कुत्तों की घ्राण शक्ति और भ्रष्टाचार / जयप्रकाश चौकसे

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कुत्तों की घ्राण शक्ति और भ्रष्टाचार
प्रकाशन तिथि :10 अप्रैल 2018


आजकल एक विज्ञापन फिल्म में अामिर खान अपने पालतू कुत्ते और बिल्ली की तस्वीरें ले रहे हैं और सोफे पर उन्हें एक साथ लेकर बैठे हैं। दो अलग-अलग स्वभाव के जानवर एक-दूसरे के मित्र हो सकते हैं परंतु चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल इंसानों को ही बांट रहा है। इस तरह अंग्रेजों के देश छोड़ने के बाद भी उनकी 'डिवाइड एंड रूल' की नीति पर अमल किया जा रहा है। क्या हुकूमते बरतानिया किसी न किसी रूप में भारत में हमेशा कायम रहेगा? लॉर्ड मैकाले भारत को कितना बेहतर जानते थे। 1985 में कस्तूरचंद बोकाड़िया की फिल्म 'तेरी मेहरबानियां' अत्यंत सफल रही थी गोयाकि कुत्ता (राम तेरी) गंगा और सागर (रमेश सिप्पी की फिल्म) के तट पर दौड़ता रहा था।

पंकज राग ने 'धुनों की यात्रा' नामक किताब में हिंदुस्तानी फिल्म संगीत के बारे में इतनी अधिक जानकारियां प्रस्तुत की हैं कि किताब पाठ्यक्रम पुस्तक की तरह सिद्ध होती है। पंकज राग कुछ समय तक पुणे फिल्म संस्थान के प्रमुख अधिकारी भी रहे थे। उनके घर पालतू कुत्ता और चहेती बिल्ली साथ-साथ रहते थे और उनके बीच गहरा प्रेम भाव मौजूद था। फिल्मकार अजीज मिर्जा के भाई सईद मिर्जा के घर भी इसी तरह का अजूबा देखा गया था।

एक बार ऋषि कपूर विदेश यात्रा से घर लौटे तो उनके सूटकेस में उनके कुत्ते के डॉग बिस्कुट थे परंतु अपनी पत्नी नीतू के लिए वे कोई भेंट नहीं लाए थे। दरअसल, कुत्तों से प्रेम करने वाला व्यक्ति बहुत जुनूनी होता है।

एक बार मनमोहन शेट्‌टी के घर एक महत्वपूर्ण विषय पर बैठक हो रही थी और उनका पालतू कुत्ता खाकसार के पास आ जाता था। वहां मौजूद शेट्‌टी साहब के पुराने मित्र प्रकाश झा, गोविंद निहलानी इत्यादि थोड़े विचलित नज़र आए कि कुत्ता अपेक्षाकृत नए मित्र के पास क्यों जा रहा है। उनकी दुविधा मिटाई गई कि खाकसार के बैग में कबाब और चिकन एक टिफिन में रखा है। दरअसल, कुत्ते में सूंघने की विलक्षण शक्ति होती है। पुलिस महकमा भी कुत्ता पालता है, जो प्रशिक्षत होता है। अपराध स्थल पर अपराधी द्वारा छोड़े गए वस्त्र सूंघकर वह अपराधी की खोज में सहायक सिद्ध होता है। कुत्ता तो मृत्यु गंध भी समझ लेता है और किसी व्यक्ति की मृत्यु के पूर्व ही उसकी गली के कुत्ते रोने लगते हैं। अजीब-सी आवाजें करने लगते हैं।

गुलजार की विनोद खन्ना अभिनीत 'अचानक' में नायक के पीछे पुलिस के कुत्ते दौड़ रहे हैं। वह दो वृक्षों के बीच आठ का आंकड़ा रचने की अदा में चक्कर लगाता है। उसका पीछा करने वाले कुत्ते उस स्थान पर आकर बेबस हो जाते हैं। इस फिल्म में एक मुद्‌दा यह भी उठाया गया था कि क्या मृत्युदंड पाने वाले व्यक्ति की शल्यक्रिया करके पहले उसकी जान बचाएं और फिर फांसी पर लटकाएं। मुजरिम बहुत बीमार हो गया है। डॉक्टर हिपोक्रेटिक शपथ से बंधे हैं। उन्हें मनुष्य को निरोग करना है। वह अपराधी है या नहीं, यह देखना उनका काम नहीं है। मृत्यु दंड पाए व्यक्ति की भी पूरी शारीरिक जांच करने के बाद ही फांसी पर लटकाया जाता है। क्या अजीब बात है कि मरने वाले का पूरी तरह स्वस्थ होना जरूरी है।

शम्मी कपूर निर्देशित फिल्म 'मनोरंजन' में नायक पुलिस के कुत्ते के प्रशिक्षण में पैसों की खातिर भाग लेता है। अपने हाथ-पैर में कपड़े बांधकर वह दौड़ता है और पुलिस के कुत्तों को उसे काटने का प्रशिक्षण दिया जाता है। ज्ञातव्य है कि शम्मी कपूर निर्देशित यह फिल्म अमेरिका की 'इरमा ला डूज' से प्रेरित थी।

गौरतलब है कि 'इरमा ला डूज' और 'मनोरंजन' दोनों ही के बनने के चार दशक पूर्व शांताराम की 'आदमी' नामक फिल्म भी एक तवायफ और पुलिस वाले की प्रेम-कथा थी। यह प्रकरण नकल का नहीं है परंतु समान विचार अनेक लोगों के दिमाग में आने का है। पृथ्वी की तरह विचार भी घूमते हैं और जाने कब किस मनुष्य का बौद्धिक एंटिना किसी विचार को पकड़ ले। मानव बुद्धि सपनों के माध्यम से भी संदेश देती है। मनुष्य शरीर संरचना में बुद्धि का स्थान हृदय से ऊपर स्थित है। दरअसल, मनुष्य मस्तिष्क में तर्क और भावना दोनों ही उत्पन्न होते हैं। दिल महज वह पम्प है, जो शरीर में रक्त प्रवाहित करता है। तर्क और भावना के बीच निरंतर द्वंद्व जारी रहता है।

बहरहाल, क्या यह संभव है कि कुत्ते भ्रष्टाचार की गंध पकड़ लें और भ्रष्टाचारी के घर के सामने भौंकने लगे? ऐसा होने पर भ्रष्टाचारी भी उस हड्‌डी का आविष्कार कर लेगा, जो इस तरह के कुत्ते के सामने फेंकी जा सके। भ्रष्टाचार के अघोषित राष्ट्रीयकरण के दौर में हताशा-सी होने लगती है परंतु ऐसी कोई रात नहीं जिसका सवेरा न हो।