कांग्रेस की सरकार मजबूत होगी / अब क्या हो? / सहजानन्द सरस्वती

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श्रीयुत देव कहते हैं कि 'भारतीय इतिहास के इस अत्यंत नाजुक वक्त पर इस मुल्क को एक ऐसी बड़ी राजनीतिक पार्टी की जरूरत है जो धीरे-धीरे शांतिपूर्ण सर्वांगीण राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक प्रगति कराने में समर्थ हो, जो इतनी विस्तृत हो कि एक जबर्दस्त सरकार को कायम रख सके और संगठन में ऐसी जबर्दस्त हो कि अपना असर जनता पर कायम रख सके, और यह काम सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है'-'Besides, at this critical period in her history India required for its gradual and orderly political, social and economic all round progress, one big political party, large enough to guarantee stable government and strong enough organiastionally to maintain its hold and influence over the people. The Congress alone could answer all the requirements.'

लेकिन सवाल यह है कि ये सब बातें इसीलिए जरूरी हैं कि किसान-मजदूरों के हाथ में सत्ता जाए और वे सुखी-संपन्न हों। तो क्या कांग्रेस यह करे सकेगी? अभी-अभी तो बता चुके हैं कि उसके लिए यह असंभव है। अंग्रेजी शासन भी खूब संगठित और मजबूत था और ये सभी बातें अपने ढंग से करवा सकता था। मगर हमने उसे उठा फेंका। क्यों? इसीलिए न, कि ये बातें हम अपने ढंग से करना चाहते थे, न कि शासकों के ढंग से? ठीक वही बात फिर भी लागू है। किसान-मजदूरों के ढंग से और उनकी मर्जी के मुताबिक आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक प्रगति कराने में कांग्रेस असमर्थ है। फलत: मजबूत सरकार बनाने या शांतिपूर्ण प्रगति का प्रलोभन बेकार है। जो बात हम अंग्रेजों से कहते थे कि तुम्हारे शासन की अपेक्षा हम अराजकता को पसंद करेंगे वही बात कांग्रेस लीडरों से भी क्यों न कहें जब कि हमारी आकांक्षाओं की पूर्ति कांग्रेस से संभव नहीं, जैसा कि बता चुके हैं?