औरत की सत्ता से इंकार क्यों? / संतोष श्रीवास्तव

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इस आधुनिक युग में भी मिस्र औरतों को लेकर दकियानूसी विचारधारा रखता है और आज से हजारों वर्ष पहले भी वह इसी तरह की विचारधारा रखता था। ऐसी ही विचारधारा से मेरा परिचय कराया प्रसिद्ध पुरातत्वविद् डॉ. जोआन फ्लेचर ने जो इजिप्ट के पिरामिडों पर अनुसंधान कार्य कर रही हैं। जिनका मुख्य उद्देश्य नेफरटीटी की ममी को खोज निकालना था जो तीन हजार वर्षों से रेत के थपेड़ों, हू-हू करती हवाओं में दबी, अपने शानदार रोमांचकारी जीवन को समेटे मानो किसी चुम्बकीय शक्ति से अपनी ओर खींचती है। वह मिस्र की बेहद खूबसूरत सम्राज्ञी जो अपने जीवनकाल में ही मिथक बन गई थी। वह एक शक्तिशाली महिला के रूप में मिस्र के इतिहास में उभरी और अपनी क्रांतिकारी हुकूमत, सत्ता प्रेम, विश्वासघात यहाँ तक कि हत्या कि त्रासद कथा बन गई।

सन् 1990 में जोआन ने इस गुमनाम ममी पर खोज करने का विषय अपनी पी.एच.डी. के लिए चुना था। तेरह वर्ष लगे इस खोज को पूर्णता देने में। एक दिन काहिरा के संग्रहालय में जोआन को एक ऐसी विग मिली जो यू.बी.आई. शैली की थी और जिसे बारहवीं तेरहवीं सदी में मिस्र के राजघराने की औरते पहनती थीं। गर्मी के कारण वे सिर मुंडा लेती थीं और अपने ही बालों से बनी विग पहनती थीं। ठीक इसी तरह की विग नेफरटीटी की उस तस्वीर ने भी पहन रखी थी जो उसी संग्रहालय की दीवार पर टंगी थी। यानी कि हजारों साल पहले भी इसी शैली की विग का चलन मिस्र के राजघरानों में था। जोआन पहुँच गई वैली आॅफ दि किंग्स में जहाँ तीन हजार वर्षों से सोई पड़ी है नेफरटीटी एक ममी के रूप में। पूरी वैली में कुकुरमुत्तों की तरह उगे हैं पिरामिड ही पिरामिड। इनमें से नेफरटीटी के पिरामिड को खोज निकालना चुनौती थी। चारों ओर रेतीले पहाड़ और ढूह थे। वहाँ फैले तमाम पिरामिडों को कई-कई दिन तक ठोक बजाकर देखने के बाद नेफरटीटी के पिरामिड का सुराग मिला। अंधकार में डूबा के.वी. पैंतीस नामक पिरामिड। टÞर्च की रोशनी में दीवारें बोलती नजर आती हैं। पिरामिड काफी गहरा और शानदार था। कोठरी की दीवार तोड़कर अंदर का नजारा आश्चर्यजनक रूप से जोआन की आंखों के सामने था। वहाँ तीन ममियाँ थीं जिनमें से एक ममी टूटी-फूटी हालत में थी। उस पर कफन तक न था। जोआन के लिए वह नजारा एक चुनौती था। उस टूटी-फूटी ममी के चेहरे पर शाही रुआब और अथाह खूबसूरती थी। लेकिन उसके शरीर की हर चीज जैसे किसी ने जानबूझकर तबाह कर डाली थी। शाही कफन चीथ डाला था। सिर पर से बालों की विग नोच डाली थी। शाही कफन के टुकड़ों को इधर-उधर से बटोरने पर उन टुकड़ों में एक कटी बांह भी थी। बांह की उंगलियों के नाखूनों पर मेहंदी के निशान थे। ममी के शाही गहने तो ज्यों के त्यों थे पर चेहरे को खरोंच कर चोेट पहुँचाई गई थी। आखिर इस नफरत की वजह क्या थी? क्यों मृत्यु के बाद लाश से बदला लिया गया?

