एक हसीना थी, एक दीवाना था / जयप्रकाश चौकसे

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एक हसीना थी, एक दीवाना था
प्रकाशन तिथि :04 जुलाई 2017


दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के जीवन से प्रेरित फिल्म के प्रदर्शन की तैयारी हो रही है। इसमें केंद्रीय भूमिका श्रद्धा कपूर की है। ज्ञातव्य है कि दाऊद के पिता मुंबई पुलिस में साधारण पद पर काम करते थे। परिवार में हसीना पारकर का दबदबा था। सारे महत्वपूर्ण निर्णय हसीना ही लेती थी। 'वन्स अप ऑन ए टाइम' में दाऊद के अपराध सरगना बनने की परिस्थितियों का विवरण है। मुंबई में हाजी मस्तान पहले चर्चित अपराध सरगना हुए। उन्हें मधुबाला से प्रेम था और मधुबाला जैसी दिखने वाली युवती से उन्होंने विवाह किया था। वह युवती फिल्मों में जूनियर कलाकार थी अर्थात भीड़ के दृश्य में खड़ी होने वाली लड़की।

राज कपूर की 'राम तेरी गंगा मैली' की नायिका का नाम यास्मीन था और उन्हें मंदाकिनी नाम राज कपूर ने दिया। संभवत: उन्हें पता था कि कथा फिल्मों के जनक धुंडीराज फालके की सुपुत्री का नाम मंदाकिनी था। मंदाकिनी ने भी अपराध सरगना से विवाह किया था। ऐसा कहा जाता है कि अपने पति द्वारा छोड़े जाने के बाद वे बेंगलुरू में बसी हैं। उन्होंने अपने आपको इस तरह छिपाए रखा है कि कभी मीडिया के सामने नहीं आईं। मंदाकिनी की तलाश भी एक अच्छा थ्रिलर हो सकता है।

हसीना पारकर के बायोपिक में आधी हकीकत आधा फसाना होगा, क्योंकि कोई भी व्यक्ति स्वयं को ही ताउम्र समझ नहीं पाता। इसलिए कहते हैं कि आत्मन: विदी अर्थात स्वयं को जानो। इसी तरह वेदव्यास की महाभारत के सार को अगर अल्पतम शब्दों में कहना हो, तो कहेंगे कि यह कथा स्वयं और अन्य का अर्थ समझने की कथा है। रामायण से अधिक पुस्तकें महाभारत पर लिखी गई हैं और वैज्ञानिक, तर्कसम्मत दृष्टिकोण से उसकी व्याख्या की गुंजाइश अभी भी है। इस क्षेत्र में मराठी और बंगाली भाषाओं में बहुत काम हुआ है। अगर रामायण आस्था है तो महाभारत तर्क है।

दाऊद इब्राहिम पर उसकी बहन हसीना का बहुत प्रभाव रहा है। कमोबेश इसी तरह दिलीप कुमार पर उनकी बड़ी बहन का बहुत प्रभाव था और उस दौर में सभी उन्हेें आपा (बड़ी बहन) कहकर संबोधित करते थे। दिलीप कुमार को चमचे बिल्कुल पसंद नहीं थे परंतु आपा चाटुकारों से घिरी रहती थीं। दिलीप कुमार की इच्छा के विरुद्ध उनकी एक छोटी बहन ने 'मुगल-ए-आजम' के फिल्मकार के. आसिफ से विवाह कर लिया था परंतु इस निजी घटना से फिल्म निर्माण में कोई व्यवधान नहीं आया। इस फिल्म के निर्माण के समय मधुबाला और दिलीप के बीच बातचीत बंद थी परंतु दोनों इस कदर समर्पित कलाकार थे कि रिश्ते की दरार फिल्म के प्रेम दृश्यों में कहीं नज़र नहीं आती।

यह कोई नहीं जानता कि दाऊद पाकिस्तान में कहां रहता है या वह दुबई में रहता है। परंतु यह तय है कि वह अपनी बहन हसीना का बायोपिक जरूर देखेगा। सिनेमाघर के अंधेरे में अपनी बहन का बायोपिक देखते हुए उसकी आंखों में चमक आ जाएगी और यादों की जुगाली करते हुए वह मुंबई में बीता समय याद करेगा। यह समझना अत्यंत कठिन है कि जिस मुंबई से उसे बेतहाशा प्यार था, उसे ही ध्वस्त करने का प्रयास उसने क्यों किया। क्या बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने का इससे कोई संबंध है? दोनों ही प्रकरणों के दोषी सजा से बच गए हैं, कोई वतन छोड़कर और कोई सत्ता के बिल में घुसे रहने के कारण।

आज आतंकवाद के आयाम बदल गए हैं। अब वे लोग ड्रग्स एवं टेक्नोलॉजी की तस्करी करते हैं। आणविक हथियार बनाने का ज्ञान भी कोरिया को इन्हीं रास्तों से प्राप्त हुअा। ये खेल घड़ियों और सोने की तस्करी से शुरू हुआ था। बेंगलुरू में घड़ियों के निर्माण के साथ ही एक वजह तो हट गई। अाज यह कितना अविश्वसनीय लगता है कि यह खेल घड़ियों की तस्करी से प्रारंभ हुआ था! समय के खेल निराले हैं।

महाभारत में यक्ष ने युधिष्ठिर से यह प्रश्न भी पूछा था कि राजा और समय में कौन अधिक बलवान है। युधिष्ठिर द्वारा दिया गया उत्तर आज भी प्रासंगिक है। राजा उसे कहते हैं, जो समय को बदल सके। समय के प्रवाह के साथ तो आम आदमी बहने को बाध्य है। इतिहास गवाह है कि कभी-कभी राजा सनकी हुए हैं, राजधानी भी बदली है। दिल्ली दुश्मन की तोप की जद में है, अत: उसे अहमदाबाद लाया जा सकता है?