आचार्य कपिल के नाम पत्र-2 / रामधारी सिंह 'दिनकर'

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प्रिय कपिल जी,

आपका पत्र मिला। प्राची का अंक भी यथासमय आ गया था। प्राची के विषय में क्‍या कहूँ? मुझे तनिक भी आशा नहीं थी कि मुँगेर से आप इतनी अच्‍छी सामग्री प्रस्‍तुत कर सकेंगे। प्राची में आपने जिस सुरुचि का परिचय दिया है उससे मुझे सात्विक आनन्‍द हुआ। अब मैं आग्रह करूँगा कि इसका दिनों-दिन विकास कीजिए।

एक दो बातें और हैं जिनकी ओर निर्देश कर देना उचित समझता हूँ। आवरण पर से आप मिट्टी के छोटे माधो को तो हटा ही दें। भीतर संकलन और संपादन में जो गांभीर्य है उसके अनुरूप ऊपर का आवरण सादा ही रहना चाहिए अथवा हलकी रेखाओं में कोई छोटा स्‍केच रहे तो ठीक है। आपका उद्देश्य कदाचित यह है कि शिक्षण-संस्‍थाओं में जो प्रश्‍न और समस्‍याएँ हैं, डट कर उन्‍हीं पर प्रकाश डाला जाय। यह एक उपयोगी काम है। मगर, स्‍टैंडर्ड को जरा ऊपर ले जाइये तथा इस प्रकार की समस्याओं पर भी लेख लिखवाइये जैसे :

१) छायावाद का जन्‍म कब हुआ तथा उसके आदि कवि कौन हैं?

२) नई कविता हिन्‍दी की परम्‍परा में आई है अथवा आकस्मिक रूप से?

३) हिन्‍दी-गद्य के क्षेत्र में उस नेतृत्‍व को प्रधानता मिलनी चाहिए जो प्र. ना. मि., बालकृष्‍ण भट्ट, बालमुकुन्‍द गुप्‍त तथा गुलेरी जी के द्वारा दिया गया अथवा उसे जो रामचन्‍द्र शुक्‍ल एवं प्रसाद जी की देन है?

४) यह बात कहाँ तक ठीक है कि उर्दू में से फारसी-अरबी शब्‍दों को हटा कर हिन्‍दी बना ली गई है?

५) रसवादी आलोचना पद्धति में क्‍या संशोधन किया जाय कि वह आधुनिक साहित्‍य की व्‍याख्‍या में सफल हो?

६) रीति कालीन साहित्‍य का मूल्‍यांकन नई समीक्षा की कसौटी पर।

७) भाषा सम्‍बन्‍धी दुष्प्रयोगों पर रोक लगाने के लिए आन्‍दोलन।

ये कुछ मोटे विषय हैं जो याद आ रहे हैं। इनके समानान्‍तर और भी समस्‍याएँ होंगी। सोचने पर आप खुद एक अम्‍बार लगा दीजियेगा।

मैं तो १२ मई तक कुछ नहीं भेजूँगा। हाँ, उसके बाद कुछ न कुछ अवश्‍य भेजूँगा, खातिर जमा रखिये। आपके और काम भी इसी छुट्टी में होंगे। छुट्टियों में आप कहाँ रहेंगे?

आगामी ३ मई को हमारे यहाँ परिषद का वार्षिकोत्‍सव है। हजारी प्रसाद जी और द्विज जी आ रहे हैं। निबन्‍ध-प्रतियोगिता और वाद-विवाद प्रतियोगिता २ मई को है। आपके यहाँ से भी निबन्‍ध और वक्‍ता आने चाहिए। निबन्‍ध का विषय है, 'हिन्‍दी में नई समीक्षा का जन्‍म और विकास' वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय है, "State Vs Civil liberty " या ऐसा ही और कुछ।

शेष कुशल है।

आपका

दिनकर