अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' / परिचय

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 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचनाएँ     

हिन्दी साहित्य में अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध का स्थान प्रमुख है। १८८९ में कानून की परीक्षा पास करने के पश्चात इन्होंने ३४ वर्ष तक सरकारी नौकरी की। १९३२ में इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया। इन्हें हिन्दी के अतिरिक्त संस्कृत, फारसी, उर्दू, बंगला आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। इन्हें खड़ी बोली के प्रथम महाकवि होने का गौरव प्राप्त है।

हरिऔध जी ने उपन्यास, समीक्षा आदि विधाओं में भी रचनाएँ की। इनकी भाषा सहज तथा भाव-प्रधान है। इनकी भाषा में संस्कृत शब्दों से युक्त खड़ी बोली को अपनाया है।

प्रमुख रचनाएँ - प्रियप्रवास( खड़ी बोली में प्रथम महाकाव्य), वैदेही वनवास, रस-कलश, अधखिला फूल(उपन्यास)।