औकात / जगदीश कश्यप

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जज द्वारा दिए फैसले पर जब दोनों पक्षों के वकीलों ने हस्ताक्षर कर दिए तो जीतने वाले पक्ष के लोग कमल की माफ़िक खिल उठे ।

हारने वाले पक्ष के वकील ने कहा-- ‘मुझे दुख है, रामजीलाल, मैं तुम्हारा केस बचा न सका ।’ और वह तेज़ी से अपने बस्ते की ओर चला गया ।

रामजीलाल के चेहरे पर विेषाद और बरबादी के एवज में वकील के प्रति क्रूर-भाव उभर आए थे । इतने महंगे और प्रसिद्ध वकील ने अंतिम दम पर कैसी बोगस बहस की थी । घर खाली कराने के आदेश पर वह कम से कम एक माह की मोहलत तो ले ही सकता था ।

‘यार, मुझे रामजीलाल के हार जाने का बड़ा दुख है । अगर तुम्हारा दबाव नहीं होता तो नत्थू उसे कभी भी घर खाली नहीं करवा सकता था ।’ यह बात रामजीलाल के वकील ने जीतने वाली पार्टी के वकील से कही ।

‘वो तो ठीक है, मिस्टर खुराना ! पर इस बात के लिए आपको पूरा पाँच हजार कैश भी तो मिला है । आख़िर तुम इतने दुखी क्यों हो ? न जाने कितने ग़रीब रामजीलालों को तुम इसी तरह हरवा चुके हो ।’

इस पर मिस्टर खुराना ने ताज़े खाए पान की ढेर सारी पीक को लापरवाही से एक ओर थूक दिया । जिस कारण अनेक बेकसूर चीटियाँ उस तंबाकू की पीक में जिंदा रहने की कोशिश करती हुई बिलबिलाने लगीं ।