अलबर्ट एक्का / प्रदीप प्रभात

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अलबर्ट एक्का रोॅ जनम सन् 1942 ई. में गुमला जिला के डुमरी प्रखण्ड अन्तर्गत जड़ी गाँव में होलोॅ छेलै। हिनकोॅ बाबू के नाम जूलियस एक्का आरो माय के नाम मरियम एक्का छेलै। अलबर्ट एक्का रोॅ प्रारंभिक शिक्षा सी. सी. पतरा टोली स्कूलोॅ में होलोॅ रहै। बाद में हुनी भीखनपुर सेॅ मिडिल के परीक्षा पास करलकै। उच्च शिक्षा पाबै के प्रबल इच्छा छेलै मतर कि बापोॅ के सबसेॅ बड़ोॅ बेटा होय के कारण परिवार के आर्थिक स्थिति दयनीय छेलै। परिवार रोॅ आवश्यकता देलै रोजी-रोटी ई विवशता के कारण पढ़ाय छोड़ै लेॅ पड़लै आरो हुनी आपनोॅ बाबू जी के साथेॅ खेती-बारी के काम काजोॅ में दू साल तांय हाथ बँटैतेॅ रहलै। होकरोॅ बाद हुनी दू साल तांय नौकर के काम करलकै कैहिनेॅ कि हुनका तीन छोटोॅ भाय आरो एक बहिन भी परिवार में छेलै।

अलबर्ट केॅ धांगर (नौकर) के रूपोॅ में काम करबोॅ पसंद न´ छेलै। यै लेली सेना में भर्ती होय गेलै।20 साल के ऊमर में सैनिक जीवन में सदा कर्तव्यनिष्ठ सिपाही रोॅ भूमिका निभावै वाला अलबर्ट एक्का नेॅ 1962 के भारत-चीन लड़ाय में आपनोॅ अनुशासन आरो वीरता रोॅ परिचय देलेॅ छेलै। हुनकोॅ सराहनीय काम अनुशासन प्रिय वीरता के परिणाम हुनकोॅ दोन्नति लान्स नायक रूपोॅ में होय गेलै।

अलबर्ट एक्का रोॅ बीहा 1968 में बेलेडीना खेस रोॅ साथेॅ सम्पन्न होलै मतुर कि तीन सालों के बाद शहीद होय रोॅ वक्ती हुनका एक बेटा छेलै। जेकरोॅ ऊमर ऊ समय तीन साल छेलै। बेटा रोॅ नाम बिन्सेंट एक्का छेकै।

अलबर्ट एक्का के साहस रोॅ कोय नमूना न´ छै। गंगा सागर रोॅ पास पुश्मनोॅ पेॅ आक्रमण करतेॅ हुवेॅ लान्स नायक अलबर्ट एक्का 14 गाडर््स रोॅ साथेॅ अगला पंक्ति में छेलै। अलबर्ट एक्का के लक्ष्य रोॅ दुश्मनोॅ रोॅ एक सुरक्षित घरोॅ के दू-तल्ला पर मध्यम शक्ति के मशीनगनोॅ पर देलै। ऊ मशीनगनें अलबर्ट एक्का आरो हुनकोॅ दलोॅ पेॅ गोली के वर्षा करि रहलोॅ छेलै। जान रोॅ परवाय करलेॅ बीना एक्का घायलवस्था में भी ऊ निदिष्ट घरोॅ तांय रेंगते हुवेॅ पहुँची गेलै आरो बंकर के एक छेदोॅ सेॅ एक हथगोला दुश्मनोॅ रोॅ बीचोॅ में फेंकी देलकै। ई गोला सेॅ दुश्मन मारलोॅ गेलै आरोॅ घयलोॅ होलै। हेकरोॅ बादोॅ मशीगन टक-टक चलतै रहलै। अडिग साहस आरो अपूर्व जोशोॅ के साथेॅ लान्स नायक अलबर्ट एक्का बगल के दीवार पेॅ चड़ी केॅ बंकर में घुसी गेलै मशनगन चलाय रहलोॅ दुश्मनों के पास पहुँची केॅ हुनी आपनोॅ हथियारों सेॅ मारी देलकै। मशीनगज के आवाज बंद होय गेलै। लान्स नायक नेॅ आपनोॅ बहादुरी आरो बुद्धिमता सेॅ आपनोॅ सहयोगी सैनिकोॅ सीनी रोॅ जान बचाय लेलकै। हेकरोॅ साथैं भारतीय सैनिकोॅ लेली आक्रमण करै के रास्ता खुली गेलै। ई अद्म्य साहस आरो बहादुरी के लेली अलबर्ट एक्का केॅ आपनोॅ जान गँवाय लेॅ पड़लै। दुश्मनोॅ पर आक्रमण करै वक्ती ही लान्स नायक अलबर्ट एक्का बुरी तरह सेॅ घायल होय चुकलोॅ छेलै। हेकरोॅ परिणाम स्वरूप कुछु समय बाद 3 दिसम्बर 1971 केॅ अलबर्ट एक्का नेॅ दम तोड़ी देलकै। हुनकोॅ वीरता आरो आत्म बलिदान केॅ भारत रोॅ सैनिक परम्परा में अद्वितीय मानलोॅ जाय छै। वास्तव में ऐन्होॅ वीर सपूत हमरोॅ माँटी रोॅ गौरव छेकै।