आर्थिक खाई में पनपता खर्चीले विवाह का कैक्टस / जयप्रकाश चौकसे

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आर्थिक खाई में पनपता खर्चीले विवाह का कैक्टस
प्रकाशन तिथि : 13 मार्च 2019


एक पत्रकार ने चुनाव कुरुक्षेत्र के मौसम में एक अछूता एवं अजीबोगरीब मुद्दा यह उठाया है कि क्या कुंआरे नेता शादीशुदा नेताओं से अधिक सक्रिय व सक्षम सिद्ध होते हैं? जिस देश में प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ शादियां होती हैं और विवाह आयोजित करना एक लाभ कमाने वाला व्यवसाय बन गया है, उस देश में नेता का विवाहित या कुंआरा होना देश के लिए कितना शुभ या अशुभ हो सकता है? ज्ञातव्य है कि आदित्य चोपड़ा ने अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह के साथ 'बैंड, बाजा और बरात' नामक मनोरंजक फिल्म बनाई थी और दोनों ही कलाकारों की यह पहली फिल्म थी। विगत कुछ समय से डेस्टिनेशन वेडिंग फैशन में आ गया है। इसका अर्थ यह है कि वर-वधू के घरों पर विवाह का आयोजन नहीं किया जाता वरन् किसी रमणीय स्थान पर विवाह आयोजित किया जाता है। इटली, पेरिस, लंदन, जयपुर और सिंगापुर इस तरह के आयोजन के लिए तय किए जाते हैं।

यह भी देखा गया है कि विवाह के निमंत्रण-पत्र छपाने में खूब खर्च किया जाता है। इनमें कई पृष्ठ होते हैं। बताया गया है कि एक निमंत्रण-पत्र पर हजार रुपए तक खर्च किया जाता है तथा निमंत्रण-पत्र के साथ मिठाई या काजू-बादाम का डिब्बा भी भेजा जाता है। विवाह में निमंत्रित मेहमानों के हाथों में मेहंदी भी लगाई जाती है और यह भी एक व्यवसाय हो चुका है। कुछ इस तरह की भ्रामक बातों को सच माना जाता है कि दूल्हा-दुल्हन के हाथों में मेहंदी गहरे रंग दिखाए तो विवाह सुखद होगा। रंग को गहरा करने के लिए नींबू या किसी प्रकार की खटाई का छिड़काव किया जाता है।

यह संभव है कि देश में अमीर और अधिक अमीर होते गए हैं और गरीबों का हाल बदतर होता गया है। इसी आर्थिक खाई में खर्चीले विवाह आयोजन का कैक्टस पनपा है। ज्ञातव्य है कि फूल मुरझाते हैं परंतु कैक्टस सदाबहार होते हैं। याद आता है कि मुगल-ए-आजम में अनारकली और वीना के बीच कव्वाली मुकाबला होता है। शहजादा सलीम वीना को गुलाम का फूल देते हैं और अनारकली को पुरस्कार स्वरूप कांटा दिया जाता है। अनारकली के संवाद का आशय है कि कांटे को कभी मुरझाने का खतरा नहीं होता। दरअसल, विवाह आयोजन में ही अमीर लोगों का कालाधन बाजार में आता है और बेरोजगारों को काम मिल जाता है। विवाह स्थल रोशनी में नहाते हुए लगते हैं। बरबस दुष्यंत कुमार याद आते हैं, 'वो देखो उस तरफ उजाला है जिस तरफ रोशनी नहीं जाती कि यह ज़िंदगी हम से जी नहीं जाती।' खाकसार की फिल्म 'शायद' में इसका उपयोग किया गया था। हवेलियों के पिछवाड़े भूखे लोग झूठन खाने के लिए जमा हुए कुत्तों को भगाते हैं।

बहरहाल, नेता का कुंआरापन एक शिगूफा है। विवाहित लाल बहादुर शास्त्री के दौर में हमारी फौज पाकिस्तान में घुस गई थी और लाहौर केवल बयालीस मील दूर रह गया था। निकिता ख्रुश्चेव, अब्दुल गमाल नासिर, जेएफ केनेडी, माओ और नेहरू सभी विवाहित नेता थे। जाने कैसे यह भ्रम भी फैलाया गया है कि कुंआरों का शरीर शादीशुदा से अधिक बलवान होता है। भीम शादीशुदा था। दारासिंह, गामा, कैसियस क्ले भी विवाहित थे। शांताराम, मेहबूब खान, बिमल राय, राज कपूर और गुरुदत्त जैसे विवाहित फिल्मकारों ने कालजयी फिल्में बनाई हैं। दरअसल, परिवार के सदस्य ही अपने भ्रष्ट सदस्य द्वारा लाए गए धन और सुविधाओं का तिरस्कार करें तो संभव है कि बात बन जाए। भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा परिवार में ही खोला जाना चाहिए।

चुनाव प्रचार में काले धन का इस्तेमाल होता है। चुनाव को कैसे किफायती बनाएं यह खास मुद्दा है। विवाह को प्रेममय बनाते हुए भ्रष्टाचार मुक्त परिवार बनाना एक महान आदर्श है। केदार शर्मा ने भगवती शरण वर्मा के उपन्यास 'चित्रलेखा' से प्रेरित फिल्म में गीत लिया था 'संसार से भागे-फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे, इस लोक को अपना न सके, उस लोक को क्या पाओगे, यह भोग भी एक तपस्या है, तुम त्याग के मारे क्या जानो, अपमान रचेता का होगा, अगर रचना को ठुकराओगे… हम जनम बिताकर जाएंगे, तुम जनम गंवाकर जाओगे….'