उसका सच (सामान्य परिचय) / पुष्पा सक्सेना

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नारी मन के आंतरिक विद्रोह की कहानियां
समीक्षा: अशोक कुमार शुक्ला

पुष्पा सक्सेना सक्सेना का कहानी संग्रह उसका सच स्त्री समुदाय की सामाजिक स्थिति का निरूपरण करने वाली नौ कहानियों का संग्रह है । इस संग्रह में एक ओर जहां नारी मन का आंतरिक विद्रोह उसे अलग थलग पडी अपने ही भाई की हत्यारोपी पत्नी का साथ देने के लिये गये ‘फैसले’ की उद्घोषणा करती हुयी दिखलाई पडती है तो दूसरी ओर प्रेम को देह की सीमा से निकालकर आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान करती हुयी ‘उसका सच’ बयान करती है।

मेरी बीमारी में न जाने कब ईसा के चित्र की जगह, मेरे राम और सीता का चित्र यहाँ लगा दिया। वे जानते थे, सब कुछ बदल जाने पर भी भगवान के प्रति अपनी आस्था मैं नहीं बदल सकी। मेरे अन्तर्मन में हमेशा राम-सीता ही मेरे आराध्य रहे

प्रेम की यह भावना कथा नायिका के मृत्यु शैया पर होने पर भी अपने अंतिम समय में परिस्थितिवश उससे दूर जा चुकी उसकी पुत्री को अंतिम संदेश के रूप में इस प्रकार प्रदर्शित होती है

अगर तेरी कहानी पढ़ कभी मेरी पारो तेरे पास आए तो उसे बता सकेगी न मुन्नी..... उसका पिता वो धोखेबाज नहीं, वह तो एक चोर है जो मेरी बेटी छीन ले भागा था। उसका पिता साइमन है, जिसने उसकी माँ को प्यार सम्मान और संरक्षण दिया है। बता मुन्नी मेरा ये काम कर सकेगी न?

मां के रूप में एक नारी का अपने मानसिक विक्षिप्त पुत्र की तुलना में पुत्री के प्रति असंवेदात्मक स्वरूप बालिका के कोमल बालमन में बनने वाली ग्रंथियो के लिये उत्तर दायी होता है

बड़े बेटे की असमर्थता और विक्षिप्तता का ज़हर अम्मा जीवन-भर पीती रही थीं। ऐसे बेटे के साथ, कोख से और बच्चों को जन्म देने वाली अम्मा की हिम्मत पर नीलांजना को आश्चर्य होता है। अगर वह भी भइया जैसी ही होती तो? बड़े बेटे की असमर्थता और विक्षिप्तता का ज़हर अम्मा जीवन-भर पीती रही थीं। ऐसे बेटे के साथ, कोख से और बच्चों को जन्म देने वाली अम्मा की हिम्मत पर नीलांजना को आश्चर्य होता है। अगर वह भी भइया जैसी ही होती तो?

यही मां जब अपने इस विक्षिप्त पुत्र के लिये बहू लाकर उस विक्षिप्त पुत्र की यौन विकृतियों को सहते हुये उसे पुत्र के कमरे में रहने के लिये बाध्य करती है तो इसे सामूहिक बलात्कार से अधिक पीडादायी मानकर उसकी बहिन इसका विरोध करती हुयी नारीके विरूद्ध खडी होने की विद्रोहात्मक भूमिका बनाती प्रतीत होती है

“सामूहिक बलात्कार में असहनीय शारीरिक-मानसिक कष्ट होता है, पर जब पूरा परिवार ही अपनी साज़िश के तहत किसी लड़की पर बलात्कार की परमीशन दे दे, तब उस पीड़ा को क्या नाम देगी उषा? काजल भाभी के साथ वही हुआ है।”

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