ममी के सुराग साफ सिद्ध कर रहे थे कि मिस्र की क्रांतिकारी, पुरुष समाज को झकझोर कर रख देने वाली अपूर्व सुंदरी सम्राज्ञी नेफरटीटी की ममी थी जिसका मस्तिष्क आज भी सुरक्षित है। ममी पर जिस संरक्षक पदार्थ का कुशल लेप किया गया है वह यह साबित करता है कि ममी राजघराने की ही है। ममी की छाती की पसलियों पर चाकू का गहरा निशान था जो उसकी हत्या को साबित करता था। उसके नजदीक ही जो दो अन्य ममियाँ थीं वे नेफरटीटी के भाई और पति की ही थीं। उन दोनों ममियों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुँचाया गया था। नेफरटीटी की ममी को अपवित्र करने का रहस्य इन घाटियों में ही दबा है। जोआन ने नेफरटीटी के शासनकाल में उसकी राजधानी अमाना के खंडहरों में जहाँ नेफरटीटी ने अपनी ज़िन्दगी के कई सुनहरे वसंत गुजारे थे खोज करके कई रहस्यों से परदा उठाया है। खंडहरों में उसे नेफरटीटी की वह तस्वीर भी मिली जिसकी एक प्रति काहिरा के संग्रहालय में रखी थी। खंडहरों की गुफाओं में नेफरटीटी के संग घटी एक-एक घटना के चित्र उकेरे गए थे। उसके पथरीले इतिहास की परत दर परत रहस्यों और अचंभों से भरी थी।

तीन हजार वर्ष पहले नील नदी के किनारे बसे मलकाटा नामक खूबसूरत शहर में मिस्र के सम्राट का शानदार महल था। इसमें सम्राज्ञी टॉय सहित सम्राट का एक विशाल हरम था। इस महल में सम्राट की पांच सौ पत्नियाँ, रखैल और बांदियाँ थीं और इस हरम की देखभाल सम्राज्ञी टÞय के जिम्मे थी। इन औरतों के साथ मौज-मस्ती भोग विलासिता करने के लिए सम्राट प्रतिदिन मौजूद रहता था। इन्हीं में से एक रखैल ने नेफरटीटी को जन्म दिया। उसका बचपन महल के रीति-रिवाजों, कायदे-कानून के बीच आराम से गुजरने तो लगा पर अपनी विलक्षण प्रतिभा और अद्भुत सोच के रहते वह दूसरी लड़कियों की तरह जीवन बिता नहीं पा रही थी। धीरे-धीरे जब वह जवान हुई तो उसका बेपनाह सौंदर्य महल की तमाम लड़कियों के लिए ईर्ष्या का विषय बन गया। सम्राज्ञी टॉय ने इस विलक्षण प्रतिभा संपन्न लड़की की शादी अपने बेटे एकेनाटान से कर दी, पर नेफरटीटी विवाह के लिए नहीं बनी थी। वह तो एक ऐसी क्रांति के अग्रदूत के रूप में उभरने को छटपटाने लगी जो निश्चय ही मिस्र के लिए वरदान स्वरूप होती। वह समझ चुकी थी कि सम्राट एय्याशियों में आकंठ डूबे हैं। मिस्र का राज्य अराजकता और दो अलग-अलग धार्मिक संप्रदायों की गिरफ्त में है। धर्म की आड़ में लोग मनमानी करते थे। उसे संकट के बादल दूर से ही दिखाई देने लगे थे। अत: वह एकता लाने के प्रयास में धीरे-धीरे अपनी योजना कार्यान्वित करने में जुट गई। मिस्रवासियों के देवता कायनेक और आटन थे जो कि सूर्य के दो रूप थे। अमोन के धर्मगुरु कायनेक देवता के उपासक थे और मलकाटा के आटन देवता के। दोनों मतावलंबियों में हमेशा धार्मिक तनाव और आपसी फूट बनी रहने के कारण और राजघराने में आटन देवता को मान्यता दिए जाने के कारण नेफरटीटी ने सोचा कि क्यों न पूरा मिस्र सिर्फ़ आटन देवता का ही उपासक हो। इस तरह अमन-चैन भी रहेगा और एकता भी। अत: विवाह के तुरंत बाद उसने कायनेक के मंदिरों को तुड़वाकर वहाँ आटन के मंदिरों के निर्माण की राजाज्ञा जारी कर दी। बस यही उसके खिलाफ विष बीज के रोपन की वजह बन गई। सम्राट के रहते नेफरटीटी कौन होती है हुक्म देने वाली? दिन-रात रंगरेलियों में डूबे सम्राट को पता भी नहीं चला कि उनके हाथों से सत्ता सरककर कब नेफरटीटी के कुशल हाथों में पहुँच गई और कब कायनेक के उपासकों का एक बड़ा दल नेफरटीटी के खिलाफ हो गया। इससे नेफरटीटी के हौसले कम नहीं हुए। उसने मिस्र की राजधानी अमाना में स्थानांतरित कर दी और पुरानी मान्यताओं परंपराओं को मिटाकर एक नए युग की वह एक सर्जक बन गई। वह दूरदर्शी थीं। उसे अमाना कि सुदृढ़ किलेबंदी राज्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक लग रही थी। वह किलेबंदी प्राकृतिक रूप से तीन ओर ऊंची-ऊंची चट्टानों से अमाना को पूरी सुरक्षा दे रही थी। एक ओर नील नदी का असीमित विस्तार था। इस सुदृढ़ किलेबंदी में नेफरटीटी की मर्जी के खिलाफ परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। यह वह युग था, जब औरत मर्द की जायदाद और गुलाम समझी जाती थी। ऐसे में नेफरटीटी की सत्ता तले ज़िन्दगी गुजारने को विवश मिस्रवासी पंगु कर देने वाली मन: स्थिति से गुजर रहे थे। लेकिन सम्राज्ञी टॉय जानती थी कि सम्राट एय्याशी में राजकर्म भूल चुके हैं और किसी भी क्षण विद्रोह हो सकता है। अत: उन्होंने नेफरटीटी के आगे सिर झुका दिया। एकेनाटन सम्राट होकर भी सम्राट न था। वह तो नेफरटीटी के रूप का दीवाना था। लिहाजा सम्राट और सम्राज्ञी दोनों की भूमिका नेफरटीटी ही निभा रही थी जो उसका एकमात्र सपना था। वह एक स्वतंत्र शक्तिशाली औरत के रूप में उभरी और मिस्र के इतिहास पर छा गई।

