इस्मत चुग़ताई / परिचय

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 इस्मत चुग़ताई की रचनाएँ     
इस्मत चुग़ताई का जन्म: 21 जुलाई, 1915, बदायूँ (उत्तर प्रदेश)मे हुवा तथा निधन: 24 अक्टूबर, 1991 हुई । उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है।

जीवन-परिचय

उनका जन्म- पन्द्रह अगस्त 1915 में हुआ। उनकी कहानी लिहाफ़ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उनपर मुक़दमा चला। जो बाद में ख़ारिज हो गया। उर्दू साहित्य की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24 अक्टूबर, 1991 को हुआ। उनकी वसीयत के अनुसार मुंबई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।

साहित्य सृजन

  • पहली कहानी- गेन्दा, जिसका प्रकाशन 1949 में उस दौर की उर्दू साहित्य की सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक पत्रिका ‘साक़ी’ में हुआ।
  • पहला उपन्यास- ज़िद्दी 1941 में प्रकाशित हुआ।

कहानी संग्रह

  • चोटें
  • छुईमुई
  • एक बात
  • कलियाँ
  • एक रात
  • दो हाथ दोज़खी
  • शैतान

उपन्यास

  • टेढी लकीर
  • जिद्दी
  • एक कतरा ए खून
  • दिल की दुनिया
  • मासूमा
  • बहरूप नगर
  • सैदाई
  • जंगली कबूतर
  • अजीब आदमी
  • बांदी

आत्मकथा

  • 'कागजी हैं पैराहन'

चलचित्र के क्षेत्र में

उन्होंने अनेक चलचित्रों की पटकथा लिखी और जुगनू में अभिनय भी किया। उनकी पहली फिल्म छेड़-छाड़ 1943 में आई थी। वे कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म गर्म हवा (1973) को कई पुरस्कार मिले।

उर्दू साहित्य में स्थान

उर्दू साहित्य में सआदत हसन मंटो, इस्मत चुग़ताई, कृश्न चन्दर और राजेन्द्रसिंह बेदी को कहानी के चार स्तंभ माना जाता है। इनमें भी आलोचक मंटो और चुगताई को ऊंचे स्थानों पर रखते हैं क्योंकि इनकी लेखनी से निकलने वाली भाषा, पात्रों, मुद्दों और स्थितियों ने उर्दू साहित्य को नई पहचान और ताकत बक्सी।

हिंदी में कहानी-संग्रह

हिंदी में कुँवारी व अन्य कई कहानी-संग्रह तथा अंग्रेजी में उनकी कहानियों के तीन संग्रह प्रकाशित हुए। इनमें काली काफ़ी मशहूर हुआ।

कहानीकार शबनम रिज़वी ने इस्मत की दर्जनों कहानियों के हिन्दी अनुवाद तथा उपन्यास टेढ़ी लकीर का लिप्यन्तरण किया है। उर्दू में उनकी पुस्तक 'इस्मत चुग़ताई की नावेलनिगारी' 1992 में दिल्ली से प्रकाशित हुई। वे हिन्दी में इस्मत चुग़ताई ग्रन्थावली की तैयारी कर रही हैं।

पुरस्कार/सम्मान