ऑस्कर अंकल, डेविस अंकल और टॉम अंकल / जयप्रकाश चौकसे

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ऑस्कर अंकल, डेविस अंकल और टॉम अंकल
प्रकाशन तिथि : 25 जून 2020


अमेरिकन मोशन पिक्चर अकादमी द्वारा संचालित ऑस्कर समारोह इस वर्ष स्थगित कर दिया गया है। 1929 से प्रारंभ ऑस्कर पहली बार दूसरे विश्व युद्ध के समय आयोजित नहीं किया गया था। अब कोरोना के कारण स्थगित है। अमेरिका अंकल टॉम के नाम से भी पुकारा जाता है। अकादमी ट्रॉफी का स्टैच्यू जब बनकर आया तो अकादमी की सचिव मार्गरेट हैरिक ने कहा कि उसकी सूरत उनके अंकल ऑस्कर से मिलती है। कलाकार बैटी डेविस का दावा था कि स्टैच्यू उनके पहले पति से मिलता है। गौरतलब यह है कि स्टैच्यू पुरुष की है, जबकि भारतीय फिल्मफेयर स्टैच्यू महिला की है। प्राय: पुरस्कार ट्रॉफी गोल होती है। संचालन में गोलमाल के शिकवे हमेशा होते हैं। नोबेल पुरस्कार भी अछूते नहीं हैं। ताज्जुब है कि महात्मा गांधी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार कभी नहीं दिया गया।

इसी दौरान रास्पबेरी पुरस्कार समारोह भी आयोजित होता है, जिसमें फिल्मों के घटियापन के आधार पर पुरस्कृत करते हैं। नेताओं के लिए होली पर ऐसे समारोह आयोजित किए जा सकते हैं। रास्पबेरी, में फिल्मकार भाग लेते हैं। खुद के मखौल के दौरान मुस्कुराते हुए मौजूदगी साहस का काम है। ऑस्कर स्थल पर कोई विज्ञापन नहीं किया जाता। समारोह में कभी-कभी राजनैतिक टिप्पणी होती है। अमेरिकी मूल निवासी रेड इंडियंस के दमन के खिलाफ मार्लोन ब्रेन्डो ने कड़ी आलोचना की थी। ऑस्कर जीतने वाली फिल्म 30 प्रतिशत अधिक धन बॉक्स ऑफिस पर अर्जित करती है। विज्ञापन संस्थाएं बाद में इस मंथन से उत्पन्न मक्खन का उपयोग करती हैं।

अकादमी संगठन की सदस्यता फिल्मों के कलाकार और तकनीशियनों को दी जाती है। ‘लगान’ इसी प्रतियोगिता में शामिल की गई थी, इसलिए आशुतोष गोवरिकर सदस्य बनाए गए और उन्हें मताधिकार भी प्राप्त है। अकादमी के सदस्यों को भाग लेने वाली फिल्मों की संपूर्ण जानकारी दी जाती है, परंतु उनका दिया गया मत गिनती में तभी शामिल होता है, जब उन्होंने फिल्म सिनेमाघर में देखी हो। उनके पहचान पत्र को सिनेमाघर में पंच किया जाता है। लैपटॉप, मोबाइल इत्यादि पर देखी फिल्म को दिया गया मत अस्वीकृत कर दिया जाता है। संकेत स्पष्ट है कि फिल्म आस्वाद पूरी तरह सिनेमाघर में ही लिया जा सकता है। शशि कपूर द्वारा निर्मित और अपर्णा सेन द्वारा निर्देशित, जैनिफर कैन्डल कपूर अभिनीत फिल्म ‘36 चौरंगी लेन’ को सदस्यों ने सराहा। इस भारतीय फिल्म को विदेशी भाषा में बनी फिल्म की श्रेणी में प्रतियोगिता में शामिल किया गया था, परंतु अंग्रेजी भाषा में बनी होने से यह तकनीकी चूक मानी गई और फिल्म पुरस्कार से वंचित रह गई। मेहबूब खान की ‘मदर इंडिया’ में ऑस्कर मतदाता यह समझ नहीं पाए कि ब्याज खोर महाजन द्वारा दिया गया विवाह प्रस्ताव नायिका ने रद्द क्यों किया, जबकि इस विवाह द्वारा वह आर्थिक संकट से मुक्त हो सकती थी। मतदाता यह समझ नहीं पाए कि उसका पति घर छोड़कर गया है और वह आज भी उसके नाम का सिंदूर धारण किए हुए है। अगर फिल्म के साथ भारतीय विवाह परंपरा की जानकारी भी भेजी जाती, तो उसे पुरस्कार प्राप्त हो सकता था।

हमारे फिल्म उद्योग या सरकार को, अमेरिका में फिल्म विभाग स्थापित करना चाहिए ताकि फिल्म की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का खुलासा किया जा सके। ऑस्कर मिलने पर भारतीय फिल्म का प्रदर्शन अनेक देशों में किया जा सकता है और धन कमाया जा सकता है। अगर इस आर्थिक पक्ष को अनदेखा करें तो कहना होगा ऑस्कर मिल भी जाए तो क्या है? स्मरण रहे कि कोरिया की फिल्म ‘पैरासाइट’ विश्वभर में दिखाई गई और कोरिया को आर्थिक लाभ हुआ। हथियार और संकीर्णता बेचने से बेहतर है फिल्म बेचना। अमेरिका में रंग भेद को लेकर गृह युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। ऑस्कर स्टैच्यू श्याम रंग की है, क्या आने वाले समय में स्टैच्यू को श्याम श्वेत किया जाएगा?