कुपोषण / अन्तरा करवड़े

Gadya Kosh से
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महिलाओं में कुपोषण और उसके प्रभावों पर आधारित एक क्लब महिला गोष्ठी उस तारांकित होटल के टॉप फ्लोर पर चल रही थी। खाने और उसकी गुणवत्ता की कमी के कारण पैदा होते रोग व उससे हर साल होती महिलाओं की मृत्यु जैसे तथ्य मय आँकड़ों के प्रस्तुत हुए और एक मधुर घोषणा के साथ गोष्ठी समाप्त हुई।

"आप सभी भोजन के लिये आमंत्रित है।"

प्लेट में पनीर दो प्याजा लेती हुई मिसेस माहेश्वरी¸ "आपका प्रेजेन्टेशन तो बड़ा अच्छा हुआ मिसेस गुप्ता! काँग्रेट्‌स।"

"ओह थैंक्स!" चूंकि मिसेस गुप्ता अभी स्टार्टर पर थी इसलिये उन्हें वहीं छोड़ आपने मिसेस प्रसाद को पकड़ा। जिनके साथ अगले हफ्ते उन्हें इसी विषय पर प्रेजेन्टेशन देना था।

"मैं सोचती हूँ मिसेस प्रसाद¸ कि हमारी कामवाली बाईयाँ ही है जिनसे हम ये सारे सवाल पूछ सकते है।" मिसेस माहेश्वरी ने बेक्ड वेज का कुरकुरा चीज़ मुँह में रखते हुए कहा।

"हाँ! उन्हीं से हमें उनकी खान - पान की आदतों और उनमें सुधार की गुंजाइश की जानकारी मिलेगी। इस तरीके से हमारे प्रेजेन्टेशन में थोड़ी लाईवलीनेस आ जाएगी यू नो!" और उन्होने मन्चूरियन पर धावा बोला।

फिर कश्मीरी पुलाव और मखनी दाल के साथ यह तय हुआ कि मिसेस माहेश्वरी अगले प्रेजेन्टेशन के लिये बाईयों से आँकड़ें जमा करेंगी और मिसेस प्रसाद उसका स्पीच बनाएँगी। अंत में आईस्क्रीम विथ फ्रेश फ्रूट एण्ड़ जैली के साथ ही इस प्रेजेन्टेशन के लिये घर पर रिहर्सल का समय तय हुआ।

तभी एक हल्का सा शोर सुनाई दिया। "लाईव रोटी" के स्टॉल पर गर्मी सहन न होने के कारण गर्भवती रमाबाई की तबियत खराब हो रही थी। मैंनेजर पैसे काटने की धमकी दे रहा था। रमाबाई आधे घण्टे की छुट्टी लेकर नींबूपानी पी लेने के बाद काम निपटाए देने के लिये चिरौरी कर रही थी।

मिसेस माहेश्वरी और मिसेस प्रसाद एक दूसरे से बिदा लेकर¸ अपने भीमकाय जबड़ों में पान की गिलौरियाँ दबाए¸ एअर कण्डीशन्ड गाड़ियों के बंद दरवाजों के भीतर एक ही विषय पर सोच रही थी¸ "आखिर महिलाओं में कुपोषण के क्या कारण है?"