नेफरटीटी सिंहासन पर सम्राट के बराबर बैठती थी। सम्राट की हरम में रहने योग्य औरत सिंहासन पर बैठे और राजकाज की बागडोर अपने हाथ में ले ये पुरुष सत्ता कैसे कबूल कर सकती थी। राजनीतिक उलटफेर, राज्य का तंगहाली से गुजरना आदि तनावों के कारण एकेनाटन की मृत्यु हो गई। सत्ता कि सुरक्षा के मद्देनजर नेफरटीटी ने अपने सौतेले पुत्र तूतन खामन का विवाह अपनी छोटी बेटी से कर दिया और घोषणा कर दी कि तूतनखामन अभी छोटा है, सम्राट के सिंहासन पर नहीं बैठ सकता। अत: उसके वयस्क होने तक राजघराने का ही एक अन्य व्यक्ति स्मेनकाय सम्राट का पद संभालेगा। स्मेनकाय और कोई नहीं पुरुषवेश में स्वयं नेफरटीटी ही थी, यह बात किसी से छिपी न थी। नेफरटीटी के लिए सम्राट बनकर सत्ता संभालना कोई नई बात न थी। एकेनाटन के जीवित रहते भी वह सारा कामकाज देखती थी। एकेनाटन सिंहासन पर बैठने वाली सम्राट की मात्र प्रतिलिपि ही था। एकेनाटन से गहरे प्रेमवश नेफरटीटी ने शाही उसूलों के खिलाफ उसका शव राजमहल में ही सुरक्षित रखा जो एक अनोखा अद्भुत कार्य था। ऐसा पहले मिस्र के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। स्मेनकाय के रूप में नेफरटीटी ने अपनी तमाम सेना का स्वयं निरीक्षण किया। उसने सैन्यकर्मियों की छोटी-छोटी टुकड़ियाँ तैयार की ताकि मिस्र पर संकट आने पर सेना कि ताकत एक ही ओर न लगे। वह हर ओर से अपने देश और राजधानी अमाना कि रक्षा कर सके। सैनिक राज्य के प्रति तो वफादार थे किन्तु नेफरटीटी के खिलाफ जो एक विद्रोही दल उभर रहा था वे उस दल का साथ देने के लिए विवश किए जाने लगे। नेफरटीटी सतर्क थी। एक अकेली औरत ने अपने दिमाग और सूझबूझ से मिस्र जैसे विशाल नखलिस्तान में एक उन्नत, समृद्ध और विकासशील समाज विकसित कर लिया था। वह संसार की सबसे शक्तिशाली महिला बन चुकी थी। तूतनखामन सहित पूरा राज्य उसके इसारे पर नाचता था।

