अवाम का दम : 'दस का दम' / जयप्रकाश चौकसे

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अवाम का दम : 'दस का दम'
प्रकाशन तिथि : 19 मई 2018


मुंबई के दादा साहब फाल्के नगर में रिलायंस स्टूडियो में सलमान खान के 'दस का दम' नामक कार्यक्रम की शूटिंग जारी है और दो माह में खत्म होगी। इसके बाद उसी स्टूडियो में यह सैट तोड़ा जाएगा और 'कौन बनेगा करोड़पति' का सैट लगाया जाएगा। यह दुख की बात है कि इन दोनों का फॉर्मेट विदेश में बना है और भारतीय निर्माता का इसके इस्तेमाल के लिए मोटी रकम बतौर रॉयल्टी दी जाती है। हमने इतने दशकों में अपना कोई फॉर्मेट विकसित नहीं किया। इसके तकनीकी इंतजाम के लिए आधा दर्जन विदेशी विशेषज्ञ अपना तामझाम लेकर आए हैं। शून्य की महान खोज के बाद हम शून्य से बाहर ही नहीं निकल पाए।

इस कार्यक्रम के दो दौर पहले प्रदर्शित हो चुके हैं। यह तीसरा दौर है। सिनर्जी कंपनी के सिद्धार्थ बासू ने ही इसका आयात किया था। अपनी कम्पनी वे रिलायंस एन्टरटेन्मेंट कम्पनी को बेच चुके हैं परन्तु परामर्शदाता के रूप में इससे जुड़े हैं। इस बार एक कदम यह उठाया गया है कि हर भाग लेने वाले व्यक्ति को कम से कम बीस हजार रुपए से लेकर अधिकतम दस लाख रुपए तक मिलने वाले हैं अर्थात प्रतियोगिता में विफल रहने वाला भी कुछ न कुछ पाएगा ही। एक तरह से यह 'सर्वोदय आदर्श' को निभाने का प्रयास है कि कतार में खड़े आखरी व्यक्ति को भी कुछ धन प्राप्त होगा। एक बोनस यह है कि हर प्रतियोगी सलमान खान के साथ अपने मोबाइल पर एक 'सेल्फी' लेगा और यह तस्वीर उसके लिए यादगार होगी। फिल्म सितारों के लिए अवाम का उन्माद ही कुछ ऐसा है कि यह व्यक्ति अपने पास-पड़ोस और पोते-पोतियों को भी सगर्व कह सकेगा कि उसने शिखर सितारे के साथ वक्त गुजारा है। कभी कृषि प्रधान रहा भारत, आज फिल्म प्रधान हो चुका है। हमारी तमाशबीन बने रहने की आदत कभी बदल नहीं सकती।

इस बार प्रतियोगी को पांच प्रश्नों के उत्तर देना है और किसी एक प्रश्न के उत्तर देने के लिए वह अपने परिवार से मशविरा भी कर सकता है। प्रतियोगिता में भाग लेने वालों का चयन एक ऑनलाइन टेस्ट द्वारा किया गया जिसमें तीन माह का समय लगा। यह सब बहुत योजनाबद्ध तरीके से रिलायंस एन्टरटेन्मेंट कम्पनी ने किया। यह अनिल अम्बानी की कम्पनी है। सारा कार्यक्रम इस तरह से रचा गया है कि उसके साथ ही सलमान खान अपनी आगामी फिल्म 'रेस-3' का काम भी करते रहे हैं। यह फिल्म ईद पर प्रदर्शित होगी। प्रश्न की बानगी देखिए कि कितने प्रतिशत युवा भारतीय विवाह का उत्तरदायित्व लेना ही नहीं चाहते या कितने प्रतिशत भारतीय आस्तिक हैं? यह प्रतिशत बूझने पर आधारित कार्यक्रम है और सही प्रतिशत के निकटतम को सही माना जाता है। किसी प्रतियोगी से एक दम सही अनुमान लगाने की उम्मीद कम ही होती है। इसलिए निकटतम व्यक्ति को इनाम दिया जाता है। प्रश्न बनाते समय जानकारी देने के साथ उसे मनोरंजक भी बनाने का प्रयास किया गया है।

सारी जानकारियां ऑनलाइन ली गई हैं जिसका अर्थ है कि मोबाइल और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल जानने वालों के विचार ही प्राप्त किए गए हैं। इसलिए भारत आज क्या सोचता है की जानकारी इससे प्राप्त नहीं होती। सच तो यह है कि गणतंत्र व्यवस्था के आधार स्तंभ चुनाव से भी सब कुछ सही नहीं हो पा रहा है। आज हालात यह हैं कि हकीम लुकमान या महान नाड़ी वैद्य भी अवाम के मर्ज की थाह नहीं पा सकता। दुबके हुए आधे अधूरों के विचार तर्कसम्मत नहीं हैं। इस तरह हम सभी वैकल्पिक विश्व के निवासी बन रहे हैं। विचारहीनता की ऐसी चादर बुनी जा रही है जिसे ओढ़कर हम मुतमईन महसूस करें।

बहरहाल 'दस का दम' कार्यक्रम की शूटिंग जारी है और इस बार उसमें कौन बनेगा करोड़पति का अंश भी शामिल है। कार्यक्रम के लिए सैट बनाने में भी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला और तोड़ते समय भी रोजगार मिलेगा। इसका भंगार बेचने से भी कुछ लागत वसूल होगी।

इस दौर में रुपए की कीमत इस कदर घटी है कि एक डॉलर खरीदने के लिए करीब सत्तर रुपए देने होते हैं। एक डॉलर से अमेरिका में भोजन का जितना सामान खरीदा जा सकता है, उतना सामान हम सत्तर रुपए देकर भी नहीं जुटा पा रहे हैं। आर्थिक संसार में मुद्राओं का मूल्य घटता-बढ़ता रहता है परन्तु किस मुद्रा से कितना खरीदा जा सकता है और खरीदे हुए सामान की पौष्टिकता क्या है, इसका आकलन नहीं किया जाता है। अवाम इतना मजबूत है कि किसी भी तरह का भोजन करके बने रहता है क्योंकि सदियों से हमें 'भूख ने बड़े प्यार से पाला है'। यही अवाम का दम सबसे बड़ा है।