आदित्य दुल्हनिया ले जाएंगे / जयप्रकाश चौकसे

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आदित्य दुल्हनिया ले जाएंगे
प्रकाशन तिथि : 10 फरवरी 2014


मुंबई के सितारे आजकल बहुत सा वक्त अपने कास्ट्यूम डिजाइनर के साथ बिता रहे हैं और इतना वक्त तो अपनी फिल्मी पोशाकों की चर्चा में नहीं जाता। खबर है कि आज के सफलतम फिल्मकार आदित्य चोपड़ा और रानी मुखर्जी का विवाह शीघ्र ही होने वाला है और उत्सव का अंतिम दिन वेलेंटाइन्स डे अर्थात 14 फरवरी होगा। यह विवाह मुंबई से बाहर जैसलमेर में होने की संभावना है। जॉन अब्राहम ने क्रिसमस पर न्यूयार्क में शादी की। अनेक धनाड्य लोग भी आजकल विदेश में विवाह करते हैं जिस कारण भारतीय बाजार को उसका लाभ नहीं होता।

विवाह एवं धार्मिक उत्सवों से बाजार में रौनक बढ़ जाती है, अमीर और अधिक अमीर हो जाते है, गरीब और अधिक गरीब हो जाते है। शादी नामक व्यवसाय में ब्रोकर भी होते हैं जो तमाम खर्च का दो प्रतिशत लेते है और विवाह प्रबंधन नामक व्यवसाय का भी उदय हुआ है जिस पर आदित्य चोपड़ा 'बैंड बाजा बारात' नामक फिल्म बना चुके हैं।

आदित्य चोपड़ा तलाकशुदा व्यक्ति हैं और रानी मुखर्जी से उनके इश्क के चरचे विगत पांच वर्षों से चल रहे हैं तथा जानकार लोगों का कहना है कि वे दोनों एक ही बंगले में लम्बे समय से रह रहे हैं जिसे 'लिव इन रिलेशनशिप' माना जाता है और इस पर भी अनेक फिल्में बन चुकी हैं। चोपड़ा परिवार के नजदीकी लोगों का कहना है कि आदित्य चोपड़ा और उनकी पत्नी के बीच कोई कड़वाहट या विवाद नहीं था और कोई तीसरा भी मौजूद नहीं था। सब कुछ अच्छा होते हुए भी दोनों के बीच एक दूरी बन गई जिसका एक कारण उन दोनों का ही अपने व्यवसाय क्षेत्र में महत्वाकांक्षी और व्यस्त होना था। आजकल तलाक और अलगाव के अजीबोगरीब कारण भी सामने आने लगे हैं। दो अंतरंग रिश्ते से बंधे लोगों के बीच अकारण और अनजाने ही एक दूरी और अजनबियत पैदा हो जाती है और आपसी समझदारी इसका कारण नहीं है। आदित्य और उसकी पहली पत्नी दोनों ही पढ़े लिखे, समझदार और अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सफल व्यक्ति थे तथा यश चोपड़ा और लड़की के पिता वर्षों से एक दूसरे के दोस्त थे, दरअसल हर एक व्यक्ति समुद्र में स्थिर बर्फ की शिला की तरह है जिसका मात्र ऊपरी हिस्सा देखकर उसके भीतर का आकार कितना व्यापक है यह नहीं बताया जा सकता और प्रेम के कई टाइटैनिक इससे टकराकर नष्ट हो गए है। पहले टूटे हुए दिल का असबाब उठाए लोग सारी जिंदगी घूमते थे, आज कोई इस तरह की कुलीगिरी नहीं करता।

चोपड़ा परिवार से कही अधिक पुराना है मुखर्जी घराना जिसके संस्थापक शशधर मुखर्जी ने अनेक सफल फिल्में बनाई हैं और यह सिलसिला अशोक कुमार अभिनीत 'किस्मत' 1943 से चला आ रहा था। बहरहाल आदित्य चोपड़ा ने अपनी फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से अपने परिवार का भाग्य ही बदलकर रख दिया और विगत सत्रह वर्षों में उसने अत्यंत मजबूत संस्था खड़ी कर दी है जिसका बाजार मूल्य दस हजार करोड़ तक हो सकता है। कुछ समय पूर्व ही एक शिखर औद्योगिक घराने ने तीन हजार करोड़ की पूंजी लगाकर मात्र पच्चीस प्रतिशत भागीदारी मांगी थी और आदित्य ने प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया। भारतीय मनोरंजन उद्योग में इस संस्था के मुकाबले की कोई और संस्था नहीं है।

आदित्य चोपड़ा ने अब तक केवल तीन फिल्में निर्देशित की है क्योंकि उसका अधिक समय एक साथ बनाई जाने वाली अनेक फिल्मों की निगरानी में जाता है। ये सब फिल्मों का आकलन भी उसका ही होता है। स्थापित सितारों के साथ ही नए सितारों को लेकर फिल्में बनाने का जोखम भी वह नियमित रूप से उठाता है क्योंकि वह जानता है कि निरंतर परिवर्तन इस उद्योग को जीवित रखता है। रानी मुखर्जी को भी फिल्म उद्योग का अच्छा खासा अनुभव है। कहते हैं कि जोडिय़ां ऊपर वाला बनाता है परंतु इसे सिनेमा ने बनाया है।