आम आदमी / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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पिता चीख रहे थे-'समाज में हमारी इज्जत है। हमारा सम्बन्ध उच्च कुल से है। हमारे कुल के सम्मान की चिंता तुम्हें नहीं पर हमें है।'

पुत्री ने शांति से कहा-'आप अपने कुल की इज्जत का ख्याल रखें। मेरा ख्याल नरेन रख लेगा।'

पिता तैश में बोले-'तेरा वह रख लेगा पर उसका कौन रखेगा? वह जानता नहीं है कि मेरी पहुँच कहाँ तक है। बहुत उड़ रहा है न? ... उसके पंख कटते देर नहीं लगेगी अब।'

पुत्री पिता को ललकारते हुए बोली-'अगर नरेन को कुछ हो गया पिताजी, तो ठीक नहीं रहेगा। आप तो जानते ही हैं कि आजकल मीडिया, पुलिस थाने, जेल, कोर्ट-कचहरी सब खुले हैं और सबके लिए खुले हैं। इनसे कोई नहीं बच सकता। देख नहीं रहे कैसी-कैसी नामी गिरामी हस्तियाँ एक-एक कर जेल की हवा खा रही हैं। जमानत के लिए तरस रही हैं। यह आम आदमी का खास समय है, पिताजी.'

पुत्री का आत्मविश्वास देखकर पिता का विश्वास डगमगाने लगा।