आजादी / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी) उसने मुझसे कहा, "किसी गुलाम को सोते से मत जगाओ. हो सकता है कि वह आजादी के सपने देख रहा हो।"

मैंने कहा, "अगर किसी गुलाम को सोते देखो तो उसे जगाओ और आजादी के बारे में बताओ."

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