उपवास का अखाड़ा / गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर'

Gadya Kosh से
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आपने कुश्‍ती का अखाड़ा तो सुना ही होगा लेकिन उपवास का नहीं। इस विधा में इतिहास को देखें तो पता चलता है कि इसके जन्‍मदाता परमपूज्‍य बापू रहे हैं।

बापू ने इसे सत्‍याग्रह के रूप में अपनाया था, जिसकी टी.आर.पी. बढ़ाई अन्‍ना हजारे ने। इस टी.आर.पी. के लोभ ने राजनीतिक जगत में भूचाल ही ला दिया। इससे पहले मैंने कई नौरात्रों में नौ-नौ दिन के उपवास रखे थे। मेरे दोस्‍त गिरगिट ने चातुुर्मास उपवास रखा था पर टी.वी. की स्‍क्रीन पर न तो कभी वह आया और न मैं।

मेरे और गिरगिट के पहले से लाखों मुस्‍लिम भाई महीने-महीने भर के रोजा और जैन धर्मानुयायी लंबे-लंबे उपवास रखकर आत्‍म शुद्धि करते आ रहे हैं। लेकिन राजनीतिक गलियारे में इसके पुर्नजन्‍म और उसकी लोकप्रियता देखकर मुझे भी लगता है कि मैंने इस बार नौ रात्र के उपवास छोड़कर बहुत बड़ी गलती कर दी है। कई-कई बार तो मेरा यही मन करता है कि मैं भी राजनेताओं के साथ उपवास पर बैठ टी.वी. स्‍क्रीनों पर जमा गर्द के बीच से झाँकू तो भले ही कोई और न जाने-समझे पर मेरी अपनी निजी बीबी तो मगन हो ही जाएगी।

गाँधीनगर अखाड़े के  पहलवानों की फ्री स्‍टाइल कुश्‍ती और उनकी धींगामुश्‍ती को कई दिनों तक टी.वी पर लाइव चलते देख न जाने कितनों के मुँह में पानी भर आया होगा।

सुना जा रहा है कि अब तो ग्राम पंचायतों के प्रमुखों के दरवाजों पर तक लोग धरने पर बैठने लगे हैं। अभी तो आगाज़  भर है। आगे-आगे न जाने कतने और गुल खिलेंगे।

अभी-अभी हमारा मित्र गिरगिट खबर लाया है कि कल से यह अखाड़ा नवसारी में भी होने वाला है। सुना तो यह भी जा रहा है कि इसमें अखाड़े के एक पहलवान ने लँगोट कस कर गुजरात केशरी को चुनौती भी दे दी है।

अब देखना यह है कि इस दंगल का असली हीरो कौन बनता है?इसके लिए ट्रकों चिकनी, ट्रालियों बलुई और रेतीली मिट्‌टी तथा टैंकरों सींग तेल उड़ेला जा रहा है। मिट्‌टी की कुटाई लगातार चल रही है।

पहलवानों की मालिश के लिए ब्रितानी बार्बर और बार्बरा भी वुलवाए गए हैं। दिन में नाई और रात में नाइनों की मालिश से निश्‍चय ही इन पहलवानों की रगों में नया लहू दौड़ने वाला है। इसी दौड़ान को देखने के लिए अपना गिरगिट तो कल वहीं आसन जमाने वाला है। तो साथियो! जब तक हमारा गिरगिट लौटता है तब तक करिए इंतजार इन पहलवानों की चटपटी खबर का।