एक लेखक की जीवनी / रिशी कटियार

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“लेखक की जीवनी कैसे लिखें”

डिस्क्लेमर: यह रचना सिर्फ बोर्ड वालों के लिए है.उनके लिए जो 10 नम्बर की जीवनी में सिर्फ 6 नम्बर चाहते हैं

यह रचना सिर्फ बोर्ड वालों के लिए है.पर बोर्ड का मतलब भी सबके लिए अलग अलग होता है. एक बार मेरे चाचा के बेटे ने गर्व से बताया था कि उसकी कक्षा 5 का बोर्ड एग्जाम है,जिसमे उसकी टीचर ने बोर्ड पे उत्तर लिख दिए थे और सबने उतार लिए.यह कक्षा 10 और 12 वाले बोर्ड के लिए है.पर सवाल ये है कि बोर्ड वाले अपना सिलेबस पड़ेंगे या हमारी कहानी. तो भाई सारे बच्चे आइंस्टीन नही होते.हर कक्षा में ३ प्रकार के छात्र होते हैं एक खूब पढने वाले,खून पसीना एक करने वाले और 85 नम्बर पे भी टीचर से बहस करने वाले ,दूसरे 33 नंबर पे ही पूरी क्लास को ‘रामभरन’ की जलेबियों की दावत दे डालने वाले ,जो अक्सर पीछे बैठते हैं और जिन्दगी को खुल के जीने में विश्वास रखते हैं.और तीसरे मस्तमौला टाइप,जो कभी कभी पढ़ लेते है और बस इतने नंबर लाने में विश्वास रखते हैं की किसी की नज़र में न आयें.60-70 जो भी है ऊपर वाले की कृपा है,और वो संतुष्ट हो जाते हैं.खैर इस बारे में कभी बात में बात करूँगा नही तो मुख्य मुद्दे से भटक जाऊंगा.ये रचना तीसरे टाइप के छात्रों के लिए है हैं,जो अपने ऊपर पढाई का इलज़ाम न लग जाये इसलिए कहानी ही पढ़ रहे होंगे.

हिंदी राष्ट्रभाषा होने के बाद भी हेय दृष्टि से देखी जाती है क्यूंकि इस सब्जेक्ट में अक्सर लोग कम नम्बर पाते हैं,कॉपी चेक करने वाले अचानक पाणिनि हो जाते हैं,और फुल स्टॉप और कॉमा की गलती को भी अपनी इज्ज़त का सवाल बना लेते हैं.सबसे कठिन काम होता है ‘लेखक परिचय’ लिखना जिसमे सटीक जानकारी चाहिए होती है, इसके अलावा और सब तो कल्पनाशील स्टूडेंट के लिए बाएं हाथ का खेल है.अगर आप ने दो बी-कॉपी भर दी,तो बस इज्ज़त तो बच ही जाएगी.तो चलो अब टिप्स देने का टाइम आ गया,


“लेखक की जीवनी कैसे लिखें”

(अगर आप को कुछ भी आईडिया नही है,लेखक की जीवनी का, तो बस इतना याद होना काफी है ,कि उसकी कहानी कौन सी है ,वैसे उसके बगैर भी काम चल जायेगा.)

हिंदी कथा साहित्य जगत में भारतवर्ष के इस महान पुत्र(क्योंकि आप को शहर का नाम नही पता) लेखक ‘क’ का अवतरण वास्तव में एक एतिहासिक घटना है. इनका जन्म एक पिछड़े गाँव के एक गरीब परिवार में हुआ था.इनके माँ –बाप की बचपन में ही मृत्यु हो गयी थी**(नोट्स देखें).इनका बचपन बड़ी ही गरीबी में बीता(वैसे लगभग सारे हिंदी लेखको का बचपन और जिन्दगी गरीबी में हो बीतता है,इनके घर पे मैडल तो मिल जायेंगे,,पर खाने के बर्तन भी नही मिलते और इनकी आगे की 3-4 पीढियां बुक्स की रॉयल्टी से ही मालामाल हो जाती हैं ).इन्होने जिन्दगी में बहुत ही संघर्ष किया पर कभी हार नही मानी,इनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और बाद में उच्च शिक्षा के लिए यह शहर आ गये(सीधी सी बात है ,शहर आये तभी तो पब्लिश होके लेखक बन पाए )

