और वह मारा गया / सुधाकर राजेन्द्र

Gadya Kosh से
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सोना, लाला सिंह को देखते हीं दहाड़ पड़ी-"तुमको तो गरीबे का खून पीये के आदत पड़ गया है रे! तू हमारी जमीन हथिया के मालिक बना है तू अपना पाप और कुकरम देख ना रे। हे काली माई, हे देवी दुरगा, तोहरे पर इन्साफ है।"

खून से लथपथ माथा को पकड़े सोना बोले जा रही थी, सोना की बात सुनकर लाला सिंह चिल्लाया-”कपिलदास चुप्प कराओ अप्पन मौगी के, नहीं तो ठीक नहीं होगा और भी खून खरावा हो सकता है। एकदम बेसरम है, देख तो कुतिया की तरह भूक रही है।”

“हमको कुतिया कहता है रे कोढ़िया, सग्गर गाँव जानता है तुमको और तुमरे बेटा को, कैसे कातिक के कुत्ता लेखा जनानी सूंघते फिरता है। हमरा मुँह खोलबाता है रे मूँहझौंसा।”

माथे की चोट और जोर-जोर से चिल्लाने से कपिलदास की पत्नी को चक्कर आ गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ी। लाला सिंह का चेहरा तमतमा आया था। उसने कभी सोचा भी न था कि अदना सी औरत उसका अपमान करेगी। कपिलदास वहां खड़े लोग और बेटियों के सहयोग से बेहोश अपनी पत्नी सोना को उठा कर घर ले गए। उसके बाद काफी संख्या में खड़े लोग भी इधर-उधर चले गए।

होश आने के बाद कपिलदास की पत्नी फटी फटी आँखों से कपिलदास को देख रही थी । तभी कपिलदास बोल पड़े-अरे काहे की बकझक कर रही हो मीना की माय गरीब गरीबे रहेगा, गालियां सुनेगा, मार खाएगा और जुर्म सहेगा, हमारा भाग्य ही ऐसा है। देखो तो का हाल हो गया है तुम्हरा ..... इतना कहते हुए सोना के माथे पर बंधी पट्टी को सहलाने लगे।

कपिलदास की बेटी मीना लोटा में पानी और छिपनी में रोटी-नमक लाकर बाप सामने रख गई। पर कपिलदास ने उसकी तरफ देखा भी नहीं, सोना के हाथ में लिए जमीन का खतियान निहारता रहा । कुछ देर बाद उसने अपनी पत्नी से पूछा-काहे को यह झगड़ा हुआ और काहे मालिक का बेटा मार कर माथा फोर दिया।

जवान लड़कियां अब दिशा मैदान कहां जाएगी । सारा घर अब नंगा हो गया। मालिक का बेटा घर और पैखाना घर का दीवार खेत जोतते वक्त ट्रक्टर से गिरा कर ध्वस्त कर दिया। कहता है शौचालय और घर की एक दीवार उसके जमीन में है। पूछने पर गाली गलौज करने लगा और माथे पर दे मारा, जिससे माथा फट गया। उसका बाप भी आकर गन्दी-गन्दी गालियां देकर चमार कहने लगा, बेटियों को उठवा लेने की धमकी देने लगा तुम तो बाजार गए थे मैं क्या करती अकेली ही भीड़ गई।

सुबह होते ही कपिलदास दीवार की बिखरी इंटों को समेटने गया, टघरती हुई उसकी पत्नी सोना भी उसके सामने जा बैठी। एकाएक उसने बोलना शुरू किया-”हमरी दीवार गिरा के माथा फार के उ चैन से नहीं रह सकता। हम भुनेसरा बहु नहीं हैं कि घर से बेघर कर देगा। उच्च जात के बड़का है इससे का ? इतना कहते हुए वह गिरे हुए दीवार लांघ कर लाला सिंह के जमीन पर चली आई और झल्लाए हुए स्वर में बोली-हमरी दीवार जहां थी वहीं रहेगी। एक ईंच भी इधर उधर नहीं जाएगी। देखते हैं हमरी दीवार उठाने से कौन रोकता है? कागज के मुताबिक पुरखन से बनल हमरी दीवार बिलकुल सही जगह थी।”

सोना का बोलना जारी रहा-अरे उसके घर की बहु-बेटी रानी महरानी है और गरीबन की बेटी बहु रंडी पतुरिया ............... राकस है हरमजादा, वह चाहे जिसका घर गिरा दे, जिसकी बहु-बेटी के देह पर मूत आए। अरे सोचो तुम्हारी बहु बेटियों को बाहर जा कर हगना पड़े तो .......

इतने में दहाड़ते हुए लाला सिंह की आवाज सुनाई दी-कपिल दास चुप्प कराओ मौगी को, कल से बकवास पर बकवास किए जा रही है। रंडिया का सबूत है कि तुम्हारा दीवार हम गिराए हैं ?

सबूत मांगता है मूंहझौसे, दीदा फूट गया है क्या ? गिरी हुई दीवार दिखाई नहीं देती ।

यह सब सुनते हुए कपिलदास अपनी पत्नी सोना का बाँह पकड़कर धकियाता हुआ घर के अन्दर ले गया ।

रात में थाने की पुलिस कपिलदास के घर आई और कपिल दास को यह कह कर लें गई कि बड़ा बाबू थाने पर बुलाए हैं। कपिलदास को थाने में बैठे तीन घंटे हो गए। एक सिपाही कपिलदास को बड़ा बाबू के सामने जाने का हुक्म दिया। सामने जाते ही दारोगा बोला-अरे साला, तुम्हारा बहुत शिकायत मिला है रे। गाँव में गुंडा-गरदी करता है। तुम्हारे घर में दारू-शराब पीया जाता है और बहुत गलत काम होता है तुम्हारे घर में, सुना है लाल दस्ता भी ठहरता है। साले ठीक हो जा नहीं तो सड़ जाएगा जेल में, और हाँ, सुनो तुम्हारे गाँव का लाला सिंह जैसा कहता है वैसे ही अपना दीवार खींचो। बड़ा आदमी से लड़ना ठीक नहीं ।

दारोगा की बात सुनकर कपिलदास को लगा कि उसके मूंह में जीभ नहीं है। उसका चेहरा पसीने से भर गया। घर आ कर पूरी बात बताते हुए कपिलदास रो गया। कपिलदास की पत्नी सोना ने ... कहा-तुम मऊगा हो मीना के बापू। तुमको जिनगी भर रोना पड़ेगा, पर हम रोने वाली नहीं। हम उसी स्थान पर नयी दीवार उठाएंगे। देखते हैं कौन रोकता है। कपिलदास की पत्नी और बेटी गारा लाती रही, कपिलदास र्इट लाता रहा और उसी स्थान पर दीवार उठाने के संघर्ष में लाला सिंह लाल दस्ते द्वारा मारा गया।