एकतरफा जुनूनी प्रेम और डर का हौआ / जयप्रकाश चौकसे

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एकतरफा जुनूनी प्रेम और डर का हौआ
प्रकाशन तिथि : 05 जुलाई 2019


ताज़ा घटना है कि इंदौर की एक महिला को एक विवाहित व्यक्ति से एकतरफा प्रेम हो गया। महिला ने उस व्यक्ति की पत्नी से कहा कि अगर वह अपने पति को तलाक दे दे तो वह उसे दस लाख रुपए देगी। पत्नी ने इस अभद्र प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। उस महिला ने पत्नी से कहा कि अगर वह उसकी बात नहीं मानेगी तो वह उसका कत्ल कर देगी। पुलिस में हत्या की धमकी की रिपोर्ट दर्ज की गई। पुलिस ने उस जुनूनी महिला को कैद कर लिया।

इस घटना से याद आती है बोनी कपूर की फिल्म 'जुदाई' जिसमें उर्मिला मातोंडकर अभिनीत जुनूनी महिला अपने एकतरफा प्रेम को प्राप्त करने के लिए पत्नी को एक करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव रखती है। फिल्म में यथार्थ घटना से अलग यह बात है कि मध्यम वर्ग की पत्नी को महंगी वस्तुएं प्राप्त करने की इच्छा है। वह कार, बंगला और सुख-सुविधा के साधन चाहती है। अत: वह अभद्र प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है। उसका पति उसे समझाने का प्रयास करता है कि सुख और शांति धन से नहीं खरीदी जा सकती। सुविधाओं के मोह जाल में फंसी पत्नी इस सत्य को स्वीकार नहीं करती और प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है।

फिल्म 'जुदाई' में मध्यम आय वर्ग के व्यक्ति का पात्र अनिल कपूर ने अभिनीत किया, उसकी पत्नी का पात्र श्रीदेवी और जुनूनी महिला का पात्र उर्मिला मातोंडकर ने अभिनीत किया था। ज्ञातव्य है कि इसके कुछ वर्ष पूर्व बोनी कपूर की फिल्म 'द्रोही' में उर्मिला मातोंडकर अभिनय कर चुकी थीं। सौदा हो जाने के पश्चात एक दृश्य में श्रीदेवी अभिनीत पात्र अपने पलंग पर रुपए बिछाती है। वह रुपयों पर लेटने का आनंद लेती है परंतु उसी समय घर के अन्य भाग में अनिल कपूर और उर्मिला मातोंडकर बतिया रहे हैं। इन आवाजों के कारण वह महसूस करती है कि एक करोड़ रुपए पर सोना कोई सुखद अनुभव नहीं है । अब उसे अपने अभद्र सौदे पर दु:ख होने लगता है।

प्रेम तो अपरिभाषेय है परंतु मेडिकल तथ्य यह है कि लिम्बिक सिस्टम डोपामाइन हार्मोन का प्रवाह प्रारंभ करता है, जिसके कारण प्रेम भावना जागृत होती है। इसी समय मस्तिष्क में टेम्पोरल लोब स्थित न्यूरॉन, जिन्हें एमायगडाला कहते हैं, मनुष्य से उसके अविश्वास करने की क्षमता का हरण कर लेते हैं गोयाकि वह तर्क करने की क्षमता को समाप्त कर देता है। ऑक्सीटोसिन हार्मोन दो व्यक्तियों को नज़दीक लाते हैं। यह है प्रेम का 'केमिकल लोचा'।

बोनी कपूर और मोना कपूर के तलाक के कुछ समय पश्चात खाकसार की मुलाकात मोना से हुई तो उनसे पूछा कि क्या वे दो करोड़ में अपना पति श्रीदेवी से खरीदना चाहेंगी? मोना ने कहा कि वे सेकंड हैंड माल नहीं खरीदतीं। एमायगडाला मनुष्य से तर्क की शक्ति छीन लेता है। इस विलिंग सस्पेंशन ऑफ डिसबिलीफ के कारण ही दर्शक फिल्म देखते समय विवेचन करने की अपनी क्षमता को स्थगित कर देता है और सिनेमा के परदे पर प्रस्तुत काल्पनिक पात्र व घटनाओं को वह तथ्य मान लेता है गोयाकि प्रेम और सिनेमा देखने में यह समानता है। इसी तरह मायथोलॉजी में रमने वाला मनुष्य जीवन के यथार्थ से पलायन कर जाता है। एक राजनीतिक विचारधारा और उसके प्रचारकों ने यही किया है कि अवाम को मायथोलॉजी के संसार का प्राणी बनाकर उसकी विवेचन शक्ति को भंग कर दिया है। इस तरह आधुनिकता खारिज कर दी गई है। याद रखना होगा कि आधुनिकता फैशन का समानार्थी नहीं है। आधुनिकता वैज्ञानिक तथ्यपरक सोच है। इस समय भारत पृथ्वी के परदे पर चल रही फिल्म की तरह है। अवाम ने विवेचन करने से इनकार कर दिया है।

जानकारों का कहना है कि लैला कोई सुंदर स्त्री नहीं थी परंतु उसमें सौंदर्य देखने के लिए आपको मजनू की नज़र और नज़रिया अपनाना होगा। के. आसिफ की 'लैला मजनू' में एक दृश्य है कि एक आदमी इबादत कर रहा है और बदहवास मजनू उसके सामने से गुजरता है तो इबादत करने वाला उसे डांटता है कि वह उसकी इबादत में दखल डाल रहा है। मजनू जवाब देता है कि यह कैसी इबादत है कि सामने से किसी के गुजरने में भंग हो जाती है? मजनू तो लैला में मगन रहता है और उसके प्रेम में कोई खलल नहीं डाल सकता। इसी दृश्य के कारण के. आसिफ ने अपनी लैला मजनू दास्तां फिल्म का नाम 'लव एंड गॉड' रखा था। ज्ञातव्य है कि यश चोपड़ा ने हॉलीवुड की 'कैप फियर' का चरबा 'डर' के नाम से बनाया था, जिसमें शाहरुख खान अभिनीत पात्र को नायिका से एकतरफा प्रेम है परंतु वह किसी अन्य से प्रेम करती है। शाहरुख अभिनीत पात्र उसे डराता रहता है। भय का हौआ खड़ा करता है। भय वह रस्सी की तरह है, जिस पर अंधेरे में मनुष्य पैर रखता है और उसे आभास होता है मानो उसने सांप पर पैर रखा, जिसने उसे डस लिया है। इसी तथ्य को रेखांकित करता है राजा राव का उपन्यास 'सर्पेन्ट एंड द रोप'।