहरहाल अमितव घोष की अमेरिकन नायिका की पहली मुलाकात एक अनपढ़ भारतीय नाव चलाने वाले से इस तरह होती है कि वह नदी के तल में झाड़ियों में उलझ जाती है आैर नाव चलाने वाला केवट उसे बचा कर ले आता है। नायिका पढ़ी- लिखी अमेरिकन है और नायक अनपढ़ केवट है तथा उनका पहला स्पर्श नदी तल से बचाते समय हुआ था तथा दूसरा अंतिम स्पर्श उस समय होता है जब बाढ़ के संकट के समय नायिका के ऊपर एक पेड़ टूट कर गिरता है और केवट नायक उसकी ढाल बन जाता है। वह मर कर अपनी प्रेयसी की रक्षा करता है। यह एक अभिनव प्रेम- कहानी है जिसके साथ सुंदरबन्स के इतिहास और भूगोल के रेशे इस तरह मिलाए गए हैं कि आपका स्थान से पूरा परिचय हो जाता है। दरअसल अद्भुत सौंदर्य से सजा सुंदरबन्स प्रेम कथा के लिए वाजिब है, शेर के शिकार के लिए नहीं।