कुंडली और प्यार / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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'बहुत हो गया अब। अंतिम निर्णय लेने के लिए मैं आज शहर के प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्यों से तेरी कुण्डली दिखाकर ला रही हूँ। ज्योतिषाचार्य जो कहेंगे वही अंतिम निर्णय होगा।' मैंने कहा।

उसने लापरवाही से कहा 'देखते हैं माँ।'

'नीतू, अब देखने का समय नहीं रहा। अब तो निर्णय का समय आ गया है।'

'माँ, मैंने तो अपना निर्णय सुना दिया आपको। आप ही हैं जो इससे-उससे पूछ रही हैं।'

'बेटा, तेरे भविष्य का सवाल है।'

'माँ, मैं आपकी परमिशन से ही आगे बढऩा चाहती हूँ। आपकी मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं करना चाहती। पर माँ मैं उससे प्यार करती हँू और वह मुझसे।'

'बेटा यह प्यार-व्यार साल दो साल का होता है। हकीकत बाद में सामने आती है।'

'माँ, आप जो लड़का लाएंगे वह अच्छा ही होगा मेरे लिए, यह तय है क्या? हो सकता है वह अच्छा हो पर मैं उसके साथ खुश न रह पाऊँ। आपके अनुभव से मेरा अनुभव डिफरेंट भी हो सकता है।'

मैंने दो ज्योतिषाचार्यों को दोनों की कुण्डलियाँ दिखाई. मिलान करवाया। उन्होंने कहा गैर जाति में विवाह योग है ही नहीं लड़की का और बताया कि लड़का ठीक नहीं है। उसका भविष्य अंधकारमय है। व्यापार करेगा और व्यापार भी खोट वाला।

'व्यापार? नहीं, नहीं वह एम बी-बी एस है।' मैंने बताया तो वह बोले-'प्राइवेट प्रैक्टिस करेगा। पैसा कमाएगा बस। नाम नहीं कमाएगा। उसकी माँ बीमार रहती है। आज पिता के इशारे पर चल रहा है। उनके सहारे चल रहा है। आगे चलकर पिता भी इससे नाराज रहेंगे। अकेला पड़ जाएगा। पारिवारिक जीवन ठीक नहीं है। आपकी बेटी शादी के दो दिन बाद घर आ जाएगी। वहाँ टिक नहीं सकती। वह तो प्यार करती है पर लड़का प्यार नहीं करता है। उसके लिए प्यार व्यापार है। हो सकता है उसके जीवन में कोई और लड़की भी आ जाए. लड़के के संतान योग भी नहीं है।'

एक ज्योतिषी ने कहा-'लड़की सितारों तक जाने वाली है। लड़की का भविष्य बहुत सुन्दर है। बहुत आगे बढ़ेगी। नाम कमाएगी। पर लड़का बहुत कमजोर है।'

दूसरे ज्योतिषी ने सलाह दी-'इसको सोने में मूंगा पहनाओ. अनामिका अंगुली में। सवा पांच रत्ती का। पहले उसे गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद से शुद्ध करो। फिर शुभ मुहूर्त में पहना दो। कुछ मंत्रों का जाप भी यह बच्ची करे। तब देखना अपनी ही जाति में कितना अच्छा लड़का मिलता है।'

'माँ, इन सब बातों से क्या होगा?'

'अगर कुंडली के अनुसार चली तो तेरा भविष्य उज्ज्वल होगा।'

'माँ, मैं कुण्डली-वुंडली कुछ नहीं जानती। मैं लड़के को पांच साल से जानती हूँ। वह अच्छा है। प्यार करती हूँ मैं उसे। मैं जिसे प्यार करती हूँ उसके साथ रह ही नहीं पाऊँगी तो कैसे खुश रह पाऊँगी। जब मेरा वर्तमान ही खराब होने जा रहा है तब भविष्य कैसे उज्ज्वल होगा और माँ, आपका विवाह भी तो कुंडली मिलान से हुआ था। फिर क्या हुआ कि तलाक हो गया? मेरी मदद करो। माँ, मैं उसे प्यार करती हूं। उसके बिना जीवन की कल्पना कभी नहीं की है मैंने। मैं उसके बिना खुश नहीं रह पाऊँगी। ईश्वर ने ऊपर से हमारी कुंडली मिलाकर भेजी है। तभी तो एक दूसरे से मिले।'

'पर तेरी कुण्डली कह रही है वह तुझे प्यार नहीं करता। प्यार का दिखावा करता है।'

'माँ, मैं उसका दिखावा भी देखना चाहती हूँ। जब तक नहीं देखूंगी भ्रम में रहूँगी।'

'बेटा, मैं चाहती हूँ तू प्रेम में रहे।'

'तो रहने दो ना माँ,' यह कहकर वह मेरे गले लग गयी और देर तक रोती रही।

उनका विवाह हुए पांच बरस हो गये हैं। वे खुश हैं।