किराए पर ली गई कोख का दर्द / जयप्रकाश चौकसे

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किराए पर ली गई कोख का दर्द
प्रकाशन तिथि : 03 अगस्त 2021


फिल्मकार लक्ष्मण उतेकर ने अभिनेत्री कृति सेनन को केंद्रीय भूमिका में लेकर ‘मिमी’ नामक फिल्म बनाई है, जो 27 जुलाई को प्रदर्शित की गई। कृति सेनन का जन्मदिन होने के कारण यह फिल्म उनके जन्मदिन के उपहार की तरह हो गई है। खबर यह है कि इस फिल्म की चोरी हो गई थी। फिल्म चुराई जाती है क्योंकि इस चोरी के माल का भी बाजार है। बहरहाल, फिल्म के निर्माण में पूंजी निजी ओटीटी मंचों ने लगाई है। गौरतलब है कि एक जोड़े से पति का स्पर्म अन्य स्त्री के गर्भ में रोपा जाता है। जन्म देने के बाद वह कभी किसी से संपर्क न करने के लिए शपथबद्ध होती है। ये बातें व्यक्ति के ईमान पर निर्भर करती हैं। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने राज सिंहासन की रक्षा की शपथ ली थी और इसलिए उन्हें दुर्योधन के लिए युद्ध करना पड़ा। एक जमाने में मनुष्य अपनी मूंछ का बाल गिरवी रख कर कर्ज लेते थे और समय पर चुकाते भी थे। कुछ संस्थाएं 8 प्रतिशत ब्याज देने के वादे को बदल देती हैं और 4 प्रतिशत ब्याज देती हैं। फिल्म ‘परवरिश’ का गीत याद आता है ‘वादे भुला दे, कसम तोड़ दे वो, हालत पे अपनी, हमें छोड़ दे वो, ऐसे जहां से क्यों हम दिल लगाएं, कोई उनसे कह दे।’ संगीतकार शंकर-जयकिशन के सहायक दत्ताराम ने इस गीत की धुन बनाई थी। यह कथा फिल्मकार समृद्ध पोरे ने मराठी भाषा में 2011 में बनाई थी। फिल्मकार पोरे की फिल्म की पृष्ठभूमि महाराष्ट्र थी परंतु लक्ष्मण उतेकर ने इसे राजस्थान कर दिया है। इसी तरह मराठी भाषा की फिल्म ‘सैराट’ की पृष्ठभूमि भी बदल दी गई थी। कुछ लोग कभी-कभी एक भाषा में बनी महान फिल्म को अन्य भाषा में बनाते समय उसका मूल भाव ही बदल देते हैं। ‘सैराट’ के साथ भी यही किया गया था। स्पर्म किराए की कोख में रखने के विषय पर हॉलीवुड में ‘प्रिटी वुमन’ बनाई गई, जिसकी प्रेरणा से सलमान खान, रानी मुखर्जी और प्रीती जिंटा अभिनीत फिल्म ‘चोरी-चोरी चुपके-चुपके’ बनाई गई थी। किराए की कोख विषय पर विक्टर बनर्जी और शबाना आजमी अभिनीत फिल्म ‘दूसरी दुल्हन’ बनाई गई थी। पत्रलेखा पॉल को लेकर फिल्मकार दिव्येंदु शर्मा ने फिल्म ‘बदनाम गली’ बनाई थी।

किराए पर ली गई कोख के विषय में अपनी कोख को किराए पर देने वाली स्त्री अपनी ममता के कारण वायदे के अनुसार शिशु को देने से मुकर जाती है। ऐसा होने पर कई लोग कठिनाई में पड़ जाते हैं। संतान होने का मामला संपत्ति से भी जुड़ा है कि उत्तराधिकारी होना चाहिए। अपने वंश को आगे ले जाने की धारणा माइथोलॉजी ने गढ़ी है। पुरानी मान्यताएं भंग होती हैं, विज्ञान नित नए आविष्कार करता है, तब वंश की निरंतरता वाली बात तर्क सम्मत नहीं लगती। कुछ लोग अपने वंश की पूरी जानकारी लिखकर उसे एक घड़े में रखकर जमीन में गाड़ देते हैं। चलाएमान पृथ्वी उस घड़े का स्थान बदल देती है। उत्तर में गाड़ा हुआ पीतल का घड़ा दक्षिण में चला जाता है। विजय आनंद की फिल्म ‘नौ दो ग्यारह’ में वसीयतनामा एक मटके में रखा गया प्रस्तुत किया गया है। कालांतर में खुदाई करने पर मटका वहीं मिलता है, तो माली का संवाद है, ‘मिट्टी धोखा दे गई।’ पृथ्वी के चलाएमान रहने के कारण मिट्टी को दोष देने का कोई अर्थ नहीं है।

दरअसल सरोगेट वुमन अर्थात किराए पर कोख देने के विषय में सबसे पहली बनी फिल्म जापान की ‘सरोगेट वुमन’ है। वर्तमान में कुछ लोकप्रिय सितारों ने भी इसी तरीके से संतान पाई है।

इस विषय में शबाना आजमी ने कहा था कि दूसरों की संतान को स्नेह देना भी मातृत्व का ही एक रूप है।