कहूँ कहानी / रमेश बतरा

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-- "ए रफीक भाई! सुनो...उत्पादन के सुख से भरपूर थकान की खुमारी लिए रात मैं घर पहुँचा तो मेरी बेटी ने एक कहानी कही-- "एक लाजा है, वो बो.ऽ.ऽ.त गलीब है।' "