एक प्रणय-गाथा (अज्ञात) / कथा संस्कृति / कमलेश्वर

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यह कहानी इतालवी के कथा संग्रह ‘सेण्टो नॉवेला एण्टीके’ से ली गयी है। 15वीं सदी के प्रथम वर्ष में प्रकाशित हुए इस संग्रह के लेखक का नाम अज्ञात है।

फ्लोरेंस का एक युवक एक भोली-भाली युवती को दिल से चाहता था। लेकिन वह उसे बिलकुल प्यार नहीं करती थी। वह एक और युवक से बहुत अधिक प्यार करती थी। वह युवक भी उसे बेहद चाहता था, यद्यपि उसका प्यार पहले युवक जितना गूढ़ नहीं था।

और यह बात बड़ी साफ और जाहिर थी, क्योंकि दूसरे युवक ने अपना सब कुछ त्याग दिया था। उसने प्यार में अपने आपको खपा डाला था और खुद को भूल बैठा था। उन दिनों तो वह पागल-सा ही हो उठता, जब उसे युवती दिखाई न देती।

उसका एक दोस्त इस बात से बड़ा दुखी था। काफी देर तक समझाने के बाद वह उसे एक अच्छी-सी जगह पर ले गया। वहाँ वे पन्द्रह दिन तक रहे।

इस बीच युवती का अपनी माँ से झगड़ा हो गया। उसने अपनी नौकरानी को अपने प्रेमी के पास भेजा कि वह जाकर उसे बताए कि वह उसके साथ भाग जाना चाहती है। प्रेमी बहुत खुश हुआ। नौकरानी बोली, “वह चाहती है कि तुम रात के वक्त घोड़े पर आओ। वह नीचे के कमरे में जाने के बहाने आएगी। तुम दरवाजे पर तैयार रहोगे। तब वह तुम्हारे पीछे घोड़े की पीठ पर बैठ जाएगी। वह काफी हल्की-फुलकी है और घुड़सवारी जानती है।”

प्रेमी ने जवाब दिया, “मुझे मंजूर है।”

जब मामला इस तरह तय हो गया, तो वह अपनी एक खास जगह पर सब तैयारियाँ करने लगा। उसने अपने घुड़सवार साथियों से कहा कि वे शहर के द्वार पर इन्तजार करें, ताकि वह बन्द न हो जाए। वह खुद एक अच्छे-से घोड़े पर सवार होकर युवती के घर के आगे से गुजरा। वह अभी तक नीचे नहीं आ पायी थी, क्योंकि उसकी माँ काफी सावधान थी। प्रेमी अपने दोस्तों से मिलने चला गया।

उधर दूसरा युवक गाँव में भी बहुत ऊब और टूट चुका था। इसलिए वह वहाँ भी नहीं रह सका। वह अपने घोड़े पर सवार हो गया। उसका दोस्त उसे रोक नहीं पाया। दरअसल युवक को उसके साथ की अब जरूरत भी नहीं थी। उस शाम वह युवक नगर की दीवार के पास पहुँचा। सब दरवाजे बन्द थे। वह शहर के चारों तरफ गया। अचानक वह उस दरवाजे पर पहुँचा, जहाँ युवती के प्रेमी के मित्र खड़े थे। वह भीतर चला गया। फिर उसके घर की ओर गया। उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह उसे देख पाएगा। वह तो सिर्फ जगह देखने गया था। जब वह मकान के सामने जाकर रुका, उससे थोड़ी ही देर पहले दूसरा युवक वहाँ से चला गया था। लड़की ने दरवाजा खोला, धीरे से उसे बुलाया और घोड़े को निकट लाने को कहा। उसने जल्दी से वैसा ही किया। वह आगे बढ़ा। वह उछलकर घोड़े की पीठ पर सवार हो गयी। और फिर यह जा, वह जा।

जब वे दोनों नगर के द्वार के पास पहुँचे, तो दूसरे युवक के साथियों ने उन्हें कुछ नहीं कहा, क्योंकि वे उन्हें पहचानते नहीं थे। यह तो साफ ही था कि अगर वह वही युवक होता, जिसका इन्तजार वे कर रहे थे, तो वह उनके पास रुक जाता। युवक और युवती दस कोस तक जा पहुँचे होंगे, जब वे एक चरागाह के करीब आये, जिसके चारों तरफ चीड़ के वृक्ष थे। यहाँ वे उतर गये और उन्होंने अपने घोड़े को एक पेड़ से बाँध दिया। अब युवक ने युवती को चूम लिया। वह उसे पहचान गयी और पूरी घटना उसकी समझ में आ गयी। वह जोर-जोर से रोने लगी। वह उसे चुप कराने लगा। वह खुद आँसू बहा रहा था। उसने उसे इतना मान दिया कि वह चुप हो गयी और जब उसे यह महसूस हुआ कि भाग्य भी उस युवक के साथ है, तो वह उसे चाहने लगी। उसने युवक को बाँहों में भर लिया।

दूसरे युवक ने युवती के घर के कई चक्कर लगाये, तब उसने युवती के पिता को शोर करते सुना। युवती के नौकर से उसे मालूम हुआ कि वह कैसे भाग गयी थी।

वह अवाक् रह गया।

वह अपने मित्रों के पास लौटा और उन्हें सबकुछ बताया। वे बोले, “हमने उस युवक को युवती के साथ गुजरते देखा तो था, पर हम उसे जानते नहीं थे, और अब तो इतनी देर हो चुकी है कि वे बहुत दूर पहुँच गये होंगे। और क्या पता किस रास्ते से गये हों!”

वे पीछा करने के लिए तुरन्त चल पड़े। तब वे वहाँ पहुँचे, जहाँ वे दोनों एक-दूसरे की बाँहों में पड़े सो रहे थे। चाँद निकल आया था और उसकी रोशनी उनपर पड़ रही थी। उन्हें सताने की उनकी इच्छा नहीं हुई और वे बोले, “जब तक वे जाग नहीं जाते, तब तक हम इन्तजार करेंगे, और तब जो कुछ हमें करना है, हम करेंगे।”

और वे तब तक इन्तजार करते रहे, जब तक उन्हें झपकी आने लगी - और फिर वे सब सो गये। इस बीच दोनों प्रेमी जाग गये और उन्होंने अपने आपको इस स्थिति में पाया।

वे हैरान थे। युवक बोला, “इन लोगों ने हमारे साथ इतनी शिष्टता बरती है कि हमें इन्हें कोई चोट नहीं पहुँचानी चाहिए।” तब युवक एक घोड़े पर सवार हुआ और युवती ने अपने लिए दूसरे घोड़ों में से सबसे अच्छा घोड़ा चुना और उस पर सवार हो गयी। तब वे वहाँ से चल दिये।

जब दूसरे लोग उठे, तो उन्हें बहुत अफसोस हुआ, क्योंकि अब वे युवक और युवती की खोज भी नहीं कर सकते थे।

(सेण्टो नावेला एण्टीके से)

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