शहर में इन्होने एम०ए० की परीक्षा सर्वश्रेठ(पूरे शहर में या फिर अपनी क्लास में ही ) अंको से उत्तीर्ण की.जीविका के लिए इन्होने कई सारे विद्यालयों में कई वर्ष अध्यापन कार्य किया और कई पत्रों का संपादन भी किया (पक्का हैं इन्होने बी.टेक या एम.बी.ए, एम.टेक नही किया होगा वर्ना अंग्रेजी में लिखते ) इन्हें अध्ययन में बहुत रूचि थी,इन्होने अपने जीवनकाल में बहुत सारी भाषाओँ के अनेक ग्रंथो का रसास्वादन किया.इनकी कई भाषाओँ पे अच्छी पकड़ थी.यह हिंदी,उर्दू ,भोजपुरी,मैथिलि भाषाओँ के प्रकांड विद्वान थे,(हिंदी लेखक,गाँव का, वो भी पढने का शौक़ीन यह सब तो बनता ही है,और वैसे भी कोई प्रूफ नही कर सकता)ये एक अच्छे लेखक होने के साथ साथ एक अच्छे उपन्यासकार,नाटककार निबंधकार आलोचक ,गीतकार,पत्रकार ,चित्रकार, कलाकार (और जितनी भी विधाएं होती है लेखन की,और जितने भी “_____कार” होते हैं,चिपका दो )

देश के स्वन्त्रता संग्राम में इन्होने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े(कहाँ से कूदे,खैर जाने दो ) और अपना पूरा समय अब इन्होने साहित्य में सेवा में समर्पित कर दिया और देश भर में देशप्रेम की अलख जगाने लगे,और स्वाधीनता संग्राम से सक्रिय रूप से जुड़ गये .यह अपने समय के लेखको में बहुत ही लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे.ये यथार्थवादी शैली के विशिष्ठ रचनाकार थे .इनकी रचनाओं में आम आदमी के सरोकारों की उपस्थिति है.संघर्ष ,शोषण ,हताशा,कुंठा ,सामजिक विषमताओं,पाखंडो और रुढियों (और भी कई बड़े बड़े शब्द जितने भी आते हो,बस ध्यान रखना की यह कोई व्यंगकार न हो ) के खिलाफ इनकी रचनाएं मुखर हैं.भाषा की सजीवता और और स्वाभाविकता इनकी रचनागत विशेषता है.अपने लेखन में घटनाओं का एक मार्मिक सजीव चित्रण कर यह पाठको को मंत्रमुग्ध करने की क्षमता रखते हैं(क्षमता सबके पास होता है पर इसे प्रूव नही किया जा सकता ).भारत सरकार ने इन्हें इनकी साहित्य सेवा के लिए इनके सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया.(किसी न किसी से तो किया ही होगा)

अगर इनकी कहानी का जरा भी आईडिया हो तो एक थोड़ा और लिखा जा सकता है जैसे इनकी भाषा अत्यंत ही सरल और रोचक है,यह बहुधा अपनी रचनाओ में उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का समावेश आसानी से करते हैं.(भाषा अत्यंत ही क्लिष्ठ और शुद्द है) इनकी गिनती संसार के मूर्धन्य रचनाकरों में होती है.60 के 'दशक' (10 वर्ष +/- की रेंज) में इनके असामयिक निधन से साहित्य का यह स्तम्भ ढह गया और मानो एक युग का अंत हो गया. इनके निधन से हिंदी साहित्य ने एक अमूल्य रत्न खो दिया और साहित्य को अपूर्ण क्षति हुई,मगर इनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य जगत को आज भी आलोकित कर रही हैं.

इस तरह आप ने कुछ भी नही बोला और फिर भी 2 पन्ने भर दिए,यह सबसे आखिरी में लिखना चाहिए,ऐसी लिखावट में जिससे टीचर को लगे की बस समय होता तो आज स्टूडेंट अपना कलेजा चीर के रख देता.बस इतने में टीचर रो देगा और 10 में से 6 नंबर तो टिका ही देगा.आपके रचनाओ के नाम,जन्म की तिथि,मृत्य की तिथि के अधिकतम 3 या 4 अंक ही कटेंगे

आल थे बेस्ट फॉर एग्जाम


    • (यह बात कभी समझ में नही आई ,अगर माँ बाप बचपन में ही मर गये तो यह क्या आसमान से टपके थे ) और ऐसे ही वाक्य इंग्लिश Novels में ही होता है (the author is married with 2 children, इसको लड़की नही मिली जो इसने दो बच्चों से शादी की)