उसका यह शक्तिशाली स्वर्णिम युग अधिक दिनों तक कायम नहीं रह पाया। उसकी ताकत औरत की ताकत के रूप में आंकी जाती थी। कितनी अजीब बात है कि मिस्र में सत्य और न्याय का कोई देवता नहीं था बल्कि देवी थी जिसके हाथ में तराजू था और सिर के पीछे से सूर्य की किरने प्रस्फुटित होती थीं। उस देवी के आगे तो सिर झुकाते थे, उसकी आराधना करते थे, पर नेफरटीटी की विलक्षण प्रतिभा और योग्यता उन्हें जहर लगती थी। अगर मिस्रवासियों ने उसकी प्रतिभा और योग्यता का साथ दिया होता तो उस सदी में शायद मिस्र विश्व के अग्रणी विकसित और समृद्ध देशों में से एक होता। पर ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि विरोधियों ने अपनी पूरी ताकत नेफरटीटी को सिंहासन से हटाकर उसे नेस्तनाबूत करने में लगा दी। कायनेक के उपासक नेफरटीटी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। एक शक्तिशाली औरत की सत्ता ने उन्हें पागल बना डाला था। धार्मिक उन्माद इस कदर फैला कि अमोन के धर्मगुरुओं के प्रतिशोधस्वरूप राजधानी अमाना कि ईंट से ईंट बजा दी गई। लगातार कई वर्षों तक मिस्र के इतिहास में सूर्य की तरह चमकती नेफरटीटी का शासन खत्म हो चुका था और कट्टरपंथियों की साजिश से उसे निहत्था पा उसकी हत्या कर दी गई। सौंदर्य की प्रतीक सम्राज्ञी देवी और मर्द की सत्ता को चुनौती देती विद्रोहिणी नेफरटीटी दुनिया से कूच तो कर गई पर मिस्रवासियों के लिए एक सवाल छोड़ गई कि आखिरकार मर्द की जायदाद और गुलाम समझी जाने वाली औरत जात में से ही एक औरत नेफरटीटी कैसे पूरे मिस्र के मर्दों को पंगु बना स्वयं राज कर सकी? हत्या तो वे कर चुके थे पर जो चिंगारी उनके दिलों में दबी थी वह हत्या के बाद और तेजी से नफरत बन भड़कने लगी। उनका गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था। अत: उन्होंने लुटेरों की तरह नेफरटीटी के मकबरे में प्रवेश कर उसकी ममी के चेहरे को नोच डाला, कफन उघाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया, एक बांह काट डाली। अपने इस कुकृत्य को उन्होंने धार्मिक प्रतिशोध कहा। असल में यह एक मर्द और औरत के बीच का प्रतिशोध था।

इतिहासकार नेफरटीटी को सम्राट एकेनाटन की पत्नी और सहप्रशासक तो मानते हैं लेकिन उसे विद्रोहिणी और घोर नास्तिक करार देते हुए मिस्र के पतन की वजह भी मानते हैं। डॉ. जोआन ने मिथक बनी नेफरटीटी के ऐसे सबूत इकट्ठे किए हैं जो उसके रोमांचकारी जीवन की अद्भुत तस्वीर उकेरते हुए औरत की सत्ता पर मर्दों की नफरत और गलीच प्रतिशोध की पोल खोलते हैं।

अमूमन यह देखा गया है (अपवादों को छोड़कर) कि औरत के हाथ में चाहे सत्ता आए या कलम, मर्द के दिमाग में खलबली मच जाती है। पत्नी यदि किसी कला में पति से आगे निकल जाती है तो पति तनावग्रस्त हो जाता है और अभिमान जैसी फ़िल्म बन जाती है। औरत की योग्यता से डरा हुआ मर्द तब उस पर तरह-तरह के आरोप लगाने से भी नहीं हिचकिचाता।