अर्जुन कपूर की खुद से जंग / जयप्रकाश चौकसे

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अर्जुन कपूर की खुद से जंग
प्रकाशन तिथि : 29 जून 2019


'पानीपत' नामक फिल्म में अपनी भूमिका के लिए अर्जुन कपूर बहुत परिश्रम कर रहे हैं, जबकि किसी भी कपूर को भोजन पर संयम रखना बहुत कठिन होता है। आजकल कलाकार अभिनय पाठशाला नहीं जाते, वे जिम में कसरत करते हैं और आयात किया प्रोटीन खाते-पीते हैं। अर्जुन कपूर का कहना है कि जैकी श्राफ के पुत्र टाइगर श्राफ ने अपने जिस्म को इस्पात की तरह ढाला है। ऋतिक रोशन भी नियमित कसरत करते हैं परंतु वे अपने शरीर सौष्ठव नहीं वरन अभिनय प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। सच तो यह है कि अभी तक ऋतिक रोशन की प्रतिभा का आंशिक दोहन ही हुआ है।

अर्जुन कपूर बोनी कपूर की प्रथम पत्नी मोना से जन्मे पुत्र हैं। श्रीदेवी के निधन के समय अर्जुन कपूर ने ही जाह्लवी और खुशी को संभाला। उन कमसिन उम्र बहनों के लिए मां की आकस्मिक मृत्यु होना बहुत त्रासद अनुभव रहा। श्रीदेवी के निधन के समय सारा कपूर परिवार एक साथ हो गया। उस दुर्घटना के पहले अर्जुन और बोनी कपूर के बीच कुछ तनाव था। अनिल कपूर और बोनी हमेशा मित्रों की तरह रहे हैं, क्योंकि अनिल कपूर को इस बात का शिद्दत से एहसास है कि बोनी ने कम उम्र से ही पूरे परिवार की जवाबदारी संभाली है और अनिल को सितारा बनाने के लिए उन्होंने बहुत पापड़ बेले हैं। अपने छोटे भाई संजय कपूर के लिए भी बोनी ने बड़े बजट की भव्य फिल्मों का निर्माण किया परंतु अवाम ने उसे स्वीकार नहीं किया। अनिल कपूर अपनी दूसरी पारी में चरित्र भूमिकाओं का निर्वाह कर रहे हैं और बाजार में उनकी मांग बनी हुई है।

आगामी 21 नवंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म 'पागलपंती' में सौरभ शुक्ला के साथ अनिल कपूर ने कुछ दृश्य अभिनीत किए हैं। सौरभ शुक्ला मंजे हुए कलाकार हैं और उनकी मौजूदगी में दर्शक का ध्यान उनके सहयोगी कलाकार पर नहीं जाता। याद आता है कि 'जॉनी एलएलबी' में सौरभ शुक्ला ने जज की भूमिका अनूठे ढंग से अभिनीत की। जज अपनी कुर्सी पर बैठते ही सर्वप्रथम टेबल पर रखे गमले में पानी डालता है कि न्याय का पौधा कहीं सूख नहीं जाए। कार्यपालिका की मनमानी के दिनों में न्यायपालिका ही अवाम की आशा का केंद्र है।

अर्जुन कपूर ने हास्य का माद्दा अपनी मां मोना कपूर से पाया है। बोनी और मोना के तलाक के कुछ वर्षों पश्चात बोनी कपूर ने 'जुदाई' नामक फिल्म बनाई, जिसमें एक महिला दूसरी महिला के पति को खरीद लेती है। फिल्म सफल रही। उन्हीं दिनों खाकसार की मुलाकात अपनी पुरानी मित्र मोना से हुई और खाकसार ने पूछा कि क्या मोना एक या दो करोड़ में बोनी को खरीदना चाहेगी जैसा कि जुदाई फिल्म की कथा है। मोना ने तपाक से उत्तर दिया कि क्या वह इतनी मूर्ख है कि सेकंड हैंड माल इतने महंगे दाम में खरीदे?

अपने विवाह के पूर्व श्रीदेवी मुंबई शूटिंग करने आती थीं तो सी रॉक होटल में ठहरती थीं। एक दिन निर्माता पूरनचंद राव और श्रीदेवी के बीच बड़ी अनबन हो गई। होटल की लॉबी में तमाशा हो गया। इसी घटना के बाद बोनी कपूर के आमंत्रण पर श्रीदेवी ने उनके घर रहना स्वीकार किया। उन दिनों श्रीदेवी शिखर सितारा थीं। अत: घर का सर्वश्रेष्ठ कमरा उन्हें दिया गया। वह कमरा मोना और बोनी का था। इसके लंबे समय बाद मोना कपूर ने अपनी शैली में ठहाका लगाते हुए कहा कि उन्हें क्या मालूम था कि वह कमरा श्रीदेवी का स्थायी निवास बन जाएगा। मोना कड़वे यथार्थ का बयान करते हुए भी ठहाका लगाती थीं।

अर्जुन कपूर ने अपने पिता से विपरीत परिस्थितियों में भी डटे रहना सीखा तो अपनी मां मोना से हास्य और सहज स्वाभाविक जीवनशैली ग्रहण की है परंतु इन दोनों प्रभावों के साथ ही उनका अपना मौलिक भी बहुत कुछ है। प्रकृति डुप्लीकेटिंग मशीन नहीं है। रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है कि हर बच्चे का जन्म रेखांकित करना है कि ईश्वर अभी मनुष्य से निराश नहीं हुआ है।

बहरहाल, बोनी कपूर अपने दोनों भाई, दोनों बेटियों के साथ एक परिवार के कथानक पर निहायत ही मजेदार फिल्म बना सकते हैं। आजकल वे मुंबइया फिल्मों को तमिल और तेलुगु मे बना रहे हैं। हाल ही में उन्होंने 'पिंक' का दक्षिण भारतीय संस्करण बना लिया है।